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ज़िन्दगी की तारीखें तो पहले से ही तय है हमें तो बस उन तारीखों में जिए जाना है

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ज़िन्दगी की तारीखें तो पहले से ही तय है हमें तो बस उन तारीखों में जिए जाना है
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1 कविता
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कविता: October 2014

http://kavyana.blogspot.com/2014_10_01_archive.html

पिघलते क़तरों में जो लम्हा है जीया उन लम्हों की क़सम मैंने ज़हर है पीया -. अक्तूबर 05, 2014. रेत से घर नहीं बनता. रेत से घर नहीं बनता. पानी में ख्वाव नहीं बहते. मन के अन्तर्निहित गहराई. किसी पैमाने से नहीं नपते. नए कोपलों में दिखता है. पौधों की हरियाली की चाहत. फूलों से भरी है गुलशन पर. कलिओं को खिलने से नहीं राहत. देह के नियम है अजीब. थकता नहीं है सांस लेने में. नींद में बुनते है ख्वाब सारे. उम्मीदें टूटती है खुले आँखों से. चराचर प्रकृति का नियम यही. समय के काल-खंड में. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. पिघलत...

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कविता: April 2014

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पिघलते क़तरों में जो लम्हा है जीया उन लम्हों की क़सम मैंने ज़हर है पीया -. अप्रैल 27, 2014. लम्हों में जीती रही. पत्तों के हिलने मे तेरे आने की आहट सुनूँ. तुम मेरे शहर मे आये तुमसे मिलने का ख्वाब बुनूं. शाम ढलने लगी चिरागों से बात करने लगी. तुम्हारे आने की इंतज़ार मे लम्हा-लम्हा पिघलती रही. वफ़ा-ए -इश्क़ की कौन सी तस्वीर है ये. तेरे पाँव के निशाँ मे ही अपना वज़ूद ढूंढ़ती रही. मेरी सिसकियाँ शायद तुम तक न पहुँच पाया अभी. चित्र गूगल साभार. प्रस्तुतकर्ता. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. हो जाए. तुम ह&#236...

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कविता: May 2013

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पिघलते क़तरों में जो लम्हा है जीया उन लम्हों की क़सम मैंने ज़हर है पीया -. मई 24, 2013. आज भारत है लज्जित. कवि गुरु. रविन्द्र नाथ ठाकुर द्वारा रचित ये. कविता कित ना. सटीक प्रतीत हो ता. आज भारत है लज्जित. हीनता से सुसज्जित. न वो पौरुष न विचार. न वो तप न सदाचार. अंतर -बाह्य ,धर्मं -कर्म. सभी ब्रह्म विवर्जित. हे रूद्र! धिक्कृत लांछित इस पृथ्वी पर. सहसा करो बज्राघात. हो जाये सब धूलिसात. पर्वत-प्रांतर- नगर-गाँव. जागे लेकर आपका नाम. पुण्य-वीर्य-अभय-अमृत से. আজি এ ভারত লজ্জিত হে,. नई पोस्ट. गूंजे...पिघलत&#23...

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कविता: November 2013

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पिघलते क़तरों में जो लम्हा है जीया उन लम्हों की क़सम मैंने ज़हर है पीया -. नवंबर 24, 2013. Blog का Total pageview. चाँद खिला पर रौशनी नही आयी. रात बीती पर दिन न चढ़ा. अर्श से फर्श तक के सफ़र में. कमबख्त रौशनी तबाह हो गयी।. दिल की हालत कुछ यूं बयान हुई. कुछ इधर गिरा कुछ उधर गिरा. राह-ए-उल्फत का ये नजराना है जालिम. न वो तुझे मिला न वो मुझे मिला ।. प्रस्तुतकर्ता. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. नवंबर 15, 2013. छा&#2...

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कविता: June 2014

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पिघलते क़तरों में जो लम्हा है जीया उन लम्हों की क़सम मैंने ज़हर है पीया -. जून 27, 2014. नया अध्याय तू पढ़. सांस जब तक चल रही है. तुम भी ज़िंदा हो पथिक. तुम अकेले ही नहीं हो -. चॉंद तारे भी सहित. पाँव के नीचे जो धरती है. वो राह दिखलाये. मोह माया त्याग दे. कहीं ये न तुझे भरमाये. दंश भूखे पेट की. तुझको समझना है अभी. बेघरों का आशियाना. तुझको बनना है अभी. शून्य में ही भ्रमण करना. नहीं है नियति तेरा. काल-कवलित सूव्यवस्था-. जीवंत करना है अभी. दिशाहीन तुम यूँ न भटको. हिम्मत करो ऐ राहगीर. जून 13, 2014. मोरन&#2...

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अपनी अपनी बातें..........: August 2012

http://apniapnibaatein.blogspot.com/2012_08_01_archive.html

अपनी अपनी बातें. जीवन संस्कार,प्रेरणास्पद लेख,संस्मरण, सूक्तियों,कहावतों, का सांझा मंच द्वार सब के लिए खुले हैं,आएँ उध्रत करें या लिख कर योगदान दें . Wednesday, August 22, 2012. चिंतन.निरंतर का.: ना तुम्हारी जीत ज़रूरी ,ना मेरी हार ज़रूरी. चिंतन.निरंतर का.: ना तुम्हारी जीत ज़रूरी ,ना मेरी हार ज़रूरी. चिंतन.निरंतर का.: पवित्र रिश्ते को केवल धागे से मत जोड़ो. चिंतन.निरंतर का.: चिंतन ,मनन के बाद! चिंतन.निरंतर का.: चिंतन ,मनन के बाद! ज़िन्दगी को समझने के लिए ख&...जीवन की भट्टी म&#2375...जीवन का. Labels: अहम&...

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अपनी अपनी बातें..........: March 2013

http://apniapnibaatein.blogspot.com/2013_03_01_archive.html

अपनी अपनी बातें. जीवन संस्कार,प्रेरणास्पद लेख,संस्मरण, सूक्तियों,कहावतों, का सांझा मंच द्वार सब के लिए खुले हैं,आएँ उध्रत करें या लिख कर योगदान दें . Sunday, March 24, 2013. निरंतर" की कलम से.: अब मैंने डायरी लिखना बंद कर दिया है. निरंतर" की कलम से.: अब मैंने डायरी लिखना बंद कर दिया है. Tuesday, March 19, 2013. निरंतर" की कलम से.: हार कर भी जीत जाऊंगा. निरंतर" की कलम से.: हार कर भी जीत जाऊंगा. Monday, March 18, 2013. हाथों की लकीरों को देखता ह&#...Subscribe to: Posts (Atom). Nirantar's Poems In English.

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अपनी अपनी बातें..........: July 2011

http://apniapnibaatein.blogspot.com/2011_07_01_archive.html

अपनी अपनी बातें. जीवन संस्कार,प्रेरणास्पद लेख,संस्मरण, सूक्तियों,कहावतों, का सांझा मंच द्वार सब के लिए खुले हैं,आएँ उध्रत करें या लिख कर योगदान दें . Sunday, July 17, 2011. वो सबसे दुखी जो. निरंतर समझता. खुद को दुखी. जो खुदा ने दिया. उस से तृप्ति नहीं होती. जुबान से सदा खीज. प्रकट होती. संतुष्टि उस से कोसों. दूर रहती. ज़िन्दगी रोते रोते. ज़िन्दगी. तृप्ति. संतुष्टि. नए जोश से उठता हूँ ,फिर से चल पड़ता हूँ. स्वप्न लोक में खोता हूँ. इच्छाओं को संजोता हूँ. हार मान लूं? निराशा. रहा था. आया था. रिश्...इतन&#2366...

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अपनी अपनी बातें..........: "निरंतर" की कलम से.....: हार कर भी जीत जाऊंगा

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अपनी अपनी बातें. जीवन संस्कार,प्रेरणास्पद लेख,संस्मरण, सूक्तियों,कहावतों, का सांझा मंच द्वार सब के लिए खुले हैं,आएँ उध्रत करें या लिख कर योगदान दें . Tuesday, March 19, 2013. निरंतर" की कलम से.: हार कर भी जीत जाऊंगा. निरंतर" की कलम से.: हार कर भी जीत जाऊंगा. Subscribe to: Post Comments (Atom). निरंतर" की कलम से. Http:/ www.nirantarajmer.com/. चिंतन.निरंतर का. Http:/ nirantarkaachintan.blogspot.in/. हास्य कविता निरंतर की कलम से. हास्य कविता निरंतर की कलम से. निरंतर कह रहा . Nirantar's Poems In English.

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अपनी अपनी बातें..........: June 2012

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अपनी अपनी बातें. जीवन संस्कार,प्रेरणास्पद लेख,संस्मरण, सूक्तियों,कहावतों, का सांझा मंच द्वार सब के लिए खुले हैं,आएँ उध्रत करें या लिख कर योगदान दें . Tuesday, June 26, 2012. निरंतर कह रहा .: मेरी आत्मा. निरंतर कह रहा .: मेरी आत्मा. Monday, June 25, 2012. निरंतर कह रहा .: क्यों कहते,तुम अकेले हो. निरंतर कह रहा .: क्यों कहते,तुम अकेले हो. निरंतर कह रहा .: कौन कहता है? आग पानी का साथ नहीं हो सकता. निरंतर कह रहा .: कौन कहता है? आग पानी का साथ नहीं हो सकता. कौन कहता है? आज फिर व्यथित मन स&#2...इच्छ&#236...

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अपनी अपनी बातें..........: November 2011

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अपनी अपनी बातें. जीवन संस्कार,प्रेरणास्पद लेख,संस्मरण, सूक्तियों,कहावतों, का सांझा मंच द्वार सब के लिए खुले हैं,आएँ उध्रत करें या लिख कर योगदान दें . Wednesday, November 30, 2011. निरंतर" की कलम से.: इश्वर भक्ती में डूबा रहा. निरंतर" की कलम से.: इश्वर भक्ती में डूबा रहा. Tuesday, November 29, 2011. चिंतन.निरंतर का.: मनोविकार. चिंतन.निरंतर का.: मनोविकार. चिंतन.निरंतर का.: मानसिक शांती. चिंतन.निरंतर का.: मानसिक शांती. जिस प्रकार भरे हुए संदूक में स&#236...Sunday, November 27, 2011. राम ने नह&#2...राम...

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अपनी अपनी बातें. जीवन संस्कार,प्रेरणास्पद लेख,संस्मरण, सूक्तियों,कहावतों, का सांझा मंच द्वार सब के लिए खुले हैं,आएँ उध्रत करें या लिख कर योगदान दें . Tuesday, June 28, 2011. एक परिवेश सबके के लिए अच्छा हो ऐसा आवश्यक नहीं है. भिन्न मानसिकताएं और भिन्न विचार परिवेश को भिन्न भिन्न तरीके. से देखेंगी. महत्वपूर्ण वह है. आपके अनुकूल नहीं होने पर बिना संयम खोये. सब्र के साथ उसको सहना और बिना थके. बदलने का प्रयत्न करना आवश्यक है. डा.राजेंद्र तेला. Labels: जीवन-शैली. प्रशंसा. यह जानना भी आवश&#238...प्रश&#230...

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अपनी अपनी बातें. जीवन संस्कार,प्रेरणास्पद लेख,संस्मरण, सूक्तियों,कहावतों, का सांझा मंच द्वार सब के लिए खुले हैं,आएँ उध्रत करें या लिख कर योगदान दें . Tuesday, January 31, 2012. निरंतर कह रहा .: रंग बिरंगी चिड़िया एक दिन बोली मुझसे. निरंतर कह रहा .: रंग बिरंगी चिड़िया एक दिन बोली मुझसे. क्या सहती हूँ? Tuesday, January 17, 2012. Nirantar's.: The truth about friendship. Nirantar's.: The truth about friendship. Nirantar's.: Love is in deeds,doesn’t exist in words. Nirantar's.: People Talk about beauty. च&#2375...

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Kumpulan Sasterawan Kavyan

Thursday, 29 March 2018. Bicara Karya Penulis Malaysia. Bicara Karya Penulis Malaysia. Pusat Kebudayaan India ( NSCBICC. Suruhanjaya Tinggi India di Malaysia. Kumpulan Sasterawan Kavyan ( Kavyan. 21 April 2018 (Sabtu). 2:00 – 4:00 petang. Dewan Netaji Subhash Chandra Bose. Tingkat 17, Sentral Vista. Jalan Sultan Abdul Samad, Brickfields, Kuala Lumpur. Terletak tidak jauh dari KL Sentral. Stesen Monorel Tun Sambanthan. Dan Kompleks MAB Brickfields. 8211; Menara Sentral Vista. Serta individu yang terlibat ...

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ज़िन्दगी की तारीखें तो पहले से ही तय है हमें तो बस उन तारीखों में जिए जाना है. मार्च 16, 2018. समझदार हो चला. कभी समंदर तो कभी दरिया बन के. कभी आग तो कभी शोला बन के. ज़रूरतमंदों ने खूब गले लगाया था मुझे. काम आया हूँ मैं जाने कैसे कैसे उनके. पर अब मैं जो थोड़ा स्वार्थी बन गया हूँ. उन्हें नश्तर की तरह अब मैं चुभ रहा हूँ. सुनना छोड़ दिया जब से उनका दर्दे फ़साना. तेवर उनके हो गए तल्ख़ अब गया वो ज़माना. बड़ा नादाँ था ये दिल परअब समझदार हो चला. मार्च 16, 2018. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. नवंबर 12, 2017. आओ श&...

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دفتر آی سی تی آقبلاغ. برای ظهور آقا امام زمان (عج) صلوات. خلاصه ای ازعملکرد دهیاری آقبلاغ. طرح های درحال اجرا. پروژه های افتتاح شده. تصاویر فعالیتهای انجام شده. دانلود نرم افزارهای دفاتر. پایگاه اطلاع رسانی دفاترآی سیتی ومخابرات روستایی کشور. دانلود فیلم و سریال بازی و برنامه و والپیپر تقویم. خرید گیرنده دیجیتال تلویزیون. تاریخ و اوقات شرعی. مجله فرهنگ و هنر. دانلودآنتی ویروس نود32nod 32. آنتی ویروس کسپرسکی اینترنت سکوریتی2012.0.0.374. اوربیت دانلودر4.0.7. کیهان کلاینت7 kehan3.7 2 684. خاموش کردن جستوجوی...

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New Year Wishes and Introducing Adhrith. Adhrith completed his 1 month and I made this simple cake for his 1st month birthday. I need your best wishes and blessings for our Little one. Garbanzo Beans:14 oz can. Hot House Tomato:2 no(sliced). Salt n Pepper:To taste. Bread Crumbs:1 cup(optinal,I used them even the recipe didnt call for it). 3In a bowl,break open the eggs,beat them and add yogurt and beat again salt n pepper to taste. 5Bake this dish in a pre-heated oven at 350 F for 45 minutes until the to...

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POETS MEET KAVI SAMMELAN

मन के बाग़ में बिखरी है भावनाओं की ओस। …………कुछ बूंदें छूकर मैंने भी नम कर ली हैं हथेलियाँ …………और लोग मुझे कवि समझने लगे! Hasya Kavi / Contact poets of India. If you are looking for the contact details of poets just dial. चिराग जैन CHIRAG JAIN. प्रतिक्रिया. For Booking of a Kavi Sammelan Just visit- www.kavisammelanhasya.com. चिराग जैन CHIRAG JAIN. प्रतिक्रिया. चिराग जैन CHIRAG JAIN. प्रतिक्रिया. Laugh India Laugh Chirag Jain. Laughter Artish Chirag Jain in the episode of Laugh India Laugh of Life OK.

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ह द वर ण न क रम क अन स र. अन म क ज न ‘अम बर’. अन ल वर म ‘म त’. अन र ग म श र ‘ग़ र’. अम र ख़ सर. आच र य मह प रज ञ. ग प लद स ‘न रज’. जगद श सव त. रम श शर म. व ष ण प रभ कर. ज ञ न प रक श आक ल. स वप नदर श क आक श. म हब बत क म र. क स स ब त क ई आजकल नह ह त. छ ट -स लड़क. श र-ओ-स ख न. स र य चलकर आ गय ह द हर तक. Gyan Prakash Aakul Poem. मन क म सम. म न ष ह त वह रसख न. यह ह दर द म र. सपन म भ द खत अब म ब इल फ न. ज न ह ज़ न दग त ज य प य र क तरह. कहन न कभ ज़ न दग आर म क घर ह. Hasya Kavi Sammelan Banglore. 2018 क व य चल.