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मासूम लम्हे................... (:something like me :)

मासूम लम्हे. (:something like me :). September 15, 2012. मिला हर बार तू होकर किसी का. नहीं सुनता है वो आहो बुका क्या? कहो बहरा हुआ अपना खुदा क्या? है फैला ज़हर ये वादी में कैसा? कहीं से आई नफरत की हवा क्या? गिला, शिकवा, शिकायत कर भी लेता. मगर तुझसे मैं कहता भी, तो क्या क्या? मैं सदियों से तेरे दर पर खड़ा हूँ. यहाँ से बंद है हर रास्ता क्या? वो फिर से रूठ कर जाने लगा है. नहीं होगा कोई अब मोजिज़ा क्या? कहीं कोई अब्र है तुझमें दबा क्या? उदासी है, उदासी थी, रहेगी. Posted by दिपाली "आब". March 29, 2012. ये...

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मासूम लम्हे. (:something like me :). September 15, 2012. मिला हर बार तू होकर किसी का. नहीं सुनता है वो आहो बुका क्या? कहो बहरा हुआ अपना खुदा क्या? है फैला ज़हर ये वादी में कैसा? कहीं से आई नफरत की हवा क्या? गिला, शिकवा, शिकायत कर भी लेता. मगर तुझसे मैं कहता भी, तो क्या क्या? मैं सदियों से तेरे दर पर खड़ा हूँ. यहाँ से बंद है हर रास्ता क्या? वो फिर से रूठ कर जाने लगा है. नहीं होगा कोई अब मोजिज़ा क्या? कहीं कोई अब्र है तुझमें दबा क्या? उदासी है, उदासी थी, रहेगी. Posted by दिपाली आब. March 29, 2012. य&#2375...
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मासूम लम्हे. (:something like me :). September 15, 2012. मिला हर बार तू होकर किसी का. नहीं सुनता है वो आहो बुका क्या? कहो बहरा हुआ अपना खुदा क्या? है फैला ज़हर ये वादी में कैसा? कहीं से आई नफरत की हवा क्या? गिला, शिकवा, शिकायत कर भी लेता. मगर तुझसे मैं कहता भी, तो क्या क्या? मैं सदियों से तेरे दर पर खड़ा हूँ. यहाँ से बंद है हर रास्ता क्या? वो फिर से रूठ कर जाने लगा है. नहीं होगा कोई अब मोजिज़ा क्या? कहीं कोई अब्र है तुझमें दबा क्या? उदासी है, उदासी थी, रहेगी. Posted by दिपाली "आब". March 29, 2012. य&#2375...

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मासूम लम्हे................... (:something like me :): उदासियों के मौसम में

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मासूम लम्हे. (:something like me :). March 29, 2012. उदासियों के मौसम में. अंधेरों में अतीत तलाशते हुए. हाथ लगता है खालीपन. भूली बिसरी याद कभी भटकते हुए. टकरा जाये तो गिर पड़ती हूँ. कभी कोई खाब छूट कर हाथ से. गिर जाए तो चुभ जाते हैं निहित रिश्ते पाँव में. रिसता रहता है दर्द. बूँद बूँद टूट कर पलकों से. उदासियों के मौसम में! Posted by दिपाली "आब". राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ). प्यारी रचना है. March 29, 2012 at 10:33 AM. संगीता स्वरुप ( गीत ). गहन अनुभूति . March 29, 2012 at 11:33 AM. March 29, 2012 at 8:03 PM.

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मासूम लम्हे................... (:something like me :): वो न आयें, प्' उनकी याद आए...!

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मासूम लम्हे. (:something like me :). June 25, 2011. वो न आयें, प्' उनकी याद आए! वो न आये तो उनकी याद आए. जी न जाए, तो क्या जिया जाए. हसरतें आँसुओं में घुलने लगीं,. ख्वाब मेरे सभी जो मुरझाए. नींद में कितने खौफ शामिल हैं,. हम भी देखेंगे, नींद आ जाए. हमने चाहा नहीं गम ए फुर्कत,. आ गया है, तो भले रह जाए. तुम न आये मगर न जाने क्यूँ,. दिल ये कहता है देखो वो आए. वस्ल में रूह घुल गई लेकिन,. जिस्म गलता नहीं है क्यूँ हाए. रास्ता तक रही हूँ मैं कब से,. गो न आयें, प्' उनकी याद आए! Bahut achchi hai. :). चर्च&#2...

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मासूम लम्हे................... (:something like me :): ऐसी आहट है उसके जाने की

http://www.khoobsuratzindagi.blogspot.com/2011/07/blog-post.html

मासूम लम्हे. (:something like me :). July 12, 2011. ऐसी आहट है उसके जाने की. चाहतें थीं करीब आने की,. शर्त लेकिन थी भूल जाने की. मिन्नतें, मिन्नतें रहीं लेकिन,. हसरतें खो गईं सुनाने की. आप भी आप ही रहे लेकिन,. बात कोई तो हो पुराने की. वक्त ज़ाया किया क्यों आने में,. इतनी जल्दी थी अगर जाने की. अपनी आदत से बाज़ आ ही गए,. बड़ी आदत थी मुस्कुराने की. टूट कर जैसे दिल बिखर जाये,. ऐसी आहट है उसके जाने की. ना यकीं उसपे करना 'आब' उसे,. लग गई है हवा ज़माने की! Posted by दिपाली "आब". July 12, 2011 at 9:57 PM. बहुत...

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मासूम लम्हे................... (:something like me :): March 2012

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मासूम लम्हे. (:something like me :). March 29, 2012. उदासियों के मौसम में. अंधेरों में अतीत तलाशते हुए. हाथ लगता है खालीपन. भूली बिसरी याद कभी भटकते हुए. टकरा जाये तो गिर पड़ती हूँ. कभी कोई खाब छूट कर हाथ से. गिर जाए तो चुभ जाते हैं निहित रिश्ते पाँव में. रिसता रहता है दर्द. बूँद बूँद टूट कर पलकों से. उदासियों के मौसम में! Posted by दिपाली "आब". Subscribe to: Posts (Atom). Become my fan :). Http:/ www.facebook.com/DeepaliSangwan. दिपाली "आब". View my complete profile. Do naina aur Ek kahani.

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मासूम लम्हे................... (:something like me :): मिला हर बार तू होकर किसी का

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मासूम लम्हे. (:something like me :). September 15, 2012. मिला हर बार तू होकर किसी का. नहीं सुनता है वो आहो बुका क्या? कहो बहरा हुआ अपना खुदा क्या? है फैला ज़हर ये वादी में कैसा? कहीं से आई नफरत की हवा क्या? गिला, शिकवा, शिकायत कर भी लेता. मगर तुझसे मैं कहता भी, तो क्या क्या? मैं सदियों से तेरे दर पर खड़ा हूँ. यहाँ से बंद है हर रास्ता क्या? वो फिर से रूठ कर जाने लगा है. नहीं होगा कोई अब मोजिज़ा क्या? कहीं कोई अब्र है तुझमें दबा क्या? उदासी है, उदासी थी, रहेगी. Posted by दिपाली "आब". आपकी किस&#2...दीप...

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मेरे सपनों की दुनिया: January 2012

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मेरे सपनों की दुनिया. मेरी कलम से सजी. Wednesday, January 18, 2012. ख़्वाब टूट गया. कितनी मुद्दतों के बाद. कल रात मिले थे. जब ख़्वाबों में हम,. तुम्हारे अक्स को देखा. और हकीकत मान लिया मैंने. कंपकंपाती हुयी उँगलियों से. छूकर तुम्हारे चेहरे को. महसूस करना चाहा था जब,. बड़ा सर्द था वो एहसास. तुम्हारी छुअन का. महकती हुयी सी खुशबू. जो हर घड़ी, हर लम्हा. मेरे अरमानों से जुड़ी रहती है,. ख़्वाबों में भी बांधे रखती थी. मेरा तुम्हारा दामन. आज क्यूँ ऐसा हुआ. मुझे प्रतीत न हुआ! पर एक रोज़,. मिताली. ना ही ज...हाथ...

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मेरे सपनों की दुनिया: July 2011

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मेरे सपनों की दुनिया. मेरी कलम से सजी. Sunday, July 24, 2011. तुम्हारी अभिलाषा. तुम्हारे सिवा बाकि नहीं रही. मेरी कोई और अभिलाषा. मेरे सपनों की कल्पना भी जैसे. दूर तक भटकने के बाद,. तुम पर ही आकर ठहर सी गयी है. शायद तुम्हारा स्पर्श ही. मेरे सपनों को यथार्थ बनाता है. मेरे जीवन-संगीत का सुर भी. तुम्हें सोच कर, तुम्हें चाह कर. छेड़ देता है एक मधुर तान. शायद तुम्हारा ख्याल ही मेरे. सुरों को संगीत देता है. और मेरे जीवन को झंकृत करता है. सावन में बरसता रिमझिम पानी,. जैसे पल भर में. मिताली. अनामिक&#2...ओ र&#2375...

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मेरे सपनों की दुनिया: May 2011

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मेरे सपनों की दुनिया. मेरी कलम से सजी. Sunday, May 8, 2011. माँ,. एक ऐसा शब्द. जो समेटे है अपने आप में एक दुनिया,. जो बाँट दे निःस्वार्थ भाव से सारी खुशियाँ. माँ,. एक ऐसा शब्द. जो है सहनशीलता की निशानी,. झेलती आई है पीड़ा सदियों पुरानी. हर इंसान का अस्तित्व माँ ने बनाया है,. फिर क्यों इंसान. अपनी माँ को ही छलता आया है? लोगों की इस भीड़ में,. दुनिया की इस लडाई में,. अपनी माँ को ही भुलाता आया है. और अपनी हर गलती के लिए,. माँ को ही रुलाता आया है. फिर भी. पर हमेशा खुश रहती है. पर क्यों,. Tuesday, May 3, 2011.

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मेरे सपनों की दुनिया: May 2013

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मेरे सपनों की दुनिया. मेरी कलम से सजी. Wednesday, May 8, 2013. यादों की पोटली . चुन-चुन कर मैंने. समेट लिया. तुम्हारी यादों का कारवाँ. और बना ली एक पोटली . दिल की ना सुन कर. लगाया जोर दिमाग पर. कि कहीं कोई याद. बाकी तो ना रह गयी . दिमाग ने भी चुपचाप. लगा दी मुहर. और मार दिया ताना. मुझ पर हँसते हुए. कि 'सब समेटने के बाद. कुछ भी बिखरा नहीं रहता-. ओ पागल लड़की' . अब बस मैं थी, तन्हाई थी,. और थी मेरी नज़रों के सामने. तुम्हारी यादों की पोटली,. तुम्हारे दिए हुए. कभी मैं देखती. कभी महसूस करती. ऐसा लगा. तुम&...

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Do naina aur Ek kahani: September 2010

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Do naina aur Ek kahani. Monday, September 27, 2010. कहानी इश्क और हया की. भाग दो. क्या है रिश्ता इश्क का हया से. हया जो इश्क की कुछ नहीं लगती. क्यूँ बावरी है. चल रही है राह पे उसकी. जिस दिन इश्क ने. हया का माथा चूम लिया. उस दिन से आँखों की टहनी पे. अश्कों के फल नहीं लगते. उस दिन से ख़्वाबों का. खारापन गया. उस दिन से महक रही है. यादों की संदल. और हया मदहोश है. पगली ये जानती है. ये अकीदत जान ले के जायेगी. मगर फिर भी. चिराग बुझने से पहले. जो एक पल जी भर के जीता है. वही एक पल मिला है. अब हया को. ये भ&#2...

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Do naina aur Ek kahani. Friday, July 15, 2011. स्ट्राबेरी फ्लेवर ". राजेंद्र प्लेस. शीशे से आती धूप तभी तक अच्छी लगती है जब तक मेट्रो में ए.सी. ने टेम्प्रेचर बाँध रखा है. जहाँ दरवाज़े से बाहर कदम रखो वहीँ धूप के गुस्से का शिकार होना पड़ता है। शरीर में एक चुनचुनाहट भरी बेचैनी समा जाती है।. बस दो मिनट में पहुँच रही हूँ, आ रही हूँ न बाबू. जब वो सामने आई तब तक उसके लिए मेरे एहसास इस कदर तितर-बितर हो चुके थे कि एक पल क&#23...मेरे हाथ को छुआ, मैं आँखें ...कैसी है? एक दम मस्त. यहाँ कैसे? नीरज की श&#23...उसन&#2375...

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मेरे सपनों की दुनिया: March 2011

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मेरे सपनों की दुनिया. मेरी कलम से सजी. Tuesday, March 29, 2011. बनके खुश्बू हवाओं में बिखर जाने की चाहत,. आवारा उड़ते हुए बहुत दूर तक पँहुच जाने की चाहत. सागर की उन्मादी लहरों में सबकुछ लिखने की चाहत,. बूँद-बूँद में इक नज़्म को समा लेने की चाहत. घण्टों एकटक सूरज को आँखें दिखाने की चाहत,. हाथ बढ़ा कर उस चमकते चाँद को पा लेने की चाहत. बिना चिंगारी के गीली लकड़ियाँ सुलगाने की चाहत,. बिना सोए पलकों में हसीन ख़्वाब जगाने की चाहत. प्रस्तुतकर्ता. मिताली. प्रतिक्रियाएँ:. Subscribe to: Posts (Atom). Awaz Do Hum Ko.

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मेरे सपनों की दुनिया: August 2011

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मेरे सपनों की दुनिया. मेरी कलम से सजी. Thursday, August 11, 2011. क्षणिकाएं. पतझड़ का मौसम. महकते जीवन में,. बरसों से तेरी चाहत ने. तेरी यादों ने,. खिलाये कई फूल गुलमोहर के. आज तू नहीं,. तेरी चाह नहीं,. तेरी याद नहीं,. तेरे ख़्वाब नहीं. ज़िंदगी भी बस यूँ ही. धीरे-धीरे कट रही है ऐसे,. जिसे देख कर. कोई भी कह दे कि. बिखर गए हैं. फूल गुलमोहर के. और आ गया है. मेरे जीवन में. पतझड़ का मौसम. अधूरी तस्वीर. कहीं से. एक और रंग मिल जाये,. तो बरसों से. अधूरी रही ये तस्वीर. बदले हुए रंग से. और फिर,. उस मौन पड़ी. वो ...

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मेरे सपनों की दुनिया. मेरी कलम से सजी. Thursday, December 2, 2010. सुबह-सुबह जब आँखें खोलूँ,. याद तुम्हारी आ जाती है. पलकोँ के बंद दरवाज़े से भी. अंतर्मन मेँ बस जाती है. कभी नहीं श्रँगार किया पर,. अब सजना अच्छा लगता है. पहले मिलन की बेला का,. हर सपना सच्चा लगता है. बारिश की बूँदों में अब तो,. अक्स तुम्हारा दिखता है. अनजानी सी इस दुनिया में,. एक शख़्स हमारा दिखता है. लम्बी काली रातें कटती हैं,. तारों से बातें कर-कर के. हर पल तुमको याद करुँ मैं,. मन में आहें भर-भर के. मिताली. Subscribe to: Posts (Atom).

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