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मेरा कमरा: ऐ ज़िन्दगी
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मेरा कमरा. Wednesday, November 26, 2008. ऐ ज़िन्दगी. ऐ ज़िन्दगी आ,. इक शाम मेरे घर भी आ. करेंगे बैठकर दो चार बातें,. मेरी पोटली में बहुत कुछ है जो है दिखाना तुझको,. मेरे पास बहुत कुछ है जो है सुनाना तुझको. हैरान ना होना,जो इक बात पूछूँ तुमसे,. सुना है! बहुत खूबसूरत हो तुम? गर ये सच है. तो परदे में आना ऐ ज़िन्दगी,. अब तो हर खूबसूरत चीज़ डराती है मुझको. ये जो चाँद है न! सोचता हूँ तोड़ लूँ इसको,. और सजा लूँ अपने घर के आँगन में. तुम आओ तो मेरा पता देना,. Wednesday, November 26, 2008. Bahut khuub likha hai!
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Jasvir Saurana{The Unlimited}: फ़िर आसुओं की बारात है.........................
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Monday, September 15, 2008. फ़िर आसुओं की बारात है. फ़िर तारों भरी रात है. फ़िर आसुओं की बारात है. तेरी याद की शहनाई है. मैं हूँ और मेरी तन्हाई है. Posted by jasvir saurana. कविता बहुत सुन्दर है. लेकिन, एक बात कि फिर होता है, फ़िर नहीं. September 15, 2008 at 2:17 AM. सच कह रही हो आप. September 15, 2008 at 2:51 AM. चन्द शब्दों में गहरी बात! September 15, 2008 at 6:08 PM. Aachi panktiya likhi hai. September 16, 2008 at 4:44 AM. September 16, 2008 at 5:13 AM. September 16, 2008 at 5:52 AM. Wah kya bat hai.
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आहत: मेरे सपने
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आओं सुने. महफ़िल-ए-ग़ज़ल. अपने ब्लॉग पर इसे लगाइए. शनिवार, 14 जून 2008. मेरे सपने. मेरे सपने. हाथों में रेत के कुछ चिपके कण. ये याद दिला रहे कि कुछ वक्त पहले. हाथों में घर बुनने के सपने थे।. आँसूओ के बूंदो से चिपकी रेत. कुछ याद दिला देती है,कि कही. विकास की इक आंधी चली है. और मुझ आम इंसान के हाथ से रेत उड़ जाती है. उड़ जाते है मेरे सपने,मेरे जज्बा़त. अब मेरी बेबस गरीबी को कोई आकार नहीं मिलेगा. मेरे सर पर घर का भार नहीं रहेगा. 183; पंकज उपाध्याय. प्रस्तुतकर्ता. ने कहा…. 14 जून 2008 को 2:04 am.
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मोहन का मन: December 2008
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मोहन का मन. Wednesday, 31 December 2008. आ रहा है नया साल ले लो मेरी भी मुबारकबाद. कुछ ही पलों में आने वाला नया साल आप सभी के लिए. स्वास्थ्वर्धक. और प्रगतिशील हो. यही हमारी भगवान से प्रार्थना है. मोहन वशिष्ठ. द्वारा. आपको कैसा लगा. Links to this post. Saturday, 27 December 2008. बताओ तो जानें जवाब. क्या चलाना चाहोगे पेड या बाईक. कारणों. 8205; टिवंकल खन्ना।. तो अब बारी आती है विजेताओं की. प्रकाश गोविन्द. Smart Indian - स्मार्ट इंडियन. विद्वान. राज भाटिय़ा. पांचवे. पांचवे. विजेता. Links to this post.
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Jasvir Saurana{The Unlimited}: हाँ तेरी जिन्दगी मुझे मेरी आबरू से ज्यादा लगी..............
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Thursday, September 4, 2008. हाँ तेरी जिन्दगी मुझे मेरी आबरू से ज्यादा लगी. तू तो मौन बिस्तर में पड़ा था. तब बहुत मन्नते मांगी थी मैंने. भगवान से।. गिडगिडा कर कहती थी उससे. मंजिल न सही. राह तो दिखा दे।. राह तो दिखाई उसने. चलना उस समय. मज़बूरी थी मेरी. क्या करती. तेरी जिन्दगी. मुझे मेरी आबरू से ज्यादा लगी. तब बेच दिया मैंने अपने आपको. और बदले में. खरीद ली तेरी जिन्दगी।. तब मालुम था मुझे. जब बेचा था अपने आपको. खो दिया था मैंने तुझे।. मगर कोई गम नहीं मुझे. अपने आप को खोकर. तो क्या. Bahut sunder rachna hai.
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Jasvir Saurana{The Unlimited}: ये कैसे पति......................
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Thursday, September 11, 2008. ये कैसे पति. ऐसे पतियों के लिए एक कविता. ये कैसे पति है. कोई अपनी पत्नी को मारता है. कोई दे जाता है. सारी जिन्दगी का गम. कोई कर जाता है बेगाना. कोई सूरत छोड़. सीरत में खो जाता है. कोई अपना इल्जाम. औरत को ही दे जाता है. ये कैसे पति है. Posted by Advocate Rashmi saurana. अपने बहुत ही अच्छा लिखा है .सुंदर भाव हैं.मन को छु गये हैं. September 11, 2008 at 2:36 AM. September 11, 2008 at 3:50 AM. रश्मि जी,. September 11, 2008 at 4:20 AM. September 11, 2008 at 5:50 AM. कोई हल नह...