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तरवताल: October 2009
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जीवन की आशा और प्रत्याशा का कच्चा चिट्ठा. मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009. थर्ड डिग्री बनाम तीसरी परम्परा. अजीब पशोपेश है जी. ये दो विचार हैं. नेक हैं. एक में हम चकड़धम चिल्लापुरी को प्यार से बैठाते हैं. दारू शारू. मुर्गा! तो जब दोनो ही तरीके सलीकेदार नही हैं फिर तीसरी परम्परा की खोज कैसे हो! अपना सिर तो है न धुनने के लिए! प्रस्तुतकर्ता. 9 टिप्पणियां:. लेबल: थर्ड डिग्री. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). हिन्दी में लिखिए. विजेट आपके ब्लॉग पर. आवाजाही. 3 दिन पहले. 5 दिन पहले. शरद क...
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तरवताल: February 2010
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जीवन की आशा और प्रत्याशा का कच्चा चिट्ठा. बुधवार, 3 फ़रवरी 2010. जवाबदेही. जवाबदेही. दमरू बेचारा. रात दिन का मेहनती. मानवाधिकार की हजार-हजार कवायदें काम नही आती यहॉ. दिन रात खटता भी है, और मिलता है मजदूरी के नाम पर आधा पौना! में फ्लड लाईट की तरह चमका. और अचानक पूरे स्क्रीन को डस लिया.जवाब . `दमरू छत पर काम कर रहा था! निर्माणाधीन छत पर,. प्रस्तुतकर्ता. 1 टिप्पणी:. लेबल: जवाबदेही. मीडिया. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). हिन्दी में लिखिए. आवाजाही. 3 दिन पहले. शरद कोकì...
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तरवताल: June 2010
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जीवन की आशा और प्रत्याशा का कच्चा चिट्ठा. शुक्रवार, 25 जून 2010. कुम्भ प्रीमिअर लीग. कुम्भ पीमीयर लीग. प्रस्तुतकर्ता. 2 टिप्पणियां:. लेबल: पुलिस. महाकुम्भ. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). हिन्दी में लिखिए. विजेट आपके ब्लॉग पर. आवाजाही. मेरी ब्लॉग सूची. अदनान कफ़ील दरवेश की दस कविताएं. 3 दिन पहले. संजय व्यास. भय के कोने. 5 दिन पहले. शरद कोकास. पहल 104 में प्रकाशित लम्बी कविता 'देह'. 1 सप्ताह पहले. उस मौसम के दिन. 1 सप्ताह पहले. 1 सप्ताह पहले. कबाड़खाना. उड़न तश्तरी . दोपह...
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तरवताल: August 2013
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जीवन की आशा और प्रत्याशा का कच्चा चिट्ठा. बुधवार, 21 अगस्त 2013. रक्षाबंधन. रक्षाबंधन. मेरी सब बहनों को अपराधबोध के साथ). रक्षा बहनों को बाँधो. बांधकर सहेज लो एक रिश्ता. तब जबकि तुमने. एक दुधमुंही रुलाई को. एक चित्कार में बदला है. आख़िरी ठोस मृतपाय. लड़कपन की मासूम एक पुलक को. बदल डाला है एक सिसक में. दबी घुटी घुटी सी सिसक. जो साल दर साल खुरचती रहेगी. आत्मा का अंश. निश्छल एक तरुणाई को. खून के चिकत्तों में बदल डाला है. ता उम्र. काली घनी अंधेरी. तुमने एक सहज सहचर को. दूर तक घसीटा है. नई पोस्ट. शरद को...
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तरवताल: August 2009
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जीवन की आशा और प्रत्याशा का कच्चा चिट्ठा. रविवार, 30 अगस्त 2009. देखा - सोचा. क्षण भर सोचा. मात्र क्षण भर. की अभी अभी जो चेन स्नेचिंग हुयी उसके साथ. नुक्कड़ के मुहाने. और उसकी अपनी गली के सिरहाने पर. क्या बता दे पुलिस को. उस सोच को. और देखा उस नजर को. जो देखकर सोचेंगी. कहाँ टिकी थी थी ये चेन? और फ़िर दूसरे ही क्षण. ये सोचकर. की चलो बस. चेन स्नेचिंग ही हुई. घर का रास्ता! प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. लेबल: पुलिस. मंगलवार, 25 अगस्त 2009. ऋषभ तुम्हारी याद में. तब तक भयावह नहीं लगा. एक बार फिर. जब घर म...
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तरवताल: July 2009
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जीवन की आशा और प्रत्याशा का कच्चा चिट्ठा. मंगलवार, 28 जुलाई 2009. धारा ३७७. एक विज्ञापन -. सुन्दर, सुशील, गृहकार्य दक्ष बालक हेतु सरकारी सेवारत सजातीय वर चाहिए . एक वार्तालाप -. पापा , पापा कह रहे हैं आफिस से आते वक्त बाज़ार से चूड़ियाँ ले आना . एक त्यौहार -. भाई - भैया इस बार रक्षाबंधन पर क्या गिफ्ट लोगे? एक पहेली -. बताओ तो तुम्हारे पप्पू चाचा के पत्नी तुम्हारे क्या लगे? उत्तर - चीचा , चाचा , चोचो? एक फिल्म -. पत्नी पत्नी और वो . एक गाना -. प्रस्तुतकर्ता. 3 टिप्पणियां:. की एक दिन हम. मृत्य&#...खुद...
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तरवताल: December 2011
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जीवन की आशा और प्रत्याशा का कच्चा चिट्ठा. शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011. भंग सन्नाटे का शोर. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). हिन्दी में लिखिए. विजेट आपके ब्लॉग पर. आवाजाही. मेरी ब्लॉग सूची. अदनान कफ़ील दरवेश की दस कविताएं. 3 दिन पहले. संजय व्यास. भय के कोने. 5 दिन पहले. शरद कोकास. पहल 104 में प्रकाशित लम्बी कविता 'देह'. 1 सप्ताह पहले. उस मौसम के दिन. 1 सप्ताह पहले. लिखो यहां वहां. 1 सप्ताह पहले. कबाड़खाना. 4 सप्ताह पहले. उड़न तश्तरी . दोपहर* गद...
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तरवताल: November 2009
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जीवन की आशा और प्रत्याशा का कच्चा चिट्ठा. शुक्रवार, 20 नवंबर 2009. पंजाब पुलिस अकादमी. ये दीवार-ओ-दर-याद आएंगें,. ये जमीं ये शजर याद आएंगें।. वो तरतीब औ तालीम औ तहजीब जो सीखी. हर्फ बा हर्फ शाम-ओ-सहर याद आएंगें।. इश्क करना था सुना इंसा का शगल है,. प्यार में झूमते ये जानवर याद आएगें।. मुस्तफा औ रकीब औ सरपरस्त,. भूल जाएं भी मगर याद आएंगें।. कुछ पलों का साथ देकर जो चले,. उम्र भर वो रहगुजर याद आयेंगें! प्रस्तुतकर्ता. 6 टिप्पणियां:. लेबल: अकादमी. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. आवाजाही. समय का इस...
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तरवताल: December 2009
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जीवन की आशा और प्रत्याशा का कच्चा चिट्ठा. शनिवार, 5 दिसंबर 2009. घूमते रहे. सुख की कतरने चूमते रहे. जाम-ए-गफलत पी लिया,. हर गली, हर सड़क बावस्ता अंगूठे के. फिर भी किस चाह में. प्रस्तुतकर्ता. 7 टिप्पणियां:. लेबल: बा - अदब. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). हिन्दी में लिखिए. विजेट आपके ब्लॉग पर. आवाजाही. मेरी ब्लॉग सूची. अदनान कफ़ील दरवेश की दस कविताएं. 3 दिन पहले. संजय व्यास. भय के कोने. 5 दिन पहले. शरद कोकास. 1 सप्ताह पहले. उस मौसम के दिन. 1 सप्ताह पहले. उड़न तश्तरी . दोपह...
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तरवताल: अर्नेस्तो कार्देनाल की कविताओं का अनुवाद :
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जीवन की आशा और प्रत्याशा का कच्चा चिट्ठा. शनिवार, 27 जून 2009. अर्नेस्तो कार्देनाल की कविताओं का अनुवाद :. मै तुम्हे ये कवितायेँ देता हूँ :अर्नेस्तो कार्देनाल. नरेन्द्र जैन -अंततः :कविता का सिलसिला. पहली किश्त. अंततः ख्याल रक्खो. क्लौडिया जब तुम. मेरे पास होती हो. क्योंकि हल्की सी जुम्बिश. कोई शब्द. क्लौडिया की एक आह. कोई हल्की सी भूल. शायद विशेषज्ञ एक दिन इसकी जांच करेंगे. और क्लौडिया का यह नृत्य. शताब्दियों तक याद रक्खा जाएगा! प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. नई पोस्ट. आवाजाही. 3 दिन पहले. समय का...