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कथायात्रा: March 2010
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कथायात्रा. बलराम अग्रवाल की कथा-रचनाएँ. बुधवार, मार्च 31, 2010. माँ नहीं जानती फ्रायड/बलराम अग्रवाल. माँ…ऽ…! जैसे कुछ देखा ही न हो वैसे पुकारते हुए वह माँ के कमरे की ओर बढ़ा, ताकि उसके पहुँचने त. क माँ सँभलकर बैठ जाए।. ज्यों की त्यों बैठी रही।. 8220; श्श्श्श्श. 8221; अपने होठों पर तर्जनी को खड़ी करने के बाद उसने हथेली के इशारे से. उसे आवाज को धीमी रखने का इशारा किया।. माँ का इशारा पाकर वह दोबारा नहीं चीखा।. 8220; यह क्या कर रही हो माँ! 8220; देख नहीं रहा है? 8221; सो चुकी पिंक...8220; दूध एक बू...मा&...
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कथायात्रा: February 2011
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कथायात्रा. बलराम अग्रवाल की कथा-रचनाएँ. सोमवार, फ़रवरी 28, 2011. खनक/बलराम अग्रवाल. चित्र:आदित्य अग्रवाल. बत्ती बुझाकर जैसे ही वह बिस्तर पर लेटता. उसे घुँघरुओं के खनकने की आवाज सुनाई देने लगती। महीनों से यह सिलसिला चल रहा था। शुरू-शुरू में तो उस आवाज को उसने मन का वहम ही माना. लेकिन बाद में. घुँघरुओं की आवाज हर रात लगातार सुनाई देने लगी. तो उसने अपना ध्यान उस पर केन्द्रित करना शुरू किया। नहीं. हिम्मत करके. उसने आखिर पूछ ही लिया. कौन है. यश-लक्ष्मी! यश-लक्ष्मी! यश चाहिए. सभी की छोड़ो. बलि दी...सदस्...
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कथायात्रा: June 2010
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कथायात्रा. बलराम अग्रवाल की कथा-रचनाएँ. बुधवार, जून 09, 2010. निवारण/बलराम अग्रवाल. राजनीतिक-. श का दौर था। संकट-निवारण के उद्देश्य से पिता ने हवन का आयोजन किया। उसमें अपने कुल-दे. ता की प्रतिमा को उसने हवन-स्थल पर स्थापित किया। और, प्रतिमा के एकदम बाईं ओर उसके बेटों ने ए. क विचित्र-सा मॉडल लाकर रख दिया।. यह क्या है? पिता ने पूछा।. बचपन में सं. गठन के महत्व को समझाने के लिए आपने एक बार लकड़ियों. के एक गट्ठर का प्रयोग किया था पिताजी।. बड़े पुत्र ने उसे बताया,. को अपना लिया।. अंत में मæ...कुछ ब...
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कथायात्रा: February 2009
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कथायात्रा. बलराम अग्रवाल की कथा-रचनाएँ. शुक्रवार, फ़रवरी 27, 2009. यही होना है आखिरकार/बलराम अग्रवाल. मेरी तलाश आखिर कामयाब साबित हुई। मुझे पूरा यकीन था कि महाप्रलय में सब-कुछ लील जाने के बावजूद ऊपरवाले ने मेरे लिए कम से कम एक औरत जरूर बचा रखी होगी।. औरत की आँखों में आँखें डालकर वह बोला।. वह बात को बीच में ही काटकर बोली. दरअसल इंसान नहीं. और क्या. ईश्वर कल्पना नहीं यथार्थ है…।. यहाँ से लेकर दू्…ऽ…र उस छोर तक देख।. लेकिन…! कोई लेकिन-वेकिन नहीं…. देखो, इस इकलौते ठिकान...अगर बच गए तो यकीन म&#...लेक...
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कथायात्रा: August 2010
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कथायात्रा. बलराम अग्रवाल की कथा-रचनाएँ. रविवार, अगस्त 22, 2010. पिताजी ने कहा था/बलराम अग्रवाल. 8220; मेरा यह जीवन सफल हुआ पिताजी! 8221; एक दिन मैं उनसे बोला।. 8220; किस तरह बेटे? 8221; उन्होंने पूछा।. 8220; आपकी सेवा का मौका पाकर।. 8221; मैं बोला।. 8220; यानी कि तेरा जीवन सफल हो, इसके लिए मेरा अपाहिज और असहाय बन जाना जरूरी था।. 8221; वह सहज, परन्तु ढले-से स्वर में बोले।. 8220; मेरा यह मतलब नहीं था पिताजी।. पिताजी कुछ देर चुप रहे, फिर बोले,. पिताजी मेरे चेहरे पर ...बलराम अग्रवाल. लेबल: लघुकथ&...सदस्...
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कथायात्रा: July 2010
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कथायात्रा. बलराम अग्रवाल की कथा-रचनाएँ. शुक्रवार, जुलाई 30, 2010. धागे/बलराम अग्रवाल. की बूढ़ी आँखों में आज थकान नहीं थी। न उदासी न बेबसी। उनमें आज ललक थी। घर आए अपने भतीजे पर स. मूचा प्यार उँड़ेल देने की ललक।. तुझे देखकर आत्मा हरी. हो गई बेटे।. देवेन के बालों में उँगलियाँ फिराते हुए वह बोलीं,. जुग-जुग जीओ मेरे बच्चे।. मेरे मन में तुम्हा. रे दर्शनों की इच्छा बड़े दिनों से थी बुआ।. देवेन उनके चरण छूता हुआ बोला,. और सवेरे वापस चला जाऊँगा।. क्या हुआ बुआ? कुछ नहीं।. वो मेर. भैया-भैया. पैग चढ़ाकर. 8212; साम...
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कथायात्रा: May 2009
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कथायात्रा. बलराम अग्रवाल की कथा-रचनाएँ. गुरुवार, मई 28, 2009. अपनी-अपनी जमीन/बलराम अग्रवाल. रा तो मानोगे…. मुझे भी बुरा लग रहा है, लेकिन…कई दिनों तक देख-भाल लेने के बाद हिम्मत कर रही हूँ बताने की…. सुनकर नाराज न हो जाना एकदम-से…।. 8221; नीता ने अखबार के पन्ने उलट रहे नवीन के आगे चाय का प्याला रखते हुए कहा और खुद भी उसके पास वाली कुर्सी. पर बैठ गई।. 8220; कहो।. 8221; अखबार पढ़ते-पढ़ते ही नवीन बोला।. 8221; वह चाय सिप करती हुई बोली,. 8220; लेकिन क्या? 8221; नवीन ने पूछा।. 8221; वह बोली।. 8212; इंजे...
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कथायात्रा: January 2011
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कथायात्रा. बलराम अग्रवाल की कथा-रचनाएँ. शुक्रवार, जनवरी 14, 2011. भरोसा/बलराम अग्रवाल. होते-होते इलाके में कर्फ्यू लागू कर दिया गया था।. रात होते-होते बाप-बेटे के दिमाग में पड़ोसी को फँसा देने की योजना कौंधी।. 8220; इस साले का घर फूँक डालने का यह बेहतरीन मौका है पापा।. 8221; बेटा बोला,. 8220; ना रहेगा बाँस और ना…. 8220; उल्लू का पट्ठा है तू।. 8221; बाप ने उसे झिड़का,. 8220; कैसे? 8220; मुआवजा! 8221; बाप बोला,. 8220; फिर? 8220; आ गया।. 8221; बेटे ने बताया,. फोटो:बलराम अग्रवाल. जब तक दम में दम ह&...Twitter प...
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कथायात्रा: June 2009
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कथायात्रा. बलराम अग्रवाल की कथा-रचनाएँ. मंगलवार, जून 30, 2009. अकेले भी जरूर घुलते होंगे पिताजी/बलराम अग्रवाल. च सौ…पाँच सौ. रुपए सिर्फ…यह कोई बड़ी रकम तो नहीं है, बशर्ते कि मेरे पास होती. 8212; अँधेरे में बिस्तर पर पड़ा बि. ज्जू करवटें बदलता सोचता है. वाले…लेकिन यह सब माँ को, रज्जू को या किसी और को कैसे समझाऊँ? मैं क्या करूँ…तमसो मा ज्योतिर्गमय…तमसो मा…।. 8220; सुनो! 8221; अचानक पत्नी की आवाज सुनकर वह चौंका।. 8220; हाँ! 8221; उसके गले से निकला।. 8220; कुछ नहीं।. 8221; वह फिर बोली,. 8220; चार सौ...
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कथायात्रा: October 2010
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कथायात्रा. बलराम अग्रवाल की कथा-रचनाएँ. मंगलवार, अक्तूबर 19, 2010. उम्मीद/बलराम अग्रवाल. जूनागढ़ निवासी मौहम्मद रफीक अपने रिक्शे में. रिक्शेवाले. को पैसे चुकाकर मैंने ससुराल की देहरी पर पाँव रखा ही था कि रमा की मम्मी और. बाबूजी मेरी अगवानी के लिए सामनेवाले कमरे से निकलकर आँगन तक आ पहुँचे।. 8220; नमस्ते माँजी, नमस्ते बाबूजी! 8221; मैंने अभिवादन किया।. 8220; जीते रहो।. 8220; मैं कहूँ थी न. 8220; दुश्मन को भी भगवान ऐसा दामाद दे।. 8220; भले ही उसको कोई बेटी न दे।. 8221; मैं बोला,. 8220; …आप तो ज&#...8221; अन&...