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लालित्यम्: September 2014
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लालित्यम्. ललित लेखन -गद्य . हमारी वाणी. कहानी-कुञ्ज. भानमती का कुनबा. सोमवार, 22 सितंबर 2014. कथांश - 20 . लेकिन अपने को बहुत अकेला अनुभव करने लगा हूँ! मन की बातें कहना चाहता हूँ . काग़ज़ों से ही सही . तभी लिखने बैठा हूँ , लेखनी हाथ आई तो अनायास लिख गया - पारमिता. अपनी सारी कमज़ोरियाँ तुम्हें कैसे बता सकता हूँ? ये कुछ पन्ने ,जो केवल मेरे हैं - अपने से अपनी बात! डोर-बेल बजी , बाहर कोई है - कलम रख दी मैंने . अब जाने पर ही पता लगेगा. माँ ने पहले एकाध बार टाला...अरे, आइये,आइये '. पत्नी बोल...आज कल सिन...
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लालित्यम्: March 2014
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लालित्यम्. ललित लेखन -गद्य . हमारी वाणी. कहानी-कुञ्ज. भानमती का कुनबा. बुधवार, 19 मार्च 2014. सागर - संगम: 8 . मंच पर - लोकमन ,सूत्रधार और नटी. लोक - छठी शती तक शाक्य ,लिच्छवी, कोशल चेदि अवंती. जैसी सोलह महाशक्तियाँ यहाँ शान से दमकीं. धीरे-धीरे छँटते -बँटते बल में लगे सिमटने. सदी आठवीं में अधिकार जमाया आ अरबों ने. तुर्कों ने दिल्ली की गद्दी बारहवीं में पाई. राजनीति में इस्लामी शासन की गंध समाई. अगली तीन शती तक पहचानो उनके हस्ताक्षर. दृष्यांतर -. दृष्य -. एक प्रेमी युगल राजप&...अकबर और बीरबल आतí...
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लालित्यम्: May 2015
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लालित्यम्. ललित लेखन -गद्य . हमारी वाणी. कहानी-कुञ्ज. भानमती का कुनबा. सोमवार, 18 मई 2015. उलनबटोर / झुमरीतलैया . हर्रा लगे न फिटकरी और रंग आए चोखा! की तर्ज़ पर , सारी परेशानी उड़न-छू और महिलाएँ प्रसन्न-चित्त! किसी को नहीं ,वाटरप्रूफ़ हुए चलते बने . वास्तविकता पता लगाने तक का नहीं सोचा किसी ने. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिभा सक्सेना. 16 टिप्पणियां:. लेबल: उद्धार . संकल्पना. सोमवार, 11 मई 2015. सागर - संगम -10 . सूत्र - गुरु रामानन्द को! रैदास - कौन से गुरु जी? कबीर -गुरु तो बहुत...ऐसा ही एक म...उसकी...
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लालित्यम्: कोख का करार - 2 .
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लालित्यम्. ललित लेखन -गद्य . हमारी वाणी. कहानी-कुञ्ज. भानमती का कुनबा. शनिवार, 28 मार्च 2015. कोख का करार - 2 . नमस्कार डॉ.साहब, ये मेरी पत्नी जूली और ये मोनिका जी , संबंधी हैं हमारी सहायता को तैयार हैं. '. कहते हुये हैरिस दोनों महिलाओं की ओर उन्मुख हुए,' ये डॉ.अमर. इस काम में यहाँ के माने हुए डाक्टर . '. आगे बढ़ आये डॉ.अमर अपने साथी को लक्ष्य कर बोले ,. औपचारिकताये पूरी कर काम की बातें शुरू हुईं. पहला सवाल - 'कैसी सरोगेसी चाहिये? दैट्स ट्रू.'. जब परखनली में निषेचन हो ...मोनिका के...डरिये मत&...आपके...
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लालित्यम्: सागर - संगम -10 .
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लालित्यम्. ललित लेखन -गद्य . हमारी वाणी. कहानी-कुञ्ज. भानमती का कुनबा. सोमवार, 11 मई 2015. सागर - संगम -10 . सूत्र - गुरु रामानन्द को! समाज में दलितों और वंचितों के उन्नयन का पथ उन्हीं ने प्रशस्त किया ।क्यों मित्र ,लोक मन ,तुम्हारा क्या विचार है? लोक - भक्ति द्राविड ऊपजी ,लाये रामानन्द ,. परकट किया कबीर ने सप्त द्वीप नव- खण्ड! दृष्य - रामानन्द कबीर और रैदास का आगमन ). रामा - कहो संत कहो .मन में शंका न रहने दो . स्त्री -क्या गुरु जी यही हैं? रैदास - कौन से गुरु जी? उसकी लाल लाल आँख...न रहन का ठî...
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लालित्यम्: November 2014
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लालित्यम्. ललित लेखन -गद्य . हमारी वाणी. कहानी-कुञ्ज. भानमती का कुनबा. मंगलवार, 25 नवंबर 2014. कथांश - 26 . वसु माँ के पास रुक गई थी. राय साब सारी खोज-खबर लेते रहते थे.उनसे बहुत सहारा था. पहले स्पष्ट किया मैंने ,'मेरी बहिन और और आपकी बेटी में पॉलिटेक्नीक की सर्विस के दौरान मित्रता हुई थी. मेरे समझाने पर पर कि थोड़ा इंतज़ार करें ,सारे लोग लालची नहीं होते . वे बोले,. ऐसी बात नहीं है .'. वे कुछ तेज़ी पकड़ गये ,मेरी बात काट कर बोले-. वह कोई बात नहीं आप तैयार हों...कैसी बातें...माँ क...उन्...
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लालित्यम्: April 2014
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लालित्यम्. ललित लेखन -गद्य . हमारी वाणी. कहानी-कुञ्ज. भानमती का कुनबा. बुधवार, 30 अप्रैल 2014. कथांश -3 . नहीं, मीता से मेरा विवाह संभव नहीं हुआ. मीता अक्सर ही हमारे घर आ जाती ,माँ की सहायता करती ,कहती ,'माँ से बहुत सीखने को मिलता है .'. कभी-कभी माँ बुलवा लेतीं - उससे कह देना आज मैंने गाजर का हलुआ बनाया है . जो छू लें वह स्वाद से भर जाता है. किसी का सहारा लिए बिना दुनिया चलती है कहीं? उससे समझौता करना मेरे बस बस में नहीं था. मीता ने मुझसे कहा था उन्हे...प्रस्तुतकर्ता. कथांश -2. बस दो लोग ब...मीत...
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लालित्यम्: February 2014
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लालित्यम्. ललित लेखन -गद्य . हमारी वाणी. कहानी-कुञ्ज. भानमती का कुनबा. बुधवार, 26 फ़रवरी 2014. सागर-संगम -7. दृश्य परिवर्तन. नटी - महात्मा बुद्ध हमारे देश के बहुत बड़े लोकनायक रहे थे? नटी - संसार का चलन भी अजीब है समय के साथ लोगों की मनोवृत्तियाँ भी बदलने लगती हैं . बर्बर शक औ' हूणों ने क्या कम उत्पात मचाया ,. पर इस स्नेहमयी धरती ने अपना रंग चढाया . चन्दन सँग पानी की बूँदें मिलकर ऐसी महकीं ,. भरतीय संस्कृति का सबने नाम अनोखा पाया . लोकमन - अरे अन्धविश्वास ,मूढ...इनका भुजबल निष्...मंदिर त&#...इसी...
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लालित्यम्: October 2014
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लालित्यम्. ललित लेखन -गद्य . हमारी वाणी. कहानी-कुञ्ज. भानमती का कुनबा. शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2014. कथांश - 23 . वसु की बिदा के बाद पापा ने मुझसे कहा था ,'मैं जा रहा हूँ ,अपनी माँ को भेजने की तैयारी कर रखना.'. उनकी बात सुन कर चौंक गया ,मैं ,माँ को अपने पास रखने का सोचे था. उनकी तैयारी? आपने बात कर ली? उसमें बात क्या करना ,जायेंगी क्यों नहीं? वहाँ घर है फिर मै भी अब ठीक नहीं रहता. '. अभी तो उनकी सर्विस बाकी है .'. अरे क्या सर्विस! पड़ी हूँ यहाँ मैं? और वह कहाँ है? देखो, बेकार दो...लगा अभी च...ओह ,अब भ&...