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दुबे का बेबाक-अंदाज: January 2010
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दुबे का बेबाक-अंदाज. Friday, January 29, 2010. शरीर दिखाने वाले कपडे पहनने को आजादी कतई नहीं माना जा सकता- - (मिथिलेश दुबे). सच तो यह है कि ऐसा करना अमूल्य आजादी का दुरुपयोग है।. प्रस्तुतकर्ता. लेबल: लेख. Sunday, January 24, 2010. लिखता हूँ मैं कूड़ा करकट फिर भी, टिप्पणियां काश मिलती खूब सारी- - (मिथिलेश दुबे). टिप्पणियां काश मिलती खूब सारी,. कविता चाहे अच्छी न हो हमारी,. करता गुजारिश सभी ब्लागरों से,. टिपियाने की अब है आपकी बारी,. पढ़ता न कोई आग्रह करने पर,. कहते हैं वो सब,. लेबल: कविता. धीरे...