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गुरुवार, 6 जनवरी 2011. गंगिया री, अति दूर समुन्दर. नैहर की सुधि आई, हो गंगिया नैहर की सुधि आई! बिछुड़ गईं सब बारी भोरी! संग सहिलियां आपुन जोरी. ऊँचे परवत जनमी काहे नीचे बहि आई! उछल-बिछल, बल खाइत ,विरमत खेलत आँख-मिचौली. वन घाटिन में दुकि इठलाइत ,खिलि-खिल संग सहेली. नीर भरी छल-छल छलकाइत,. पल-पल मुड़ि-मुड़ि देखति . बियाकुल लहर हिलोरत पल पल कइसन समुझाई! परवत पितु की गोद ,हिमानी आँचल केरी छाया ,. इहाँ तपत तल ,बहत निमन मन सहत,छीन भई काया . सिकता सेज ,अगम पथ आगिल,. नगर-गाम वन अनगिन ,. बाउल गीत. भौजी...बरस म...

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गुरुवार, 6 जनवरी 2011. गंगिया री, अति दूर समुन्दर. नैहर की सुधि आई, हो गंगिया नैहर की सुधि आई! बिछुड़ गईं सब बारी भोरी! संग सहिलियां आपुन जोरी. ऊँचे परवत जनमी काहे नीचे बहि आई! उछल-बिछल, बल खाइत ,विरमत खेलत आँख-मिचौली. वन घाटिन में दुकि इठलाइत ,खिलि-खिल संग सहेली. नीर भरी छल-छल छलकाइत,. पल-पल मुड़ि-मुड़ि देखति . बियाकुल लहर हिलोरत पल पल कइसन समुझाई! परवत पितु की गोद ,हिमानी आँचल केरी छाया ,. इहाँ तपत तल ,बहत निमन मन सहत,छीन भई काया . सिकता सेज ,अगम पथ आगिल,. नगर-गाम वन अनगिन ,. बाउल गीत. भौजी...बरस म&#23...
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गुरुवार, 6 जनवरी 2011. गंगिया री, अति दूर समुन्दर. नैहर की सुधि आई, हो गंगिया नैहर की सुधि आई! बिछुड़ गईं सब बारी भोरी! संग सहिलियां आपुन जोरी. ऊँचे परवत जनमी काहे नीचे बहि आई! उछल-बिछल, बल खाइत ,विरमत खेलत आँख-मिचौली. वन घाटिन में दुकि इठलाइत ,खिलि-खिल संग सहेली. नीर भरी छल-छल छलकाइत,. पल-पल मुड़ि-मुड़ि देखति . बियाकुल लहर हिलोरत पल पल कइसन समुझाई! परवत पितु की गोद ,हिमानी आँचल केरी छाया ,. इहाँ तपत तल ,बहत निमन मन सहत,छीन भई काया . सिकता सेज ,अगम पथ आगिल,. नगर-गाम वन अनगिन ,. बाउल गीत. भौजी...बरस म&#23...

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लोक-रंग: February 2010

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रविवार, 28 फ़रवरी 2010. नचारी - होरी के हुरंग में. होरी के हुरंग में देखोई सारदा को रूप. सारी सुपेद सारी कइसन रँगाय गई . पुस्तक के आखरन पे छायो अबीर,. सेत सतदल की पाँखुरी गुलाल सों छिटाय गईं,. ढोल बजे ढम-ढम ,मँजीरन की झमक-गमक,. चंदन परि पाँखुरी पलास लिपटाय गई. पुस्तक बहावन की बात करत रहे ताकी ,. अटपटी बानी पे खुदै बानी रिझाय गईं. बीना के तारन पे बजन लाग लोक- राग ,. सुर की तरंग मंत्र-गान बिसराय गई. बहिनी पे रंग, आँख फारि देखि रहे संभु,. माधव मदन ऋतु पाय फगुनाय गईं .'. 1 टिप्पणी:. नई पोस्ट. मेर&#2366...

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लोक-रंग: October 2009

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बुधवार, 28 अक्तूबर 2009. का कर लेई काजी. मोहे टी.वी. मँगाय दे मैं टिविया पे राजी! जा पै होइ रँगवारो टीवी करौं ओही से सादी! काला और सुपेद न भावै ,टीवी बस रंगवारो ,. बिना रँगन को मजा न आवे तुमहू नेक विचारो! छैल-छबीली फर्वट छोरी दो करवाय मुनादी. मरद चलेगा लंबा-नाटा काला-गोरा कोई,. मोटा पातर,मूँछ-निमूछा फरक पड़े ना कोई! दिन भर बाहर रहै मरद ,रौनक टीवी से हाँ ,जी! बंदर जैसा हो कोई , जा की महरारू सुन्दर ,. हर देखैवाले के हिय मां हूक उठै रह रह कर! कोई टिप्पणी नहीं:. चंदन के फूल. दरसन न भइले एक बार! प्रस&#2...

3

लोक-रंग: बदरा पे धूप

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गुरुवार, 11 नवंबर 2010. बदरा पे धूप. देसवा की धरती पे पक रहे अमवा. गूंज रही कोयल की कूक ,. बदरा पे धूप सजे मनवा माँ हूक उठे ,. बिरही जियरवा टूक टूक! खेत धन-लछमी ,अँगनवा में गोरिया ,. बाली उमरिया तहू पे लड़कौरिया . चुरियन की खनक संग अंग में उछाह. दुई हाथन पछोरे भरि सूप! अबकि बार सारो निपाट देई करजा ,. सहर लै जाइ के घुमाइ लाई ओहिका ,. नैनन में चाव भरे सपन सजाय. दमक-दमक नई चूनर में रूप. पी-पी पपीहरा गुँजाइ रह बनवा ,. जागत हिलोर उमगात मोर मनवा ,. बजे चंग नेह-रंग रहे डूब! ने कहा…. ने कहा…. आपके सभ&#2368...

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लोक-रंग: July 2010

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बुधवार, 14 जुलाई 2010. कृ्ष्ण-भक्ति का फ़ण्डा. नहीं समझ में समा रहा है भगत तुम्हारा फ़ण्डा! गंगा जल से धो कर जैसे होय निरामिष अंडा! मरद-जात है या मेहरारू पता नहीं क्या चक्कर! कुछ न बताये कोई, सारे चुप रह जाते हँसकर! सब्ज़ीवाले सच सच बतला ,घुइयाँ है या बंडा! धरी उतार कड़क वर्दी , पहनी घाघरिया चोली ,. पाँव महावर, रँगे होंठ , पर चुगली करती बोली! बजा तालियाँ ठुमक ठुमक कर नाच रहे हैं सण्डा! अब समझी हूँ अर्थ और तुक, जो थी बात पुरानी - 3. विधि की अनुपम रचना का कैस&#2366...ऊपर से प्रभु-इच&#2381...घाट-घ&#23...

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लोक-रंग: December 2009

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गुरुवार, 24 दिसंबर 2009. छिनाय गयो हमरो ही नाम ,. आजु तो न्योति के बिठाई रे कन्या. हलवा पूरी औ'पान. सोई बिटेवा ,परायी अमानत ,. चैन गा सब का पलान! कल ही लगाय के हल्दी पठइ हौ. मिलिगा , सो ओहिका भाग. आपुन निचिन्त हनाय लीन गंगा. बियाह दई, इहै बड़ काज! एकइ दिन माँ बदल गई दुनिया. छिन गयो माय का दुलार. बियाह गयी कन्या ,. समापत भा बचपन. मूड़े पे धरि गा पहार! सातहि फेरन पलट गई काया. गुमाय गई आपुन पहचान! बिछुआ महावर तो पाँयन की बेड़ी. सेंदुर ने छीन्यो गुमान! आँगन में गलियन में ,. छूट गयो मइका ,. बिदा ह...ऊँच...

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शिप्रा की लहरें: April 2015

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शिप्रा की लहरें. शिप्रा की लहरें. 1 लोक रंग. 2लंबी कवितायें. 3स्वरयात्रा. 4यात्रा एक मन की. शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015. ओ,चरवाहे. ओ,चरवाहे! सँग-सँग मुझे लिए चल. घंटी गले बाँध दी ऐसी ,छन-छन भान जगाए ,. तेरे आँक छपे माथे पर, बाकी कौन उपाए . हेला दे, ले साथ .कहीं यों रह न जाउँ मैं एकल! अंकुश बिन ,पगहे बिन, भरमा पशु तेरा मनमाना,. पहुँच वहीं तक गुज़र वहीं पर, तेरी घेर ठिकाना ,. रेवड़ की गिनती में अपनी,तू ही हाँक लिए चल! सँग-सँग मुझे लिए चल! प्रस्तुतकर्ता. प्रतिभा सक्सेना. नई पोस्ट. ओ,चरवाहे.

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शिप्रा की लहरें: March 2015

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शिप्रा की लहरें. शिप्रा की लहरें. 1 लोक रंग. 2लंबी कवितायें. 3स्वरयात्रा. 4यात्रा एक मन की. मंगलवार, 3 मार्च 2015. हारा नहीं है . रथ के टूटे पहिये से. कब तक लड़ोगे वसुषेण? कवच-कुंडल हीन लड़ रहा है वह. हार नहीं मानेगा! मृत-पुत्र हित मातृत्व जाग उठा कुन्ती का. विक्षत देह गोद में भर ली . जीवन भर तरसा था जिसके लिए मन,. बोधहीन तन को नहीं ग्रहण! वह नहीं है अब! होता तो कहता -. नहीं चाहिये तुम्हारी करुणा,. व्यर्थ पड़ी रहेगी . लौटा ले जाओ ,. बाँट देना उन सब को! अब यहाँ नहीं है ,. नई पोस्ट.

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शिप्रा की लहरें: October 2014

http://yatra-1.blogspot.com/2014_10_01_archive.html

शिप्रा की लहरें. शिप्रा की लहरें. 1 लोक रंग. 2लंबी कवितायें. 3स्वरयात्रा. 4यात्रा एक मन की. सोमवार, 27 अक्तूबर 2014. सुरभि -चन्दना. ओ, सुरभि -चन्दना,. उल्लास की लहर सी. आ गई तू! मौन पड़े प्रहरों को मुखर करने ,. दूध के टूटे दाँतों के अंतराल से अनायास झरती. हँसी की उजास बिखेरती ,. सुरभि-चन्दना ,. परी- सी. आ गई तू! देख रही थी मैं खिड़की से बाहर -. तप्त ,रिक्त आकाश को ,. शीतल पुरवा के झोंके सी छा गई तू ,. सरस फुहार -सी झरने! उत्सुक चितवन ले ,. आ गई तू! आ गई तू! रीते आँगन में! अपने आप चलकर ,. आ गई तू! र&#2379...

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शिप्रा की लहरें: July 2014

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शिप्रा की लहरें. शिप्रा की लहरें. 1 लोक रंग. 2लंबी कवितायें. 3स्वरयात्रा. 4यात्रा एक मन की. सोमवार, 28 जुलाई 2014. तोता-मैना . बेटा तरु पर बैठा तोता ,दूर-दूर उड़ जाता ,. मैना जैसी चहक रही तू,मेरी रानी बिटिया ,. बड़ा घड़ा है बेटा जल का उठता नहीं उठाए,. प्यास बुझा शीतल कर देती ,बेटी छोटी- लुटिया . कोना-कोना महक भर रही प्यार भरी ये बोली ,. तेरे कंठ स्वरों में किसने ऐसी मिसरी घोली! बेटा उछल-कूद कर करता रहता हल्ला-गुल्ला. तुम हो मेरे पुण्य ,और तुम हँसी-ख&#...प्रस्तुतकर्ता. लेबल: चार नयन से . तुम अपन&#23...

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शिप्रा की लहरें: January 2015

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शिप्रा की लहरें. शिप्रा की लहरें. 1 लोक रंग. 2लंबी कवितायें. 3स्वरयात्रा. 4यात्रा एक मन की. शुक्रवार, 23 जनवरी 2015. मैं तुम्हारा शंख हूँ! ज्योति से करतल,. किरण सी अँगुलियों में. मैं तुम्हारा शंख हूँ ,. तुम फूँक भर-भर कर बजाओ! नाद की झंकार हर आर्वत में भर. उर-विवर आवृत्. तियाँ रच-रच जगाओ! परम-काल प्रवाह का बाँधा गया क्षण. तुम्हीं से होता स्वरित मैं सृष्टि स्वन हूँ,. मैं तुम्हारी दिव्यता का सूक्ष्म कण हूँ! दश दिशाओं में प्रवर्तित गूँजता रव. सार्थकत्व प्रदान कर दो! स्वर दे बजाओ! काँपती द&...कोहर&#237...

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शिप्रा की लहरें: August 2014

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शिप्रा की लहरें. शिप्रा की लहरें. 1 लोक रंग. 2लंबी कवितायें. 3स्वरयात्रा. 4यात्रा एक मन की. शुक्रवार, 29 अगस्त 2014. कुँआरी नदी. बहुत लंबी नहीं खिंचेगी कथा - तीन से पाँच खंड तक ही सीमित करने प्रयत्न रहेगा. प्रस्तुत है प्रथम भाग -). धरणी-धर हैं पर्वत,साधे क्षिति की हर अकुलाहट,. हर आहट ले रक्षा करता, अपनी रीढ़ सुदृढ़ रख . पाहन-तन गिरि की मजबूरी ,पितृवत् करता पोषण. अंतर में करुणा की धारा बहती स्नेहसुधा सम . धन्य अमरकंटक की धरती,धन्य कुंड ,वह पर्वत. कितने पुण्य! उसे शोण की उछल-कूद व&#...दोनो&#230...लड़...

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शिप्रा की लहरें: December 2013

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शिप्रा की लहरें. शिप्रा की लहरें. 1 लोक रंग. 2लंबी कवितायें. 3स्वरयात्रा. 4यात्रा एक मन की. मंगलवार, 31 दिसंबर 2013. स्वीकार करो अभिनन्दन. स्वीकार करो अभिनन्दन. इस नये वर्ष में जागें नई विभाएँ ,. आकाश उजेला प्रमुदित रहें दिशाएँ ,. सरिताएं निर्मल बहें. सुदृढ़ गिरिमाला ,. समवेत स्वरों में गूँजें नई ऋचाएँ. आनन्द-स्वरों से भरे प्रकृति का प्रांगण. ये शाप-ताप उत्पात शमित होंगे ही ,. दृढ़ इच्छा शक्ति जाग जायेगी जिस क्षण. पर इसके लिये सचेत,संतुलित,संयत. प्रतिभा सक्सेना. प्रस्तुतकर्ता. नई पोस्ट.

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शिप्रा की लहरें: August 2013

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शिप्रा की लहरें. शिप्रा की लहरें. 1 लोक रंग. 2लंबी कवितायें. 3स्वरयात्रा. 4यात्रा एक मन की. मंगलवार, 27 अगस्त 2013. एक नचारी - नटवर के नाम . दुनिया के देव सब देवत हैं, माँगन पे ,. और तुम अनोखे ,खुदै मँगता बनि जात हो! अपने सबै धरम-करम हमका समर्पि देओ ,'. गीता में गाय कहत, नेकु ना लजात हो! वाह ,वासुदेव ,सब लै के जो भाजि गये,. कहाँ तुम्हे खोजि के वसूल करि पायेंगे! एक तो उइसेई हमार नाहीं कुच्छौ बस ,. अरे ओ नटवर ,अब केतो भटकावेगो ,. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिभा सक्सेना. रविवार, 25 अगस्त 2013. मैंन&#2375...उसी...

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शिप्रा की लहरें. शिप्रा की लहरें. 1 लोक रंग. 2लंबी कवितायें. 3स्वरयात्रा. 4यात्रा एक मन की. मंगलवार, 23 जुलाई 2013. काँवरिया. सावन महीना बम्भोले को हिये धारि. त्यागि गृह साधु-भेस धारै है काँवरिया! फूलन-बसन सों रुच-रुच सजी निहारि. ग्राम-जुवती बढ़ि आई राह कोर पे ,. काँवर की सोभा निहारि रही नैनन सों,. भइया रे ,इहाँ आय ठाड़ै, कौन छोर ते? कइसन जतन से सजाई ओहार डारि,. मोर मन देखि के जुड़ात, रे कँवरिया! काहे ते ओहिका धरा ते ना छुआत हौ? और बात पीछे, पहले इहै बताय देउ. तप की विराग भरी ब&#2...एक व्रत ह&#2376...

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शिप्रा की लहरें: September 2014

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शिप्रा की लहरें. शिप्रा की लहरें. 1 लोक रंग. 2लंबी कवितायें. 3स्वरयात्रा. 4यात्रा एक मन की. सोमवार, 29 सितंबर 2014. हिसाब-किताब. यह कविता मुझे ई-मेल से प्राप्त हुई जिसक े. 9822329340 है -. रचयिता को धन्यवाद देते हुए मैं. इसे यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ ,जिससे कि सभी लोग इसका आनन्द उठा सकें - ). पढ़ सके न खुद. किताब मांग रहे है. खुद रख न पाए. वे हिसाब मांग रहे है।. जो कर सके न साठ साल में कोई विकास देश का. आज गधे गुलाब मांग रहे है. जो लूटते रहे देश को. सालों तक. सुना है आज वो. हो जाये. आज भी संग&#...हाल...

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07/10/2007 at 5:29 AM. 20/09/2009 at 9:06 AM. Soundtrack of My Life. MON EQUILIBRE L'ALBUM DE L'AUTRE COTE DU MIROIR ENFIN DANS LES BACS! MERCI A TOUS POUR VOTRE SOUTIEN! ALLEZ L'ACHETER DES MAINTENANT, SOUTENEZ LE PROJET! Subscribe to my blog! Don't forget that insults, racism, etc. are forbidden by Skyrock's 'General Terms of Use' and that you can be identified by your IP address (66.160.134.62) if someone makes a complaint. Please enter the sequence of characters in the field below. Don't forget that ...

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Love ][º'ºAnahiº'º][lovE. Weno este es mi blog i aki pondre todo lleno de fotos informaciones proyectos pero no pondre cosas intimas de Anahi ebitare dañarla en mis artikulos. 27/01/2008 at 6:48 AM. 07/03/2008 at 3:33 AM. Subscribe to my blog! Add this video to my blog. I si somos perronittas weno i que.xdd este es el himno de mayte i anahi. Please enter the sequence of characters in the field below. Posted on Sunday, 27 January 2008 at 7:32 AM. Edited on Sunday, 27 January 2008 at 9:03 AM. Don't forget ...

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गुरुवार, 6 जनवरी 2011. गंगिया री, अति दूर समुन्दर. नैहर की सुधि आई, हो गंगिया नैहर की सुधि आई! बिछुड़ गईं सब बारी भोरी! संग सहिलियां आपुन जोरी. ऊँचे परवत जनमी काहे नीचे बहि आई! उछल-बिछल, बल खाइत ,विरमत खेलत आँख-मिचौली. वन घाटिन में दुकि इठलाइत ,खिलि-खिल संग सहेली. नीर भरी छल-छल छलकाइत,. पल-पल मुड़ि-मुड़ि देखति . बियाकुल लहर हिलोरत पल पल कइसन समुझाई! परवत पितु की गोद ,हिमानी आँचल केरी छाया ,. इहाँ तपत तल ,बहत निमन मन सहत,छीन भई काया . सिकता सेज ,अगम पथ आगिल,. नगर-गाम वन अनगिन ,. बाउल गीत. भौजी...बरस म&#23...

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Mot de passe :. J'ai oublié mon mot de passe. Euux' x3'. Ils ont dit que j'étais morte, ils ont dit que j'avais péri,. Je vous réponds que je suis forte, que je suis guérie,. Ils ont di que j'avais pété les plombs,. Pas là pour leur cirer les pompes,. Désormais seul mon public compte! La lumière les aveugle, ils peuvent dire ce qu'ils veulent,. Mais je suis seule devant ma feuille! Et si Diam's a perdu des amis détracteurs,. Sachez que Mélanie n'a pas perdu son coeur. LudoOw ♥'. Chouchou ♥ . 8202; ...

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