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हिन्दी-हाइगा: September 2013
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1125 HAIGAS PUBLISHED TILL TODAY(04.09.15).आज तक(04.09.15) 1125 हाइगा प्रकाशित. Myspace Scrolling Text Creator. यदि आप अपने हाइकुओं को हाइगा के रूप में देखना चाहते हैं तो हाइकु ससम्मान आमंत्रित हैं. भेजें -. ऋता शेखर. Saturday, 28 September 2013. मधुमालती - हाइगा में. सारे चित्र गूगल से साभार. Labels: 00153. मधुमालती-5 slides-5 haikus. ऋता शेखर मधु. Tuesday, 24 September 2013. कुण्डलिया संग्रह 'काव्यगंधा' का लोकार्पण. एसपी. कालेज के प्राचार्य डॉ&#...Labels: अतिथि. Wednesday, 18 September 2013. नटखट कन...
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Madhushaalaa: The Nectar House: November 2011
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Madhushaalaa: The Nectar House. Coz love is all there is! श्रृंगार. हास्य-व्यंग्य. Monday, November 21, 2011. एक छोटी-सी Love Story. एक बार एक बिल्ली-. बड़ी प्यारी-सी, दुलारी-सी बिल्ली,. एक चूहे पे मर मिटी. चूहा बिचारा,छोटा, नादान,. बिल्ली को पीछा करता देख,. हो गया परेशान. जब भी बिल्ली approach मारती,. चूहा फटाक से भाग खड़ा होता. करता भी क्या, क्या जान अपनी खोता? बिल्ली अनबुझ-सी सोचती रहती. कि कैसे बताऊँ. Darling मैं जान लेना नहीं,. देना चाहती हूँ. प्रेम-पथ भी कितना. असमंजस भरा है! कहा i love you ,. हर ब&...
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Madhushaalaa: The Nectar House: September 2011
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Madhushaalaa: The Nectar House. Coz love is all there is! श्रृंगार. हास्य-व्यंग्य. Saturday, September 24, 2011. यही तो है! वक़्त के आईने में अपना ही चेहरा तब्दील हो जाता है. और हम पीछे मुड़कर देखते हैं उन लम्हों को - इसी आईने में. तो वही प्यारा बचपन खिलखिलाता नज़र आता है. अपनी आज की तस्वीर से अक्सर ये पूछा करते हैं -. कहाँ है वो बचपन? क्या दूर कहीं है? या यहीं कहीं है, छिपा हुआ-सा, अपने अन्दर ही! फूलों में बिखरे रंगों में,. या चंचल जल-तरंगों में,. जो नेह भरा, यही तो है! ये सरसराहट! ये सरसराहट! मुर&#...
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Madhushaalaa: The Nectar House: May 2009
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Madhushaalaa: The Nectar House. Coz love is all there is! श्रृंगार. हास्य-व्यंग्य. Monday, May 4, 2009. हँसता है. मुस्कुराता है. चीखता है. चिल्लाता है. रूठता है. मनाता है. लेकिन कभी. शांत नही रहता. चुप नही बैठता. क्यूंकि समय. हमें यही तो समझाता है. कि उससे आगे निकलने के लिए. ये गुण भी होने चाहिए! Picture Courtsey: http:/ zacharybrown.files.wordpress.com/2008/10/harvest-time.jpg. Labels: आत्म-मंथन. Saturday, May 2, 2009. सप्तपर्णा से चार पत्ते. जीवन असमंजस का प्याला,. Labels: आत्म-मंथन. Kashish - My Poetry.
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रविकर-पुंज: June 2012
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रविकर-पुंज. Thursday, 28 June 2012. जलते हम तो जील से, कारण हैं छत्तीस-. जलते हम तो जील से, कारण हैं छत्तीस ।. पोस्ट ब्लैंक यह पोस्ट है, पर आँखे अड़तीस ।. पर आँखे. नहीं कुछ लेख लिखी है ।. मन को देती टीस, खीस ही ख़ास दिखी है ।. लम्बी डाक्टर फीस, बड़े गहरे ये खलते ।. रविकर इनसे रीस, तभी तो रहते जलते ।।. चर्चित पोस्ट (1 Like = 5. डॉक्टर की फीस (चिकित्सा-शुल्क) कितना होना चाहि. Links to this post. Sunday, 24 June 2012. कमल का तालाब. देवेन्द्र पाण्डेय. बेचैन आत्मा. Links to this post. Saturday, 23 June 2012.
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ब्लॉग बुलेटिन: December 2013
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मुखपृष्ठ. ब्लॉग बुलेटिन. ब्लॉग जगत में लिखी पढी जा रही पोस्टों , उनमें दर्ज़ की जा रही टिप्पणियां ,बहस ,विमर्श .सबको समेट कर तैयार है बुलेटिन . ब्लॉग बुलेटिन . विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,. झंडा ऊंचा रहे हमारा. हमारे पाठक. हमारे रिपोर्टर. चला बिहारी ब्लॉगर बनने - सलिल वर्मा. देव कुमार झा. रश्मि प्रभा. राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर. शिवम् मिश्रा. हर्षवर्धन श्रीवास्तव. ताकि हम आपकी खबर रख सकें . ब्लॉग सेतु. मंगलवार, 31 दिसंबर 2013. अलविदा 2013 और ब्लॉग बुलेटिन. अलविदा 2013. तरह तरह के ईमानदार. प्रि...एक मì...
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!!๑۩۞۩๑अंतर्मन के भावों से๑۩۞۩๑!!: मैं बदलते युग का उत्थान हूं
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๑۩۞۩๑अंतर्मन के भावों से๑۩۞۩๑! कुछ बातें अनकही अंतर्मन की! Saturday, 7 July 2012. मैं बदलते युग का उत्थान हूं. खुद पर ही करता मैं अभिमान हूं. मैं बदलते युग का हाँ उत्थान . हूं. सपन्न सभी जो बह चुके हैं नयन-नीर से. अपने ह्रदय पर वार किये अपने ही तीर से. पत्थरों में हाँ तराशा हूं खुद को. बन रहा पत्थर या मैं भगवान् हूं. खुद पर ही करता मैं अभिमान हूं. मैं बदलते युग का हाँ उत्थान . हूं. शोलों सी. जल रही हैं. सब दिशायें. आएगी हाँ मौत बनकर आंधियां. ये जीवन ही बन जाये जब. हाँ रणभूमि. यदि मैं आप...यहाँ...
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!!๑۩۞۩๑अंतर्मन के भावों से๑۩۞۩๑!!: तवायफ
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๑۩۞۩๑अंतर्मन के भावों से๑۩۞۩๑! कुछ बातें अनकही अंतर्मन की! Saturday, 22 June 2013. पाँव में बेड़ियाँ जब छनकती हैं. तो बेकल हो नाच. उठते हैं मेरे सभी गम. मजबूरियों की ताल पर. हालातों के राग पर. मैं नाचती जाती हूँ. मैं नाचती जाती हूँ. मैं बाहर से कुछ और. अन्दर से कुछ और. दिखाई जाती हूँ. तमाशबीन इस दुनिया में. मैं ऐसे ही पेश की जाती हूँ. जहाँ मेरे दर्द-ओ -जिस्म. के हर रात सौदे होते हैं. एक दुल्हन की तरहां मैं. हर रात सजाई जाती हूँ. मैं एक माँ,एक बहिन,. एक बेटी,एक बीवी और. एक औरत बाद में. शब्द जो ...मेर...
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!!๑۩۞۩๑अंतर्मन के भावों से๑۩۞۩๑!!: अंतर्मन के भावों से
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๑۩۞۩๑अंतर्मन के भावों से๑۩۞۩๑! कुछ बातें अनकही अंतर्मन की! Saturday, 30 July 2016. अंतर्मन के भावों से. अंतर्मन के भावों से. ह्रदय-अमुक परिभाषित होगा. अग्न लगाते शब्दों का. अर्थ कोई अभिशापित होगा ।. जीवन-मृत्यु की पहेलियाँ. सुख-दुःख के भ्रम को सुलझाती है. काटों में जैसे अधखिली कलियाँ. खिल-खिलकर मुरझाती हैं ।. ह्रदय मेरा निस्पंद हुआ है. अटकी सांसें प्राणों में. क्या हैं वो सब सत्य गाथायें? जो लिखी गीता-पुराणों में ।. नीर तेरे गंगा-जमुना. जिसकी हर बूंद पावन है. Subscribe to: Post Comments (Atom). शब्...
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हिन्दी-हाइगा: त्रिलोक सिंह ठकुरेला जी को ब्रज-गौरव सम्मान
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1125 HAIGAS PUBLISHED TILL TODAY(04.09.15).आज तक(04.09.15) 1125 हाइगा प्रकाशित. Myspace Scrolling Text Creator. यदि आप अपने हाइकुओं को हाइगा के रूप में देखना चाहते हैं तो हाइकु ससम्मान आमंत्रित हैं. भेजें -. ऋता शेखर. Thursday, 9 April 2015. त्रिलोक सिंह ठकुरेला जी को ब्रज-गौरव सम्मान. त्रिलोक सिंह ठकुरेला जी को ब्रज-गौरव सम्मान - एक रिपोर्ट. हिन्दी हाइगा परिवार की ओर से हार्दिक बधाई! 21 - 22 मार्च / आगरा ). माल्यार्पण , शॉल एवं सम्मान-पत्र देकर...गीतकार श्री सोम ठाक&#...भारती' , डॉ....उपाधì...
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