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*** जयंत चौधरी - मृत्युंजय विचार ***: उम्र के इस पड़ाव पर, कुछ भूल चला हूँ..
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जयंत चौधरी - मृत्युंजय विचार * *. Friday, July 11, 2014. उम्र के इस पड़ाव पर, कुछ भूल चला हूँ. उम्र के इस पड़ाव पर, कुछ भूल चला हूँ. कुछ छोड़ चला हूँ, तो कुछ बाँध चला हूँ. मीठी सी जो यादें हैं उन्हें गाँठ रखा है,. कड़वी सी कुछ साँसों को मैं धो चला हूँ. नादान से बचपन को अबतक साथ रखा है,. जहरीले से विचारों को मैं गाड़ चला हूँ. नटखट से मेरे मन को बेलगाम रखा है,. बेबसी की बेड़ियों को मैं तोड़ चला हूँ. नए बुने सपनों को भी आखों में रखा है,. ४१ अच्छे साल.). Subscribe to: Post Comments (Atom). About Me - I Am Who I Am.
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*** जयंत चौधरी - मृत्युंजय विचार ***: January 2014
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जयंत चौधरी - मृत्युंजय विचार * *. Monday, January 13, 2014. नौका - नाविक. सागर की लहरों पर,. बढ़ती नौका में बैठे,. थपेड़ों से हिलते हुए,. कभी बाएं, तो कभी दाएं,. कभी मद्धम,. और कभी मंथर,. कहीं सुनहरे उजियारे में,. और कभी अंधियारे से घिर कर,. कभी मिली पुरवाई या फिर,. कहीं किसी तूफ़ान में फंसकर,. किन्तु आगे बढ़ते, हुए निरंतर,. किन्तु आगे बढ़ते रहे निरंतर,. आज मुझे,. आभास हुआ,. संसार है सागर,. और जीवन एक नौका।।।. एक नाविक. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). About Me - I Am Who I Am. बेकल उत...
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*** जयंत चौधरी - मृत्युंजय विचार ***: August 2010
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जयंत चौधरी - मृत्युंजय विचार * *. Saturday, August 28, 2010. मातृभाषा - 1. माननीय पाठकों,. आप सब को मेरा नत-मस्तक प्रणाम,. आज का विषय बहुत सामयिक है।. भाषा किसी भी प्राणी की मूलभूत आवश्यकता होती है।. इसी से हम और आप अपने भावों और विचारों को व्यक्त कर सकते हैं।. सबसे अहम् बात तो यह है कि, मानवों की प्रगति भाषा विकास के कारण ही संभव हो सकी है।. याने, मानव. पहुँचने. Links to this post. मातृभाषा -२. बिना भाषा के समाज का निर्माण हो ही नह&...उसके बिना समाज या समूह का न...जीवन में जितन&#...Links to this post.
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महेन्द्र मिश्र : जल सरक्षण हेतु वाटर हारवेस्टिंग से भी सस्ता घरो में सोकपिट जरुर बनवाये ...
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महेन्द्र मिश्र. का हिंदी ब्लॉग . शनिवार, 25 मई 2013. जल सरक्षण हेतु वाटर हारवेस्टिंग से भी सस्ता घरो में सोकपिट जरुर बनवाये . दिनोदिन भूमि का जलस्तर. गड्डे के अन्दर वगैर सीमेंट और मिट्टी की मदद से ईटो को जुडवाए. बहकर आता है को एक पाइप के जरिये इस गड्डे में जाने दे. लीजिये आपका सोकपिट. तैयार हो गया इसके माध्यम से भूमि का कुंओ का जलस्तर. बढेगा और काफी समय तक आपको पानी के संकट से निजाद दिला सकता है. सोकपिट सिस्टम. रिमार्क. प्रस्तुतकर्ता mahendra mishra. इसे ईमेल करें. 1 टिप्पणी:. ने कहा….
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!! लाल और बवाल --- जुगलबन्दी !!: November 2009
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लाल और बवाल - - जुगलबन्दी! गुरुवार, 19 नवंबर 2009. मुहम्मद रॉबर्ट सिंह दुबे .(बवाल). आलाप:- जो अल्लाह से आग़ाज़ करे, और गणपति से भी शुरू करे! उसका हर काम सफल साईं, प्रभु यीशू वाहे गुरू करे! नफ़रत की रातों को बना दे, मुहब्बत की सुबे (सुबह). ऐसा एक इंसान है ये, मुहम्मद रॉबर्ट सिंह दुबे. कोरस :- हर हर महादेव, अल्लाहो-अकबर, जो बोले सो निहाल,. Praise the Lord Jesus, नानक को, अपना है सत श्री अकाल. १) आपस मे लड़वाने को, हर कोई है तैयार. प्रस्तुतकर्ता बवाल. 24 टिप्पणियाँ. लेबल: गीत. नई पोस्ट. बवाल एज़ वक़ील. समी...
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!! लाल और बवाल --- जुगलबन्दी !!: January 2010
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लाल और बवाल - - जुगलबन्दी! सोमवार, 18 जनवरी 2010. मैं जनाज़ा हो चला.(बवाल). दोस्त तेरी महफ़िलों से, जी मेरा, ले भर गया. मैं जनाज़ा हो चला, ऐलान कर दे, मर गया. काश, दिल का दर्द तू, पहले बता देता कभी! क्या मैं तेरे सामने, ज़िंदा नहीं होता अभी. प्रस्तुतकर्ता बवाल. 26 टिप्पणियाँ. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: शेर. गुरुवार, 14 जनवरी 2010. चचा लुक़्मान ज़िंदाबाद : बवाल का सलाम. कुछ ऐसी तसव्वुर की, महफ़िल सजाएँ. क़व्वाले-आज़म तहज़ीबिस्तान. चचा लुक़्मान. हमारे उस्ताद की जयंती. 20 टिप्पणियाँ. इन्होंने ...बवाल जी,. पहला ...
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!! लाल और बवाल --- जुगलबन्दी !!: September 2009
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लाल और बवाल - - जुगलबन्दी! मंगलवार, 29 सितंबर 2009. मेरे सपनों का एग्रिगेटर (बवाल). वो कहाँ? चाहे उस पर कोई पसंद, कोई टीप, कोई पठन ना हो। इस चक्कर में कुछ स्तरीय बातें नज़र से छूट जाती थीं। खै़र अब तो मट्की फूट गई। मगर ये मट्की क्यूँ फूटी? काश के कोई ऐसा एग्रीगेटर होता के-. १) जो अल्फ़ाबेटिकली अरेंज्ड होता।. २) दिन भर में २४० पोस्टों से ऊपर प्रदर्शित ही ना करता।. ३) एक ब्लॉगर को हफ़्ते में एक ही दिन पोस्ट करने देता।. काश के ऐसा होता ।. काश के ऐसा के ही हो।. 20 टिप्पणियाँ. लेबल: शेर. नई पोस्ट. समीर ल&#...
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!! लाल और बवाल --- जुगलबन्दी !!: July 2011
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लाल और बवाल - - जुगलबन्दी! सोमवार, 18 जुलाई 2011. हुस्ने-क़ुद्रत. मैं हुस्ने-क़ुद्रत बयाँ करूँ क्या? असर में होशो-हवास खोया! नज़ारे जन्नत के इस ज़मीं पर,. सभी हैं मेरे ही पास गोया! प्रस्तुतकर्ता बवाल. 24 टिप्पणियाँ. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: क़सीदा. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). हमारे संकलक. हमारे संकलक. साहित्य गौरव. शिवना सम्मान. ऊला-ओ-सानी. लाल और बवाल (जुगलबन्दी). बवाल एज़ वक़ील. बवाल एज़ क़व्वाल. समीर लाल. उड़न तश्तरी. बवाल गाते हुए ठाठ. लाल एण्ड बवाल. 2 माह पहले.
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मेरे लिए कार्टून एक विधा से बढकर,व्यंग के सारथी के समान,एक सामाजिक आंदोलन हैं. 14 जुलाई 2013. प्रस्तुतकर्ता Doobe ji. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). इस गैज़ेट में एक त्रुटि थी. बात निकलेगी तो. हम साथ साथ हैं. हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर. संदेशा. मौत भी शायराना चाहता हूँ! बावरे-फकीरा. इश्क प्रीत love. मुकुल और प्रमेन्द्र का चिट्ठा ". यक्ष प्रश्न. उड़न तश्तरी . एक नाव पर बीच धार में.
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मेरे लिए कार्टून एक विधा से बढकर,व्यंग के सारथी के समान,एक सामाजिक आंदोलन हैं. 10 फ़रवरी 2014. प्रस्तुतकर्ता Doobe ji. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). इस गैज़ेट में एक त्रुटि थी. बात निकलेगी तो. हम साथ साथ हैं. हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर. संदेशा. मौत भी शायराना चाहता हूँ! बावरे-फकीरा. इश्क प्रीत love. मुकुल और प्रमेन्द्र का चिट्ठा ". यक्ष प्रश्न. उड़न तश्तरी . एक नाव पर बीच धार में.