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संवेदना: October 2008
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संवेदना. उठो, जागो और रुको नहीं जब तक मंजिल न मिल जाए - स्वामी विवेकानन्द. शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2008. बाज आओ राज. 31 अक्टूबर 2008. प्रस्तुतकर्ता. अनिल कुमार वर्मा. 3 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. गुरुवार, 30 अक्तूबर 2008. आंसू मेरे दिल की ज़ुबान हैं. 31 अक्टूबर 2008. सांस लेना भी दुश्वार हो जिस जगह. हम जिएं उस जगह पर तो कैसे जिएं. आंसुओं की भी कीमत हो ज्यादा जहां. पिएं भी आंसुओं को तो कैसे पिएं. एक लम्हा ही मसर्रत का बहुत होता है. प्रस्तुतकर्ता. अनिल कुमार वर्मा. एक लम्हा. जिस्म ही...बात...
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संवेदना: March 2010
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संवेदना. उठो, जागो और रुको नहीं जब तक मंजिल न मिल जाए - स्वामी विवेकानन्द. मंगलवार, 9 मार्च 2010. दिल को मिला सुकून. 09 मार्च 10. प्रस्तुतकर्ता. अनिल कुमार वर्मा. 1 टिप्पणी:. इस संदेश के लिए लिंक. गुरुवार, 4 मार्च 2010. मौत का भंडारा. 04 मार्च 2010. सितंबर, 2008 - राजस्थान के चामुंडा मंदिर में मची भगदड़ में 224 लोगों की मौत हो गई थी. 1954 - इलाहाबाद में कुंभ मेले के दौरान भगदड़ का भयान मंजर देखने क...फोटो और आंकड़े सौजन्य बीबीसी ). प्रस्तुतकर्ता. अनिल कुमार वर्मा. 03 मार्च 2010. नई पोस्ट. जय मा...
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संवेदना: सोनिया गांधी यानि देश का चेहरा...
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संवेदना. उठो, जागो और रुको नहीं जब तक मंजिल न मिल जाए - स्वामी विवेकानन्द. शुक्रवार, 21 मई 2010. सोनिया गांधी यानि देश का चेहरा. प्रस्तुतकर्ता. अनिल कुमार वर्मा. 3 टिप्पणियां:. अनुनाद सिंह. ने कहा…. 21 मई 2010 को 8:12 pm. हरकीरत ' हीर'. ने कहा…. 11 जून 2010 को 4:11 am. ने कहा…. Send me ur no.samjhe bachha. 27 जुलाई 2010 को 9:21 am. एक टिप्पणी भेजें. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). मैं समय हूं. दिन.महीने.साल. Get MORE skins on fancygens.com. हरकीरत जी. कितने आए. इक अमी...
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संवेदना: March 2009
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संवेदना. उठो, जागो और रुको नहीं जब तक मंजिल न मिल जाए - स्वामी विवेकानन्द. मंगलवार, 31 मार्च 2009. जब सांझ की बेला होती है. 31 मार्च 09. जब सांझ की बेला होती है. में इस पीपल के साए में. तालाब के तट पर आता हूं. हम दोनों जहां पे मिलते थे. दो पल के लिए दो क्षण के लिए. फिर मिल के बिछड़ जाते थे हम. इस बार मगर यूं बिछड़े हैं. जैसे न कभी मिल पाए हों. इस बार जो तट पर आया हूं. दो पल के मिलन की याद लिए. दो गीत बनाए जाता हूं. दो ख्वाब सजाए जाता हूं. जब सर्द हवाएं चलती हैं. तुम आओ न आओ ए हमदम. 31 मार्च 09. तुम...
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संवेदना: June 2009
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संवेदना. उठो, जागो और रुको नहीं जब तक मंजिल न मिल जाए - स्वामी विवेकानन्द. सोमवार, 29 जून 2009. तेरा आंचल जो ढल गया होता. 29 जून 2009. तेरा आंचल जो ढल गया होता. रुख हवा का बदल गया होता. देख लेता जो एक झलक तेरी. चांद का दम निकल गया होता. झील पर खुद ही आ गए वरना. तुमको लेने कमल गया होता. पी जो लेता शराब आंखों से. गिरते गिरते संभल गया होता. क्यों मांगते वो आईना मुझसे. मैं जो लेकर गज़ल गया होता. तेरा आंचल जो . प्रस्तुतकर्ता. अनिल कुमार वर्मा. 7 टिप्पणियां:. बुधवार, 17 जून 2009. 17 जून 09. दिनेश ...ब्ल...
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आवाज़: August 2010
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Saturday, August 14, 2010. मेरे ब्लॉग के सभी सदस्यों को आज़ादी का ये महापर्व शुभ हो. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई. वन्दे मातरम. रोली पाठक. Links to this post. Wednesday, August 11, 2010. कश्मीर की सरकार से गुहार. सुलग रहा है मेरा मन क्यों. जल रहा है मेरा तन क्यों. मेरी बर्फीली वादियों में,. नफरत की लगी अगन क्यों. मेघाच्छादित हिम पर्वत पर,. बरस रहें है शोले क्यों. मेरी शीतल डल-झील का,. रंग हो गया रक्तिम सा क्यों. कहाँ गए वो रंगीं शिकारे,. देवदार औ चीड पर मेरे,. रोली पाठक. रोली पाठक. Links to this post.
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लेटर बक्स | Letter Bux: एक लड़की के नदी होते हुए [पार्ट - 1]
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लेटर बक्स Letter Bux. ब्रजेश्वर मदान का ब्लॉग. एक लड़की के नदी होते हुए [पार्ट - 1]. मां कहती थी. जब धरती पर आता है. रोता है. जब हम रोते हैं तो. हमारे भीतर. कोई नया मनुष्य. जन्म लेता है. याद आ रही थी. मां की बात. जब मोबाइल पर. सुन रहा था. एक लड़की का रोना. उसे चुप होने के लिए. नहीं कहा. देख रहा था. उसके रोने में उसका होना. हमारा हंसना. हमारा रोना. बोलना ही होता है. आखिर हमारा होना. क्योंकि. प्रेत नहीं बोलते. मुर्दे नहीं रोते. जब कोई नहीं रोएगा. कोई मनुष्य. नहीं चहचहाएगा. रमाकांत. हैं तो. यही आज क&#...
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आवाज़: January 2011
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Monday, January 3, 2011. ना जाने क्यों ऐसे हालात हो गए हैं. बदले-बदले से सबके, खयालात हो गए हैं. हम तो पहले जैसे ही, अब भी हैं मगर. बदले-बदले से सबके जज़्बात हो गए हैं. वो निगाहें भी हैं बदली-बदली. अंदाज़ भी बदला सा लगता है,. मौसम के साथ बदल जाना,. सबके ऐसे,खयालात हो गए हैं. बदले-बदले से सबके जज़्बात हो गए हैं. बहुत खायी थीं कसमें,. वादे भी बहुत किये थे मगर,. अब तो पहचानते तक नहीं,. उफ़, ये कैसे हालात हो गए हैं. रोली पाठक. Http:/ wwwrolipathak.blogspot.com/. रोली पाठक. Links to this post. 160;सर्व ...