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नव तरंग: नवका रंगमे रंगा रहल छै
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आत्मासँ निकलल आवाज जे कागज पर पसरि गेल. नव तरंग में आपका स्वागत है. . . . . . हिन्दी गजल. Friday, 15 March 2013. नवका रंगमे रंगा रहल छै. नवका रंगमे रंगा रहल छै. अपनों लोकसँ डेरा रहल छै. बिसरि जाऊ सब बाग बगीचा. सबटा सपना उड़ा रहल छै. माँटि बनल आब गरदा देखू. अप्पन जिनगी जड़ा रहल छै. कतऽ छै कल-कल निर्मल धारा. छोड़ि संग सब पड़ा रहल छै. मोन कलपै छै समय देख कऽ. नीर नैन आब चोरा रहल छै. सुमित" चाहत प्रेम सदिखन. डोरि सिनेहक जोड़ा रहल छै. सुमित मिश्र. करियन,समस्तीपुर. Subscribe to: Post Comments (Atom).
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नव तरंग: February 2013
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आत्मासँ निकलल आवाज जे कागज पर पसरि गेल. नव तरंग में आपका स्वागत है. . . . . . हिन्दी गजल. Thursday, 28 February 2013. चान आ तरेगण दोस हमर छै. जागि रहल किए राति सगर छै. बाबी सुनौलक परी रानीकेँ खिस्सा. उड़ैत हमर छतकेँ ऊपर छै. बाबू जी आनलनि एकटा मोबाईल. गप्प करबै कोना सब शहर छै. जाकऽ असगर हम घुमितौं मेला. कहलक माए ई छोट उमर छै. पढ़ौलक स्कूलमे धरती गोल छै. देखहीं बात ई झूठ ओकर छै. सुमित मिश्र. करियन ,समस्तीपुर. ग्रहण लागल अछि. ग्रहण लागल अछि सूर्यसँ चान धरि. सुमित मिश्र. सुमित मिश्र. स्वार्...भाइ-भ...
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नव तरंग: भक्ति गजल
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आत्मासँ निकलल आवाज जे कागज पर पसरि गेल. नव तरंग में आपका स्वागत है. . . . . . हिन्दी गजल. Monday, 11 March 2013. भक्ति गजल. भक्ति गजल-1. हम निर्बुद्धि-पापी बैसल कानै छी. पुत्र अहीँके जननी क्षमा माँगै छी. तोहर दुआरि बड भीड़ हे मैया. कखन देब दर्शन आब हारै छी. अष्टभुजा नवरुप जगदम्बिके. दशो दिशा विभूषित अहाँ साजै छी. ममतामयी झट दया-दृष्टि करु. नाव भँवरसँ दुःखियाके उबारै छी. अरहुल फूल आ ललका चुनरी. असुर विनासिनी जगके तारै छी. चरण बैसिकऽ गीत अहीँके गाबै छी. सुमित मिश्र. करियन , समस्तीपुर. नया रचना.
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नव तरंग: दुखक बदरी कतबो गरजैये
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आत्मासँ निकलल आवाज जे कागज पर पसरि गेल. नव तरंग में आपका स्वागत है. . . . . . हिन्दी गजल. Saturday, 16 May 2015. दुखक बदरी कतबो गरजैये. 2327;जल-16. 2342;ुःखक बदरी केतबो गरजैये. 2332;ीवनक ज्योति सदिखन जरैये. 2349;ने ज्ञान अछि सत्य केर तखनो. 2350;ोह -सरितामे सबकेओ बहैये. 2332;ाहि भूमि पर गर्व करैत अछि. 2331;ोरि निज गाम शहर भटकैये. 2360;त्य -अहिंसा इतिहासक गप्प छै. 2309;प्पन पहचान आप मेटबैये. 2357;र्ण -13. 2360;ुमित मिश्र. Subscribe to: Post Comments (Atom). नया रचना. View my complete profile.
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नव तरंग: March 2013
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आत्मासँ निकलल आवाज जे कागज पर पसरि गेल. नव तरंग में आपका स्वागत है. . . . . . हिन्दी गजल. Wednesday, 20 March 2013. छी दूर मुदा आँखिमे रहू प्रिय. छी दूर मुदा आँखिमे रहू प्रिय. आबि कऽ सपनामे जगबू प्रिय. नै दिन नै राति बुझै मनवाँ. आब विरहक दर्द सहू प्रिय. फागुन मास रंगीन छै दुनियाँ. अहाँ बेरंग किए छी कहू प्रिय. सुन्न लागै अपन घर आँगन. आयब कहिया सेहो लिखू प्रिय. आबि गेल फगुआ कतऽ छी अहाँ. मिसियो भरि रंग लगाबू प्रिय. बाट अहींके बाट तकैत अछि. सुमित" कहै झटसँ आबू प्रिय. सुमित मिश्र. Friday, 15 March 2013. समय&#...
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नव तरंग: गणितक ओझराएल हिसाब छी
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आत्मासँ निकलल आवाज जे कागज पर पसरि गेल. नव तरंग में आपका स्वागत है. . . . . . हिन्दी गजल. Monday, 8 April 2013. गणितक ओझराएल हिसाब छी. गणितक ओझराएल हिसाब छी हम. सुधि नहि रहल कोनो शराब छी हम. शोणित बहाबै लड़ि कऽ अपनेमे सब. दुखसँ छटपटाइत तेजाब छी हम. एक एक आखरमे अनन्त भाव अछि. बुझै सब अनचिन्हार किताब छी हम. पाथरसँ बस चोटक आशा करै छी. काँटमे फूलाएल एगो गुलाब छी हम. निर्लज्ज भऽ गेल जमाना कनिको लाज नै. बिसरि गेल हमरा की खराब छी हम. चलि रहल देखू आब कागजेपर देश. सुमित मिश्र. Subscribe to: Post Comments (Atom).
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नव तरंग: May 2015
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आत्मासँ निकलल आवाज जे कागज पर पसरि गेल. नव तरंग में आपका स्वागत है. . . . . . हिन्दी गजल. Saturday, 16 May 2015. दुखक बदरी कतबो गरजैये. 2327;जल-16. 2342;ुःखक बदरी केतबो गरजैये. 2332;ीवनक ज्योति सदिखन जरैये. 2349;ने ज्ञान अछि सत्य केर तखनो. 2350;ोह -सरितामे सबकेओ बहैये. 2332;ाहि भूमि पर गर्व करैत अछि. 2331;ोरि निज गाम शहर भटकैये. 2360;त्य -अहिंसा इतिहासक गप्प छै. 2309;प्पन पहचान आप मेटबैये. 2357;र्ण -13. 2360;ुमित मिश्र. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). नया रचना. View my complete profile.
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नव तरंग: April 2013
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आत्मासँ निकलल आवाज जे कागज पर पसरि गेल. नव तरंग में आपका स्वागत है. . . . . . हिन्दी गजल. Monday, 8 April 2013. गणितक ओझराएल हिसाब छी. गणितक ओझराएल हिसाब छी हम. सुधि नहि रहल कोनो शराब छी हम. शोणित बहाबै लड़ि कऽ अपनेमे सब. दुखसँ छटपटाइत तेजाब छी हम. एक एक आखरमे अनन्त भाव अछि. बुझै सब अनचिन्हार किताब छी हम. पाथरसँ बस चोटक आशा करै छी. काँटमे फूलाएल एगो गुलाब छी हम. निर्लज्ज भऽ गेल जमाना कनिको लाज नै. बिसरि गेल हमरा की खराब छी हम. चलि रहल देखू आब कागजेपर देश. सुमित मिश्र. Subscribe to: Posts (Atom).
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नव तरंग: छी दूर मुदा आँखिमे रहू प्रिय
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आत्मासँ निकलल आवाज जे कागज पर पसरि गेल. नव तरंग में आपका स्वागत है. . . . . . हिन्दी गजल. Wednesday, 20 March 2013. छी दूर मुदा आँखिमे रहू प्रिय. छी दूर मुदा आँखिमे रहू प्रिय. आबि कऽ सपनामे जगबू प्रिय. नै दिन नै राति बुझै मनवाँ. आब विरहक दर्द सहू प्रिय. फागुन मास रंगीन छै दुनियाँ. अहाँ बेरंग किए छी कहू प्रिय. सुन्न लागै अपन घर आँगन. आयब कहिया सेहो लिखू प्रिय. आबि गेल फगुआ कतऽ छी अहाँ. मिसियो भरि रंग लगाबू प्रिय. बाट अहींके बाट तकैत अछि. सुमित" कहै झटसँ आबू प्रिय. सुमित मिश्र. नया रचना. नव अंशु.
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नव तरंग: नै कहू कखनो
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आत्मासँ निकलल आवाज जे कागज पर पसरि गेल. नव तरंग में आपका स्वागत है. . . . . . हिन्दी गजल. Monday, 11 March 2013. नै कहू कखनो. नै कहू कखनो पहाड़ छै जिनगी. दैबक देलहा उधार छै जिनगी. भारी छै लोकक मनोरथक भार. कनहा लगौने कहार छै जिनगी. आशा निराशासँ कठिन बाट अछि. समय छै लगाम सवार छै जिनगी. विधना खेलथि खेल मनुख संग. खन इजोर वा अन्हार छै जिनगी. चलत निरंतर कर्मक नाहपर. कल-कल बहैत धार छै जिनगी. लिए मजा जुनि भेंटत दोबारा. सुमित" सुधाकें फुहाड़ छै जिनगी. सुमित मिश्र. करियन, समस्तीपुर. Subscribe to: Post Comments (Atom).