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शिप्रा की लहरें: April 2015
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शिप्रा की लहरें. शिप्रा की लहरें. 1 लोक रंग. 2लंबी कवितायें. 3स्वरयात्रा. 4यात्रा एक मन की. शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015. ओ,चरवाहे. ओ,चरवाहे! सँग-सँग मुझे लिए चल. घंटी गले बाँध दी ऐसी ,छन-छन भान जगाए ,. तेरे आँक छपे माथे पर, बाकी कौन उपाए . हेला दे, ले साथ .कहीं यों रह न जाउँ मैं एकल! अंकुश बिन ,पगहे बिन, भरमा पशु तेरा मनमाना,. पहुँच वहीं तक गुज़र वहीं पर, तेरी घेर ठिकाना ,. रेवड़ की गिनती में अपनी,तू ही हाँक लिए चल! सँग-सँग मुझे लिए चल! प्रस्तुतकर्ता. प्रतिभा सक्सेना. नई पोस्ट. ओ,चरवाहे.
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शिप्रा की लहरें: March 2015
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शिप्रा की लहरें. शिप्रा की लहरें. 1 लोक रंग. 2लंबी कवितायें. 3स्वरयात्रा. 4यात्रा एक मन की. मंगलवार, 3 मार्च 2015. हारा नहीं है . रथ के टूटे पहिये से. कब तक लड़ोगे वसुषेण? कवच-कुंडल हीन लड़ रहा है वह. हार नहीं मानेगा! मृत-पुत्र हित मातृत्व जाग उठा कुन्ती का. विक्षत देह गोद में भर ली . जीवन भर तरसा था जिसके लिए मन,. बोधहीन तन को नहीं ग्रहण! वह नहीं है अब! होता तो कहता -. नहीं चाहिये तुम्हारी करुणा,. व्यर्थ पड़ी रहेगी . लौटा ले जाओ ,. बाँट देना उन सब को! अब यहाँ नहीं है ,. नई पोस्ट.
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शिप्रा की लहरें: October 2014
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शिप्रा की लहरें. शिप्रा की लहरें. 1 लोक रंग. 2लंबी कवितायें. 3स्वरयात्रा. 4यात्रा एक मन की. सोमवार, 27 अक्तूबर 2014. सुरभि -चन्दना. ओ, सुरभि -चन्दना,. उल्लास की लहर सी. आ गई तू! मौन पड़े प्रहरों को मुखर करने ,. दूध के टूटे दाँतों के अंतराल से अनायास झरती. हँसी की उजास बिखेरती ,. सुरभि-चन्दना ,. परी- सी. आ गई तू! देख रही थी मैं खिड़की से बाहर -. तप्त ,रिक्त आकाश को ,. शीतल पुरवा के झोंके सी छा गई तू ,. सरस फुहार -सी झरने! उत्सुक चितवन ले ,. आ गई तू! आ गई तू! रीते आँगन में! अपने आप चलकर ,. आ गई तू! रो...
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शिप्रा की लहरें: July 2014
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शिप्रा की लहरें. शिप्रा की लहरें. 1 लोक रंग. 2लंबी कवितायें. 3स्वरयात्रा. 4यात्रा एक मन की. सोमवार, 28 जुलाई 2014. तोता-मैना . बेटा तरु पर बैठा तोता ,दूर-दूर उड़ जाता ,. मैना जैसी चहक रही तू,मेरी रानी बिटिया ,. बड़ा घड़ा है बेटा जल का उठता नहीं उठाए,. प्यास बुझा शीतल कर देती ,बेटी छोटी- लुटिया . कोना-कोना महक भर रही प्यार भरी ये बोली ,. तेरे कंठ स्वरों में किसने ऐसी मिसरी घोली! बेटा उछल-कूद कर करता रहता हल्ला-गुल्ला. तुम हो मेरे पुण्य ,और तुम हँसी-ख&#...प्रस्तुतकर्ता. लेबल: चार नयन से . तुम अपन...
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शिप्रा की लहरें: January 2015
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शिप्रा की लहरें. शिप्रा की लहरें. 1 लोक रंग. 2लंबी कवितायें. 3स्वरयात्रा. 4यात्रा एक मन की. शुक्रवार, 23 जनवरी 2015. मैं तुम्हारा शंख हूँ! ज्योति से करतल,. किरण सी अँगुलियों में. मैं तुम्हारा शंख हूँ ,. तुम फूँक भर-भर कर बजाओ! नाद की झंकार हर आर्वत में भर. उर-विवर आवृत्. तियाँ रच-रच जगाओ! परम-काल प्रवाह का बाँधा गया क्षण. तुम्हीं से होता स्वरित मैं सृष्टि स्वन हूँ,. मैं तुम्हारी दिव्यता का सूक्ष्म कण हूँ! दश दिशाओं में प्रवर्तित गूँजता रव. सार्थकत्व प्रदान कर दो! स्वर दे बजाओ! काँपती द&...कोहरí...
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शिप्रा की लहरें: August 2014
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शिप्रा की लहरें. शिप्रा की लहरें. 1 लोक रंग. 2लंबी कवितायें. 3स्वरयात्रा. 4यात्रा एक मन की. शुक्रवार, 29 अगस्त 2014. कुँआरी नदी. बहुत लंबी नहीं खिंचेगी कथा - तीन से पाँच खंड तक ही सीमित करने प्रयत्न रहेगा. प्रस्तुत है प्रथम भाग -). धरणी-धर हैं पर्वत,साधे क्षिति की हर अकुलाहट,. हर आहट ले रक्षा करता, अपनी रीढ़ सुदृढ़ रख . पाहन-तन गिरि की मजबूरी ,पितृवत् करता पोषण. अंतर में करुणा की धारा बहती स्नेहसुधा सम . धन्य अमरकंटक की धरती,धन्य कुंड ,वह पर्वत. कितने पुण्य! उसे शोण की उछल-कूद व&#...दोनोæ...लड़...
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शिप्रा की लहरें: December 2013
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शिप्रा की लहरें. शिप्रा की लहरें. 1 लोक रंग. 2लंबी कवितायें. 3स्वरयात्रा. 4यात्रा एक मन की. मंगलवार, 31 दिसंबर 2013. स्वीकार करो अभिनन्दन. स्वीकार करो अभिनन्दन. इस नये वर्ष में जागें नई विभाएँ ,. आकाश उजेला प्रमुदित रहें दिशाएँ ,. सरिताएं निर्मल बहें. सुदृढ़ गिरिमाला ,. समवेत स्वरों में गूँजें नई ऋचाएँ. आनन्द-स्वरों से भरे प्रकृति का प्रांगण. ये शाप-ताप उत्पात शमित होंगे ही ,. दृढ़ इच्छा शक्ति जाग जायेगी जिस क्षण. पर इसके लिये सचेत,संतुलित,संयत. प्रतिभा सक्सेना. प्रस्तुतकर्ता. नई पोस्ट.
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शिप्रा की लहरें: August 2013
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शिप्रा की लहरें. शिप्रा की लहरें. 1 लोक रंग. 2लंबी कवितायें. 3स्वरयात्रा. 4यात्रा एक मन की. मंगलवार, 27 अगस्त 2013. एक नचारी - नटवर के नाम . दुनिया के देव सब देवत हैं, माँगन पे ,. और तुम अनोखे ,खुदै मँगता बनि जात हो! अपने सबै धरम-करम हमका समर्पि देओ ,'. गीता में गाय कहत, नेकु ना लजात हो! वाह ,वासुदेव ,सब लै के जो भाजि गये,. कहाँ तुम्हे खोजि के वसूल करि पायेंगे! एक तो उइसेई हमार नाहीं कुच्छौ बस ,. अरे ओ नटवर ,अब केतो भटकावेगो ,. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिभा सक्सेना. रविवार, 25 अगस्त 2013. मैंने...उसी...
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शिप्रा की लहरें: July 2013
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शिप्रा की लहरें. शिप्रा की लहरें. 1 लोक रंग. 2लंबी कवितायें. 3स्वरयात्रा. 4यात्रा एक मन की. मंगलवार, 23 जुलाई 2013. काँवरिया. सावन महीना बम्भोले को हिये धारि. त्यागि गृह साधु-भेस धारै है काँवरिया! फूलन-बसन सों रुच-रुच सजी निहारि. ग्राम-जुवती बढ़ि आई राह कोर पे ,. काँवर की सोभा निहारि रही नैनन सों,. भइया रे ,इहाँ आय ठाड़ै, कौन छोर ते? कइसन जतन से सजाई ओहार डारि,. मोर मन देखि के जुड़ात, रे कँवरिया! काहे ते ओहिका धरा ते ना छुआत हौ? और बात पीछे, पहले इहै बताय देउ. तप की विराग भरी ब...एक व्रत है...
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शिप्रा की लहरें: September 2014
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शिप्रा की लहरें. शिप्रा की लहरें. 1 लोक रंग. 2लंबी कवितायें. 3स्वरयात्रा. 4यात्रा एक मन की. सोमवार, 29 सितंबर 2014. हिसाब-किताब. यह कविता मुझे ई-मेल से प्राप्त हुई जिसक े. 9822329340 है -. रचयिता को धन्यवाद देते हुए मैं. इसे यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ ,जिससे कि सभी लोग इसका आनन्द उठा सकें - ). पढ़ सके न खुद. किताब मांग रहे है. खुद रख न पाए. वे हिसाब मांग रहे है।. जो कर सके न साठ साल में कोई विकास देश का. आज गधे गुलाब मांग रहे है. जो लूटते रहे देश को. सालों तक. सुना है आज वो. हो जाये. आज भी संग&#...हाल...
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