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मौन के खाली घर में... ओम आर्य: August 2010
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मौन के खाली घर में. ओम आर्य. यही करता रहा है. Friday, August 20, 2010. अब और बंजर होने की जगह नहीं हो. वे टूटें. भूकंप के मकानों की तरह. और फटें. बादलों की तरह. हम कहीं दूर सूखे में बैठ कर. देखें उनका टूटना और फटना. लिखे उनके दुख और खुश होवें. टूट पड़ें सड़क पे. लाल बत्ती के हरी होते हीं. और बाजू में. बच कर निकलने के लिए संघर्ष करते. साइकिल वाले की साँसों का. उथल-पुथल देखते हुए. पार कर जाएँ सफ़र. रात की तेज बारिश में. बह गयी हों सारी यादें. तब भी सुबह उठ कर हम टाल जाएँ. अपनी मासूमियत. उधर पत्थर फ...
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मीडिया व्यूह: March 2011
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मीडिया व्यूह. जिज्ञासु पत्रकारों की मीडिया की खबरों पर पैनी नज़र. जन संदेश. आईये हम साथ मिल हिन्दी को बढ़ाये, , ,? हमें जरूर बतायें- संचालक . हमारा पता है - neeshooalld@gmail.com. Monday, March 28, 2011. पाकिस्तानी खिलाडियों पर जासूस छोडे जा चुके हैं.भारत विश्वकप जीतेगा. यूं टर्न. . पाकिस्तानी खिलाडियों पर जासूस छोडे जा चुके हैं. . द्वारा भेजा गया. प्रतिक्रियाएँ:. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: विश्वकप. Subscribe to: Posts (Atom). हमारी राह. विजेट आपके ब्लॉग पर. Kabhi ye bhi likha hun. स्वाम...हमा...
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मीडिया व्यूह: November 2009
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मीडिया व्यूह. जिज्ञासु पत्रकारों की मीडिया की खबरों पर पैनी नज़र. जन संदेश. आईये हम साथ मिल हिन्दी को बढ़ाये, , ,? हमें जरूर बतायें- संचालक . हमारा पता है - neeshooalld@gmail.com. Friday, November 27, 2009. हवा के झोंके में तुम्हारी याद .कविता. हवा के झोंके ने. बंद पन्नों को बिखेरा है ,. आज फिर से ,. जिसमें तुम्हारी चंद यादें फिसल गयी,. आंखों के मोती बनकर ।. मैंने रोकना चाहा. खुद को. नाकाम ही रहा ,. तुम्हारी तस्वीर पर पड़े. आंसू ने. महसूस करना चाहा था. उम्र भर के के लिए ,. Thursday, November 26, 2009.
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मौन के खाली घर में... ओम आर्य: February 2011
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मौन के खाली घर में. ओम आर्य. यही करता रहा है. Tuesday, February 8, 2011. रूह में नंगे जाना होता है. मैं चलता गया था उसकी तरफ. दूरी कितनी तय हुई मालूम नही. रास्ते में मै कही ठहरा नही जिस्म पर. और वो भी. रूह से पहले तक. दिखायी नही दी एक बार भी. अचानक से हुआ कि छू लूं. जैसे ही दिखी पर. अदृश्य हो गयी हाथ बढाते ही. तब लगा मैं. लिबास साथ लिये आ गया था. लौटना पड़ा मुझे. रूह में नंगे जाना होता है. Tuesday, February 08, 2011. Labels: अदृश्य. Saturday, February 5, 2011. और ये नया साल भी. तुम तक पहु...रूह...
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Aalok Shrivastav: July 2011
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Thursday, July 21, 2011. नेह बोलियां. नेह भी अजीब होता है! मैं ठहरा निरा बेसुरा! उस नज़्म को भला मैं क्या गुनगुनाता? तो मेरे लिए ये मुश्किल हमेशा की तरह शुभा दीदी ने आसान कर दी। कमाल का गाया। जैसा वो सदा गाती हैं।. ओ री बावरी, समझा तो कर. नेह बोलियां।. चांद गगन में पूरा क्यूं है. पूनम का मुख उजला क्यूं है. क्यूं मिलता है सुब्ह से सूरज. शाम का चेहरा पीला क्यूं है. समझा तो कर! सुन तो ज़रा मीरा की तानें. क्या कहती हैं रोज़ अज़ानें. समझा तो कर! भेद जिया के ऐसे वैसे. समझा तो कर! Posted by aalok shrivastav.
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Aalok Shrivastav: May 2012
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Monday, May 7, 2012. इंदौर की एक भीगी हुई शाम. वो अपनों की बातें, वो अपनों की ख़ूबू, हमारी ही हिंदी, हमारी ही उर्दू।. यह शेर शमशेर बहादुर सिंह जी का है। उन्हीं के नाम से पढ़ा भी गया था। किंतु हमारे पत्रकार-मित्र शमशेर जी का नाम दर्ज करना भूल गए।. Posted by aalok shrivastav. Links to this post. मेरा ब्लॉग ईमेल पर]. Subscribe to: Posts (Atom). तआरुफ़ : इंडिया टुडे से साभार. सृजन संवाद - एक रौशन उफ़क़ पर :. 8221; -यश मालवीय. View my complete profile. आमीन : ग़ज़ल संग्रह. कविता पाठ. नैट पर आलोक.
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Aalok Shrivastav: August 2011
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Monday, August 29, 2011. पूश्किन सम्मान. जनसत्ता एक्सप्रेस.नेट से साभार. मॉस्को।. Posted by aalok shrivastav. Links to this post. Labels: पुश्किन सम्मान आलोक श्रीवास्तव ग़ज़ल शायरी कविता. मेरा ब्लॉग ईमेल पर]. Subscribe to: Posts (Atom). तआरुफ़ : इंडिया टुडे से साभार. सृजन संवाद - एक रौशन उफ़क़ पर :. 8221; -यश मालवीय. View my complete profile. आमीन : ग़ज़ल संग्रह. आमीन की समीक्षाएँ. डॉ. नामवर सिंह. नीरज की नज़र में. अगड़म-बगड़म' में आलोक पुराणिक. सम्पादित पुस्तकें. कविता पाठ. मान-सम्मान.
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Aalok Shrivastav: September 2010
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Saturday, September 25, 2010. दो पवित्र आत्माओं का पत्र. प्रिय चिरंजीव ,. आयुष्मान भव।. हालांकि किसी ने हमारे दर्द को शब्द दिए, तो किसी ने अपनी संवेदना -. जाती हुई धूप संध्या की सेंक रही है मां,. अपना अप्रासंगिक होना देख रही है मां।. एक अजाने स्रोत से निकली हुई धारा,. अनवरत बहती है तब विस्तार पाती है।. थके पिता का उदास चेहरा, उभर रहा है यूं मेरे दिल में,. कवितांश :. 1 यश मालवीय, 2. आनंद 'सहर', 3. आलोक श्रीवास्तव।. Posted by aalok shrivastav. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom).
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पुण्य प्रसून बाजपेयी: April 2015
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पुण्य प्रसून बाजपेयी. Thursday, April 30, 2015. क्यों सत्ता में आते ही बदल जाते नेता? Tuesday, April 28, 2015. किसानों के अंधेरे घर से सियासी दीया जलाने का हुनर. Sunday, April 26, 2015. बीच बहस में भूकंप के सामने तमाशबीन देश. Tuesday, April 21, 2015. आंदोलन की रोशनी सियासी अंधेरे में कैसे बदल गई? अध्यक्ष।. संघर्ष की अनकही कहानी ज्यादा है।. Wednesday, April 15, 2015. Sunday, April 12, 2015. Friday, April 10, 2015. आरएसएस, एल्विन टॉफलर और मोदी. Thursday, April 9, 2015. Wednesday, April 8, 2015. ईमेल ...
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