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साहित्य गोष्ठी: मनहूस
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साहित्य गोष्ठी. Saturday, July 31, 2010. यह क्या था? क्यों? यह है हमारी बेटी रूपकंवल ।". नमस्ते ।" मैंने धीमे स्वर में अभिवादन किया ।. जीती रहो बेटी । आओ बैठो ।". अभी शादी की रस्में पूरी भी न हुईं थीं कि अगले दिन सुबह-सुबह तुम वापस चले गए ।. अभी तो मेरे सिंदूर की लाली खिली भी नहीं थी ।. क्या करती? तुम्हारे साथ यह गोरी-चिट्टी लड़की कौन थी? कौन था मेरा यहाँ? इस अनजाने देश में? Posted by Ritu Bhanot. सुहागरात. July 31, 2010 at 8:13 PM. August 2, 2010 at 1:33 PM. Subscribe to: Post Comments (Atom). I'd love t...
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साहित्य गोष्ठी: सात अरबवीं मनु-संतान – स्वागतम्
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साहित्य गोष्ठी. Monday, October 31, 2011. सात अरबवीं मनु-संतान – स्वागतम्. नन्हे-मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है. और उत्तर यह नहीं मिलता:. मुट्ठी में है तक़दीर हमारी,. हमने क़िस्मत को बस में किया है ।. यह उत्तर मिल भी कैसे सकता है? वो नन्हा-मुन्ना मासूम तो जानता भी नही कि उसके भाग्य में क्या है ।. क्या यह धार्मिक गुरू होगा या चमत्कार या फिर कोई अवतार? आखिर क्या लिखा है इस के भाग्य में? आप अगर गूगल. आने वाली दुनिया का सपना सजा है? कुछ भी हो, हे मनुसंतान, हम स&#...हम स्वर्ग दे पा...दुर्भ...अब नí...
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साहित्य गोष्ठी: आँसू
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साहित्य गोष्ठी. Friday, December 16, 2011. बिन बुलाए मेहमान-से. आँखों में ठहर-से गए,. ठंड से जम गए जो. गालों के गुलाबों पे ,. लगीं जो चटकने. पलकों की कलियाँ ।. जो घड़ियां इंतज़ार की. हिमालय हुईं,. लम्हों से घंटे. घंटो से दिन जो. बनने लगे,. ख़ामोश दिल ने. कहा फिर किसी से,. एक पल पास मेरे ।. कुछ कहो दिल की. कुछ सुनो दिल से. या आँखों को कहने दो. अपनी कहानी ।. Posted by Ritu Bhanot. Labels: आँसू. December 16, 2011 at 5:15 PM. Subscribe to: Post Comments (Atom). There was an error in this gadget. चलिए न प&...
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साहित्य गोष्ठी: अहम्
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साहित्य गोष्ठी. Friday, August 10, 2012. हाँ, जाने कब, क्यों, कैसे. स्वयं मैं,. बन गया प्रतीक. टूटते संबंधों. बिखरते सपनों का ।. कभी तो रौशन. तो कभी अंधकारमय,. से बन गया अभिमान मेरा ।. टूटते सपनों. भटकते कदमों. ने न जाने कब. बना दी. दीवार-सी. दिलों के दरमियान. क्यों आ खड़ा हुआ. Posted by Ritu Bhanot. Labels: अभिमान. अस्तित्व. Subscribe to: Post Comments (Atom). अब नेत्रहीन मित्र भी इस ब्लॉग का आनंद उठा सकते हैं ।. There was an error in this gadget. भृगु विद्याश्रम. Amazon Contextual Product Ads. आज अगर आप...
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साहित्य गोष्ठी: दिवास्वप्न
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साहित्य गोष्ठी. Monday, August 22, 2011. दिवास्वप्न. चलिए न पिताजी, आज कहीं घूमने चलें ।". हाँ, हाँ अनूप, चलो आज लोधी गार्डन चलते हैं । घूमने का घूमना हो जाएगा और साथ में पिकनिक अलग से ।". पिकनिक. घूमना. तुम कभी कुछ और भी सोचती हो शुभा? क्यों? इसमें गलत भी क्या है? बच्चों की छुट्टियां चल रहीं हैं । रोज़ घर में बैठा कर रखने का भी क्या औचित्य है? अरे अनूप, ऐसे मन ही मन क्यों कुढ़ते रहते हो? ऐसे क्यों कहते हो अनूप? वो कैसे? ताँगा? हैरान क्यों होते हो? गाड़ी में भी तो घो...और तुम्हें...तभी प...
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साहित्य गोष्ठी: हिन्दू और नारी का सम्मान
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साहित्य गोष्ठी. Wednesday, December 19, 2012. हिन्दू और नारी का सम्मान. आज अनायास ही रामायण का एक प्रकरण याद आ गया –. हनुमान जी सीता माँ को ढूँढने रावण के रनिवास में जाते हैं ।. वहाँ रनिवास की स्त्रियों को सोते देख उन्हें खुद को ग्लानि होने लगती है।. सीता जी तो रावण के महल में भी सुरक्षित थीं और हम रावण को राक्षस कहते हैं ।. और इनसे तुलना करें आज के हिन्दू नवयुवकों की ।. इनकी नज़रों में न श्रद्धा है, न आदर ।. केवल वासना ही इनका अस्तित्व है ।. धर्म क्या है? हमें बताया जातì...Posted by Ritu Bhanot.
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साहित्य गोष्ठी: एक प्रेम ऐसा भी
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साहित्य गोष्ठी. Tuesday, November 9, 2010. एक प्रेम ऐसा भी. तेरा पहला. मख़मली स्पर्श. मेरे होंठों से. और मन को लुभाती ललचाती. वो मदमाती महक. तुझे खुद में समा लेने की ख़्वाहिश. और तू सकुचाई-सी. जो घुल-सी गई थी मुझमें ॥. शायद शुरूआत ही तो थी वो. इस अनंत साथ की. इस नैसर्गिक अहसास की. जो आज भी. मजबूर-सा करता है मुझे ॥. हर बार,. तन्हाई में. या कभी महफिल में. फिर खो-सा जाता हूँ. तेरे अहसास के आगोश में. ओ नन्हीं-सी,. मस्ती भरी. यौवन का अहसास लिए. मेरी प्रिये ॥. पता है. एक मैं ही नहीं. और टीस भरा. I'd love to add...
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साहित्य गोष्ठी: अजनबी अतिथि
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साहित्य गोष्ठी. Monday, January 2, 2012. अजनबी अतिथि. फिर मेरे द्वार आ खड़ा हुआ है यह अजनबी-सा नया साल । कुछ जाना-पहचाना-सा लगता है पर है फिर भी अजनबी । अपने झोले में न जाने कौन-सी सौगात ले कर आया है ।. Posted by Ritu Bhanot. Subscribe to: Post Comments (Atom). अब नेत्रहीन मित्र भी इस ब्लॉग का आनंद उठा सकते हैं ।. There was an error in this gadget. भृगु विद्याश्रम. Amazon Contextual Product Ads. French, English, Hindi, Punjabi Translations. There was an error in this gadget. Feedjit Live Blog Stats. आज अग...
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साहित्य गोष्ठी: नारी
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साहित्य गोष्ठी. Thursday, September 13, 2012. प्रेरणा, प्रेयसी. नारी नारायणी. है सार संसार का ।. है माता कभी. कभी अर्धांगिनी,. कभी खिलती हुई-सी कली ।. हृदय परिपूर्ण. प्रेम, ममत्व सदा,. प्रलय की ज्वाल अंतर लिये. दुष्टों के लिये काल-कालिका है यह,. है यही राधिका कृष्ण की ।. प्रेरणा, प्रेयसी. नारी नारायणी. है सार संसार का ।. Posted by Ritu Bhanot. प्रेयसी. प्रेरणा. मुनीश ( munish ). September 15, 2012 at 9:38 AM. September 23, 2012 at 12:06 PM. Subscribe to: Post Comments (Atom). Amazon Contextual Product Ads.