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हिन्दी सागर: January 2008
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हिन्दी सागर. Thursday, January 17, 2008. जब जब सिर उठाया. जब-जब सिर उठाया. अपनी चौखट से टकराया. मस्तक पर लगी चोट,. मन में उठी कचोट,. अपनी ही भूल पर मैं,. बार-बार पछताया. जब-जब सिर उठाया. अपनी चौखट से टकराया. दरवाज़े घट गए या. मैं ही बड़ा हो गया,. दर्द के क्षणों में कुछ. समझ नहीं पाया. जब-जब सिर उठाया. अपनी चौखट से टकराया. शीश झुका आओ' बोला. बाहर का आसमान,. शीश झुका आओ' बोलीं. भीतर की दीवारें,. दोनों ने ही मुझे. छोटा करना चाहा,. बुरा किया मैंने जो. यह घर बनाया. जब-जब सिर उठाया. Sunday, January 13, 2008.
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हृदय गवाक्ष: September 2013
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हृदय गवाक्ष. नित्य समय की आग में जलना, नित्य सिद्ध सच्चा होना है। माँ ने दिया नाम जब कंचन, मुझको और खरा होना है! Sunday, September 22, 2013. लंचबॉक्स, विवाह संस्था और जाने क्या क्या. हर तरफ, हर जगह बेशुमार आदमी. फिर भी तनहाइयों का शिकार आदमी।. और उस शेर से भी कि. सबके दिल में रहता हूँ पर दिल का दामन खाली है,. खुशियाँ बाँट रहा हूँ मै और अपना ही दिल खाली है।. पति या पत्नी संतुष्ट क्यों नही? ये मनचाहा बंधन, अनचाहा कैसे हो गया है? ढूँढ़ते रहने की? क्या कहा? कंचन सिंह चौहान. Subscribe to: Posts (Atom). सरî...
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गीत अंतरात्मा के
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गीत अंतरात्मा के. प्रेम ग्रंथ. बीती यादें. स्वास्थ्य के राज़ रसोई में. Tuesday, 7 February 2012. एक अंतराल के बाद देखा. मांग के करीब सफेदी उभर आई है. आँखें गहरा गयी हैं,. दिखाई भी कम देने लगा है. कल अचानक हाथ कापें . दाल का दोना बिखर गया-. थोड़ी दूर चली ,. और पैर थक गए . अब तो तुम भी देर से आने लगे हो. देहलीज़ से पुकारना ,अक्सर भूल जाते हो. याद है पहले हम हर रात पान दबाये,. घंटों घूमते रहते. अब तुम यूहीं टाल जाते हो. कुछ चटख उठता है-. आवाज़ नहीं होती . और यह कमजोरी,. यह गड्ढे,. जब सतह पर उभरे . बहु...
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ठहाका: नवंबर 2007
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त्वरित टिप्पणियों की टकसाल: हिन्दी कवि सम्मेलन. टिप्पणियों के बेताज बादशाह: श्याम ज्वालामुखी. ब्लाग पर टिप्पणियाँ देने का चलन आम है. मेरी जानकारी में हिन्दी ब्लाग पर टिप्पणियाँ देने मे. उड़न तश्तरी. कोई चार दिन की जिन्दगी मे सौ काम करता है. किसी की सौ बरस के जिन्दगी में कुछ नही होता. मेरी समझ से यही समीर भाई का राज है. अशोक चक्रधर. सुभाष काबरा ,अरुण जैमिनी ,. कुमार विश्वास. किरण जोशी ,. सुनील जोगी. पेमेंट. बिहारी. मैं देर तक उस नशे मे रहा. बसंत आर्य. 7 टिप्पणियां:. Links to this post. अरे काम...लाख...
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ठहाका: चकुआडीह
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बडी लाइन से बावन किलोमीटर हटके. छोटी लाइन के छोटे रेलवे स्टेशन. चकुआ डीह के. गार्ड बाबू बडे ही दु:खी रहते है. दु:खी तो रहते है स्टेशन मास्टर तक. आइंस्टीन से कम कोशिश नही करते. यह समझने की कि. क्यो बना यहाँ स्टेशन. जब दिना भर मे एक ही ट्रेन गुजरनी है. और वो भी रुकने की नही. चली जाती है ठेंगा दिखाती हुई. धरधराती हुई. क्या यह उनका समय है. जो उन्हे ही ठेंगा दिखा रही है. या उनका भाग्य. जो धरधराता हुआ उनसे दूर निकला जा रहा है. छोटे से स्टेशन पर. कुछ नही है ऐसा भी नही. जहाँ आकर. बसंत आर्य. बडी लाइन. चर्च&...
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बुनो कहानी: कारे कजरारे: अध्याय 2: नई उड़ान
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बुनो कहानी. Monday, September 17, 2007. कारे कजरारे: अध्याय 2: नई उड़ान. शशि सिंह द्वारा लिखित पिछले भाग. लेखिकाः. मीनाक्षी. निवासी. मीनाक्षी. दोनों. रचनायें. चिट्ठे. प्रेम ही सत्य है. कुमार, स्वाति तो अपने कमरे में ही बैठी है, और कहाँ जायेगी? उसे बुलाना है? मुझे भी कुछ पता चले, बताइए तो". रंजना के लाख पूछने पर भी कुमार कुछ न बोले और उठ कर अपनी लैब में चले गऐ।. ऐसा होने का क्या कारण है? उत्पत्ति का मूल कारण क्या है? पापा मम्मी थैंक्यू सोऽऽऽऽ मच". Posted by मीनाक्षी. मीनाक्षी. बेहद खूबसू...मीना...
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शख्स - मेरी कलम से: July 2011
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शख्स - मेरी कलम से. शनिवार, 30 जुलाई 2011. एक गहरा वजूद - असीमा भट्ट. ब्लॉग की दुनिया बहुत बड़ी है . हर बार घूमते हुए यह गीत होठों पर काँपता है , ' इतना बड़ा है ये दुनिया का मेला , कोई कहीं पे ज़रूर है तेरा. शब्दों का रिश्ता बनाने के लिए मानस के रश्मि ज्वलित जल से. कुछ ऐसा ही एक आधार हैं असीमा भट्ट. सबसे पहले धन्यवाद मुझ नाचीज को इतनी इज्ज़त देने के लिए .तो सुनिए . जिंदगी मेरे लिए एक इम्तहान है . मैं रोज़ एक प्रशî...बहुत कुछ खोया है . बहुत कुछ पाय&#...आखिर में इतना ही कह...नोट - अस्वस...चलि...
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नेस्बी: हाँ मैं पास हो गयी हूँ (lekh likhne ki Meri pahli koshish)
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नेस्बी. आँखो को सुकुन देने वाली. सोमवार, 15 सितंबर 2008. हाँ मैं पास हो गयी हूँ (lekh likhne ki Meri pahli koshish). दोपहर के दो बज रहे थे कि अचानक ही टेलिफोन की घंटी बजी. क्या मैं श्रीमती जैन से बात कर सकती हूँ – एक मधुर सी आवाज़ ने पूछा. जी बोल रही हूँ – मैने जवाब दिया. आप कितनी देर में स्कूल पहुँच सकती है .- वहाँ से सीधे सवाल पूछा गया. तब पहली बार मुझे उलझन हुई और शायद पहली बार जलन भी हुई. मिलने की और अपनी एक जगह बनाने की कोशिश करती रही. और फिर परीक्षा के दिन, ज...और मेरे हाथ म&#...A- Appreciate e...
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नेस्बी: उसकी पायल...
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नेस्बी. आँखो को सुकुन देने वाली. बुधवार, 13 अगस्त 2008. उसकी पायल. दुनिया. घूंघुरू. घुंघरू. बेचारी. साइलेंट. घुंघरू. दुनिया. 8230; ।. पुरानी. गुड़िया. पहेनूँगी. गुड़िया. प्यारी. गुड़िया. घूंघुरू. जिंदगी. नादानीयत. मुस्कुरा. प्रस्तुतकर्ता meeta. 16 टिप्पणियाँ:. कुश एक खूबसूरत ख्याल. ने कहा…. 13 अगस्त 2008 को 3:58 am. ने कहा…. 13 अगस्त 2008 को 4:20 am. पंगेबाज. ने कहा…. कुश जी पहले इस 'tikkakabab'को यानी वर्ड वरिफ़िकेशन को हटाईये . 13 अगस्त 2008 को 4:27 am. ने कहा…. 13 अगस्त 2008 को 4:30 am. वक्त भ...
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