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Fulbagiya: February 2015
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मंगलवार, 3 फ़रवरी 2015. डरता चांद. आसमान पर ही रहता क्यों. नीचे नहीं उतरता चांद? मां बतलाओ क्यों मुझसे. हर रात ठिठोली करता चांद? दूर-दूर ही चमका करते. ये झिल-मिल झिल-मिल तारे।. पास बुलाऊं तो शरमा जाते हैं. सारे के सारे तारे।. इनसे भी बादल में छुपकर. आंख-मिचौली करता चांद।. मैंने कहा,एक दिन मेरे. आंगन में भी आ जाओ।. दूध-भात की खीर बनी है. मीठी-नीठी खा जाओ।. पर लगता है मेरे जैसे. छुटकू से भी डरता चांद।. आसमान पर ही रहता क्यों. नीचे नहीं उतरता चांद? रचनाकार-रमेश तैलंग. 8220;World of Children’s. डा0 ह&#...
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Fulbagiya: March 2015
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रविवार, 22 मार्च 2015. चिड़ियों का अनशन (बाल नाटक). मुख्य पात्र. सोन चिरैया. जंगल का ठेकेदार. शांति(ठेकेदार की बेटी). तोता,गौरैय्या,बुलबुल,कौवा,बाज,नीलकंठ और कुछ अन्य पक्षी।. नक्कारे की आवाज के साथ ही खाली मंच पर एक तरफ़ से नट. नट-अरे आज कोई हमारी कहानी सुनने नहीं आयेगा? नटी अपने माथे पर दो तीन बार हाथ मारती है फ़िर बीच में बैठ जाती है). नटी- ओफ़्फ़ोह मै तो इस सूरदास से परेशान हो गयी हूं।. नट-क्या हुआ? क्यों चिल्ला रही हो? नट उछल कर दर्शकों की तरफ़ मुंह करता है). 8212; अरे- -।. नट-(गाता है). मंच के...नट नट...
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Fulbagiya: July 2015
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सोमवार, 27 जुलाई 2015. मोती का इंटरव्यू. जब नौकरी की तलाश में. मोती कुत्ता आया।. घंटी बजा. बुलाकर उसको. भालू ने समझाया।. उसे नौकरी दूंगा जो कि. बोल सके दो भाषा।. सुनकर भी मोती कुत्ते को. हुई न तनिक निराशा।. बोला आती भाषाएं दो. लो मैं तुम्हें सुनाऊं।. पहले तेज-तेज गुर्राया. और फिर बोला म्याऊं।. डा0अरविन्द दुबे. पेशे से चिकित्सक एवम शिशु रोग विशेषज्ञ डा0 अरविन्द दुबे. प्रस्तुतकर्ता. डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. बुधवार, 22 जुलाई 2015. प्यारी. जाये&#...कुत...
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Fulbagiya: May 2015
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रविवार, 31 मई 2015. कराटे वाला चाणक्य. कराटे वाला चाणक्य. 8221; कमरे मे प्रवेश कर विनय कोहली साहब से बोला।. 8220; कहो,कौन हो तुम? क्या चाहते हो तुम? 8221; कोहली ने पूछा।. प्रश्नों की इस बौछार से जरा भी विचलित हुए बिना विनय बोला. 8220; सर,मैं कराटे सीखना. चाहता हूँ. 8220; क्या कहा,कराटे? यह शरीर लेकर तुम कराटे सीखना चाहते हो? 8221; कोहली मजाक के रूप में हँस कर बोले।. 8220; हां सर। क्या मैं कराटे नहीं सीख सकता? 8221; विनय ने पूछा।. 8221; कह कर कोहली अखबार पढ़ने लगे।. 8221; विनय बोला।. विनय प्रत&...8212;R...
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Fulbagiya: April 2014
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मंगलवार, 1 अप्रैल 2014. बाल-नाटक- - वन की पुकार. पेड़: आम. वन देवता. वन देवी. ज्वाला. पशु: शेर. अभिनय के लिए पेड़ों का अभिनय करने वाले पात्र अपने शरीर पर उस पेड़ विशेष के पत्ते धारण करें. जिसका वे अभिनय कर रहे हैं. इसी प्रकार मुखौटे लगा कर पशुओं का अभिनय करना ठीक रहेगा). पहला दृश्य). अब मैं तुम्हें कैसे शरण दे सकूंगा। आह. शीशम का प्रवेश). शीशम- आम भैया! शीशम भाई! मेरा शरीर टुकड़े. भी नहीं लगा सकता।. महुआ का प्रवेश). आम- महुआ काका. तुम भी आ गये। क्यों न आते. महुआ- आम भाई. शीशम- (भरे गले ...सुन्...
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Fulbagiya: May 2014
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शनिवार, 31 मई 2014. टूटा सिंहराज का वादा. सिंहराज ने खबर सुनी जब. शाकाहारी जीते ज्यादा. चिंता हुयी उन्हें फ़िर भारी. क्या मेरी बस उमर है आधा।. शाकाहारी बनूं अगर तो. मार्ग में आयें ढेरों बाधा. कौन लाएगा भोजन मेरा. घट के वजन भी होगा आधा।. बुला के जंगल के जीवों को. किया तुरत उनसे इक वादा. मांस नहीं खाऊंगा अब मैं. फ़लाहार बस करूंगा सादा।. बैठ गुफ़ा के बाहर अपनी. सोच रहा क्या खाऊं सादा. खरगोश देख के लालच आयी. तोड़ दिया फ़िर अपना वादा।. डा0हेमन्त कुमार. प्रस्तुतकर्ता. बाल गीत. रविवार, 18 मई 2014. आई टी बì...
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Fulbagiya: June 2015
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मंगलवार, 30 जून 2015. पानी है कितना अनमोल. हम पानी को खूब बहाते. बूँद-बूँद भर लाते लोग. जितना दिन भर खर्च करें वे. उतना नहा बहाते हम. हम पानी को खूब बहाते।. हमको घर बैठे मिल जाता. पाइप के रस्ते से आता. मीलों चलकर गागर भर भर. पानी लेकर आते लोग. हम पानी को खूब बहाते।. चो बच्चो तुम भी सोचो. ये पानी कितना अनमोल. इसे बचा कर रखना हमको. जिसको व्यर्थ बहाते लोग. हम पानी को खूब बहाते।. सुधाकर अदीब. चुकी हैं।. आपकी प्रमुख पुस्तकें हैं-. अथ मूषक उवाच. चींटे के पर. हमारा क्षितिज. शाने तारीख़. संवेदना. स्कू...वहा...
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Fulbagiya: June 2014
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शुक्रवार, 13 जून 2014. बरस जाओ अब बादल राजा. सूरज की गर्मी से झुलसे. बंदर भालू और शेर जी. कौवे तोते पाखी चीखे. बरस जाओ अब बादल राजा।. तितली,झींगुर,वीर बहूटी. तड़प रहे बिन पानी सारे. महाबली घड़ियाल भी देखो. बिन पानी के हुये बिचारे।. मछली,कछुओं की तकलीफ़ें. देख के सारे मेढक जुट गये. मेघ मल्हार छेड़ दी सबने. टर्र टर्र का बजा के बाजा।. जोर जोर फ़िर हवा चली जो. आसमान ने रंग जो बदला. गूंज उठा मेघों का राग. खुशी हुये फ़िर बादल राजा. झूम के बरसे बादल राजा।. डा0हेमन्त कुमार. प्रस्तुतकर्ता. खाला सलमा औ...8220; हु&...
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Fulbagiya: August 2014
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रविवार, 17 अगस्त 2014. धूर्त भेडि़या. कुछ दिनों बाद ही पूरे जंगल भर में सूखा पड़ गया। एक ओर गर्मी का महीना. अन्त में सिंहराज ने एक दिन जंगलवासियों की एक सभा बुलाई। जंगल में डुग्गी पीट दी गई कि इस सभा में सभी का आना आवश्यक है।. दूसरे दिन पूरा दरबार खचाखच भरा हुआ था. महाराजधिराज. सिंहराज पधार रहे हैं . सभी लोग सावधानी से बैठ गये।. सिंहराज ने कहना आरम्भ किया-. इस जंगल के सभी प्रजागण तथा मन्त्रीगण! आप लोग इस कार्य में सहयोग देंगे. उस दिन फिर मेहनत करके उन लोगों न...उस दिन घोड़ा तथ...नई पोस्ट. आई टी...
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Fulbagiya: August 2015
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शुक्रवार, 28 अगस्त 2015. राखी का दिन- - ।. राखी का दिन जब आयेगा. बहुत सबेरे उठ जाऊंगी. छोटे भैया को भी जगा के. अपने संग मैं नहलाऊंगी।. राखी का दिन- - - - - -।. सुन्दर कपड़े पहना करके. मैं भैया को सजाऊंगी. प्यारे सुन्दर फ़ूलों से फ़िर. राखी एक बनाऊंगी।. राखी का दिन- - - - - -।. चित्र गूगल से साभार). भैया को फ़िर पास बिठाकर. प्यार से राखी बांधूंगी. अगर मिठाई नहीं मिली तो. गुड़ और दही खिलाऊंगी।. राखी का दिन- - - - - -।. डा0हेमन्त कुमार. प्रस्तुतकर्ता. 4 टिप्पणियां:. लेबल: गाओ. राखी का दिन. बाप रे...देश...