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ब्लॉग बुलेटिन: May 2014
http://bulletinofblog.blogspot.com/2014_05_01_archive.html
मुखपृष्ठ. ब्लॉग बुलेटिन. ब्लॉग जगत में लिखी पढी जा रही पोस्टों , उनमें दर्ज़ की जा रही टिप्पणियां ,बहस ,विमर्श .सबको समेट कर तैयार है बुलेटिन . ब्लॉग बुलेटिन . विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,. झंडा ऊंचा रहे हमारा. हमारे पाठक. हमारे रिपोर्टर. चला बिहारी ब्लॉगर बनने - सलिल वर्मा. देव कुमार झा. रश्मि प्रभा. राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर. शिवम् मिश्रा. हर्षवर्धन श्रीवास्तव. ताकि हम आपकी खबर रख सकें . ब्लॉग सेतु. शनिवार, 31 मई 2014. आईए अब थोडा हंस लिया जाए. हाशिया. जय हिन्द. इसे ईमेल करें. खुशिया&...पर एक बेह...
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शहरोज़ का रचना संसार: बाज़ार ,रिश्ते और हम
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शहरोज़ का रचना संसार. हमारे बारे. हाल-बेहाल. साहित्य-अदब. नारी-विमर्श. पहला पन्ना. शनिवार, 10 जुलाई 2010. बाज़ार ,रिश्ते और हम. हसीं वादियों में इठलाते एक देश. जहां स्याही सफेद हो जाया करती थी. में जा जा देसी कव्वे इतराते. देस में आकर इनका दर्प तीक्ष्ण हो जाया करता. श्रद्धा. विश्वास. नैतिकता. ईमानदारी. अहिंसा. वात्सल्य . ऐसे ढेर सारे फेशियल बाज़ार में मौजूद थे. जिनका इस्तेमाल गाहे बगाहे लोग खूब किया करते. पुरखों की आत्माएं व्यथित थीं. बेटे चोट तो नहीं. जबकि बेटा. इमारतों से. आत्माएं. Mujhe hindi kavita kee...
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शख्स - मेरी कलम से: July 2011
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शख्स - मेरी कलम से. शनिवार, 30 जुलाई 2011. एक गहरा वजूद - असीमा भट्ट. ब्लॉग की दुनिया बहुत बड़ी है . हर बार घूमते हुए यह गीत होठों पर काँपता है , ' इतना बड़ा है ये दुनिया का मेला , कोई कहीं पे ज़रूर है तेरा. शब्दों का रिश्ता बनाने के लिए मानस के रश्मि ज्वलित जल से. कुछ ऐसा ही एक आधार हैं असीमा भट्ट. सबसे पहले धन्यवाद मुझ नाचीज को इतनी इज्ज़त देने के लिए .तो सुनिए . जिंदगी मेरे लिए एक इम्तहान है . मैं रोज़ एक प्रशî...बहुत कुछ खोया है . बहुत कुछ पाय&#...आखिर में इतना ही कह...नोट - अस्वस...चलि...
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जीवन के अन्तरालों को खोजने की चाहत « अजित गुप्ता का कोना
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स ह त य और स स क त क समर प त. ज वन क अन तर ल क ख जन क च हत. Jul• 22•15. क न ह ज सस घण ट ब त क ज सकत ह? क न ह वह ज सस मन क ब त क ज सकत ह? अपन आत म क अन दर ख जन क च न त ह त आध य त म ह ज वन क तन पड़ व स ह कर ग जरत ह! बचपन और बचपन क घर, य वन और वह क पर व श, ब ढ़ प और उसक अवस न हम हर ब र बदल ज त ह कभ अकस म त ह बचपन हम र स मन आकर खड़ ह ज त ह क ध पर थपक द कर प छत ह क पहच न नह? हम ग र स द खन लगत ह , अर यह त वह ह ज सक स थ हर स ख-द ख क ब त स झ क य करत थ हमन भल इस कब और क य ब सर द य? इतन प य र स आत म य क स द र ह गय?
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सुन्दरता « अजित गुप्ता का कोना
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स ह त य और स स क त क समर प त. Archive for the 'स न दरत ' Category. स न दरत त द ख क य ह? By AjitGupta Posted in स न दरत. Read the rest of this entry ». व व ह त य वत य आख र अव व ह त क य द खन च हत ह? 8211; अज त ग प त. By AjitGupta Posted in नय -वध. Read the rest of this entry ». Join 37 other subscribers. हम स अब पर य क क ख य नह ज एग. क य सच म ग व बदल रह ह? उदयप र क स न दर य उभय श वरज क पर वत. ग ल म बन रह ह हम. On हम स अब पर य क क ख य नह ज एग. On हम स अब पर य क क ख य नह ज एग. On म र ख द न य सड आट ख त ह.
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जीवन का ध्येय « अजित गुप्ता का कोना
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स ह त य और स स क त क समर प त. By AjitGupta Posted in Uncategorized. Read the rest of this entry ». Join 37 other subscribers. हम स अब पर य क क ख य नह ज एग. क य सच म ग व बदल रह ह? उदयप र क स न दर य उभय श वरज क पर वत. ग ल म बन रह ह हम. On हम स अब पर य क क ख य नह ज एग. On हम स अब पर य क क ख य नह ज एग. On म र ख द न य सड आट ख त ह. On म र ख द न य सड आट ख त ह. On जय ह स म र ट फ न. 2016 अज त ग प त क क न. Theme by adazing web design. Follow अज त ग प त क क न. Get every new post on this blog delivered to your Inbox.
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शहरोज़ का रचना संसार: December 2009
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शहरोज़ का रचना संसार. हमारे बारे. हाल-बेहाल. साहित्य-अदब. नारी-विमर्श. पहला पन्ना. गुरुवार, 31 दिसंबर 2009. अफ़ज़ल से हम हिसाब करें. यह मीनारों मेहनत से उठती अज़ानें. मशीनों में ढलते यह ग़म के तराने. नए साल की खै़रियत चाहते हैं. इबादत में डूबे यह कल कारख़ाने. यह माटी की महिमा है, माथे से लगा लो. यह पत्थर की मूरत है, सर को झुका लो. यह लाशें तरसती रही hain कफ़न को. नए साल में पहले इसको संभालो. बहुत पहले नर्मेश्वर उपाध्याय. दहशत पसार पाए न पैर अपने मुल्क में. Posted by शहरोज़. Labels: सामयिक. या आलीश...ज़ाह...
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यह दो मिनट का लेखन और पठन धीमा जहर ही है « अजित गुप्ता का कोना
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स ह त य और स स क त क समर प त. यह द म नट क ल खन और पठन ध म जहर ह ह. Jun• 15•15. You can follow any responses to this entry through the RSS 2.0. Feed You can leave a response. From your own site. अन तर स ह ल. June 15, 2015 at 8:23 am. ब ल क ल सह कह आपन. ब ल ग स अभ तक असभ यत , फ हडत और ग ल -गल च स बच रह ह (एक-आध अपव द क छ डन पड ग ). फ सब क पर न गई क क ई स म नह रह गई ह. June 16, 2015 at 4:30 am. अन तर स ह ल ज , फ सब क न स र मर य द ए भ ग कर द ह इसल ए इनस स वय क बच न अन व र य ह गय ह आभ र आपक. ग ल म बन रह ह हम.
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स ह त य और स स क त क समर प त. Archive for the 'Uncategorized' Category. By AjitGupta Posted in Uncategorized. Read the rest of this entry ». हम स अब पर य क क ख य नह ज एग. By AjitGupta Posted in Uncategorized. Read the rest of this entry ». क य सच म ग व बदल रह ह? By AjitGupta Posted in Uncategorized. स वत त रत द वस. Read the rest of this entry ». उदयप र क स न दर य उभय श वरज क पर वत. By AjitGupta Posted in Uncategorized. Read the rest of this entry ». ग ल म बन रह ह हम. By AjitGupta Posted in Uncategorized.