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हिन्दी भाषा और साहित्य: October 2011
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Saturday, October 29, 2011. प्रमुख ब्लॉग-यात्रा-वृत्त लेखकों का परिचय और समीक्षण:. समीरलाल ‘समीर’ : परिचय और समीक्षण. ब्लॉग जगत में. समीरलाल ‘समीर’. सबसे बड़े बैंक के लिए तकनीकी सलाहकार हैं एवं आपके नियमित तकनीक-आलेख प्रकाशित होते रहे हैं।. आपका ब्लॉग. 8216;उड़नतश्तरी’. उपन्यासिका. 8216;उड़न तश्तरी’. ब्लॉग पर कवि एवं लेखक समीरलाल ‘समीर’ के यात्रा-वृत्त-. 8216;बड़ी दूर से आए हैं ब्लॉगर मिलने’. प्रमुख हैं।. 8216;बड़ी दूर से आए हैं.ब्लॉगर मिलने! शिखा वार्ष्णेय. समझते नहीं हैं- ...आपको यात्...आदि क...
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मैं:सहज और सरल : 2013-03-17
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मैं:सहज और सरल. शनिवार, 23 मार्च 2013. प्रेमचंद के निधन पर प्रकाशित दुर्लभ कविता:लेखक श्री गौरीशंकर मिश्र "द्विजेन्द्र". प्रेमचंद. प्रेमचंद तुम छिपे! किन्तु यह नहीं समझा था. प्रेमसूर्य का अभी कहाँ हुआ उदय था. उपन्यास और कथा जगत तमपूर्ण निरुत्तर. दीप्यमान था अभी तुम्हारा ही कर पाकर. अस्त हुए रूम. वृत यहाँ छा गया अँधेरा. लिया आंधी ने डाल तिमर में आन डेरा. उपन्यास है सिसकता रहा. रो रही कहानी. देख रहे यह वदन मोड़ कैसे तुममानी. आपस कर चिर बैर-भाव को मार भगाया. रोती हिंदी इधर. आज नहीं तुम! इसी अंक ...Pinterest...
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मैं:सहज और सरल : भारतीय दर्शन और चिंतन:समझने का एक प्रयास
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मैं:सहज और सरल. रविवार, 9 दिसंबर 2012. भारतीय दर्शन और चिंतन:समझने का एक प्रयास. संस्कृत का. भारतीय दर्शन मुख्यतः दो धाराओं. में बटा हुआ माना जा सकता हैं . वैदिक. या आस्तिक दर्शन और. नास्तिक या. वैदिक दर्शन. वैदिक दर्शन जिसे षडदर्शन. Group of 6 Philosophies). वैदिक दर्शन की धारायें:- न्याय,वैशेषिक,सांख्य,योग,मीमांसा और वेदांत हैं. न्याय दर्शन:. इस दर्शन का प्रवर्तक महर्षि गौतम. करना न्याय दर्शन का मुख्य प्रयोजन हैं. में बौद्ध विद्वानों. न्याय दर्शन को मिल. रही इस तगड़ी चुनौत...द्वारा. किया गय...ने ...
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मैं:सहज और सरल : 2013-01-06
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मैं:सहज और सरल. बुधवार, 9 जनवरी 2013. गंगा की सफाई और प्रयाग कुम्भ २०१३. जन्म के समय. दूधमुहें बालक जैसा. शुद्ध होता है हर प्राणी. अंडे की कैद को तोड़ने वाला रोयेंदार चूज़ा. माँ के थन पर हुमकता गाय का बच्चा. या नंग धडंग नवजात शिशु. जिसे थप्पड़ मरकरलय जाता हैं ,चेतना के आदि क्षणों में. मगर कालप्रवाह के साथ बहते बहते. आत्मा में उतरने लगती है कलुषता. और पानी को गंदला कर देती है. रूढियां और धर्म सिद्धांत. राख और अस्थियां. मृतको के मुरझाये पुष्पगुच्छ. और भरी दोपहर. रिसता पसीना. लेबल: लेख. नई पोस्ट. मेर&...
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मैं:सहज और सरल : पाकिस्तान के वज़ीर-ऐ-खारजा से इक हिन्दुस्तानी की इल्तजा
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मैं:सहज और सरल. शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012. पाकिस्तान के वज़ीर-ऐ-खारजा से इक हिन्दुस्तानी की इल्तजा. जनाब मलिक साहब. २६/११ के मुल्जिमान को कानून के जद में लाकर उन्हें सज़ा दिलवाइए. ताल ठोंक कर कहिये कि दहशतगर्दों के केम्पो का हिंदुस्तान और पाकिस्तान मिलकर सफाया करेंगे. प्रस्तुतकर्ता. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: पाकिस्तान. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. ब्लॉग आर्काइव. 3 माह पहले. Dard-I-Is...
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मैं:सहज और सरल : 2012-12-09
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मैं:सहज और सरल. शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012. पाकिस्तान के वज़ीर-ऐ-खारजा से इक हिन्दुस्तानी की इल्तजा. जनाब मलिक साहब. २६/११ के मुल्जिमान को कानून के जद में लाकर उन्हें सज़ा दिलवाइए. ताल ठोंक कर कहिये कि दहशतगर्दों के केम्पो का हिंदुस्तान और पाकिस्तान मिलकर सफाया करेंगे. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: पाकिस्तान. रविवार, 9 दिसंबर 2012. संस्कृत का. या आस्तिक दर्शन और. नास्तिक या. Group of 6 Philosophies).
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मैं:सहज और सरल : 2012-10-21
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मैं:सहज और सरल. शनिवार, 27 अक्तूबर 2012. गज़ल गोई. इसी उन्नत रूप में यह काव्य विधा खड़ीबोली में उर्दू गज़ल के रूप में परवान चढ़ी. इस विधा के अपने कुछ उसूल और कायदे है.जो इसे कसावट भरा और गीतात्मक बनाते हैं कहते हैं गज़ल कहना आसान भी है और मुश्किल भी .बस प्रयास किया हैं. इश्क मेरा बेमौत क्योंकर मरे ऐ बेवफा. जियेगा ये कमबख्त लिए तेरे ऐ बेवफा. सोती रातों को जगां हूँ मैं बेखुद होकर. तू रकीब पर इनायत करे ऐ बेवफा. उम्मीद में कि इधर नज़र फिरे ऐ बेवफा. प्रस्तुतकर्ता. इसे ईमेल करें. लेबल: गज़ल/Gazal. मेर...
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मेरी नज़र से: June 2013
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मेरी नज़र से. शनिवार, 29 जून 2013. मेरी नज़र से कुछ मील के पत्थर - 5 ). दो बूँद मौन. बहुत मन होता है . हाँ .कभी कभी . कुछ कहने .सुनने का . फडफडाते पंछी की तरह. तोड़ कर पिंजरा . एक ही श्वास की उड़ान में. पहुँच जाना चाहती हूं. तुम तक ! मस्तिष्क की शिराएं. खिंचती हैं. सिकुड जाता है हृदय . चोपर (choper) पर चलते चाकू सा. गूंजता है स्पंदन . शुष्क बुदबुदाहट. चीरती हैं होंठ ! अंतत: ठंडी. गहरी सांस के साथ. छौंक देती हूं सब कुछ. दो बूँद मौन में ! अंजू अनन्या. माँ समझती रही मौन को. समझना होगा . बचपन से हì...
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मैं:सहज और सरल : गंगा की सफाई और प्रयाग कुम्भ २०१३
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मैं:सहज और सरल. बुधवार, 9 जनवरी 2013. गंगा की सफाई और प्रयाग कुम्भ २०१३. जन्म के समय. दूधमुहें बालक जैसा. शुद्ध होता है हर प्राणी. अंडे की कैद को तोड़ने वाला रोयेंदार चूज़ा. माँ के थन पर हुमकता गाय का बच्चा. या नंग धडंग नवजात शिशु. जिसे थप्पड़ मरकरलय जाता हैं ,चेतना के आदि क्षणों में. मगर कालप्रवाह के साथ बहते बहते. आत्मा में उतरने लगती है कलुषता. और पानी को गंदला कर देती है. रूढियां और धर्म सिद्धांत. राख और अस्थियां. मृतको के मुरझाये पुष्पगुच्छ. और भरी दोपहर. रिसता पसीना. लेबल: लेख. नई पोस्ट. गंग&...
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मैं:सहज और सरल : महाकवि निराला और प्रेमचंद
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मैं:सहज और सरल. शनिवार, 23 मार्च 2013. महाकवि निराला और प्रेमचंद. सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला". मुंशी प्रेमचंद (१९२५). प्रस्तुतकर्ता. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: लेख. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). आओ बांटे विचार. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. ब्लॉग आर्काइव. महाकवि निराला और प्रेमचंद. 10 घंटे पहले. 1 सप्ताह पहले. अंतर्नाद. ๑۩۞&...पृथ...