khoyachand.blogspot.com
यारों की महफिल...: July 2013
http://khoyachand.blogspot.com/2013_07_01_archive.html
यारों की महफिल. बुधवार, 10 जुलाई 2013. केसला के वो दो दिन. अनिल बैरवाल ने सवाल उठाया कि राजनीतिक दल इस बात के लिए राजी क्यों नहीं होते कि उन्हें आरटीआई के दायरे में लाया जाए? राजनीतिक दल ये बताने को तैयार क्यों नहीं होते कि उनके पास पैसा कहां से आ रहा है? कभी किसी ने. बाघ नहीं कहा उन्हें. न ही कहा शेर. बाबा के बारे में. बोलते लोगों की आंखें. चमकने लगतीं. सांस भर आती. ये सवाल भी उठाया।. पशुपति शर्मा. प्रस्तुतकर्ता. पशुपति शर्मा. 2 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. पशुपति शर्मा. नई पोस्ट. भोपा...
khoyachand.blogspot.com
यारों की महफिल...: October 2011
http://khoyachand.blogspot.com/2011_10_01_archive.html
यारों की महफिल. गुरुवार, 20 अक्तूबर 2011. अंधा युग- रह रह कर दोहराता है! इसमें क्या संदेह रह जाता है।. पशुपति शर्मा. प्रस्तुतकर्ता. पशुपति शर्मा. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). वक्त जो थमता नहीं. साथी हाथ बढ़ाओ. कविता कोसी. त्रिलोकीजी की पहल. मुजफ्फरपुर थियेटर एसोसिएशन. कुमार विनोद का सीन. बाढ़-आँखिन देखी. शिरीष के दोस्त. सोतडू डोबरियाल. सचिन की इबारतें. रविंद्र रंजन का आशियाना. पुलिया पर अभय मिश्र.
khoyachand.blogspot.com
यारों की महफिल...: May 2012
http://khoyachand.blogspot.com/2012_05_01_archive.html
यारों की महफिल. मंगलवार, 29 मई 2012. ये सड़कें कहीं नहीं जाती. उत्तराखंड. के देवप्रयाग में हल्दू और दैडा के जंगलों से गुजरते हुए अचानक पांव ठिठक जाते हैं। अनायास ही जंगल की हरीतिमा खत्म हो जाती है और धूसर, पथ. पहाड़ नजर आने. क्यों. निर्दयता. क्षेत्र. हैं।. शाखें. हैं।. हिस्सा. क्षेत्र. हिस्सा. दिया।. बुल्डोजर. मशीनों. विस्फोट. ताज्जुब. जानकारी. लापरवाही. निर्वैयक्तिकता. जिन्होंने. पहाड़ी. पहाड़ों. निष्प्राण. हैं।. व्य़ासघाट. गिराया. मीलों. चट्टानों. साम्राज्य. इलाकों. बोल्डरों. हजारों. इस कविता...
khoyachand.blogspot.com
यारों की महफिल...: August 2014
http://khoyachand.blogspot.com/2014_08_01_archive.html
यारों की महफिल. सोमवार, 18 अगस्त 2014. मोनालिसा की आंखों' के नाम एक दोपहर. नूतन डिमरी गैरोला के फेसबुक वॉल से साभार. नूतन डिमरी गैरोला के फेसबुक वॉल से जहां मैं वाया मुकेश जी के पहुंचा।. पशुपति शर्मा. प्रस्तुतकर्ता. पशुपति शर्मा. 5 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: कविता. काव्य गोष्ठी. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). वक्त जो थमता नहीं. साथी हाथ बढ़ाओ. कविता कोसी. त्रिलोकीजी की पहल. मुजफ्फरपुर थियेटर एसोसिएशन. कुमार विनोद का सीन. संवेदनशील अनिल.
khoyachand.blogspot.com
यारों की महफिल...: January 2015
http://khoyachand.blogspot.com/2015_01_01_archive.html
यारों की महफिल. रविवार, 4 जनवरी 2015. पीके पर 'पीके' ही कर रहे हैं हंगामा. पशुपति शर्मा. प्रस्तुतकर्ता. पशुपति शर्मा. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: आमिर खान. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). वक्त जो थमता नहीं. साथी हाथ बढ़ाओ. कविता कोसी. त्रिलोकीजी की पहल. मुजफ्फरपुर थियेटर एसोसिएशन. कुमार विनोद का सीन. बाढ़-आँखिन देखी. शिरीष के दोस्त. सोतडू डोबरियाल. सचिन की इबारतें. रविंद्र रंजन का आशियाना. आदर्श राठौर का प्याला. सुभाष की आवारगी.
khoyachand.blogspot.com
यारों की महफिल...: May 2015
http://khoyachand.blogspot.com/2015_05_01_archive.html
यारों की महफिल. बुधवार, 27 मई 2015. मम्मा की डायरी- कुछ पन्ने यूं हीं. करने की कोशिश तो नहीं। पत्रकार मंजीत ठाकुर ने मां की. वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी ने इस चुटकी के साथ बात शुरू की कि पत्रकारों को अब पढ़ने-लिखने की फुरसत कहां? नीलम ने कहा कि वो अनु की किताब पढ़ने के बाद एक दिन तक '. साइलेंट मोड. में चली गईं थीं।. फिल्म देखने पर. का एहसास. मम्मा की डायरी. रमा ने अपनी '. नालायकी. इस परिचर्चा ने '. मम्मा की डायरी. पशुपति शर्मा. प्रस्तुतकर्ता. पशुपति शर्मा. नई पोस्ट. मुख्यपृष्ठ.
khoyachand.blogspot.com
यारों की महफिल...: October 2012
http://khoyachand.blogspot.com/2012_10_01_archive.html
यारों की महफिल. सोमवार, 29 अक्तूबर 2012. आयरा और कवि का प्रेम-1. हाल ही में विमल कुमार के नए काव्य संकलन- क्या तुम रोशनी बनकर आओगी आयरा. हाथ लगा। महज 24 घंटों में एक-एक कविता पढ़ गया। दूसरी बार पढ़ते हुए बतौर पाठक कुछ बातें मन में उठीं, वो आप सभी के साथ साझा कर रहा हूं। ). संकलन की पहली कविता 'प्रेम क्या है? अगर तुम न दे सको अपना प्रेम मुझे. तो कोई बात नहीं. पर कम से कम समझना जरूर. मेरा प्रेम कितना सच्चा है. प्रेम को समझना. प्रेम करने से. प्रेम करने से पहले. झांककर कोई कुआं. चलती रहती है. विमल क...
khoyachand.blogspot.com
यारों की महफिल...: September 2012
http://khoyachand.blogspot.com/2012_09_01_archive.html
यारों की महफिल. गुरुवार, 27 सितंबर 2012. मैं इस देश को बेचकर चला जाऊंगा. पैसे पेड़ पर नहीं उगते, इस पारंपरिक ज्ञान को आदरणीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नया अर्थ प्रदान किया है। बाजारवाद के इस दौर में इस अर्थ को कवि विमल कुमार. सोने की इस मरी हुई चिड़िया को. बेच कर चला जाऊंगा. तुम देखते रह जाओ. मैं नदी नाले तालाब. शेरशाह सुरी का ग्रांड ट्रंक रोड. नगर निगम की कार पार्किग. चांदनी चौक के फव्वारे. सब कुछ बेच कर चला जाऊंगा. मैं चला जाऊंगा बेचकर. तुम देखते रहना बस चुपचाप. तंग आ गया हूं. बाबरी मस...पुर...
khoyachand.blogspot.com
यारों की महफिल...: October 2014
http://khoyachand.blogspot.com/2014_10_01_archive.html
यारों की महफिल. शनिवार, 18 अक्तूबर 2014. ये दाढ़ी कुछ तो कहती है. खुद में खोए, खुद को ढूंढते दाढ़ीदार पशुपति का गुनाह माफ हो तो कुछ तस्वीरें बीच-बीच में चस्पां हैं, ख़ास आपके लिए।. प्रस्तुतकर्ता. पशुपति शर्मा. 3 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). वक्त जो थमता नहीं. साथी हाथ बढ़ाओ. कविता कोसी. त्रिलोकीजी की पहल. मुजफ्फरपुर थियेटर एसोसिएशन. कुमार विनोद का सीन. बाढ़-आँखिन देखी. शिरीष के दोस्त. सोतडू डोबरियाल. पशुपति शर्मा.