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चर्चामंच: "चहकी कोयल बाग में" {चर्चा अंक - 1970}
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Saturday, May 09, 2015. चहकी कोयल बाग में" {चर्चा अंक - 1970}. मित्रों।. शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।. देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।. डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'). रोज होता है. होता चला आ रहा है. बस मतलब रोज का रोज. बदलता चला जाता है. उलूक टाइम्स. पर सुशील कुमार जोशी. दो कुण्डलियाँ-कोयल चहकी". कह “मयंक” कविराय, आज शाखाएँ बहकी।. होकर भावविभोर, तभी तो कोयल चहकी।।. पथ का मूयांकन. पथिक नहीं. मंजिल करती है. पर udaya veer singh. पर विशाल चर्चित. नहीं बजाती. आस का दीपक. बावरा मन. MaiN Our Meri Tanhayii.
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तीखी कलम से: March 2015
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तीखी कलम से. तीखी कलम से. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. गुरुवार, 26 मार्च 2015. अमृत को झरते देखा है. गीत* *- -. गंगा सहज प्रवाह पावनी ,. अमृत को झरते देखा है ।. धवल और शीतल लहरों से,. पुरखों को तरते देखा है ।. मानव जीवन की कल्याणी ,. ममता की अद्भुद धारा हो ।. भागीरथ की घोर तपस्या ,. सर्व नेत्र की तुम तारा हो ।. मातृ स्नेह से सदा अलंकृत ,. प्रेम सुधा बहते देखा है ।. गंगा सहज प्रवाह पावनी ,. अमृत को झरते देखा है ।।. पापों की अंतर ज्वाला पर,. वीन मणि त्रिपाठी. नई पोस्ट. 2 दिन पहले. वक़्त ग...
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तीखी कलम से: April 2014
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तीखी कलम से. तीखी कलम से. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. बुधवार, 30 अप्रैल 2014. भारतीय बाल मजदूर. मित्रो मजदूर दिवस पर मेरी यह रचना सप्रेम भेट. तपती दोपहरी में ,. पसीने से लथ पथ ,. सड़क पर पत्थर बिखेरता एक मासूम. बार बार कुछ सोचता है ,. मन को कुरेदता है. आज माँ खुश हो जाएगी ,. कुछ आटा चावल मगाएगी. दर्जी के पास भी जाना है ,. माँ के फटे आँचल में ,. चकती लगवाना है. छोटा भाई तो कल भूँखा ही सोया था ,. रोटियां कम थी इस लिए रोया था . आज पूरे सौ मिलेंगे . कुछ बुदबुदाया. बाबु जी! अब शहीदो&...वतन क...
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तीखी कलम से: June 2015
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तीखी कलम से. तीखी कलम से. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. सोमवार, 29 जून 2015. पापा के नाम. पापा अब मेरे आँसू की तुम. और परीक्षा मत लेना ।. सैलाब उमड़ते आँखों में. अब धैर्य की शिक्षा मत देना।. मैं टूट रहा हूँ अब प्रतिपल।. खो रहा अनवरत हूँ सम्बल ।. मैं शक्तिहीन दुःख में विलीन।. आभासित जैसे कर्म हीन ।. ईश्वर भी हुआ पराया सा ।. मन व्याकुल है बौराया सा ।. मैं भीख मांगता प्राणों की. वह चाह रहा सब हर लेना ।।. पापा अब मेरे आंसू की तुम. और परीक्षा मत लेना ।।. हूँ मौन अंक से...यह तीक्ष्...अभिशप...
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तीखी कलम से: February 2014
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तीखी कलम से. तीखी कलम से. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. गुरुवार, 13 फ़रवरी 2014. प्रेम दिवस के मुक्तक. बंदिश से निकल आयी बेबाक मुहब्बत है. करने लगी है सबको आदाब मुहब्बत है. ठहरे हुए हैं लम्हें नजरों का कहर बरपा. बिखरी सी चांदनी कि महताब मुहब्बत है. पहरे हजार होंगे , परदे हजार होंगे. हसरत का फूल ले के वो बेक़रार होंगे. लहरें तो साहिलों से लिपटेगी आज खुलकर. हलचल है समंदर में बेख़ौफ़ ज्वार होंगे. बरसात कि छुवन से दादुर उछल पड़े हैं. प्रस्तुतकर्ता Naveen Mani Tripathi. नई पोस्ट. 2 दिन पहले. हि&...
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तीखी कलम से: February 2015
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तीखी कलम से. तीखी कलम से. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. शनिवार, 28 फ़रवरी 2015. सिर्फ तारीफों की चर्चा में बिका अखबार है. ग़ज़ल* *- -. चैनलों की शाख पर अब झूठ का अम्बार है ।. सिर्फ तारीफों की चर्चा में बिका अखबार है ।।. रोज कलमें हो रहीं गिरवीं इसी दरबार में ।. फिर कसीदों से कलम का हो रहा व्यापार है।।. कब्र से बोली ग़ज़ल मेरा तस्सउर् खो गया ।. अब खुशामद के लिए बिकने लगा फनकार है ।।. हम एक थे, हम एक हैं ,हम एक ही होंगे सदा ।. नवीन मणि त्रिपाठी. 2 टिप्पणियाँ. जा के देख. मनचलों क...मास...
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चर्चामंच: "उम्र के विभाजन और तुम्हारी कुंठित सोच" {चर्चा - 1983}
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Friday, May 22, 2015. उम्र के विभाजन और तुम्हारी कुंठित सोच" {चर्चा - 1983}. मित्रों।. शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।. देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।. डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'). यूँ ही. अपनी मंजिल और आपकी तलाश. उम्र के विभाजन. और तुम्हारी कुंठित सोच. ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र. पैसा दे या प्रेम दे. पैसा दे या प्रेम दे, जितना जिसके पास।. इक तोड़े विशवास को, इक जोड़े विश्वास।।. रिश्ते हों या दूध फिर, तब होते बेकार।. गर्माहट तो चाहिए, समय समय पर यार. पर श्यामल सुमन. सलाम-ए-इश्क फरमाइए. उलूक ट...
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तीखी कलम से: November 2014
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तीखी कलम से. तीखी कलम से. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. मंगलवार, 18 नवंबर 2014. तू कितनी भोली है. जिन्दगी की खूब सूरत सहेली है ।. चोली दामन का साथ. दोनों के अपने जज्बात. नहीं कोई विरोध. जहाँ जन्दगी वही मौत. और जहाँ मौत वहीँ जिन्दगी. पर क्या जारी रहती है दुआ बन्दगी? मौत कभी तुम चुपके से आती हो ।. तो कभी शोर मचाती हो. डंके की चोट पर आती हो ।. जिन्दगी को साथ ले जाती हो. एक नीद एक विराम. या फिर अनंत विश्राम. और फिर वापस आ जाती है जिन्दगी. नयी काया के साथ ।. प्रणय का उन्माद. वही मकरंद. प्रश&...
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तीखी कलम से: April 2015
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तीखी कलम से. तीखी कलम से. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. मंगलवार, 28 अप्रैल 2015. प्रायश्चित. नवीन मणि त्रिपाठी. अरे भाई तिरपाठी! का हाल चाल है यार " ।. आओ कौसर भाई चाय आ रही है । अभी काम से फुरसत मिली है । और अपना सुनाओ? मैंने कौसर भाई को बैठने का इशारा किया।. कौसर भाई बैठ तो गए लेकिन सामान्य से हट कर कुछ शांत थे और विचार मन्थन करते नजर आये ।. क्या हुआ भाई जान आज इतना शांत क्यों "।. अरे यार चिंता हो गयी है "।. किस बात की चिंता कौसर भाई? फिर क्या हुआ? इतना कहते ही वह चल पड़...ऐसा कर...
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तीखी कलम से: October 2014
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तीखी कलम से. तीखी कलम से. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2014. आँसू"* -. आँसू अनंत रूप में बिखर जाते हैं . गम के आँसू. ख़ुशी के आँसू. बनावटी आँसू. घडियाली आँसू. रक्त के आँसू. मुफ्त के आँसू. महंगे आंसू. सस्ते आँसू.।. आंसू प्रतीक बन जाते हैं . मनोभावों के. अदृश्य यातनाओं के. अतृप्त इच्छाओं के. अंतस के घावों के. खंडित अभिलाषाओं के. अनंत संवेदनाओं के. तीखी व्यथाओं के .।. आँसू छलक जाते हैं .।. मीत के मिलने पर. या फिर बिछड़ने पर. आशा के खोने पर. पर नैना बहने पर. प्रीत&...तुम...