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पुरक़ैफ-ए-मंज़र: October 2010
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पुरक़ैफ-ए-मंज़र. मेरे फोटो, मेरे गीत. Wednesday, October 6, 2010. लोकल के लोग. 30 सितम्बर 2010,. Subscribe to: Posts (Atom). हमारीवाणी. लोकल के लोग. जो मिला मुझसे हो गया मेरा. View my complete profile. मेरे पाठक. लाल बत्ती. चिट्ठाजगत. बासूती. सांझ सवेरे. चाय बैठकी. मुसाफिर पंडित. कारवां. हिदुस्तानी. Is worth $5,080.86. How much is your blog worth? Picture Window template. Powered by Blogger.
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पुरक़ैफ-ए-मंज़र: June 2008
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पुरक़ैफ-ए-मंज़र. मेरे फोटो, मेरे गीत. Monday, June 30, 2008. सावन के महीने में. गोरी इतराती है. खूब बलखाती है. झूलों की पेंग संग. झूम झूम जाती है. सावन के महीने में।. मायका महकाई है. सुसरे से आई है. वो नवेली दुल्हन. जो मेंहदी रचवाईं है. साथ में भौजाई है. सावन के महीने में।. बदरों की बेला है. पानी का रेला है. झप झप का खेला है. सावन का मेला है. बजती पिपिहरी में. लोगों का रेला है. सावन के महीने में।. Saturday, June 28, 2008. तुम गजल बन गई. तुम गजल बन गई…. जब तुम आई. थकी दोपहरी. जब तुम आई. गजल बन गई।. कí...
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पुरक़ैफ-ए-मंज़र: September 2007
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पुरक़ैफ-ए-मंज़र. मेरे फोटो, मेरे गीत. Monday, September 17, 2007. हर सवाल का जवाब होता है, बोल-बचन के पास. और हर जवाब गलत होता है, बोल-बचन का. अगर आप यकीन कर ले उनकी बात पर,. तो आपकी नईंया कभी कभी भी पार नही हो सकती।. अभी कल की बात है. मैंने बोल-बचन से बताया था कि मेरे एक खास दोस्त की बीवी अस्पताल में भर्ती है. सीरियस है, उसे कल पांच बॉटल खून की जरुरत है, कुछ इंतजाम करो. बोल बचन ने तीन बॉटल खून दिलाने का वादा कर दिया था,. हर ऑफिस में कई बोल बचन होते हैं. बोलो बोल- बचन की जय. Tuesday, September 11, 2007.
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पुरक़ैफ-ए-मंज़र: December 2008
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पुरक़ैफ-ए-मंज़र. मेरे फोटो, मेरे गीत. Friday, December 26, 2008. अब तो बंदूक उठाओं यारो. सूरते हाल बताओ यारो,. क्या हुआ हमको दिखाओ यारों. वहां पे सिसकिया थीं रेला था. हमें भी कुछ तो सुनाओं यारों।. गुबार गम के, धुंआ आंसू से. जल रहे लोग, वहां सांसो से. सिमट के जिंदगी है सहमी सी. उसको एतबार दिलाओ यारों।. कराह, आह सब लिपट से गये. लाखों थे लोग सब सिमट से गये. सामने दरिया है, उफनता सा. कोई दो बूंद पिलाओं यारो।. घुटन की जिंदगी जिल्लत से भरी. अपने घर में ही इक मासूम डरी. Subscribe to: Posts (Atom).
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पुरक़ैफ-ए-मंज़र: February 2008
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पुरक़ैफ-ए-मंज़र. मेरे फोटो, मेरे गीत. Monday, February 25, 2008. नंगा किनारा. समंदर की लहरों के साथ हवा में घुले उबटन को. गोरी चमड़ी से लपटते. दूर देश से आराम. फरमाने आये हैं परदेशी.इन गोवा. Sunday, February 24, 2008. बहुरूपिया. देखो देखो. शहर की बीच सड़क पर भेष बदले शांती का संदेश दे रहा है बहुरूपिया।. और टकटकी लगाये लोग तख्ती पर नजर डाले बगैर. देख रहे हैं बहुरूपिया के अजब गजब चेहरे को।. लोग सिर्फ उसके रूप रंग पर मर जाते हैं,. कोई नही समझता उसकी चाल को।. Subscribe to: Posts (Atom). Is worth $5,080.86.
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पुरक़ैफ-ए-मंज़र: May 2008
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पुरक़ैफ-ए-मंज़र. मेरे फोटो, मेरे गीत. Thursday, May 15, 2008. धमाके के बाद. एक आंगन में दो आंगन हो जाते हैं,. राम के घर में जब भी दंगा होता है. हिंदू मुस्लिम सब रावण हो जाते हैं।. Subscribe to: Posts (Atom). हमारीवाणी. धमाके के बाद. जो मिला मुझसे हो गया मेरा. View my complete profile. मेरे पाठक. लाल बत्ती. चिट्ठाजगत. बासूती. सांझ सवेरे. चाय बैठकी. मुसाफिर पंडित. कारवां. हिदुस्तानी. Is worth $5,080.86. How much is your blog worth? Picture Window template. Powered by Blogger.
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पुरक़ैफ-ए-मंज़र: January 2008
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पुरक़ैफ-ए-मंज़र. मेरे फोटो, मेरे गीत. Wednesday, January 16, 2008. ऑन- ड्यूटी. Saturday, January 12, 2008. जलवा एक्सप्रेस. साली ने चार साल से पागल बना रखा है. ये झुंझलाहट के शब्द है उस आशिक के जो चार साल से जलवा एक्सप्रेस को देख रहा है. अब तो लोगों ने इस आशिक का नाम दिवाना भजिया वाला रख दिया है. इस एक्सप्रेस का आने का समय है सुबह दस बजे. और जाने का समय है शाम को छह बजे।. इस एक्सप्रेस पर बैठने की तो बात सोचना गलत होगा. पता है-. हैंगआउट, कैफे. महालक्ष्मी, मुंबई. Friday, January 11, 2008. गांव क...सोध...
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पुरक़ैफ-ए-मंज़र: August 2007
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पुरक़ैफ-ए-मंज़र. मेरे फोटो, मेरे गीत. Monday, August 27, 2007. टीआरपी टेम्पल. खबर फैल चुकी है मीडिया के गलियारों में. कि एक टीआरपी का मंदिर है,जहां सजदा करने से. किसी भी प्रोग्राम की टीआरपी अच्छी आती है. जिस टीआरपी के लिए चैनल के बादशाह. कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं. किसी भी हद तक गुजरने और गिरने के लिए तैयार रहते हैं. अगर वही टीआरपी सिर झुकाने से आ जाएं तो खबर अच्छी है. Wednesday, August 22, 2007. गाली दो वाहवाही लो. भाई गाली देने और लेने से टीआ...Tuesday, August 21, 2007. जो फिल्...नाच क...
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गुनहगार: GANDHI'S FORAY INTO JOURNALISM
http://gunaahgar.blogspot.com/2009/02/gandhis-foray-into-journalism.html
Man who lives by sword die by sword. 01 फ़रवरी, 2009. GANDHI'S FORAY INTO JOURNALISM. Much has been written on Mahatma Gandhi’s political, social and economic ideas, his role in India’s struggle for independence and upliftment of the weaker sections. But one aspect of his life that has remained untraversed is his foray into journalism. What Gandhi wrote is evident from the four newspapers he edited—. Started in 1919),. 1933-1948)-apart from his books including autobiography (. My Experiments with truth.