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My Jagjit SinghThursday, December 9, 2010. बाद मुद्दत उन्हें देख कर यूँ लगा. बाद मुद्दत उन्हें देख कर यूँ लगा. जैसे बेताब दिल को क़रार आ गया. आरज़ू के गुल मुस्कुराने लगे. जैसे गुलशन में बहार आ गया. तिशना नज़रें मिली शोख नज़रों से जब. मए बरसने लगी जाम भरने लगे. साक़िया आज तेरी ज़रूरत नहीँ. बिन पिय बिन पिलाए खुमार आ गया. रात सोने लगी सुबह होने लगी. शम्मा बुझने लगी दिल मचलने लगे. वक़्त की रोशनी में नहाई हुई. ज़िंदगी पे अजब सा निखार आ गया. सुदर्शन 'फकीर'. Posted by Ketan Shah. Posted by Ketan Shah. मेरे बा...न उठí...
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