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सुरता : February 2015
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छत्तीसगढ़ी भाषा अउ छत्तीसगढ़ के धरोहर ल समर्पित रमेशकुमार सिंह चौहान के छत्तीसगढ़ी काव्यांजली. शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015. भाखा गुरतुर बोल तै. भाखा गुरतुर बोल तै, जेन सबो ल सुहाय ।. छत्तीसगढ़ी मन भरे, भाव बने फरिआय ।।. भाव बने फरिआय, लगय हित-मीत समागे ।. बगरावव संसार, गीत तै सुघ्घर गाके ।. झन गावव अश्लील, बेच के तै तो पागा ।. अपन मान सम्मान, ददा दाई ये भाखा ।।. प्रस्तुतकर्ता. रमेशकुमार सिंह चौहान. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. फागुनवा. नो हय निच...आवय स...
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सुरता : June 2015
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छत्तीसगढ़ी भाषा अउ छत्तीसगढ़ के धरोहर ल समर्पित रमेशकुमार सिंह चौहान के छत्तीसगढ़ी काव्यांजली. मंगलवार, 30 जून 2015. संगी चल चल खेत मा. संगी चल चल खेत मा, बोये बर गा धान ।. राग पाग सुघ्घर लगत, कहत हवंय किसान ।।. कहत हवंय किसान, हाथ बइला मा फेरत।. धरे बीजहा धान, दुवारी मा नागर हेरत ।।. भरही कइसे पेट, करे मा आज लफंगी ।. आज कमा के काल, खाय ला पाबो संगी ।।. प्रस्तुतकर्ता. रमेशकुमार सिंह चौहान. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. लेबल: कुण्डली. कोखरो मु...जान...
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सुरता : May 2015
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छत्तीसगढ़ी भाषा अउ छत्तीसगढ़ के धरोहर ल समर्पित रमेशकुमार सिंह चौहान के छत्तीसगढ़ी काव्यांजली. शुक्रवार, 29 मई 2015. एक अकेला आय तै. एक अकेला आय तै, जाबे तै हर एक ।. का गवाय का पाय हस, ध्यान लगा के देख ।. ध्यान लगा के देख, करे काखर हस तै जै ।. मनखे चोला पाय, बने हस का मनखे तै ।।. मनखेपन भगवान, जेन हा लगय झमेला ।. पूजे का भगवान, होय तै एक अकेला ।।. रमेश चौहान. प्रस्तुतकर्ता. रमेशकुमार सिंह चौहान. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. रमेश चौहान. छत्तीसगढ&#...8216;क...
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सुरता : गीत सुंदर कांड के-3
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छत्तीसगढ़ी भाषा अउ छत्तीसगढ़ के धरोहर ल समर्पित रमेशकुमार सिंह चौहान के छत्तीसगढ़ी काव्यांजली. रविवार, 2 अगस्त 2015. गीत सुंदर कांड के-3. अंतस मा रामे ला राखे, हाथे मा गदा ला साजे. अंतस मा रामे ला राखे, हाथे मा गदा ला साजे. पहाड़े ऊपर जाके गा., रामदूत हनुमान. रामदूत हनुमान भरे हे उड़ान,. सीता खोजे बर हो राम. पानी ले बाहिरे आके, हाथ जोड़े हे मैनाके. कहय थिरालव सुराताके, मोरे पीठे मा आके,. मैनाके ला हाथ लगा के गा., रामदूत हनुमान. रामदूत हनुमान भरे हे उड़ान,. प्रस्तुतकर्ता. नई पोस्ट. सार छंद. सिं...
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कहनी-किस्सा: September 2014
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कहनी-किस्सा. मुख्यपृष्ठ. मंगलवार, 30 सितंबर 2014. अंतरद्वंद (लघुकथा). मालिक को पता था गोपाल को लास्ट स्टेज का कैंसर है । अंतरद्वंद से जुझता वह कहा ले गोपाल ले दिल छोटा क्यो करता है अभी तुम्हे बहुत काम करना है ।. प्रस्तुतकर्ता. रमेशकुमार सिंह चौहान. 1 टिप्पणी:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). ब्लॉग आर्काइव. अंतरद्वंद (लघुकथा).
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कहनी-किस्सा: November 2013
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कहनी-किस्सा. मुख्यपृष्ठ. गुरुवार, 21 नवंबर 2013. मुर्रा के लाडू (कहानी). मोर संगी. ओखर पैइसा. का होगे भांचा? काबर रोवत हस? का होगे गा? सत्तू सुसकत सुसकत बताईस ओखर मुर्रा के लाडू. राजू ह . धरके भगा गे.।. काबर गा? सुसकत सुसकत सत्तू जम्मो बात ल बताईस ।. ओ हो भांचा तोरो गलती नईये? तोला अइसन नई करना रहिस ।. बेटा हमन गरीब आन. हमर ईमान ह सबले बड़े पूंजी आय ।. हमला अपन मेहनत के ही खाना चाही ।. रमेशकुमार सिंह चौहान. मिश्रापारा, नवागढ. जिला-बेमेतरा (छ.ग.). प्रस्तुतकर्ता. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट.
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कहनी-किस्सा: February 2015
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कहनी-किस्सा. मुख्यपृष्ठ. सोमवार, 23 फ़रवरी 2015. चार बेटा राम के कौडी के ना काम के. 8216;दाई पा लगी‘ का करत हस ओ ददा कहां हे? दूसर कोती ले हीरेच ह बोलत रहय । कुवंरिया के आंखी डहर ले आंसू छलके लगिस - ‘खुष रह बेटा खुष रह रे‘ अउ का हाल चाल बाबू ।. ओम का करत हे गा? स्कूल गे हे दाई ।. अब का पढ़त हे ओम हा? क्लास फोर. अच्छा अच्छा, अउ बहू गीता कहां हे गा? लइका मन कहां हे? कहां गे रहेवजी. रमेशकुमार सिंह चौहान. प्रस्तुतकर्ता. रमेशकुमार सिंह चौहान. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट.