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विमर्श : अँधेरी खिड़कियों के अंदर का अँधेरा - राकेश रोहित
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समकालीन साहित्य और उस पर विमर्श का मंच. Monday, 28 December 2015. अँधेरी खिड़कियों के अंदर का अँधेरा - राकेश रोहित. पुस्तक समीक्षा. पहला उपन्यास. अनिरुद्ध उमट. अनिरुद्ध उमट उन रचनाकारों में से हैं जिन्होंने अपने कथा शिल्प को लेकर एक खास पहचान बनायी है पर उनके पहले उपन्यास. 8216; अँधेरी खिड़कियाँ. 8216; बोल्ड. सपना और यथार्थ की द्वंद्वात्मकता की पड़ताल करता है।. 8216; अँधेरी खिड़कियाँ. वे जानते ही नहीं थे कि उनका चाहना क्या है. 8216; कंडीशनिंग. 8216; रिड्यूस. 8216; मैं. 8216; वे. कवि प्रकाशन. मनुष्...
विमर्श : January 2016
http://nayavimarsh.blogspot.com/2016_01_01_archive.html
समकालीन साहित्य और उस पर विमर्श का मंच. Sunday, 10 January 2016. मनुष्य की नियति का समय - राकेश रोहित. संदर्भ: भुवनेश्वर की कहानी. भेड़िये. भेड़िये. पर यह टिप्पणी डा. शुकदेव सिंह की. 1991 में प्रकाशित टिप्पणी "नयी कहानी की पहली कृति. भेड़िये. 8221; से आरंभ बहस के क्रम में. बीच बहस में. 1991 में "मनुष्य की नियति का समय" शीर्षक से प्रकाशित हुई थी और चर्चित रही थी. के नवंबर. से साभार प्रकाशित हुई थी.). भुवनेश्वर. भुवनेश्वर की. 8216; भेड़िये. वह अपने को. डाइल्यूट. श्रेष्ठ. इफ्तखार अपने सतत. नटनिया...
विमर्श : December 2015
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समकालीन साहित्य और उस पर विमर्श का मंच. Monday, 28 December 2015. अँधेरी खिड़कियों के अंदर का अँधेरा - राकेश रोहित. पुस्तक समीक्षा. पहला उपन्यास. अनिरुद्ध उमट. अनिरुद्ध उमट उन रचनाकारों में से हैं जिन्होंने अपने कथा शिल्प को लेकर एक खास पहचान बनायी है पर उनके पहले उपन्यास. 8216; अँधेरी खिड़कियाँ. 8216; बोल्ड. सपना और यथार्थ की द्वंद्वात्मकता की पड़ताल करता है।. 8216; अँधेरी खिड़कियाँ. वे जानते ही नहीं थे कि उनका चाहना क्या है. 8216; कंडीशनिंग. 8216; रिड्यूस. 8216; मैं. 8216; वे. कवि प्रकाशन. 8217; युव&...
विमर्श : वे तितली नहीं मांग रहीं... - राकेश रोहित
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समकालीन साहित्य और उस पर विमर्श का मंच. Wednesday, 23 December 2015. वे तितली नहीं मांग रहीं. - राकेश रोहित. पुस्तक समीक्षा. कृष्णा सोबती. जो है. की तलाश से आगे बढ़ कर. नहीं होने. मित्रो मरजानी. में प्रकट हुई थी वह एक पवित्र गरमाहट की तरह. ऐ लड़की. में मौजूद है।. ऐ लड़की. ऐ लड़की. केवल जीभ व विकलांगता के अबसेशन. इलाहाबादी लेखक त्रय. द्वारा. ऐ लड़की. बेजोड़. अद्भुत और कालजयी. 42) में स्वयंप्रकाश ने. ऐ लड़की. ऐ लड़की. ऐ लड़की. में अम्मू कहती है. ऐ लड़की. तो महसूसती है. सारी कथा इसी ...तो भी त&#...और लड...
विमर्श : मनुष्य की नियति का समय - राकेश रोहित
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समकालीन साहित्य और उस पर विमर्श का मंच. Sunday, 10 January 2016. मनुष्य की नियति का समय - राकेश रोहित. संदर्भ: भुवनेश्वर की कहानी. भेड़िये. भेड़िये. पर यह टिप्पणी डा. शुकदेव सिंह की. 1991 में प्रकाशित टिप्पणी "नयी कहानी की पहली कृति. भेड़िये. 8221; से आरंभ बहस के क्रम में. बीच बहस में. 1991 में "मनुष्य की नियति का समय" शीर्षक से प्रकाशित हुई थी और चर्चित रही थी. के नवंबर. से साभार प्रकाशित हुई थी.). भुवनेश्वर. भुवनेश्वर की. 8216; भेड़िये. वह अपने को. डाइल्यूट. श्रेष्ठ. इफ्तखार अपने सतत. नटनिया...
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आधुनिक हिंदी साहित्य / Aadhunik Hindi Sahitya : April 2011
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बचे रहेंगे शब्द, बचा रहेगा जीवन. Sunday, 17 April 2011. हिंदी कहानी की रचनात्मक चिंताएं - राकेश रोहित. कथाचर्चा. हिंदी कहानी की रचनात्मक चिंताएं. आज की हिंदी कहानी में छात्र कहां हैं? राकेश रोहित. 17) ( पूर्व से आगे). राजेन्द्र चंद्रकांत राय. की पौरुष. जुलाई 1991) के बहाने बटरोही. का विरोध ' नवभारत टाइम्स. में कर चुके हैं और राजेंद्र चंद्रकांत राय. अपना बचाव भी. राजेंद्र चंद्रकांत राय. खुद टिप्पणी क्यों नहीं करते? की कहानी पौरुष. और औरत का घोड़ा. वर्तमान साहित्य. काशीनाथ सिंह. Links to this Post. कवì...
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आधुनिक हिंदी साहित्य / Aadhunik Hindi Sahitya : June 2011
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बचे रहेंगे शब्द, बचा रहेगा जीवन. Saturday, 11 June 2011. हिंदी कहानी की रचनात्मक चिंताएं - राकेश रोहित. कथाचर्चा. हिंदी कहानी की रचनात्मक चिंताएं. राकेश रोहित. 18) ( पूर्व से आगे). सुरेश कांटक. की कहानी. धर्म संकट. जस्टीफाई. रंजन जैदी. की कहानी. इंद्रप्रस्थ भारती. भी इसी का उदाहरण है. जहाँ लेखक फ्रायड को पढ़ने के बाद भी नियतिवादी आग्रह से मुक्त नहीं है. प्राइवेट. गीतांजली श्री. मृणाल पांडे. की कहानी हिर्दा मेयो का मंझला. की कहानी. गुलज़ार. की कहानी सनसेट बुलेवार. सनसेट बुलेवार. सुषम बेदी. वही) आय&#...
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आधुनिक हिंदी साहित्य / Aadhunik Hindi Sahitya : August 2011
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बचे रहेंगे शब्द, बचा रहेगा जीवन. Saturday, 6 August 2011. हिंदी कहानी की रचनात्मक चिंताएं - राकेश रोहित. कथाचर्चा. हिंदी कहानी की रचनात्मक चिंताएं. राकेश रोहित. पूर्व से आगे). आने वाले समय के तनाव को शिद्दत से महसूसने वाले रचनाकार के रूप में विनोद अनुपम. का नाम लिया जाना चाहिए. उनकी पहली कहानी स्वप्न. सारिका. में आयी थी जो राजनीति के सीमान्त की ओर इशारा करती. वर्तमान साहित्य. नारायण सिंह. माफ करो वासुदेव. मदार के फूल. अनन्त कुमार सिंह. बांस का किला. नर्मदेश्वर. रामस्वरूप अणखी. अपूर्व भोज. न मान...
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आधुनिक हिंदी साहित्य / Aadhunik Hindi Sahitya : May 2012
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बचे रहेंगे शब्द, बचा रहेगा जीवन. Monday, 7 May 2012. जब बाज़ार में आया प्यार - राकेश रोहित. जब बाज़ार में आया प्यार. राकेश रोहित. बाज़ार बेचता है प्यार. पल-पल बढते हैं खरीदार. जिसको जैसी हो दरकार. वैसी ले जायें सरकार! अगर आपका मन सूना है. तो आपने सही क्षण चुना है. 8216; एंड ऑफ सीजन. 8217; का सेल है. की है यहाँ भरमार! बाज़ार बेचता है प्यार. पल-पल बढते हैं खरीदार. टेडी बीयर या लाल गुलाब. इस प्यार का नहीं जवाब! बंद पाकेट में. शाकप्रूफ है. जैसी कीमत वैसे रंग. सदा चलेगा आपके संग. आँखें. Links to this Post.
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आधुनिक हिंदी साहित्य / Aadhunik Hindi Sahitya : October 2010
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बचे रहेंगे शब्द, बचा रहेगा जीवन. Wednesday, 27 October 2010. बहुत थोड़े शब्द हैं - राकेश रोहित. बहुत थोड़े शब्द हैं. राकेश रोहित. बहुत थोड़े शब्द हैं, कहता रहा कवि केवल. और सोचिए तो इससे निराश नहीं थे बच्चे. खो रहे हैं अर्थ, शब्द सारे. कि प्यार का मतलब बीमार लड़कियां हैं. और घर, दो-चार खिड़कियां. धूप, रोशनी का निशान है. फूल, क्षण का रुमान! और जो शब्दों को लेकर हमारे सामने खड़ा है. जिसकी मूंछों के नीचे मुस्कराहट है. और आँखों में शरारत. कोई नहीं सहेजता शब्द. उंगली भी अपनी. हमीं ने की...धरती क...
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आधुनिक हिंदी साहित्य / Aadhunik Hindi Sahitya : November 2010
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बचे रहेंगे शब्द, बचा रहेगा जीवन. Tuesday, 23 November 2010. हिंदी कहानी की रचनात्मक चिंताएं - राकेश रोहित. कथाचर्चा. हिंदी कहानी की रचनात्मक चिंताएं. राकेश रोहित. पूर्व से आगे). तरसेम गुजराल. की कहानी दरबदर. में युद्ध का समय है. असगर वजाहत. की मुश्किल काम. में आतंक का आतंक है. विनोद मिश्र. की जुमराती मियां. वे कहीं चले गये थे. और यह जो बचा हुआ है. नासिरा शर्मा. की कहानी अतीत से आगे. में इतिहास-बोध, इतिहास का विरोध है. वह भी जन- परंपरा के नाम पर. इधर सृंजय. किसी ने कहा. तो सृंजय. में जमी...में...नार...
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आधुनिक हिंदी साहित्य / Aadhunik Hindi Sahitya : September 2011
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बचे रहेंगे शब्द, बचा रहेगा जीवन. Saturday, 24 September 2011. हिंदी कहानी की रचनात्मक चिंताएं - राकेश रोहित. कथाचर्चा. हिंदी कहानी की रचनात्मक चिंताएं. राकेश रोहित. पूर्व से आगे). उद्भावना. में असगर वजाहत. की चर्चित रचना-कड़ी है और प्रभावी भी. जहां बात बड़ी सहजता से मुद्दों तक पहुँचती है. असगर वजाहत. की एक और कहानी नाला. की ठहर जाओ सोनमुखी. मुझे लगा जंगलों में रहते हुए आदमी. जिंदगी में. जो मिलता है उसी को बोते. चलता है और. धीरे-धीरे दु:खों का एक. की कहानी कड़ी. बताती है कि का...वही) मर रहì...
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आधुनिक हिंदी साहित्य / Aadhunik Hindi Sahitya : July 2012
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बचे रहेंगे शब्द, बचा रहेगा जीवन. Saturday, 14 July 2012. मेरे अंदर एक गुस्सा है. / राकेश रोहित. मेरे अंदर एक गुस्सा है. राकेश रोहित. मेरे अंदर एक गुस्सा है. गुस्से को दबाये बैठा हूँ. मैं जिस गम के दरिया में डूबा हूँ. उस गम को भुलाये बैठा हूँ. लहरों ने साहिल पर तोड़ दिये. घरौंदे कितने बचपन के. इन लहरों से मैं सपने की उम्मीद लगाये बैठा हूँ. दुनिया अनजानी हँसती थी - मंजिल का पता भी भूल गये. वो रात बड़ी अंधियारी थी. जब तुम आये मेरे घर में. एक जंग जैसे है दुनिया. छुपाये. Links to this Post. कविता ...कवि...
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आधुनिक हिंदी साहित्य / Aadhunik Hindi Sahitya : March 2011
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बचे रहेंगे शब्द, बचा रहेगा जीवन. Saturday, 26 March 2011. हिंदी कहानी की रचनात्मक चिंताएं - राकेश रोहित. कथाचर्चा. हिंदी कहानी की रचनात्मक चिंताएं. राकेश रोहित. 16) ( पूर्व से आगे). चन्द्र किशोर जायसवाल. की कहानी. हिंगवा घाट में पानी रे. चन्द्र किशोर जायसवाल. की कहानी. अप्रैल 1991) आयी. आपरेशन जोनाकी. देवी सिंह कौन. जैसी कहानियों के एक अंतराल के बाद इस कहानी ( अभागा. जो यथास्थिति को पोषित करती है. विद्यासागर नौटियाल. की कहानी. फट जा पंचधार. जितेन्द्र. की कहानी. नंद के लाल. वो एक दिन. Links to this Post.
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आधुनिक हिंदी साहित्य / Aadhunik Hindi Sahitya : December 2011
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बचे रहेंगे शब्द, बचा रहेगा जीवन. Tuesday, 6 December 2011. हिंदी कहानी की रचनात्मक चिंताएं - राकेश रोहित. कथाचर्चा. हिंदी कहानी की रचनात्मक चिंताएं. राकेश रोहित. पूर्व से आगे). इंडिया टूडे. सितम्बर 1991) में. माला भोजवानी. चिंदी. नामक इस कहानी में केवल एक वाक्य. मेरा वजूद अपनी सुरभि में खोकर चिंदी-चिंदी हो चुका था. चिंदी. रख देना लेखिका की कलात्मक अभियोजना तो दर्शा सकता है पर इससे वह कहानी उस. सौ फीसदी कला. चिंदी. कहानी को पढकर. कमला चमोला. की कहानी. झूठ का सच्चा अंश. निर्मल वर्मा. महेश दर्पण. की त...
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समकालीन साहित्य और उस पर विमर्श का मंच. Sunday, 10 January 2016. मनुष्य की नियति का समय - राकेश रोहित. संदर्भ: भुवनेश्वर की कहानी. भेड़िये. भेड़िये. पर यह टिप्पणी डा. शुकदेव सिंह की. 1991 में प्रकाशित टिप्पणी "नयी कहानी की पहली कृति. भेड़िये. 8221; से आरंभ बहस के क्रम में. बीच बहस में. 1991 में "मनुष्य की नियति का समय" शीर्षक से प्रकाशित हुई थी और चर्चित रही थी. के नवंबर. से साभार प्रकाशित हुई थी.). भुवनेश्वर. भुवनेश्वर की. 8216; भेड़िये. वह अपने को. डाइल्यूट. श्रेष्ठ. इफ्तखार अपने सतत. नटनिया...
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