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एक हिंदुस्तानी की डायरी: January 2010
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एक हिंदुस्तानी की डायरी. Friday 29 January 2010. ला रहा हूं अर्थकाम, सहयोग जरूरी है. दोस्तों, एक नई वेबसाइट शुरू करने जा रहा हूं। जीवन को सुंदर बनाने की कोशिश का हिस्सा है यह वेबसाइट - अर्थकाम. अनिल रघुराज. Links to this post. Labels: आगाज़. Subscribe to: Posts (Atom). मेरा ब्लॉग. Read in your own script. कोई अनोखे नहीं हैं हम. अनिल रघुराज. View my complete profile. ला रहा हूं अर्थकाम, सहयोग जरूरी है. मन के पटल. अंदर की दुनिया. अनसुलझी गुत्थियां. अर्थनीति. उनका कोना. कल का कर्ज. खरी-खोटी. सच का दम. रव...
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चलते चलते: September 2009
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चलते चलते. चलते चलते कुछ सुनिए और कुछ सुना जाइए।. Tuesday 22 September 2009. Do we really need to talk? Let silence do the talking between us. Let music be the rhythm between us. Let rains wet the emotions between us. Let books be the language between us. Trust me I can read into words. I can feel their colour and smell. I don't see the writer in them but. I can see the feelings in them. Do we really need to talk? प्रस्तुतकर्ता vikas pandey. 0 टिप्पणियाँ. Subscribe to: Posts (Atom).
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एक हिंदुस्तानी की डायरी: October 2011
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एक हिंदुस्तानी की डायरी. Tuesday 4 October 2011. इनफोसिस के मूर्ति दुखी हैं अंग्रेजी को दबाने से. बात एकदम सही है। आज के जमाने में ग्लोबल नागरिक होना जरूरी है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या अपनी जमीन को पकड़ने से कोई ग्लोबल होने से रुक जाता है? क्या कोई अपनी भाषा जानने से अंग्रेजी में कमजोर हो जाता है? अनिल रघुराज. Links to this post. Labels: ताकि सनद रहे. Subscribe to: Posts (Atom). मेरा ब्लॉग. Read in your own script. कोई अनोखे नहीं हैं हम. अनिल रघुराज. View my complete profile. मन के पटल. सच का दम. बच...
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एक हिंदुस्तानी की डायरी: April 2014
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एक हिंदुस्तानी की डायरी. Friday 25 April 2014. मोदी से गांधीवादी चिंतक कनक तिवारी के दस सवाल. 1 मोदी ने महात्मा गांधी की स्मृति में गुजरात में अहिंसा विश्वविद्यालय खोलने का. ऐलान सालों. पहले किया था। उस अहिंसा विश्वविद्यालय का क्या हुआ. अहमदाबाद स्थित महात्मा गांधी के. साबरमती आश्रम के लिए गुजरात सरकार क्या कुछ करती है. उस आश्रम को विश्व प्रसिद्ध. सरदार पटेल की अंत्येष्टि में नेहरू के शामिल होने. चीन की शैक्षणिक विकास दर. मुसलमानों. मुखर्जी ने संविधान सभा क...संविधान के प्र&...दिया गया ...उनका न...
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एक हिंदुस्तानी की डायरी: October 2013
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एक हिंदुस्तानी की डायरी. Friday 11 October 2013. फ्रेम तोड़कर सतह से निकलता चिट्ठा-समय. वर्धा के पास सेवाग्राम में गांधी की कुटिया में खिड़की के फ्रेम से झांकती रौशनी. इस अहम काम का निमित्त बनी है।. दोस्तों. मेरा मानना है कि हम. क्या पता! अनिल रघुराज. Links to this post. Labels: बाहर का संसार. ब्लॉगिंग. Subscribe to: Posts (Atom). मेरा ब्लॉग. Read in your own script. कोई अनोखे नहीं हैं हम. अनिल रघुराज. View my complete profile. मन के पटल. अंदर की दुनिया. अर्थनीति. उनका कोना. कल का कर्ज. सच का दम. बचí...
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चलते चलते: January 2009
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चलते चलते. चलते चलते कुछ सुनिए और कुछ सुना जाइए।. Wednesday 21 January 2009. A trip that wasn't. One Friday night we were all scratching our heads to find a perfect birthday gift for Dielle. By exhausting all possible ideas I had already made my friends’ job a little difficult. Yash was taken aback when I made the above statement. Yash almost screamed, "How about a trek? Vish improvised it by tossing up Gokarana as our destination. Our trip plan was still afloat. To be continued…. इस संदेश क&...अँग...
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इसके आगे क्या? | संवदिया
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इसक आग क य? ज न 3, 2007 at 8:37 अपर ह न ( व वक ष. सव ल य भ ह क क य य सब स वत स फ़ र त ह य क ई और पर द क प छ स कठप तल य नच रह ह . क य क इतन बड़ प म न पर ख चत ह आ स घर ष, य उन म द त वर क छ और ह इ ग त करत ह /. र जन त क म र च पर द ख त श र क द न तक क स न गम भ रत भ प ह नह / फ़ र जब ह श आय क ब ज़ ह थ स न कल रह ह तब प रय स श र ह ए ब त-च त क और समझ त क /. पहल सव ल य ह क य म ख यमन त र न यह व द क य थ क ग र जर क अन स च त जनज त म श म ल कर द य ज एग? स र फ़ ट च च र जन त क ल भ क ल य? स थ त यह तक ब गड़ क स? कह ह व मह न स सद और...
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एक हिंदुस्तानी की डायरी: October 2012
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एक हिंदुस्तानी की डायरी. Wednesday 17 October 2012. झूठे इतिहास की घुट्टी का मिथ कब तक! यह लेख हिमाचल के रहनेवाले राकेश कुमार. निम्न तथ्यों को बहुत ही ध्यान से तथा मनन करते हुए पढ़िए। एक,. भारत छोड़ो. आन्दोलन को ब्रिटिश सरकार कुछ ही हफ्तों में कुचल कर रख देती. में ब्रिटेन विश्वयुद्ध में विजयी. देश के रुप में उभरता है।. ब्रिटेन न केवल इम्फाल-कोहिमा सीमा पर. आजाद हिन्द फौज को पराजित करता है. बाहर करता है।. इतना ही नहीं. वापस अपने कब्जे में लेता है।. पांच,. को आजाद करने. के बीच ऐसा. हिंसा. इसलिए उन...
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पुनर्विचार: क्या शताब्दियाँ स्मृति से भी अधिक विस्मृति का वितान रचती हैं?
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पुनर्विचार. Sunday, December 12, 2010. क्या शताब्दियाँ स्मृति से भी अधिक विस्मृति का वितान रचती हैं? इस शताब्दी -समय में. जरूरी है सांस्कृतिक स्मृति को जीवित रखना. तारीखें इस में मददगार होती हैं. भुवनेश्वर को याद किया उन के जन्म के शहर शाहजहांपुर ने . शाहजहांपुर के बाहर भुवनेश्वर को कितना याद किया गया? हिंदी समाज को भुवनेश्वर की याद क्यों न आयी? क्या उन्हें भुलाया जा सकता है? यह चुनाव कौन करता है? प्रस्तुतकर्ता. आशुतोष कुमार. प्रतिक्रियाएँ:. आशुतोष जी ,. December 12, 2010 at 5:50 PM. ज़ील जी न...दूस...
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पुनर्विचार: देखते है - नाच
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पुनर्विचार. Saturday, April 16, 2011. देखते है - नाच. अज्ञेय की कविता ' नाच ' पर एक बतकही.). एक तनी हुई रस्सी है जिस पर मैं नाचता हूँ।. जिस तनी हुई रस्सी पर मैं नाचता हूँ. वह दो खम्भों के बीच है।. रस्सी पर मैं जो नाचता हूँ. वह एक खम्भे से दूसरे खम्भे तक का नाच है।. दो खम्भों के बीच जिस तनी हुई रस्सी पर मैं नाचता हूँ. उस पर तीखी रोशनी पड़ती है. जिस में लोग मेरा नाच देखते हैं।. न मुझे देखते हैं जो नाचता है. न रस्सी को जिस पर मैं नाचता हूँ. पर मैं जो नाचता. पर तनाव ढीलता नहीं. नाच'-अज्ञेय ). नाच भ...
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