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कुछ अनकही सी...Kuch Ankahi Si...: किश्तियों के वो कागज़
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कुछ अनकही सी.Kuch Ankahi Si. कुछ अनकहा सा बहुत कुछ कह जाता हैं बिना शब्दों के. किश्तियों के वो कागज़. वो जो कान मे पडती थी. बूंदों की टपटप. और आँख खुलती थी. तो लगता था. टीन पे बूंदे नही पड रही. क़ोई नाच रहा है. सावन ने घुँघरू बाँधे है. पावों मे,. दीवारो से जब रिसता था. वो पानी. तो महक उठता था. सारा आलम सोंधी खुशबू से. और वो कच्ची मिट्टी को. छूती थी जो बूंदे. तो खडे हो जाते थे. वो खरपतवार एसे लगते थे. जैस एक घना जंगल,. केचुए जैसे एनाकोन्डा,. मन्डराते कीडेमकोडे. बडे होने पे. आज देखता हू. 02 August, 2007.
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कुछ अनकही सी...Kuch Ankahi Si...: गुमनाम है कोई
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कुछ अनकही सी.Kuch Ankahi Si. कुछ अनकहा सा बहुत कुछ कह जाता हैं बिना शब्दों के. गुमनाम है कोई. कुछ रिश्तों के नाम होते है ,. पर वो हमेशा नाकाम होते है ।. कुछ रिश्ते रोज दिखते है,. पर उनमें देखने वाली कोई बात नही होती ।. कुछ रिश्ते दिखाई नही देते. पर वो हमेशा साथ होते है ।. काश कि सबको एक ऐसा रिश्ता मिले. जिसे नाम ना देना पडे. जो गुमनाम भी ना हो. जो गुमनाम भी ना हो, क्या बात है उस रिशते की. मगर ज़िन्दगी सिलसिला टूटने जुड़्ने का,. 26 May, 2007. बहुत खूब! सुनीता(शानू). 27 May, 2007. 30 May, 2007. Wah yatish ji,.
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क़तरा-क़तरा Qatra-Qatra: द्वापर के हनुमान "उड़न तश्तरी"
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क़तरा-क़तरा Qatra-Qatra. कभी अजनबी सी, कभी जानी पहचानी सी, जिंदगी रोज मिलती है क़तरा-क़तरा. द्वापर के हनुमान "उड़न तश्तरी". कल जब सपने. मे कर रहा था बलोगगीरी. तो पीछे से श्री कृष्ण की आवाज़ आयी धीरी,. मैंने देखा वो खड़े गाना सुन रहे है. एक ब्लॉग की धुन मे कुछ ढूड रहे है. गाना था तुझसे नाराज़ नही ज़िंदगी मैं. ब्लॉग था उडन तश्तरी. मुझसे बोले क्या कष्ट है इन्हे बच्चा. ये भक्त है मेरा सच्चा. हर दुखियारे के ब्लॉग पर जाता है. मैं बोला. लोग इनके पीछे पड़े है. लोग बड़े नादान है. कलयुग मे. उड़न तश्तरी. September 05, 2007.
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क़तरा-क़तरा Qatra-Qatra: नई ID
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क़तरा-क़तरा Qatra-Qatra. कभी अजनबी सी, कभी जानी पहचानी सी, जिंदगी रोज मिलती है क़तरा-क़तरा. आज कई दिनों बाद. एक ऐसे दोस्त का फ़ोन आया. जिसके साथ कई चीजें. संजोई थी,. आज वो बड़े ओहदे पे हैं,. उसने पूछा कैसे हो. कुछ पुरानी ताज़ा हुई. और उसने नए की. कुछ थाह ली मुझसे,. फिर हम कुछ दुनियादारी. बतियाने लगे,. बातों बातों में कहा. कुछ मुझे भी भेजा करो. अपना किया।. मैंने बहुत कुछ भेजा था. पता नहीं कहॉ गया,. अब मै सोच रहा हूँ,. क्या भेजूं ।. भेज पाऊंगा. मै उसे वो सब. नई ID दीं हैं,. Labels: दोस्त. June 25, 2007.
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क़तरा-क़तरा Qatra-Qatra: हां एकलव्य आज भी पैदा होते है
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क़तरा-क़तरा Qatra-Qatra. कभी अजनबी सी, कभी जानी पहचानी सी, जिंदगी रोज मिलती है क़तरा-क़तरा. हां एकलव्य आज भी पैदा होते है. द्रौण ने अर्जुन को बनाया, अर्जुन ने द्रौण को,. गुरू ने शिक्षा दी और मिशाल बनाई,. की गुरू तभी गुरू होता है. जब शिष्य उससे आगे निकल जाये,. कुछ उससे बड़ा कर दिखाये. कहाँ है ऐसे द्रौण. कहाँ है ऐसे अर्जुन. कहाँ है ऎसी कोख. जिनसे ये पैदा हो सके. शिक्षा अब बाज़ार मे. बिकने वाली चीज हो गयी है,. काबिलियत. कागज़ पे लगा एक ठप्पा,. गले मे लटकता एक तमगा. शिष्य अब शिष्य नही. पता नही. ऐसे लोग. सत्...
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क़तरा-क़तरा Qatra-Qatra: दुहाई
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क़तरा-क़तरा Qatra-Qatra. कभी अजनबी सी, कभी जानी पहचानी सी, जिंदगी रोज मिलती है क़तरा-क़तरा. एक दिन गमले मे अन्कुर फूटा. एक दिन माली उससे रुठा. रोज़ मिला उसे सूरज पानी. की शुरु उसने फिर जडे फैलानी. पहले नन्हा पौधा बना. असमन्जसता मे फिर वह तना,. शाख और पत्ते हुये घने. गमले मे पैर अब ना बने. उसका उसपे कोई जोर ना था. प्रक्रिती का नियम भी यही था. उसको जो थी जगह चाहिये. माली ने उसे नही दिलाई. गमले वाले पौधो की उसने. क्यारी मे थी लाइन लगाई. गमले मे फिर फूल खिले. फल आये और शाख झुके. Labels: अंकुर. September 03, 2007.
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क़तरा-क़तरा Qatra-Qatra: शब्द
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क़तरा-क़तरा Qatra-Qatra. कभी अजनबी सी, कभी जानी पहचानी सी, जिंदगी रोज मिलती है क़तरा-क़तरा. ये ज़िंदगी शब्दों. के कितनी अधीन है,. सब कुछ शब्द ही तो करते है. बच्चों की तोतली बोली बन. शब्दों ने ही कहा. ये है मेरा पहला रूप,. प्रेम को सबके सामने. शब्द ही लेके आए,. शब्द शबद बने किसी गुरू के. शब्द ही बने गीता. शब्द ही बनी कुरान. बाइबल मे भी शब्द ही बोलते है,. फिर एक साजिश हुयी. कुछ सफ़ेद पोशो की. और बनी शब्दों की. अलग अलग जात. शब्द रंग बदलने लगे. शब्दों से निकली नफ़रत. बाईबल ने नही,. फिर कौन? ये शब्द. Too good beats...
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India Gaze: हर शाम कुछ कहती है ...
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May 19, 2007. हर शाम कुछ कहती है . Lick on the image for a larger view. हर शाम में दफ्न हो जाता है. एक दिन जो जी लिया।. हर शाम कहती है. कि आगे एक दिन और है।. जरा थम जा. कुछ आराम करले,. एक लंबी रात बाक़ी है।. देख ले एक सपना,. क्या पता. कल कि सुबह. सच हो जाये. Posted by Yatish Jain. वाह क्या बात है, बहुत खूबसूरत ख्याल है! देख ले एक सपना,. क्या पता कल. कि सुबह सच हो जाये. बहरहाल एक खूबसूरत तस्वीर. एक खूबसूरत ख्याल. कलाकार कह्ते हैं इसी को. कि हर अंदाज़ बेमिसाल! रेणू आहूजा. 26 May, 2007. Ye Meri Laif Hai.
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Escaping the Death: Juice Corner
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31 October, 2005. What a Herculean task. This picture says a lot about the incidence. Nice photography. Your photography has a professional outlook. Are you professional photographer? Subscribe to: Post Comments (Atom). Ye Meri Life Hai. Kuch An Kahi Si. View my complete profile. This work is licensed under a Creative Commons Attribution-Noncommercial-No Derivative Works 2.5 India License. Simple template. Powered by Blogger.