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जो न कह सके: January 2014
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जो न कह सके. भारत, इटली, समस्त जगत, संस्कृति, सभ्यता, विकास, इतिहास, भाषा, लेखक, पुस्तकें, कला, नृत्य, यौनता, यात्राएँ, बहस . बुधवार, जनवरी 22, 2014. रेखाचित्रों में स्मृतियाँ (भाग 2). एक दिन में वहाँ बैठ कर खम्बे पर बनी पुरुष मूर्ति की तस्वीर बना रहा था तो तीन इतालवी युवकों से बातचीत हुई. मैं आसपास देखता हूँ. अपनी छोटी सी खिड़की से. एक बिन पेड़ों की दुनिया. घर, और अन्य घर. और कुछ नहीं. प्रिय दूर के मित्र. तुम्हें लिखना चाहता हूँ. क्रमशः - पहला भाग. Posted by sunil deepak. Links to this post. एक अन्य...
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जो न कह सके: November 2012
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जो न कह सके. भारत, इटली, समस्त जगत, संस्कृति, सभ्यता, विकास, इतिहास, भाषा, लेखक, पुस्तकें, कला, नृत्य, यौनता, यात्राएँ, बहस . बुधवार, नवंबर 21, 2012. फ़िर ले आया दिल . यमुना किनारे. बैठे लोगों को पार करके नदी तक पहुँचा तो गन्दे बदबूदार पानी को देख कर मन विचट गया. यह बात बहुत सोच कर भी समझ नहीं पाया. Posted by sunil deepak. बुधवार, नवंबर 21, 2012. Links to this post. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. प्रकृति. गुज़ारिश. दिमाग...मान...
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जो न कह सके: March 2013
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जो न कह सके. भारत, इटली, समस्त जगत, संस्कृति, सभ्यता, विकास, इतिहास, भाषा, लेखक, पुस्तकें, कला, नृत्य, यौनता, यात्राएँ, बहस . सोमवार, मार्च 04, 2013. हिन्दी में समलैंगिकता विषय पर लेखन. प्रोफेसर अलेसाँद्रा कोनसोलारो. की जिसमें मैंने हिन्दी पत्रिका हँस. में तीन हिस्सों में छपी हिन्दी के जाने माने लेखक पँकज बिष्ट. की कहानी " पँखोंवाली नाव. जहाँ तक मुझे मालूम है, बीच में कुछ समय तक हँस. अलेसाँद्रा के कुछ अन्य प्रश्न भी थे. यह जानकारी एकत्रित करने के लिए कì...रुथ वनिता. तो रुथ ने कह...इसी भ...
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जो न कह सके: July 2015
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जो न कह सके. भारत, इटली, समस्त जगत, संस्कृति, सभ्यता, विकास, इतिहास, भाषा, लेखक, पुस्तकें, कला, नृत्य, यौनता, यात्राएँ, बहस . शुक्रवार, जुलाई 17, 2015. चमकीले फीतों का जहर. थैलियों से जान पहचान. थैलियों को कूड़े में देख कर मैंने स्मिता की साथी शाँतीबाई से पूछा था, इस कूड़े का क्या करती हो? आज जब "स्वच्छ भारत" की बात हो रही है, तो इन थैलियों की कथा को समझना भी आवश्यक है. थैंलियाँ कैसे आयीं भारत में? गुवाहाटी का उदाहरण. स्वच्छ भारत. शहरों में जगह जगह पर डिब्बे हí...उसे जला कर वाता...चमकीली थ&...मै&...
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जो न कह सके: September 2014
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जो न कह सके. भारत, इटली, समस्त जगत, संस्कृति, सभ्यता, विकास, इतिहास, भाषा, लेखक, पुस्तकें, कला, नृत्य, यौनता, यात्राएँ, बहस . बुधवार, सितंबर 17, 2014. जीवन बदलने वाली शिक्षा. ब्राज़ील के शिक्षाविद् पाउलो फ्रेइरे. पाउलो फ्रेइरे की क्राँतीकारी शिक्षा. आशाघर की साँस्कृतिक लड़ाई. प्रश्नों का विद्यालय. कृषि विद्यालय का अनुभव. निष्कर्श. Posted by sunil deepak. बुधवार, सितंबर 17, 2014. Links to this post. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. ब्राज़ील. नई पोस्ट. लोकप&#...
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जो न कह सके: July 2013
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जो न कह सके. भारत, इटली, समस्त जगत, संस्कृति, सभ्यता, विकास, इतिहास, भाषा, लेखक, पुस्तकें, कला, नृत्य, यौनता, यात्राएँ, बहस . शुक्रवार, जुलाई 05, 2013. यह कैसी पत्रकारिता? यह बातें मेरे मन में आयीं जब मैंने शाहरुख खान. बच्चे का सेक्स टेस्ट कैसे होता है? यह टेस्ट कैसे किया जाता है? सेक्स जाँच के टेस्ट. शाहरुख खान का बच्चा. दिखावे के पीछे की सड़न. 2011 की जनगणना के अनुसार हर एक हजार पैदा होने वाले लड़कों के म...Posted by sunil deepak. शुक्रवार, जुलाई 05, 2013. Links to this post. नई पोस्ट. मैæ...
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जो न कह सके: April 2015
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जो न कह सके. भारत, इटली, समस्त जगत, संस्कृति, सभ्यता, विकास, इतिहास, भाषा, लेखक, पुस्तकें, कला, नृत्य, यौनता, यात्राएँ, बहस . शुक्रवार, अप्रैल 17, 2015. एक चायवाले का विद्रोह. जिन्हें लोग मणिराम दीवान. क्या आप ने पहले कभी उनका नाम सुना है? उत्तर पूर्व के स्वंत्रता सैनानी. तथा गँधर कोंवर. कुछ दिन बाद नेहरु पार्क. में घूम रहा था तो वहाँ फ़िर से शहीद कुशल कोंवर. की मूर्ति दिखी, तो मछखोवा के स्मारक. की बात याद आ गयी. स्वतंत्रता सैनानी मणिराम दीव...के "बोरबन्दर बरुआ" यानì...बनायी गयी...ने लì...
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जो न कह सके: April 2014
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जो न कह सके. भारत, इटली, समस्त जगत, संस्कृति, सभ्यता, विकास, इतिहास, भाषा, लेखक, पुस्तकें, कला, नृत्य, यौनता, यात्राएँ, बहस . शुक्रवार, अप्रैल 04, 2014. यह जीवन किसका? अपने बच्चों को अपने निर्णय अपने आप करने देने के विषय पर मुझे लेबानीज़ लेखक ख़लील गिब्रान की एक कविता. बहुत अच्छी लगती है (अनुवाद मेरा ही है):. तुम्हारे बच्चे तुम्हारे बच्चे नहीं हैं. वह तो जीवन की अपनी आकाँक्षा के बेटे बेटियाँ हैं. क्योंकि उनकी अपनी सोच होती है. और स्थिर कमान को भी चाहता है. अगर घड़ी को पीछे ले...और अगर समझते नही...
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जो न कह सके: January 2013
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जो न कह सके. भारत, इटली, समस्त जगत, संस्कृति, सभ्यता, विकास, इतिहास, भाषा, लेखक, पुस्तकें, कला, नृत्य, यौनता, यात्राएँ, बहस . शनिवार, जनवरी 19, 2013. दो बहने़ - जापानी गेइशा और भारतीय मुजरेवाली. कुछ ऐसा ही "उक्कियो ए" के समाज. इसी उकियो ए कला परम्परा के दो नमूने प्रस्तुत हैं. भारत में मुजरे वाली या तवायफ़ो. कलाकार होने को क्यों हीन माना गया? आज जो औरतें वैश्या बनायी जाती हैं, क्या उन्हें नृत्...अगर आप उकियो ए के बारे में अधिक जानना चाहत...Posted by sunil deepak. शनिवार, जनवरी 19, 2013. वह सार...
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