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सरल चेतना: May 2015
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सरल चेतना. सामाजिक,सांस्कृतिक व राष्ट्रवादी धरोहरों की सजग प्रहरी ई-पत्रिका. संपादक-हेमन्त रिछारिया. मंगलवार, 12 मई 2015. पर्यटन विभाग की नाकामी. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. अनुक्रमणिका. पर्यटन विभाग की नाकामी. प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र. यह भी देखें. पदक व सम्मान. भारत के वीर. मेरी कविता. तिश्नगी. फेसबुक हमारा अनुसरण करें. पाठक संख्या. द्वारा. Blogger.
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सरल चेतना: December 2013
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सरल चेतना. सामाजिक,सांस्कृतिक व राष्ट्रवादी धरोहरों की सजग प्रहरी ई-पत्रिका. संपादक-हेमन्त रिछारिया. बुधवार, 18 दिसंबर 2013. सिसकी में लिपटी सदा हो रही है. कहीं कोई बेटी विदा हो रही है. चाँद-तारों से भर जाए दामन. बूढ़े पिता की दुआ हो रही है. आँगन है सूना सूनी है देहरी. जैसे किस्मत ख़फ़ा हो रही है. वफ़ाओं का बदला चुकाएंगे कैसे. अश्कों से कीमत अदा हो रही है. हेमन्त रिछारिया. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. शनिवार, 14 दिसंबर 2013. दुख का मौसम. बशीर बद्र. नई पोस्ट. पदक व सम्मान.
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सरल चेतना: November 2014
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सरल चेतना. सामाजिक,सांस्कृतिक व राष्ट्रवादी धरोहरों की सजग प्रहरी ई-पत्रिका. संपादक-हेमन्त रिछारिया. रविवार, 30 नवंबर 2014. मतदान करें-. विनम्र निवेदन-. सम्माननीय़ मतदाताओं,. विश्व में भारत एक विशाल और सम्मानित लोकतंत्र के रूप में प्रतिष्ठित है। यहां समय-समय पर चुनाव. जय हिन्द! 8220;ज्योतिर्विद” हेमन्त रिछारिया. प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). अनुक्रमणिका. मतदान करें-.
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सरल चेतना: July 2013
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सरल चेतना. सामाजिक,सांस्कृतिक व राष्ट्रवादी धरोहरों की सजग प्रहरी ई-पत्रिका. संपादक-हेमन्त रिछारिया. बुधवार, 31 जुलाई 2013. मां सुनाओ मुझे वो कहानी. मां सुनाओ मुझे वो कहानी. जिसमें राजा ना हो ना हो रानी. जो हमारी तुम्हारी कथा हो. जो सभी के ह्रदय की व्यथा हो. गंध जिसमें भरी हो धरा की. बात जिसमें ना हो अप्सरा की. हो ना परियां जहां आसमानी. वो कहानी जो हंसना सिखा दे. पेट की भूख जो भुला दे. जिसमें सच की भरी चांदनी हो. जिसमें उम्मीद की रोशनी हो. शायर-नन्दलाल पाठक. स्वर-सिज़ा राय. 1947-48 J and K Operations.
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सरल चेतना: October 2013
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सरल चेतना. सामाजिक,सांस्कृतिक व राष्ट्रवादी धरोहरों की सजग प्रहरी ई-पत्रिका. संपादक-हेमन्त रिछारिया. रविवार, 20 अक्तूबर 2013. कभी लौट कर नहीं आया. बिछ्ड़ गया तो कभी लौट कर नहीं आया. सफ़र में उसके कहीं अपना घर नहीं आया. वो एहतराम से करते हैं खून भरोसे का. हमें अब तक मगर ये हुनर नहीं आया. मेरे वादे का जुनूं देख,तुझसे बिछड़ा तो. कभी ख़्वावों में भी तेरा जिकर नहीं आया. दुश्मनी हमने भी की है मगर सलीके से. हमारे लहज़े में तुमसा ज़हर नहीं आया. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. नई पोस्ट. 8220;मेरा सब्...चुन...
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सरल चेतना: August 2013
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सरल चेतना. सामाजिक,सांस्कृतिक व राष्ट्रवादी धरोहरों की सजग प्रहरी ई-पत्रिका. संपादक-हेमन्त रिछारिया. गुरुवार, 22 अगस्त 2013. पानी सर ऊपर है. कछु करो अब नाथ,. पानी सर ऊपर है।. छूटे हाथ से हाथ,. पानी सर ऊपर है॥. डूबी गाड़ी डूबी गैल,. डूबा हमरा कबरा बैल।. कछु ना आयो हाथ,. पानी सर ऊपर है॥. बह गए सारे ढ़ोना-टापर,. तितर-बितर भई है बाखर।. भए बच्छा-बच्छी अनाथ,. पानी सर ऊपर है॥. घनन-घनन-घन गरजे बदरा,. उमड़-घुमड़ के बरसे बदरा।. बिजुरिया चमके साथ,. पानी सर ऊपर है॥. हेमन्त रिछारिया. रामचरितमानस). अर्थ-मा...पुस...
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सरल चेतना: September 2013
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सरल चेतना. सामाजिक,सांस्कृतिक व राष्ट्रवादी धरोहरों की सजग प्रहरी ई-पत्रिका. संपादक-हेमन्त रिछारिया. बुधवार, 25 सितंबर 2013. क्योंकि मैं विशिष्ट हूं. मैं नहीं लग सकता राशन की कतारों में,. ना ही पाओगे मुझे तुम टिकिट-खिड़की के आगे. रेल्वे-स्टेशनों या थिएटरों में,. मिलूंगा नहीं मैं तुम्हें किसी बाज़ार में,. क्योंकि मैं विशिष्ट हूं।. मैं सफ़र नहीं करता बसों में जनरल बोगियों में,. घूमता नहीं पैदल बेफ़िक्र किसी नदी के किनारे,. अकेला तुम मुझे कभी ना पाओगे,. हे विधाता! एक आम आदमी की तरह.।. कितनी नि...अपने क...
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सरल चेतना: March 2015
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सरल चेतना. सामाजिक,सांस्कृतिक व राष्ट्रवादी धरोहरों की सजग प्रहरी ई-पत्रिका. संपादक-हेमन्त रिछारिया. गुरुवार, 26 मार्च 2015. त्रि-आयामी है “ज्योतिष”. ज्योतिर्विद हेमन्त रिछारिया. ज्योतिर्विद हेमन्त रिछारिया. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. मंगलवार, 24 मार्च 2015. रत्न धारण में सावधानी रखें. ज्योतिर्विद हेमन्त रिछारिया. 8220;प्रारब्ध ज्योतिष केन्द्र”. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. बुधवार, 18 मार्च 2015. बुद्धत्व. प्रस्तुतकर्ता. नई पोस्ट. ऑसम इंक....द्...
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सरल चेतना: October 2014
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सरल चेतना. सामाजिक,सांस्कृतिक व राष्ट्रवादी धरोहरों की सजग प्रहरी ई-पत्रिका. संपादक-हेमन्त रिछारिया. शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2014. प्राण-प्रतिष्ठा का गूढ़ अर्थ. पंडितजन कहते हैं कि हम भगवान की प्राण प्रतिष्ठा कर रहे हैं। भगवान की प्राण प्रतिष्ठा! हेमन्त रिछारिया. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. मंगलवार, 7 अक्तूबर 2014. अर्ज़ किया है. 8220;सुनकर जमाने कि बाते, तु अपनी अदा मत बदल. 8220;बहुत दूर तक जाना पड़ता है,. 8220;झूठ अगर यह है कि तुम मेरे हो,. तोड़नेवाले तí...8220;एक तुम...