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इसी बहाने: April 2013
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इसी बहाने. बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे बोल ज़ुबां अब तक तेरी है - फ़ैज़. Saturday, April 27, 2013. Bearing a Startup Child Without the Other Parent! Have you lately conceived an idea? Do you really wish to bring it to life? That's the reason many startups breath their last in the crucial stage of conception to execution. Will feature in the first 5 results. I mean look at that, now there are dedicated services coming up to find you a co-founder! Now, what should people like me who fail to find one, do?
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इसी बहाने: April 2012
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इसी बहाने. बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे बोल ज़ुबां अब तक तेरी है - फ़ैज़. Monday, April 9, 2012. है जवाब किसी के पास? और जवाब, वो तो न भाई के पास है और न ही दर्शकों के।. बस यहीं से जन्म हुआ बग़ावत का।. तब आपको पान सिंह का ये संवाद याद आता है- -. और जैसा मैंने पहले कहा-. जवाब, वो तो न भाई के पास है और न ही आपके।. और फिर से.जैसा मैने पहले कहा. Subscribe to: Posts (Atom). अच्छा लगा? सब्सक्राइब कर लो न! Subscribe in a reader. इसी बहाने' ई-मेल पर. Subscribe to इसी बहाने by Email. बहानेबाज़. 169; Prabuddha Jain.
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इसी बहाने: December 2010
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इसी बहाने. बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे बोल ज़ुबां अब तक तेरी है - फ़ैज़. Saturday, December 25, 2010. मेरी प्रेम कहानी का डिज़ायनर कमीना निकला! मेरे क्यूबिकल से बस एक झलक मिलती थी. वो उन दिनों कमाल लगती थी. कनखियों से देखता था कभी. और गुज़रता था बेहद करीब से कभी. मैं शुक्रगुज़ार हूं दफ्तर के डिज़ायनर का. कॉरीडोर संकरे बनाए हैं काफी. मैं देर तक खड़ा होता था वॉटर कूलर के पास. कि वहीं से मिलती थी उसकी पूरी झलक. ज़ुल्फ़ की वो एक लट मैं कितनी बार. कान के पीछे रख कर आया. फिर एक दिन. हलकट कॉलिंग. वो एक लम...
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इसी बहाने: January 2011
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इसी बहाने. बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे बोल ज़ुबां अब तक तेरी है - फ़ैज़. Saturday, January 29, 2011. आप वरिष्ठ पत्रकार कहीं हम 'मूर्खों' की क़ब्र तो नहीं खोद रहे. आइए, हम अहमक़ों के बारे में ग़लतफ़हमियां यक़ीन में बदलें, उससे पहले उन्हें दूर कर लें।. Tuesday, January 18, 2011. मेरे ख़ुदा, मुझे माफ़ करना, उन सारे मौक़ों के लिए जब मैंने तुझे कोसा हो! और हां, तूने जैसा बनाया, उसके लिए बहुत शुक्रिया! Saturday, January 8, 2011. Subscribe to: Posts (Atom). अच्छा लगा? सब्सक्राइब कर लो न! Subscribe in a reader.
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इसी बहाने: September 2010
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इसी बहाने. बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे बोल ज़ुबां अब तक तेरी है - फ़ैज़. Tuesday, September 14, 2010. भोपाल लेक पर.उस रोज़. भोपाल लेक में डूबता सूरज. प्यारा लग रहा था उस रोज़. डूबते हुए लाल गोले के. कुछ छींटे तुम्हारे चेहरे पर आ पड़े थे उस रोज़. उस रोज़ तुमने लेक के पानी में. शायद तीन बार उंगलियों से मेरा नाम लिखा था. बोटिंग नहीं की थी हमने उस रोज़. मैने हाथ पकड़ा था तुम्हारा. तुमने घबरा कर हाथ छुड़ाया था उस रोज़. वेटर चौंक पड़ा था उस रोज़. जब तुमने बिल पे किया था. गिर पड़ा था. उस रोज़. Subscribe in a reader.
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इसी बहाने: November 2011
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इसी बहाने. बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे बोल ज़ुबां अब तक तेरी है - फ़ैज़. Sunday, November 27, 2011. चलो आज जिया जाए. दूर तक खुले मैदान में. फेफड़ों में ताज़ा हवा लेके. हांफ कर गिरने तक. दौड़ का लुत्फ़ लिया जाए. चलो आज जिया जाए. कई घंटे की प्यास के बाद. मिनरल वॉटर की सारी बोतलें भूलकर. किसी खेत में ट्यूबवेल से. ओक भर पानी पिया जाए. चलो आज जिया जाए. अपार्टमेंट के 26वें फ्लोर की बालकनी से. काग़ज़ के दो टुकड़े गिराकर. कौन सा पहुंचेगा पहले. इस शर्त का मज़ा लिया जाए. चलो आज जिया जाए. Subscribe to: Posts (Atom).
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इसी बहाने: May 2010
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इसी बहाने. बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे बोल ज़ुबां अब तक तेरी है - फ़ैज़. Sunday, May 9, 2010. मदर्स डे पर टीवी आपको ये नहीं बताएगा! और करोड़ों ऐसी जिन्हें पति और बच्चे समान रूप से दुत्कारते हैं।. Subscribe to: Posts (Atom). अच्छा लगा? सब्सक्राइब कर लो न! Subscribe in a reader. इसी बहाने' ई-मेल पर. Subscribe to इसी बहाने by Email. Quick n easy way to get news updates. मेरी तस्वीरों का घर. बहानेबाज़. 169; Prabuddha Jain. पहले का तो पढ़ लो! चिप्पियां. फ़िल्म. बाज़ार. मीडिया. राजनीति. व्यंग्य.
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इसी बहाने: Bearing a Startup Child Without the Other Parent!
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इसी बहाने. बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे बोल ज़ुबां अब तक तेरी है - फ़ैज़. Saturday, April 27, 2013. Bearing a Startup Child Without the Other Parent! Have you lately conceived an idea? Do you really wish to bring it to life? That's the reason many startups breath their last in the crucial stage of conception to execution. Will feature in the first 5 results. I mean look at that, now there are dedicated services coming up to find you a co-founder! Now, what should people like me who fail to find one, do?
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इसी बहाने: July 2010
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इसी बहाने. बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे बोल ज़ुबां अब तक तेरी है - फ़ैज़. Saturday, July 3, 2010. इन आंखों से कैसे बचेंगे आप? उन आंखों ने मुझे परेशान कर रखा है. आंखें. ज़्यादा. दोस्तों. ख़ुशी. आंखें. पिज़्ज़ा. मैकडोनल्ड्स. ज़ुबान. ज़ायक़ा. फ़्रिज. निकालता. फ़्रिज. दरवाज़ा. आंखें. डिस्को. बिरंगी. रोशनियों. आंखें. रातों. ख़ूबसूरत. दौड़ता. आंखें. मैंने. आंखों. Subscribe to: Posts (Atom). अच्छा लगा? सब्सक्राइब कर लो न! Subscribe in a reader. इसी बहाने' ई-मेल पर. Subscribe to इसी बहाने by Email.
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इसी बहाने: January 2010
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इसी बहाने. बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे बोल ज़ुबां अब तक तेरी है - फ़ैज़. Thursday, January 21, 2010. किताबें बहुत सी पढ़ी होंगी तुमने. गुलज़ार ने यही सोच कर लिखा है ये:. ज़ुबान पर ज़ायक़ा आता था जो सफ़हे* पलटने का. अब उँगली ‘क्लिक’ करने से बस इक. झपकी गुज़रती है. बहुत कुछ तह-ब-तह खुलता चला जाता है परदे पर. किताबों से जो ज़ाती राब्ता* था, कट गया है. कभी सीने पर रखकर लेट जाते थे. कभी गोदी में लेते थे. कभी घुटनों को अपने रिहल* की सूरत बनाकर. और महके हुए रुक़्के़*. उनका क्या होगा. संबंध, रिहल. ऐसा नहì...