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manogat-abhivyakti: March 2010
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शुक्रवार, 5 मार्च 2010. नज़र घुमा कर हमने देखा, नज़रों वाले नज़र न आए. हालातों से नज़र चुराते, देख नज़ारा हम घबराए. आडंबर करते आकर्षित, किन्तु नहीं हमने अपनाए. सीधे सादे जीवन को ना, कोई बुरी नज़र लग जाए. नज़रों के इस नज़राने पर, गर्व करें, क्यों हम इतराऐं. जिसने उनको नज़र किया है, नज़र झुका,अहसान जताऐं. नज़र-बंद हो गई सभी की, सत्य नहीं स्वीकार कर रहे. बिन सामान खुली दुकानें, सपनों का व्यापार कर रहे. अंतरमन के वातायन से, उपरवाला झांक रहा है. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. लेबल: ज़माना. शब्दचित्र.
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manogat-abhivyakti: 30. अक्स
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बुधवार, 2 जून 2010. अक्स धुंधला सा दिखा,. पहचानने की भूल थी. दोष नज़रों का नहीं था,. आइने पर धूल थी. अक्स था कुछ अजनबी सा,. क्या वजह क्या बात थी. आज इन आंखों में फिर,. बरसों पुरानी याद थी. ढूंढती है अक्स अपना,. क्या हुआ है आंख को. आइना क्यों कर के समझा,. नासमझ इस कांच को. अक्स ने अक्सर किया वो,. काम जो करना न था. क्या वजह थी, खोल डाला,. घाव जो भरना न था. आइने से शर्त है कि,. वो दिखे चाहे जहां. सच अगर कहना ही है,. तो अक्स न आए वहां. अक्स हिलते ताल में. कौन यह बतलाएगा. है हकीकत सामने,. नई पोस्ट.
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manogat-abhivyakti: February 2012
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रविवार, 26 फ़रवरी 2012. 32 ‘मर्यादा पुरुषोत्तम राम’ - (2). सोने की चिड़िया था भारत, सुन्दर सपने बीत गए. कर्ज-भार से ग्रसित व्यवस्था, सँसाधन सब रीत गए. भ्रष्टाचार चतुर्दिक फैला, कौन सँभाले बिगड़े काम. क्या कल युग में पैदा होंगे, मर्यादा पुरुषोत्तम राम. सत्ता-सुख पाने की खातिर, खुल के भ्रष्टाचार चला. वोटों को आकर्षित करने, वादों का व्यापार चला. प्रजातंत्र का पावन मंदिर, घोटालों से है बदनाम. विज्ञापन. कर रहे खिलाड़ी, सब कुछ बेचें ले कर नाम. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. लेबल: ज़माना. वक्त ने ...वक्...
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manogat-abhivyakti: February 2010
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शनिवार, 27 फ़रवरी 2010. 24 ‘दान’. पात्र देख कर दीजिए; द्रव्य-दक्षिणा-दान।. मन में पावन भाव हों पास न हो अभिमान॥. पात्र पुत्र सा खोज कर; करें समर्पित द्रव्य।. गुण-क्षमता से हो भरा सपने जिसके भव्य॥. जो खेतों को सींच दे बढा़ सके व्यवसाय।. द्रव्य सौंप उस पुत्र को हृदय सदा हरसाय॥. दिया दान तो क्या किया किया नहीं अहसान।. मानवता के हवन में समिधा इसको जान॥. द्रव्यदान भी जब यहां चुका सके ना मोल।. धर पलडे़ पर दक्षिणा लिया ग्यान को तौल॥. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. लेबल: दृष्टिकोण. जिंदगी क&...जा रह...
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manogat-abhivyakti: 29. मौन
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सोमवार, 24 मई 2010. किसने, कब, क्यों, कहां,. कितने, कैसे और कौन? उत्तर मौन. मेरे प्रश्न का उत्तर. सदा से रहा है मौन. अब यदि भविष्य में. कभी कोई बोल फूटा. और यह मौन टूटा. मेरे लिए निरर्थक होगा,. क्योंकि मेरे प्रश्नों के सार्थक उत्तर. केवल मौन ने दिए हैं. प्रस्तुतकर्ता. लेबल: दृष्टिकोण. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. ब्लॉग आर्काइव. 28 मुस्कान. 27 चश्मा. चक्रधर की चकल्लस.
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manogat-abhivyakti: 28. मुस्कान
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बुधवार, 19 मई 2010. 28 मुस्कान. मृदु हास्य की रेखा. जो मुंह से कान तक खिंच जाती है. मुस्कान कहाती है. प्रस्तुतकर्ता. लेबल: दृष्टिकोण. 1 टिप्पणी:. शोभना चौरे. 20 मई 2010 को 10:50 am. Muskan ki pribhasha bahut sundar lgi . उत्तर दें. टिप्पणी जोड़ें. अधिक लोड करें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. ब्लॉग आर्काइव. 28 मुस्कान. 27 चश्मा. मेरी ब्लॉग सूची. चक्रधर की चकल्लस.
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manogat-abhivyakti: 32. ‘मर्यादा पुरुषोत्तम राम’ - (2)
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रविवार, 26 फ़रवरी 2012. 32 ‘मर्यादा पुरुषोत्तम राम’ - (2). सोने की चिड़िया था भारत, सुन्दर सपने बीत गए. कर्ज-भार से ग्रसित व्यवस्था, सँसाधन सब रीत गए. भ्रष्टाचार चतुर्दिक फैला, कौन सँभाले बिगड़े काम. क्या कल युग में पैदा होंगे, मर्यादा पुरुषोत्तम राम. सत्ता-सुख पाने की खातिर, खुल के भ्रष्टाचार चला. वोटों को आकर्षित करने, वादों का व्यापार चला. प्रजातंत्र का पावन मंदिर, घोटालों से है बदनाम. विज्ञापन. कर रहे खिलाड़ी, सब कुछ बेचें ले कर नाम. प्रस्तुतकर्ता. लेबल: ज़माना. दृष्टिकोण. शब्दचित्र. मेरा ...32 ‘...
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manogat-abhivyakti: July 2012
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गुरुवार, 19 जुलाई 2012. 34 हाईकु. नीति का राज. बीती बात ; आज तो. नीति या राज. खेल वक्त का. भाई हो या दुश्मन. रिश्ता रक्त का. हाईकु विधा. भाव अभिव्यक्ति की. जापानी अदा. देश बचाओ. भ्रष्टाचारी असुर. मार गिराओ. दे दिया मत. अगले पांच साल. बोलना मत. स्कूटर कार. ईंधन के दाम से. सब बेकार. बाती का कर्म. जले तब पूरा हो. दीये का धर्म. है अमावस्या. अंधेरी रात आज. बनी समस्या. संवारे जीवन के. व्याकरण को. लुप्त होता धार्मिक. चाय की प्याली. दिन में दस बार. होती है खाली. कलम लिखे. भरम मिटे. पा पढ़कर. ले लड़कर. सीम&...
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manogat-abhivyakti: 36. वस्तुस्थिति
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सोमवार, 13 अगस्त 2012. 36 वस्तुस्थिति. जो आप चाहें सो आप करें , यह स्वतंत्रता है. जो आप करें सो आप चाहें , यह प्रसन्नता है. इसीलिए नेता प्रसन्न हैं और जनता स्वतंत्र है. कुल मिला कर हम सभी इस देश में स्वच्छन्द हैं. प्रस्तुतकर्ता. लेबल: दृष्टिकोण. शब्दचित्र. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. ब्लॉग आर्काइव. 36 वस्तुस्थिति. 35 जीवन की चरभर. मेरी ब्लॉग सूची. चक्रधर की चकल्लस.
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manogat-abhivyakti: May 2010
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सोमवार, 24 मई 2010. किसने, कब, क्यों, कहां,. कितने, कैसे और कौन? उत्तर मौन. मेरे प्रश्न का उत्तर. सदा से रहा है मौन. अब यदि भविष्य में. कभी कोई बोल फूटा. और यह मौन टूटा. मेरे लिए निरर्थक होगा,. क्योंकि मेरे प्रश्नों के सार्थक उत्तर. केवल मौन ने दिए हैं. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. लेबल: दृष्टिकोण. बुधवार, 19 मई 2010. 28 मुस्कान. मृदु हास्य की रेखा. जो मुंह से कान तक खिंच जाती है. मुस्कान कहाती है. प्रस्तुतकर्ता. 1 टिप्पणी:. लेबल: दृष्टिकोण. मंगलवार, 11 मई 2010. 27 चश्मा. 1 टिप्पणी:. I am post gradu...