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कागदांश: May 2010
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कागदांश. गुरुवार, 27 मई 2010. अंकिता पुरोहित कागदांश की हिन्दी कविता. अंकिता पुरोहित "कागदांश" की हिन्दी कविता. मैं ही थकती हूं. तोड़ते है पत्थर. हर रोज भरपूर मेहनत से. बहाते है पसीना. होम कर निज बदन. माना निकाल ही लेंगे. चमचमाता हीरा ।. अभी लगन है. श्रम के प्रति. कर रहे अपना काम. विश्वास से,. ईमान से,. रोकते नहीं उल्टे. आंधी और तुफान. जैसे कि पा ही लेंगे. अपना मुकाम।. मैं देखती हूं. सुनती हूं. वे नहीं थकते. मैं ही थकती हूं. देखते-देखते।. उनकी आंखों में. सपना हैं।. शुक्रवार, 7 मई 2010. खेलती जब. अंक...
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कागदांश: April 2011
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कागदांश. शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011. चिड़कळी. ऎक डाळी सूं. दूजी डाळी. भच्च कूदै चिड़कली. पकडै अर मारै फिड़कली।. आभै उडै. काच्ची डाळी. डरै नीं. डाळी रै टूटण सूं. उण नै रै’वै. पूरो विसवास. आपरी आंख माथै. अर पांख माथै।. उडणो सिखावै मा. आंख-पांख. देण विधना री. हूंस पाळै. खुद चिड़कली. उड़ै खुद, मारै फिड़कली. हूंस पाण उडै चिड़कली! प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. लेबल: राजस्थानी कविता. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). मेरे पापा की किताब. Hanumangarh junction, rajasthan, India. रा...
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प्रगतिशील वसुधा: श्रद्धांजलि स्मरण: विश्वंभरनाथ उपाध्याय
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प्रगतिशील वसुधा. प्रगतिशील लेखक संघ की पत्रिका का यह ब्लॉग है। This blog summarise the quarteryl journal "Pragatisheel Vasudha" published by Progressive Writers Association of India. अगणित विस्तार. स्वागत है. This blog belongs to Progressive Writers Association of India's quarterly journal "Pragatisheel Vashudha". It is being published in hindi. Here are producing some extracts of the journal, to buy a copy please contact the Editorial team. मैं कौन हूं. पुरा संपदा. अनूप शुक्ल. Read in your own script.
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अर्थात: अर्जुन सेनगुप्ता - एक मानवतावादी विचारक का अवसान
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विकास के दावों के बीच हक़ीक़त की तलाश. सोमवार, 25 अक्तूबर 2010. अर्जुन सेनगुप्ता - एक मानवतावादी विचारक का अवसान. अर्जुन सेन गुप्ता. एक मानवतावादी विचारक का अवसान. असंगठित क्षेत्र के कामगारों पर बने राष्ट्रीय आयोग. करोड़ लोग आज भी. असंगठित क्षेत्र सामाजिक सुरक्षा कानून. विकास के अधिकार. प्रस्तुतकर्ता. लेबल: अर्जुन स्नगुप्ता. अर्थशास्त्री. श्रद्धांजलि. 3 टिप्पणियां:. ने कहा…. आपको नववर्ष 2011 मंगलमय हो ।. जबाब नहीं निसंदेह ।. धन्यवाद ।. 31 दिसंबर 2010 को 5:44 pm. ने कहा…. मुख्यपृष्ठ. 4 दिन पहले. नोटब...
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मनुहार: May 2011
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ताजा-तरीन:. विजेट आपके ब्लॉग पर. शनिवार, 28 मई 2011. म्हारै पांती री चिंतावां : आरसी हरफ़ रै आंगणै. रचनात्मक प्रतिबद्धता की अनुगूँज. 8216;गुवाङ तो गुवाङ/म्हैं तो घूम लैवूं/आखै जग में/कविता रै ओळै-दोळै/ एकलो बैठ्यो ई! 8216; कैङी मुलाकात है आ / ओ म्हारी जोगण! सांची बता! थारै मिलणै रो मतलब / कठैई म्हारो गमणो तो कोनी? 8217; (पृ.18). 8217;(पृ.29). 8217;(पृ.10). खुदोख़ुद सूं भाजतो जीव / अंतस री आरसी में सोधै/ अणस...8217; (पृ.9). मन के विश्वास ने चेहरे के प...8217; (पृ.20). 8216;बा लपर-लपर कर’...
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मनुहार: November 2011
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ताजा-तरीन:. विजेट आपके ब्लॉग पर. मंगलवार, 15 नवंबर 2011. 8216;मानुष सत्य’ का हिमायत करती कहानियां. 8216;मानुष सत्य’ का हिमायत करती कहानियां. मी कथाकार महीप सिंह. की साम्प्रदायिक तनाव पर केन्द्रित कहानियों का संग्रह ‘आठ कहानियां’. किताब की पहली कहानी ‘पानी और पुल’. कहानी पाठक के सामने सवाल छोड़ जाती है, ‘शहर’. 8216;एक मरता हुआ दिन. ऐसी क्यों है? 8216;पहले जैसे दिन’. कहानी पाठक को मंथन के लिए एक बड़ा सवाल सौंपती है. मदन गोपाल लढ़ा. १४४, लढ़ा-निवास,. महाजन, बीकानेर-३३४६०४. 1 टिप्पणी:. नई पोस्ट. समीक&#...
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मनुहार: December 2009
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ताजा-तरीन:. विजेट आपके ब्लॉग पर. शनिवार, 19 दिसंबर 2009. शहीद गाँव: कुछ स्मृति चित्र. मरे नहीं हैं. शहीद हुए हैं. मरूधरा के चौंतीस गाँव. देश की खातिर।. सेना करेगी अभ्यास. उन गाँवों की जमीन पर. तोप चलाने का. महफूज रखेगी. देश की सरहद।. क्या देश के लोग. उन गाँवों की शहादत को. रखेंगे याद? गाड़ों में लद गया सामान. ट्रालियों में भर लिया पशुधन. घरों के दरवाजे-खिड़कियाँ तक. उखाड़ कर डाल लिए ट्रक में. गाँव छोड़ते वक्त लोगों ने,. मगर अपना कलेजा. यहीं छोड़ गए।. किसी भी कीमत पर. एक पल के लिए भी. मगर केवल तन से. गा&...
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कागदांश: August 2010
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कागदांश. गुरुवार, 26 अगस्त 2010. भगवती पुरोहित का राजस्थानी गीत. प्रस्तुतकर्ता. 1 टिप्पणी:. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). ओम पुरोहित ’कागद’ री राजस्थानी कविता. मेरे पापा की किताब. मेरे द्वारा अनूदित कविता संग्रह. मेरे बारे में. Hanumangarh junction, rajasthan, India. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. ब्लॉग आर्काइव. भगवती पुरोहित का राजस्थानी गीत. इस गैज़ेट में एक त्रुटि थी. राजस्थानी कविता. हिन्दी कविता. म्हारी ब्लोग सुची. कांकड़. धूप के नोट! 2 सप्ताह पहले. 2 माह पहले. मन री...
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कागदांश: March 2013
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कागदांश. गुरुवार, 21 मार्च 2013. घर री राड़. घर री राड़. मा सिखाई सेवा. मायतां री. मा रा मायत. मा रा सासू-सुसरा. म्हारा दादो-दादी. मा घणीं ई करती चाकरी. नीं होई गळती सूं. पछै तो होयां ई सरती ।. मा री. गळती माथै. होंवतो घर में गोधम. सांकडै़ आंवता पिता जी. बोलतां ही हो जांवता मून. ल्यो ले ल्यो. इण रो तो वकील भी है. आप रै बाप माथै गयो है. दादी हांसती. मा भी हांस जांवती. बस इयां मिट जांवती. घर री राड़ ।. म्हनै लागतो. बडेरा कदै ई. राड़ नीं करै. बाड़ करै घर रै ।. प्रस्तुतकर्ता. मा बतायो-. जठै कद हो. सदस्...
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जनपक्ष: फ़लस्तीन-इजराइल संघर्ष – इतिहास की क़ैद में फंसा भविष्य
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जनपक्षधर चेतना का सामूहिक मंच. अभी हाल में. विजेट आपके ब्लॉग पर. मंगलवार, 9 सितंबर 2014. फ़लस्तीन-इजराइल संघर्ष – इतिहास की क़ैद में फंसा भविष्य. मेरा यह लेख आग़ाज़ के ताज़ा अंक में प्रकाशित है. दखल विचार मंच की मासिक पत्रिका. प्रथम विश्व युद्धोत्तर काल. पहला अरब-इजराइल युद्ध. डेरा यासीन हत्याकांड की स्मृति में इजिप्ट द्वारा ज़ारी डाक टिकट. दूसरा अरब-इजराइल युद्ध. पी एल ओ का उदय. पहला इंतिफादा. समझौतों की ओर : ओस्लो और आगे. रेबिन, क्लिंटन और अराफात. फिर तनाव. प्रस्तुतकर्ता. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. मेर&#...