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गूंगां री गत: दूहा अर उलटा दूहा
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Saturday, August 6, 2011. दूहा अर उलटा दूहा. सावण आयो सायबा, दूर देश मत जाय! तन भीज्यो बरसात में, मन में लागी लाय! सावण घणो सुहावणो, हरियो भरियो रूप! निरखूं म्हारो सायबो, सावण घणो कुरूप! साजन उभा सामने, निरखे धण रो रूप! बादलियाँ रे बीच में, मधुरी मधुरी धूप! जोगेश्वर गर्ग. उलटा दूहा. साजन घरां पधारिया, छोड़ परायो देश! सावण बरसा बादली, अतरी अरज विशेष! हिवडे हरख विशेष व्हे, जद साजन घर आय! मन री मौजां मर रही, सावण सूखो जाय! सावण तू भी समझ जा, बरसा मेह विशेष! जोगेश्वर गर्ग. September 6, 2011 at 12:29 AM.
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गूंगां री गत: August 2011
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Monday, August 29, 2011. आ राजस्थानी भासा है ।. आज आपरी नज़र करूं. आदरजोग शक्ति दान जी कविया. री ऐतिहासिक कविता. इणरौ इतिहास अनूठो है. इण मांय मुलक री आसा है ।. चहूंकूंटां चावी नै ठावी. आ राजस्थानी भासा है ।. जद ही भारत में सताजोग. आफ़त री आंधी आई ही ।. बगतर री कड़ियां बड़की ही. जद सिन्धू राग सुणाई ही ।. गड़गड़िया तोपां रा गोळा. भालां री अणियां भळकी ही ।. जोधारां धारां जुड़तां ही. खाळां रातम्बर खळकी ही ।. रड़वड़ता माथा रणखेतां. अड़वड़ता घोड़ा ऊलळता ।. उण बखत हुवै ललकार उठै. इणमें ही ग&#...इणमेæ...
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Rajasthani Vaata: ओ काई !!!!
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Saturday, August 6, 2011. राजस्थान री प्राथमिक शिक्षा री स्थीति चरचा ही. म्हारो मत हो के आ राजस्थानी माय नी होण सु घनकारा टाबर. रो विकास कोण होवे इरो कारण ओ ह के टाबर रे घरा माय राजस्थानी वापरीजे. म्हारी जाण हु इरो इलाज राजस्थानी माय शिक्षा हो. पण एक "राजस्थानी" रो सुझाव सुण'र म्हारो माथो घुम्यो :-. हरेक राजस्थानी को घर मे हिंदी बोलनी चाहिये और बच्चो के साथ भी. मणे Britain री महाराणी री एक बात याद आई. Cake जीमो! Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार. September 6, 2011 at 12:12 AM. आदरजोग ….
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गूंगां री गत: June 2010
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Tuesday, June 1, 2010. औ विचार ले'र राजर्षि पुरषोत्तम दास टंडन जैपुर पधार्या अर राजस्थान रा उण वगत रा मुखिया राजनेतावां नै अरज करी कै राजस्थान नै हिंदी भाषी राज्य घोषित करो. उण वगत राजस्थान में हजार लारै एक आदमी हिंदी बोलणीयो नीं देखीजतो. घणी फूटरी जुबान वेताँ थकां गूंगो है म्हारो राजस्थान! इण गूंगां री गत. रा चितराम उकेरती राजस्थानी कवितावां रो एक सार्वजनिक मंच बणेला औ ब्लॉग. पैली पांत आज. स्वर्गीय कन्हैया लालजी सेठिया. Subscribe to: Posts (Atom). गूंगां री गत. गूंगां री गत.
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गूंगां री गत: आ राजस्थानी भासा है ।
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Monday, August 29, 2011. आ राजस्थानी भासा है ।. आज आपरी नज़र करूं. आदरजोग शक्ति दान जी कविया. री ऐतिहासिक कविता. इणरौ इतिहास अनूठो है. इण मांय मुलक री आसा है ।. चहूंकूंटां चावी नै ठावी. आ राजस्थानी भासा है ।. जद ही भारत में सताजोग. आफ़त री आंधी आई ही ।. बगतर री कड़ियां बड़की ही. जद सिन्धू राग सुणाई ही ।. गड़गड़िया तोपां रा गोळा. भालां री अणियां भळकी ही ।. जोधारां धारां जुड़तां ही. खाळां रातम्बर खळकी ही ।. रड़वड़ता माथा रणखेतां. अड़वड़ता घोड़ा ऊलळता ।. उण बखत हुवै ललकार उठै. इणमें ही ग&#...इणमेæ...
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गूंगां री गत: July 2011
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Friday, July 29, 2011. म्हारी पीड़ री वां’नैं खबर लागै. उडीकूं रोज. म्हारी पीड़ री वां. नैं खबर लागै. मगर मनमीत पर म्हारै दुशमणां रौ असर लागै. भंवर सूं पार उतरूं म्है जे था. रौ हाथ हाथां में. बिछोड़ा जद हुया था. किनारो भी भंवर लागै. कसमसावै घणा वे लोग सिंघासण पलंगां पर. बबूली छांव में म्हांनैं छतर लागै चंवर लागै. या भण्डार जद घर में. संतरी सांतरा राखै. लुट गया माल मत्ता तो न भय लागै न डर लागै. मगज ठंडो नज़र नीची सबद मीठा घणा मुश्किल. चढै मद राज रौ बां. अजूबो औ शहर लागै. जोगेश्वर.
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गूंगां री गत
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Tuesday, June 1, 2010. औ विचार ले'र राजर्षि पुरषोत्तम दास टंडन जैपुर पधार्या अर राजस्थान रा उण वगत रा मुखिया राजनेतावां नै अरज करी कै राजस्थान नै हिंदी भाषी राज्य घोषित करो. उण वगत राजस्थान में हजार लारै एक आदमी हिंदी बोलणीयो नीं देखीजतो. घणी फूटरी जुबान वेताँ थकां गूंगो है म्हारो राजस्थान! इण गूंगां री गत. रा चितराम उकेरती राजस्थानी कवितावां रो एक सार्वजनिक मंच बणेला औ ब्लॉग. पैली पांत आज. स्वर्गीय कन्हैया लालजी सेठिया. मोकळी बधाई! राजेन्द्र स्वर्णकार. June 6, 2010 at 12:04 AM. DEKHO AA GAT KAD SUDHRE!
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गूंगां री गत: म्हारी पीड़ री वां’नैं खबर लागै
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Friday, July 29, 2011. म्हारी पीड़ री वां’नैं खबर लागै. उडीकूं रोज. म्हारी पीड़ री वां. नैं खबर लागै. मगर मनमीत पर म्हारै दुशमणां रौ असर लागै. भंवर सूं पार उतरूं म्है जे था. रौ हाथ हाथां में. बिछोड़ा जद हुया था. किनारो भी भंवर लागै. कसमसावै घणा वे लोग सिंघासण पलंगां पर. बबूली छांव में म्हांनैं छतर लागै चंवर लागै. या भण्डार जद घर में. संतरी सांतरा राखै. लुट गया माल मत्ता तो न भय लागै न डर लागै. मगज ठंडो नज़र नीची सबद मीठा घणा मुश्किल. चढै मद राज रौ बां. अजूबो औ शहर लागै. जोगेश्वर. बहुत खूब.
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