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शस्वरं: December 2012
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ब्लॉग मित्र मंडली. सुनेगी जो सच , तिलमिलाएगी दिल्ली! पेश है एक मुसलसल ग़ज़ल. चाहें तो ग़ज़लनुमा नज़्म कहलें. यहां दिल्ली महज़ दिल्ली नहीं ।. कभी यह हिंदुस्तान की राजधानी है. कभी एक महानगर ।. कभी सत्ता तो कभी सत्ताधारी राजनीतिक दल ।. कभी हिंदुस्तान की बेबस अवाम ।. 1947 के बाद का खंडित विभाजित भारत भी ।. मुगलकालीन हिंदुस्तान भी ।. महाभारतकालीन अखिल आर्यावर्त भी ।. अभी और क्या क्या दिखाएगी दिल्ली! तू गुल और क्या क्या खिलाएगी दिल्ली. न छेड़ो. सुनेगी जो सच. बहन-बेटियों! हुए हादसे. लहू पी. दिल कड़&...कभी...
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शस्वरं: August 2013
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ब्लॉग मित्र मंडली. न शान-ए-हिंद में गद्दारों की गुस्ताख़ियां होतीं. नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे. चमन के सरपरस्तों से न गर नादानियां होतीं. न फिर ये ख़ार की नस्लें हमारे दरमियां होतीं. मुख़ालिफ़ हैं ये सच-इंसाफ़ के. उलझे सियासत में. ख़ुदारा. पासबानों में न ऐसी ख़ामियां होतीं. असम छत्तीसगढ़ जम्मू न मीज़ोरम सुलगते फिर. न ही कश्मीर में ख़ूंकर्द केशर-क्यारियां होतीं. निभाती फ़र्ज़ हर शै मुल्क की गर मुस्तइद हो. धमाके भी नहीं होते. न गोलीबारियां होतीं. उनका खौल उठता ख़ूं. वतन के वास्ते. नई पोस्ट. न शान-ए-ह...
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शस्वरं: November 2012
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ब्लॉग मित्र मंडली. सितारा हूं ; अगर टूटा… बनूंगा मैं महे-कामिल. खड़ा मक़्तल में मेरी राह तकता था मेरा क़ातिल. सुकूं था मेरी सूरत पर. धड़कता था उसी का दिल. बचाना तितलियों कलियों परिंदों को मुसीबत से. सभी मा. सूम होते हैं हिफ़ाज़त. र ह् म के क़ाबिल. पता है. क्यों बुझाना चाहता तूफ़ां चराग़ों को. हुई लेकिन हवा क्यों साज़िशों में बेसबब शामिल. मैं अपनी मौज में रहता हूं बेशक इक ग़ज़ाला ज्यूं. दबोचे कोई हमला. वर नहीं इतना भी मैं गाफ़िल. सितारा हूं ;. अगर टूटा. ज़रा सुनलें. समंदर भी मेरा. सज गए आंगन. दीप प&...
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शस्वरं: November 2013
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ब्लॉग मित्र मंडली. मारन को शहतीर न मारे, और कभी इक फांस बहुत है. बहुत समय बाद आपके लिए एक ग़ज़ल ले. 8217; कर उपस्थित हुआ हूं. अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं से धन्य कीजिएगा. आज घिनौना रास बहुत है. चहुंदिश भोग-विलास बहुत है. भ्रष्ट-दुष्ट नीचे से ऊपर. परिवर्तन की आस बहुत है. आज झुका है शीश. गर्व भरा इतिहास बहुत है. मारन को शहतीर न मारे. और कभी इक फांस बहुत है. कम करने को हर रितु का दुख. केवल इक मधुमास बहुत है. आशीषों की दौलत है क्या. यूं धन तेरे पास बहुत है. भाव प्रभावित करदे. यूं लिख. नई पोस्ट. सामयì...
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शस्वरं: April 2014
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ब्लॉग मित्र मंडली. मुस्कुराती मदिर मन में मेंहदी मधुर. धड़कनें सुरमयी-सुरमयी हैं प्रिये. सामने कल्पनाएं खड़ी हैं प्रिये! मुस्कुराती मदिर मन में मेंहदी मधुर. रंग में रश्मियां रम रही हैं प्रिये! कामनाएं गुलाबी-गुलाबी हुईं. वीथियां स्वप्न की सुनहरी हैं प्रिये! नेह का रंग गहरा निखर आएगा. मन जुड़े. आत्माएं जुड़ी हैं प्रिये! तुम निहारो हमें. हम निहारें तुम्हें. भाग्य से चंद्र-रातें मिली हैं प्रिये! इन क्षणों को बनादें मधुर से मधुर. मेघ छाए. छुपा चंद्र. तारे हंसे. हमें स्वर्ग से. देह चंदन महक. मित्र...की ...
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शस्वरं: September 2012
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ब्लॉग मित्र मंडली. वो हसीं लड़कियां. कुछ रूमानी हुआ जाए. एक ग़ज़ल आप सबके लिए. खो गई हैं कहां वो हसीं लड़कियां. वो बदीउज्ज़मां नाज़नीं लड़कियां. आसमां खा गया. कॅ ज़मीं खा गई. दिलकुशा दिलनशीं ना मिलीं लडकियां. बादलों में चमकती थीं जो बिजलियां. हैं कहां अब वो चिलमननशीं लड़कियां. वो परीरू जिन्हें देख. 8217; कहता था दिल. रीं आफ़्'. रीं लड़कियां. ख़्वाब जिनकी बदौलत हक़ीक़त बने. अब कहीं क्यों वो मिलती नहीं लड़कियां. उन-सी होगी. जो वो थीं लड़कियां. राजेन्द्र स्वर्णकार. बदीउज्ज़मां. दिलकुशा. नई पोस्ट. हि&#...
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शस्वरं: December 2014
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ब्लॉग मित्र मंडली. हवा का भी कोई झौंका जो सरहद पार से आए. एक ग़ज़ल के साथ उपस्थित हुआ हूं. प्रिय मित्रों. फ़िर से बहुत अंतराल पश्चात्. मेरे हिस्से में बेशक इक ग़लत इल्ज़ाम आया है. मगर ख़ुश हूं, कि उनके लब पे मेरा नाम आया है. मिले पत्थर मुझे उनसे. दिये थे गुल जिन्हें मैंने. चलो , कुछ तो वफ़ाओं के लिए इन्'आम आया है. बुलाता मैं रहा दिन भर जिसे ख़िड़की खुली रख कर. वही मिलने को ढलती ज़िंदगी की शाम आया है. न जाने उस गली के साथ किसकी बद्'दुआएं हैं. 169;राजेन्द्र स्वर्णकार. शुभकामनाएं. नई पोस्ट. हवा का भी...वेब...
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शस्वरं: January 2013
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ब्लॉग मित्र मंडली. हैं प्राण जीवन सांस धड़कन आत्माएं बेटियां. आज का दिवस है बेटियों के नाम! प्रस्तुत है एक रचना बेटियों के लिए. शीतल हवाएं बेटियां. सावन घटाएं बेटियां. हंसती हुई फुलवारियां. कोमल लताएं बेटियां. हैं प्राण जीवन सांस धड़कन. आत्माएं बेटियां. परमात्मा की प्रार्थनाएं. अर्चनाएं बेटियां. कविताएं सिरजनहार की. हैं गीतिकाएं बेटियां. जो धर्म-ग्रंथों में लिखी. पावन ॠचाएं बेटियां. मानव-हृदय में जो बसे. वे भावनाएं बेटियां. संवेदनाएं बेटियां. मन की दुआएं बेटियां. आंगन की तुलसी. मेरी रचना. राजे...
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शस्वरं: January 2014
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ब्लॉग मित्र मंडली. भोर सुहानी २०१४ नूतन वर्षाभिनंदन! नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं! नव वर्ष का प्रत्येक दिवस प्रत्येक क्षण. आपके जीवन में सुख. समृद्धि एवं हर्ष-उल्लास ले. 8217; कर आए! Posted by Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). मेरा एक और ठिकाना…. एक बार मुझसे मिल तो लीजिए …. RAJENDRA SWARNKAR, बीकानेर,राजस्थान, India. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. मेरे ब्लॉग में खोजें. लोड हो रहा है. . . विकिपीडिया. प्रवक्ता. कथाबिंब.
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