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संवेदना | कोशिश मशीनी पड़ रहे मस्तिष्क में भावना-प्रवाह की'

कोशिश मशीनी पड़ रहे मस्तिष्क में भावना-प्रवाह की' (by राजेश 'आर्य')

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संवेदना | कोशिश मशीनी पड़ रहे मस्तिष्क में भावना-प्रवाह की' | rajesharya.wordpress.com Reviews
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कोशिश मशीनी पड़ रहे मस्तिष्क में भावना-प्रवाह की' (by राजेश 'आर्य')
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KEYWORDS
1 स व दन
2 लक षण
3 क़दम क आहट
4 ब ग य
5 हम र यह
6 सब इधर उधर
7 समझन क
8 बस य ह
9 ट ग arya
10 emotions
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स व दन,लक षण,क़दम क आहट,ब ग य,हम र यह,सब इधर उधर,समझन क,बस य ह,ट ग arya,emotions,memories,nostalgia,अक ट,उनस बचकर,उनस कहन,म र च,नत थ न,झ रम ट,त लग क,अब भ,व रह,emotion,kavita,love,poem,poetry,rajesh,valentines day,कब उठन ह,larr;,older posts,पर चय,सबक बत ए
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संवेदना | कोशिश मशीनी पड़ रहे मस्तिष्क में भावना-प्रवाह की' | rajesharya.wordpress.com Reviews

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कोशिश मशीनी पड़ रहे मस्तिष्क में भावना-प्रवाह की' (by राजेश 'आर्य')

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राजेश ‘आर्य’ | संवेदना

https://rajesharya.wordpress.com/author/rajeshaero

क श श मश न पड रह मस त ष क म भ वन -प रव ह क '. अथ त ब रह मज ज ञ स. Author Archives: र ज श 'आर य'. About र ज श 'आर य'. समय चल और म भ उसक स थ-स थ अब प छ म ड़कर द खत ह , त लगत ह कह क छ प छ छ ट गय ह , ल क न क य? अपन ड यर टट लत ह , त उसम ध धल -ध धल स द खत ह प क त य म ग थ म र अत त उस अत त क क छ ख ग लकर ब हतर ज न क क श श ह यह ब ल ग. 8216;स रभ’ क ल ए. पत नह त म यह कव त. क य क म नह ज नत. क स ब त करत ह? यह स त अच छ ह ह ग. अब त म ह बत ओ-. एक ब बस – ल च र म क ग द उज ड़त ह ए? त र – त र करत ह ए? अपन प र तल र दत ह ए?

2

प्रेरणा वाणी | संवेदना

https://rajesharya.wordpress.com/प्रेरणा-वाणी

क श श मश न पड रह मस त ष क म भ वन -प रव ह क '. अथ त ब रह मज ज ञ स. 8212;—————————————————————————————————————————————————————————————. 8211; व दम र त तप न ष ठ प ० श र र म शर म आच र य. एक उत तर द जव ब रद द कर. Enter your comment here. Fill in your details below or click an icon to log in:. ईम ल (आवश यक). Address never made public). न म (आवश यक). You are commenting using your WordPress.com account. ( Log Out. You are commenting using your Twitter account. ( Log Out. Notify me of new comments via email.

3

जोगी | संवेदना

https://rajesharya.wordpress.com/2014/11/05/जोगी

क श श मश न पड रह मस त ष क म भ वन -प रव ह क '. अथ त ब रह मज ज ञ स. सख क न म खत. ब ग य →. द न भर लड़त ह अपन शख स यत स ,. र त ह त ह भ ल ज त ह अपन ह च हर. म त खड़ थ ब हर, ड ल सपन प सख त पहर. त म क सत थ न अक सर म झ उन छ ट म ल क़ त म ,. म भ ब ठ थ वह , पहन ज ग क स हर. सचम च क ह म न , अल ल ह क इतन इब दत,. स न अज न स बह-श म, ह गय ख द भ बहर. 8211; ‘आर य’. ट प पण कर. Posted by र ज श 'आर य'. On नवम बर 5, 2014 in कव त. सख क न म खत. ब ग य →. एक उत तर द जव ब रद द कर. Enter your comment here. ईम ल (आवश यक). न म (आवश यक).

4

झुरमुट | संवेदना

https://rajesharya.wordpress.com/2014/02/13/jhurmut

क श श मश न पड रह मस त ष क म भ वन -प रव ह क '. अथ त ब रह मज ज ञ स. एक द न क ड यर →. 8216;न द न ’. घर क ठ क प छव ड़ म. जह त म अक सर छ प ज य करत थ. ल क क -छ प प ख लत ह ए. और म जब भ ‘च र’ बनत थ. उस झ रम ट क प स. त म ह र प ठ क थप थप कर ब लत थ. 8216;धप प ‘. और त म ह र च हर पर एक म स क न त र ज त थ. पकड ज न पर भ. म कभ भ नह समझ प य ,. उस म स क न क मतलब. त मन भ त कभ समझ य नह. ल क न त मन कभ भ अपन. छ पन क स थ न नह बदल. हर ब र उस जगह. उस झ रम ट म. फ र प प क बदल ह गय. उस झ रम ट स. ल क न आज क ई म स क न नह थ. पत ह नह चल.

5

सखी के नाम खत | संवेदना

https://rajesharya.wordpress.com/2014/10/18/sakhi-ke-naam-khat

क श श मश न पड रह मस त ष क म भ वन -प रव ह क '. अथ त ब रह मज ज ञ स. एक द न क ड यर. ज ग →. सख क न म खत. पत नह त म ह क स न म स ब ल ऊ. ज द खत ह शर र स. त म ह कभ द ख नह प ई. बस महस स भर क य ह. बह त द न स त म ह ल ख नह प य. समय ह नह म ल. ज़ न दग क भ ग – द ड़. घर-ब हर, द स त – म ह म. और आज ल ख रह ह. त स र फ र न – र न. क य क त म ह र प स शर र नह. यह त सब ख ल शर र क ह ह. शर र – स त र य प र ष? और इतन स ब त तय कर द त ह. क क सक भ ग य म क तन आ स ह. भ ड़ – भ ड़ म ह. त म ह ध य न रखन ह त ह. फ र पल भर क ल ए. और उनक प छ क च हर ,.

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' सर्जना ': December 2012

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सर्जना '. भारत की 'भारती' को समर्पित. अलख : विसंवाद - अष्टम की स्मारिका. माँ, याद तुम्हारी आती है।. Posted by दीपक । Deepak. On सोमवार, 17 दिसंबर 2012. इस कमरे का एकाकीपन. तन्हा है ये मेरा मन. इस अंधियारे में तेरी याद. यादों के दीप जलाती है,. माँ, याद तुम्हारी आती है।. पास के छत पर माँ कोई. गोद के मुन्ने में खोई,. कोमल थपकी दे-देकर. जब लोरी कोई सुनाती है,. माँ, याद तुम्हारी आती है।. जब गर्म तवा छू जाता है. हाथ मेरा जल जाता है. या तेज धार की छूरी से. ऊंगली ही कट जाते है,. Links to this post. Essay on 'Cow...

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' सर्जना ': कुछ ऐसा हुआ होगा

http://sarjanaonline.blogspot.com/2011/02/blog-post.html

सर्जना '. भारत की 'भारती' को समर्पित. अलख : विसंवाद - अष्टम की स्मारिका. कुछ ऐसा हुआ होगा. Posted by rajesh ranjan. On गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011. जब उसने जाना कि. झाड़ियों के पीछे. अपनी-अपनी हड्डी चबाते. गोल-गोल घूम. अपनी पूँछ का पीछा करना ही ज़िन्दगी है. मेरी, तुम्हारी नजर में तब. एक दुःख उसे साल गया. दुःख कुछ ऐसा. जिसका साझा बनाना आसान नहीं होता. क्योंकि एक सिरफिरे को समझने के लिए समझ का न होना जरुरी है. कुछ ऐसा दुःख. जो जीने को लेकर है. जो हर उस चीज़ से है. सपने . . . और ऐसे में. नई पोस्ट. कवित&#23...

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' सर्जना ': October 2009

http://sarjanaonline.blogspot.com/2009_10_01_archive.html

सर्जना '. भारत की 'भारती' को समर्पित. अलख : विसंवाद - अष्टम की स्मारिका. मेरा मैं. Posted by दीपक । Deepak. On शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009. मेरा मैं. है कहीं भीतर. खूब भीतर’. और परतें चढी जा रही हैं. चढ़ती जा रही हैं. दो बूँद खामोशी. सहेज रखी है मैंने. किसी बेशकीमती विरासत की तरह. जब आँखों को मूँदकर. छूता हूँ अपनी खामोशियों को. तो लगता है. कुछ मिल गया है खोया-सा. और परतों के भीतर. खूब भीतर. कुछ कहता है कुछ सुनता है. कहीं ज़िन्दा है. कहीं ज़िन्दा है. मेरा "मैं"।. राहुल कुमार. Links to this post.

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' सर्जना ': June 2009

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सर्जना '. भारत की 'भारती' को समर्पित. अलख : विसंवाद - अष्टम की स्मारिका. Posted by दीपक । Deepak. On शुक्रवार, 19 जून 2009. राजन प्रकाश. सर्जना २४वें अंक से). Links to this post. Labels: लघुकथा. तेरी आँखों की तरह. Posted by दीपक । Deepak. On सोमवार, 15 जून 2009. बात उन दिनों की है. जब सड़क बन रही थी. कच्चे काले कोलतार की,. और तुमने कहा था -. देख बिल्कुल काली हैं न. तेरी आँखों की तरह।. कोलतार से उठ रहे धुएँ. के बीच. एक दार्शनिक की तरह . कहा था मैंने -. उस सुदूर देहात तक,. Links to this post. जिस&#23...

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दीये का स्पष्टीकरण | आखिरी पथ...

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आख र पथ…. ज सक आग र ह नह …. मन क ब त…. Laquo; म करत रह अपन न क क श श…. द य क स पष ट करण. Posted अगस त 17, 2015 by स वप न श च ह न in Uncategorized. ट प पण कर. म सतत अपन स वभ व स जलत ह ,. म र ब त क य नह म नत …? म सच कह रह ह ऐ अ धक र! म सतत अपन स वभ व स जलत ह …. एक उत तर द जव ब रद द कर. Enter your comment here. Fill in your details below or click an icon to log in:. ईम ल (आवश यक). Address never made public). न म (आवश यक). You are commenting using your WordPress.com account. ( Log Out. द य क स पष ट करण.

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' सर्जना ': मेरा मैं

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सर्जना '. भारत की 'भारती' को समर्पित. अलख : विसंवाद - अष्टम की स्मारिका. मेरा मैं. Posted by दीपक । Deepak. On शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009. मेरा मैं. है कहीं भीतर. खूब भीतर’. और परतें चढी जा रही हैं. चढ़ती जा रही हैं. दो बूँद खामोशी. सहेज रखी है मैंने. किसी बेशकीमती विरासत की तरह. जब आँखों को मूँदकर. छूता हूँ अपनी खामोशियों को. तो लगता है. कुछ मिल गया है खोया-सा. और परतों के भीतर. खूब भीतर. कुछ कहता है कुछ सुनता है. कहीं ज़िन्दा है. कहीं ज़िन्दा है. मेरा "मैं"।. राहुल कुमार. Labels: कविता.

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' सर्जना ': बोलते अक्षर

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सर्जना '. भारत की 'भारती' को समर्पित. अलख : विसंवाद - अष्टम की स्मारिका. बोलते अक्षर. Posted by दीपक । Deepak. On शुक्रवार, 10 जुलाई 2009. जो क्षय नहीं होते. मानव की भांति. नहीं रोते. हो जाते हैं हृदय पर. पुकारते. हैं अपनी आवाज़ से. हाँ, अक्षर भी बोलते हैं. तुमने सुनी नहीं अब तक. शायद तुम पढ़ते-लिखते. रहे हो अक्षरों को,. जानते नहीं सच. बोलने वाले अक्षर. नए नहीं हैं. सदियों से वे सुना रहे हैं. दास्तान अपनी. शब्दों से भी बड़े हैं,. ये अक्षर जो जोड़ते हैं. कभी-कभी ज़िन्दगी. गाथाओं. को बुन. Essay on 'Cow' by...

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' सर्जना ': माँ, याद तुम्हारी आती है।

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सर्जना '. भारत की 'भारती' को समर्पित. अलख : विसंवाद - अष्टम की स्मारिका. माँ, याद तुम्हारी आती है।. Posted by दीपक । Deepak. On सोमवार, 17 दिसंबर 2012. इस कमरे का एकाकीपन. तन्हा है ये मेरा मन. इस अंधियारे में तेरी याद. यादों के दीप जलाती है,. माँ, याद तुम्हारी आती है।. पास के छत पर माँ कोई. गोद के मुन्ने में खोई,. कोमल थपकी दे-देकर. जब लोरी कोई सुनाती है,. माँ, याद तुम्हारी आती है।. जब गर्म तवा छू जाता है. हाथ मेरा जल जाता है. या तेज धार की छूरी से. ऊंगली ही कट जाते है,. नई पोस्ट. श्रेणी. सदस्य&#23...

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