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अनजाना शहर...अजनबी लोग...: अब !!
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अनजाना शहर.अजनबी लोग. Friday, November 18, 2011. अब खुद से बात कर के घबरा जाते है हम! दिल की बात दिल से न कह पाते है हम! तन्हाईयों के जंगल में खो कर अक्सर,. अपनी ही परछाई से डर जाते है हम! तेरे जैसा कोई नहीं हैं साथी या संगी मेरा,. जिंदगी की राहों में बस कसमसाते है हम! या खुदा यह इश्क का कैसा है इम्तिहा,. अकेले में जुदाई की ठोकरें खाते है हम! ऐ काश हमें पुकार लो इक बार तुम,. तेरी कसम सब छोड़ के चले आते है हम! तेरी याद में इस दिल को तडपाते है हम! यशवन्त माथुर (Yashwant Mathur). March 2, 2012 at 3:49 AM.
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अनजाना शहर...अजनबी लोग...: आ जाओ लौट के बाँहों में....
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अनजाना शहर.अजनबी लोग. Friday, May 13, 2011. आ जाओ लौट के बाँहों में. आ जाओ लौट के बाँहों में! चले आओ चली हुई राहों में! बीते दिनों को दिल,. फिर से याद करता है,. तुम से मिलना हो जल्दी,. बस यही फरियाद करता है,. किस सोच में डूबे हो तुम,. आ जाओ प्यार की पनाहों में! आ जाओ . जब भी कभी मेरे कदम,. बीती राहों पर लौट जाते है,. हमारे प्यार के लम्हों की,. मुझे फिर से याद दिलाते है,. तुम्हारे होने का एहसास,. होता है इन सब की निगाहों में! आ जाओ . यह शाखों से टूटे हुए फूल. यह सब गवाह है हमारे. आ जाओ . आ जाओ . इस कह...
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अनजाना शहर...अजनबी लोग...: तेरी नाराज़गी.....
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अनजाना शहर.अजनबी लोग. Tuesday, April 12, 2011. तेरी नाराज़गी. झुकी नजरों को उठा कर जरा इक बार देखो! मेरी आँखों में नज़र आएगा असीम प्यार देखो! ऐसी नाराज़गी क्या तुम बात क्यों नहीं करते,. तुम्हारी चुपी से डर लगता है मेरे यार देखो! तुम्हारा साथ है जैसे साथ हो खिलते फूलों का,. थमा दो हाथ आ जाएगी इक नई बहार देखो! तुम्हे चुप देख कर दिल पर हजारों तीर चलते है,. तुम मुस्करा दो हम हो जायें तुझ पर कुर्बान देखो! Acchi gajal bhav bahut sundar. April 12, 2011 at 10:13 PM. पी सिंह जी,. June 1, 2011 at 6:50 PM. इस कहा...
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अनजाना शहर...अजनबी लोग...: तुम्हारे आने से.....
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अनजाना शहर.अजनबी लोग. Friday, May 27, 2011. तुम्हारे आने से. तुम्हारे आने से पहले तुम्हारी खुशबू हमे आ जाती है! तुम्हारे कदमो की आहट से हमारी आँखे मुस्करा जाती है! तुम्हारे छू लेने से, जिस्म में होती है इक सरसराहट ,. तुम्हारी इक नज़र से रूह जैसे , जन्नत को पा जाती है! बिन कहे बिन बोले, दूर हो जायेंगे शिकवे और गिले,. तेरे मिलने की चाहत से हमारी दुनिया पगला जाती है! तेरे आगोश में आने से हमे सब खुशियाँ भा जाती है! बढ़िया. स्नेह बनाये रखो, हम सब सीख रहे हैं. May 29, 2011 at 7:58 PM. May 30, 2011 at 7:24 PM.
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अनजाना शहर...अजनबी लोग...: आ जाओ !
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अनजाना शहर.अजनबी लोग. Monday, May 23, 2011. बेसाख्ता मेरी जिंदगी में इक दिन फिर से आ जाओ! मेरी सांसों, मेरी धडकनों, मेरे दिल में समा जाओ! अब तक तडपते रहे है तेरे ही इंतज़ार में ओ जानम,. आ जाओ, आ कर मेरी दुनिया को महका जाओ! न कभी तुम नाम भी लेना, मुझे फिर छोड़ जाने का,. न सताओ चले भी आओ मेरी जिंदगी में छा जाओ! किसी की नहीं है चाहत, बस इक तेरी ही कमी है,. मेरे इस पागल मन को अपनी हँसी से सहला जाओ! डर लगता है मुझे दुनिया की झूठी चमक-ओ-दमक से,. अरूण साथी. अति सुन्दर. May 23, 2011 at 9:57 PM. मैं न&#...इस कह...
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अनजाना शहर...अजनबी लोग...: उस का ख़त ....
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अनजाना शहर.अजनबी लोग. Monday, April 4, 2011. उस का ख़त . आज उस की तरफ से मेरे ख़त का जवाब आया है! ऐसे लगता है जैसे फूलों पर फिर से शबाब आया है! माना कि वह गाफ़िल नहीं दिल की बेचैनियों से,. उसके चंद हर्फों से खुशियों का इक बहाब आया है! बढ़ गयी है बेकरारी बेसब्री कैसे और इंतज़ार करें,. दिल की बेताबी को और बढाने का मुकाम आया है! तुम्हारे प्यार की खुशबू बसी है तेरी इन चंद लाइनों में,. मुझे तेरे दिल की धडकनों का इन से एहसास आया है! दिगम्बर नासवा. April 6, 2011 at 3:58 AM. दिगंबर साहिब,. View my complete profile.
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अनजाना शहर...अजनबी लोग...: इश्क में गैरत -ए -जज़बात ने रोने न दिया- सुदर्शन फाकिर
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अनजाना शहर.अजनबी लोग. Tuesday, April 26, 2011. इश्क में गैरत -ए -जज़बात ने रोने न दिया- सुदर्शन फाकिर. सुदर्शन फाकिर साहिब बहुत ज़हीन शायर रहे है! उन की ग़ज़लों में कमाल की गहरायी रहती है! पेश है उन की लिखी यह ग़ज़ल जो मुझे बेहद पसंद है! आप इस ग़ज़ल के एक एक शेयर पर गौर ज़रूर फरमाए -. इश्क में गैरत -ए -जज़बात ने रोने न दिया! वर्ना क्या बात थी किस बात ने रोने न दिया! आप कहते थे के रोने से न बदलेंगे नसीब,. उम्र भर आप की इस बात ने रोने न दिया! Subscribe to: Post Comments (Atom). View my complete profile. इस कह&#...
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टोस्ट विद टू होस्ट: 'कॉफी विद कुश' (दूसरा एपिसोड)
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टोस्ट विद टू होस्ट. सीजन टू ऑफ कॉफी विद कुश. कॉफी विद कुश' (दूसरा एपिसोड). Posted by कुश. Friday, June 13, 2008. दोस्तो स्वागत है आपका 'कॉफी विद कुश' के दूसरे एपिसोड में. वाले डा. अनुराग जी. आप 'कॉफी विद कुश'. के दूसरे गेस्ट है. कैसा लग रहा है आपको यहाँ आकर? डा.अनुराग :. जर्रानवाज़ी है आपकी हजूर. शुक्रिया,सबसे पहले ये बताइए आपको ब्लॉग बनाने की प्रेरणा कहा से मिली? डा.अनुराग :. ओर पारुल जी. के ब्लॉग देखे तो हम भी शुरू हो गये. डा.अनुराग :. नही कोई ख़ास नही. डा.अनुराग :. डा.अनुराग :. अजीत जी. हमेश...
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अनजाना शहर...अजनबी लोग...: माँ
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अनजाना शहर.अजनबी लोग. Monday, November 28, 2011. तुम नहीं हो बताओ अब कौन से घर जाऊं मैं! मन करता है बस जिंदा रह कर मर जाऊं मैं! तुम्हारे जाने के बाद सब सूना सा लगता है,. बात करने को नहीं, मन है चुप कर जाऊं मैं! सबसे बातें मुलाकातें, बस बेगानी सी लगती है,. तुमे मिलने का मन हो, कौन से घर जाऊं मैं! कभी कभी हर चेहरा माँ तेरे जैसा लगता हैं ,. अब तुम्हे ढूंढने को कहाँ और किधर जाऊं मैं! क्यों इतनी अनजान, और निर्मोही हो गई माँ,. ओर कहीं पर नजर न आया,. Http:/ dineshkranti.blogspot.com/. View my complete profile.
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अनजाना शहर...अजनबी लोग...: Science of Hanuman Chalisa
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अनजाना शहर.अजनबी लोग. Sunday, November 24, 2013. Science of Hanuman Chalisa. Do not underestimate the Science of Hanuman In Hanuman Chalisa, it is said :. जुग सहस्त्र जोजन पर भानु ,. लील्यो ताहि मधुर फल जानू 18. Juga sahastra jojan par bhaanu. Leelyo taahi madhur phal jaanu 18. Is the sum of Four Yugas. 1 complete Mahayuga) with unit in divine years. Satiyuga= 4800 divine years. Jug Sahastra Jojan Par Bhanu! Leelyo Taahi Madhur Phal Janu! 1 Yug = 12000 years . 1 Sahastra = 1000. So Yug x Sahastra x Yojan.