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कविता के बहाने: ईश्वर की संताने
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कविता के बहाने. अनुभूति और अभिव्यक्ति की यात्रा कथा . Friday, July 24, 2015. ईश्वर की संताने. वे बच्चे. किसके बच्चे हैं. नाम क्या है उनका. कौन हैं इनके माँ बाप. कहाँ से आते हैं इतने सारे. झुण्ड के झुण्ड,. उन तमाम सरकारी योजनाओ के बावजूद. जो अखबारों और टीवी के. चमकदार विज्ञापनों में. कर रही हैं हमारे जीवन का कायाकल्प,. कालिख और चीथड़ो के ढकी. बहती नाक और चमकती आँखों वाली. जिजीविषा की ये अधनंगी मूर्तियाँ. जो बिखरी हुयी हैं. चमचमाते माल्स से लेकर. अभिशप्त बचपन में ही. अनवरत संघर्षरत. उडन तश्तरी .
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कविता के बहाने: अशोक
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कविता के बहाने. अनुभूति और अभिव्यक्ति की यात्रा कथा . Thursday, April 9, 2009. दरवाजे पर का बूढ़ा. कहते हैं जिसे रोपा था. मेरे दादा ने,. खडा है अब भी,. हमने बाँट ली है. उसके नीचे की एक एक पग धरती. मन्दिर के देवता तक ।. खड़ा है वह अब भी. लुटाता हम पर अपनी छांह की आशीष ।. उसकी लचकती डालियाँ. बुलाती हैं अब भी. घसीट लो मचिया इधर ही,. आओ थोड़ी. देर पढें. मुंशी जी का 'गोदान. या गुरुदेव की 'गीतांजलि।'. या फ़िर आओ जमे. ताश की बाज़ी ही,. तब तक जब तक. मीठी लताड़ के साथ।. हम ज़रूर आते. वैश्वीकरण. घर,आँगन और. नर...
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हमारा समय: November 2008
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हमारा समय. रविवार, 30 नवंबर 2008. ६० घंटे का रियलिटी शो. दिनों. 2404; पूरा. आतंकियों. वालों. शुक्रगुजार. होंगे. दिनों. 2404; टी. चैनलों. रिपोर्टं. 2404; मानो. प्रोग्राम. 2404; किसी. हेल्पलाइन. 2404; पता. घायलों. गोलियों. तस्वीरे. दाताओं. उत्तेजनातिरेक. शक्लें. 2404; किसी. आतंकवादियों. होंगे. 2404; आतंकवादियों. उन्हें. साथियों. कमांडोज. गतिविधि. 2404; नेताओं. सहानुभूति. छिद्रान्वेषण. महानुभावों. मूर्खता. आतंकियों. सुरक्षाबलों. प्रस्तुतकर्ता. एस बी. सिंह. 4 टिप्पणियां:. नई पोस्ट. उडन तश्तरी .
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हमारा समय: भगवान की पत्नी
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हमारा समय. रविवार, 28 सितंबर 2008. भगवान की पत्नी. 2404; माल. 2404; उसके. पैरों. 2404; कपडे. 2404; तभी. 2404; महिला. 2404; उसने. दस्ताने. खरीदे।. 2404; उसके. 2404; ' जी'. 2404; अच्छा. बालिका. सुनिए' लड़की ने महिला को पुकारा।. हाँ बेटे बताओ' महिला ने मुड़ते हुए पूछा ।. क्या आप भगवान की पत्नी हैं' लड़की ने प्रश्न किया।. इंडिया. स्मृति. प्रस्तुतकर्ता. एस बी. सिंह. 7 टिप्पणियां:. सतीश सक्सेना. ने कहा…. क्या मासूमियत है? PS: pl remove word verification . this serve no purpose. ने कहा…. नई पोस्ट.
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हमारा समय: March 2009
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हमारा समय. बुधवार, 4 मार्च 2009. ये भी है मेरा महान भारत . उद्द्वेलित. कानों. महानगरों. चकाचौंध. चुन्धियाये. भाग्यविधाता. मेलघाट में. के कारण 10 हजार बच्चों की मौत. प्रस्तुतकर्ता : महामंत्री - तस्लीम. महाराष्ट्र के अमरावती जिले के मेलघाट जंगली क्षेत्र में. से अब तक भुखमरी से. बच्चों को भूख से मरना पड़ता है. साल. में जहां सबसे कम. बच्चे मारे गए वहीं. को सबसे ज्यादा. बच्चों को मौत के मुंह में जाना पड़ा।. को पार कर चुका है।. यहां की. और धारणी तहसील में. लेखक- शिरीष खरे. एस बी. सिंह. नई पोस्ट. जय श्र&#...
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कविता के बहाने: July 2015
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कविता के बहाने. अनुभूति और अभिव्यक्ति की यात्रा कथा . Friday, July 24, 2015. ईश्वर की संताने. वे बच्चे. किसके बच्चे हैं. नाम क्या है उनका. कौन हैं इनके माँ बाप. कहाँ से आते हैं इतने सारे. झुण्ड के झुण्ड,. उन तमाम सरकारी योजनाओ के बावजूद. जो अखबारों और टीवी के. चमकदार विज्ञापनों में. कर रही हैं हमारे जीवन का कायाकल्प,. कालिख और चीथड़ो के ढकी. बहती नाक और चमकती आँखों वाली. जिजीविषा की ये अधनंगी मूर्तियाँ. जो बिखरी हुयी हैं. चमचमाते माल्स से लेकर. अभिशप्त बचपन में ही. अनवरत संघर्षरत. उडन तश्तरी .
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कविता के बहाने: December 2008
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कविता के बहाने. अनुभूति और अभिव्यक्ति की यात्रा कथा . Wednesday, December 24, 2008. क्यों हो तुम इतने. पुंसत्वहीन ।. क्यों नहीं आया. कभी मन में तुम्हारे कि. तुम भी करो उद्योग. बढ़ाने को. अपना बल, पौरुष,. शक्ति और कौशल ।. क्यों नही की. कभी तुमने ,. क्यों होते रहे तुम सदैव. शंकाग्रस्त. दूसरों के तप से ।. क्यों नही आई लज्जा तुम्हें. माँगते कवच- कुंडल. पुत्र सरीखे कर्ण से ।. और तो और. नहीं झिझके तुम. फैलाने में हाथ. अपने चिर शत्रु. विरोचन के सामने भी।. क्यों नहीं लगाई. कभी श्रेयस्कर. नहुष भी।. Picture Window ...
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कविता के बहाने: September 2008
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कविता के बहाने. अनुभूति और अभिव्यक्ति की यात्रा कथा . Tuesday, September 30, 2008. खिड़की के पास वाला पेड़. रात के चौथे पहर. अंधेरे में. तन कर खड़ा वह पेड़ ,. यौवन से आप्लावित. मानो प्रतीक्षा में. प्रेयसी की।. निर्भीक , निश्चिंत. हवा के झोकों संग हिलता. न हो उतरा नशा. मानो अभी तक. रात की मदिरा का।. मद्धम चाँदनी में. पत्तियों पर चमक रहीं. बारिष की हीरक बूँदें ,. श्रम के स्वेदबिंदु।. उषा के साथ. आएगी पहली किरण. लिपट जाएगी उसके अंग-अंग से।. महक उठेगी. उसे छू कर. प्रात समीर।. हो जाएगा. उसकी टहनी. धुए...
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August 2012
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सोमवार, 6 अगस्त 2012. गाना भी आसान और लड़ना भी नहीं मुश्किल. टिप्पणियां. प्रस्तुतकर्ता - महेन. अगर बात करता गया तो बात खींचती ही जायेगी. जैकी चान पर और भी बहुत कुछ लिखा जा सकता है मगर यहाँ बात संगीत की होनी चाहिए. Transparent is my heart. I long to share my emotions and affection with you. But my heart has been hurt before. What sweet dreams I have and hate to wake. In dreams your eyes are so warm and tender. You understand my heart and my spirit. Please let me lean on you when I need you. सदस्यत&#...