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रेख्ता के तुम ही उस्ताद नहीं हो...

रेख्ता के तुम ही उस्ताद नहीं हो. बुधवार, 17 जुलाई 2013. हबीब जालिब - कविता पोस्टर. रजनीश 'साहिल. पाकिस्तानी शाइरी. हबीब जालिब. मंगलवार, 18 जून 2013. दुष्यंत कुमार - कुछ कविता पोस्टर. रजनीश 'साहिल. दुष्यंत कुमार. शनिवार, 24 मार्च 2012. मेरे गीत तुम्हारे पास. मेरे गीत तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे. मेरे बाद तुम्हें ये मेरी याद दिलाने आएँगे. हौले—हौले पाँव हिलाओ,जल सोया है छेड़ो मत. हम सब अपने—अपने दीपक यहीं सिराने आएँगे. रजनीश 'साहिल. दुष्यंत कुमार. रविवार, 26 फ़रवरी 2012. एक संग- तराश. कि बढ़कर. ख़&...

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रेख्ता के तुम ही उस्ताद नहीं हो. बुधवार, 17 जुलाई 2013. हबीब जालिब - कविता पोस्टर. रजनीश 'साहिल. पाकिस्तानी शाइरी. हबीब जालिब. मंगलवार, 18 जून 2013. दुष्यंत कुमार - कुछ कविता पोस्टर. रजनीश 'साहिल. दुष्यंत कुमार. शनिवार, 24 मार्च 2012. मेरे गीत तुम्हारे पास. मेरे गीत तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे. मेरे बाद तुम्हें ये मेरी याद दिलाने आएँगे. हौले—हौले पाँव हिलाओ,जल सोया है छेड़ो मत. हम सब अपने—अपने दीपक यहीं सिराने आएँगे. रजनीश 'साहिल. दुष्यंत कुमार. रविवार, 26 फ़रवरी 2012. एक संग- तराश. कि बढ़कर. ख़&...
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रेख्ता के तुम ही उस्ताद नहीं हो... | rekhtakeustaad.blogspot.com Reviews

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रेख्ता के तुम ही उस्ताद नहीं हो. बुधवार, 17 जुलाई 2013. हबीब जालिब - कविता पोस्टर. रजनीश 'साहिल. पाकिस्तानी शाइरी. हबीब जालिब. मंगलवार, 18 जून 2013. दुष्यंत कुमार - कुछ कविता पोस्टर. रजनीश 'साहिल. दुष्यंत कुमार. शनिवार, 24 मार्च 2012. मेरे गीत तुम्हारे पास. मेरे गीत तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे. मेरे बाद तुम्हें ये मेरी याद दिलाने आएँगे. हौले—हौले पाँव हिलाओ,जल सोया है छेड़ो मत. हम सब अपने—अपने दीपक यहीं सिराने आएँगे. रजनीश 'साहिल. दुष्यंत कुमार. रविवार, 26 फ़रवरी 2012. एक संग- तराश. कि बढ़कर. ख़&...

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April 2009 ~ रेख्ता के तुम ही उस्ताद नहीं हो...

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रेख्ता के तुम ही उस्ताद नहीं हो. बुधवार, 22 अप्रैल 2009. घिन तो नहीं आती है? नागार्जुन. पूरी स्पीड में है ट्राम. खाती है दचके पै दचका. सटता है बदन से बदन –. पसीने से लथपथ।. छूती है निगाहों को. कत्थई दांतों की मोटी मुस्कान. बेतरतीब मूंछों की थिरकन. घिन तो नहीं आती है? जी तो नहीं कढ़ता है? कुली-मजदूर हैं. बोझा ढोते हैं, खींचते हैं ठेला. धूल-धुँआ-भाफ से पड़ता है साबक़ा. थके-मांदे जहाँ-तहाँ हो जाते हैं ढेर. सपने में भी सुनते हैं दिल की धड़कन. बैठ गए हैं इधर-उधर तुमसे सटकर. ये तो बस इसी तरह. ख़ाल&...जित...

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मेरे गीत तुम्हारे पास ~ रेख्ता के तुम ही उस्ताद नहीं हो...

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रेख्ता के तुम ही उस्ताद नहीं हो. शनिवार, 24 मार्च 2012. मेरे गीत तुम्हारे पास. दुष्यंत कुमार को बहुत पहले से पढ़ते-गाते आ रहा हूँ. जब-तब उनका लिखा होंठों पर थिरकता रहता है. प्रस्तुत है दुष्यंत कुमार की एक ग़ज़ल. मेरे गीत तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे. मेरे बाद तुम्हें ये मेरी याद दिलाने आएँगे. हौले—हौले पाँव हिलाओ,जल सोया है छेड़ो मत. हम सब अपने—अपने दीपक यहीं सिराने आएँगे. थोड़ी आँच बची रहने दो, थोड़ा धुआँ निकलने दो. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. रजनीश 'साहिल. इब्ने इ&...यू&...

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हबीब जालिब - कविता पोस्टर ~ रेख्ता के तुम ही उस्ताद नहीं हो...

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रेख्ता के तुम ही उस्ताद नहीं हो. बुधवार, 17 जुलाई 2013. हबीब जालिब - कविता पोस्टर. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. रजनीश 'साहिल. पाकिस्तानी शाइरी. हबीब जालिब. पुरानी पोस्ट →. मुख्यपृष्ठ. दुष्यंत कुमार - कुछ कविता पोस्टर. मेरे गीत तुम्हारे पास. सज़ा और सवाल - अहमद फ़राज़. एक बार ही जी भर के सज़ा क्यूँ नहीं देते ? मोती हूँ तो दामन में पिरो लो मुझे अपने, आँसू हू. यह बच्चा कैसा बच्चा है. यूं तो चाँद तकरीबन हर शायर का ...सपने - पाश. सपने हर किसी क&...फैज&#2364...

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July 2011 ~ रेख्ता के तुम ही उस्ताद नहीं हो...

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रेख्ता के तुम ही उस्ताद नहीं हो. बुधवार, 13 जुलाई 2011. यह बच्चा कैसा बच्चा है. यह बच्चा कैसा बच्चा है. यह बच्चा काला-काला सा. यह काला-सा, मटियाला सा. यह बच्चा भूखा-भूखा सा. यह बच्चा सूखा-सूखा सा. यह बच्चा किसका बच्चा है. यह बच्चा कैसा बच्चा है. जो रेत पर तन्हा बैठा है. ना इसके पेट में रोटी है. ना इसके तन पर कपड़ा है. ना इसके सर पर टोपी है. ना इसके पैर में जूता है. ना इसके पास खिलौना में. कोई भालू है कोई घोड़ा है. ना इसका जी बहलाने को. कोई लोरी है कोई झूला है. यह कैसा सुख का सपन&#23...वो किस धर...यह क&#236...

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June 2013 ~ रेख्ता के तुम ही उस्ताद नहीं हो...

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रेख्ता के तुम ही उस्ताद नहीं हो. मंगलवार, 18 जून 2013. दुष्यंत कुमार - कुछ कविता पोस्टर. रजनीश 'साहिल. दुष्यंत कुमार. Larr; नई पोस्ट. पुराने पोस्ट →. मुख्यपृष्ठ. दुष्यंत कुमार - कुछ कविता पोस्टर. मेरे गीत तुम्हारे पास. सज़ा और सवाल - अहमद फ़राज़. एक बार ही जी भर के सज़ा क्यूँ नहीं देते ? मैं हर्फ़-ए-ग़लत हूँ तो मिटा क्यूँ नहीं देते ? मोती हूँ तो दामन में पिरो लो मुझे अपने, आँसू हू. यह बच्चा कैसा बच्चा है. चाँद ने क्या-क्या मंज़िल कर ली. हबीब जालिब - कविता पोस्टर. अभी तक तो जो कुछ ...सपने - पाश. सपन&#2375...

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तस्वीरें भी बोलती हैं...: माँ का आँचल...

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तस्वीरें भी बोलती हैं. यहाँ-वहाँ, मतलब-बेमतलब भटकते हुए जो दृश्य कैमरे में कैद किये. मंगलवार, 11 अगस्त 2009. माँ का आँचल. माँ की गोदी में मिले जन्नत का अहसास. सारे दु:ख को दूर करे ममता का ये पाश. प्रस्तुतकर्ता. रजनीश 'साहिल. प्रतिक्रियाएँ:. लेबल: आँचल की छाँव. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). बक़लम ख़ुद. रजनीश 'साहिल. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. जिन्होंने सराहा. अपनी क़लम से. माँ का आँचल.

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तस्वीरें भी बोलती हैं...: जीवन संगीत: बचपन

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तस्वीरें भी बोलती हैं. यहाँ-वहाँ, मतलब-बेमतलब भटकते हुए जो दृश्य कैमरे में कैद किये. बुधवार, 2 अक्तूबर 2013. जीवन संगीत: बचपन. प्रस्तुतकर्ता. रजनीश 'साहिल. प्रतिक्रियाएँ:. लेबल: जीवन संगीत. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). बक़लम ख़ुद. रजनीश 'साहिल. तलाश ज़ारी है कि कोई तहरीर बन सके, वरना तो सिवा नाम के और कुछ नहीं. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. जिन्होंने सराहा. अपनी क़लम से. जीवन संगीत: यात्रा. जीवन संगीत: बचपन.

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तस्वीरें भी बोलती हैं...: अभाव

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तस्वीरें भी बोलती हैं. यहाँ-वहाँ, मतलब-बेमतलब भटकते हुए जो दृश्य कैमरे में कैद किये. शुक्रवार, 10 जुलाई 2009. कम है तो क्या? और क्या-क्या? राज्य-बिहार, जिला-समस्तीपुर, ब्लाक-मोहनपुर, गाँव-डुमरी उत्तरी की एक मुसहर बस्ती). प्रस्तुतकर्ता. रजनीश 'साहिल. प्रतिक्रियाएँ:. लेबल: आभाव. तंगहाली. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). बक़लम ख़ुद. रजनीश 'साहिल. जिन्होंने सराहा. अपनी क़लम से. कच्ची मिट्टी. आशियाना.

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तस्वीरें भी बोलती हैं...: कच्ची मिट्टी

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तस्वीरें भी बोलती हैं. यहाँ-वहाँ, मतलब-बेमतलब भटकते हुए जो दृश्य कैमरे में कैद किये. सोमवार, 13 जुलाई 2009. कच्ची मिट्टी. कच्ची मिट्टी को दिए कई अनोखे रूप. नंगे जिस्म पे झेलते बारिश, सर्दी, धूप. प्रस्तुतकर्ता. रजनीश 'साहिल. प्रतिक्रियाएँ:. लेबल: कच्ची मिट्टी. ग्राम्य जीवन. तंगहाली. हाथों का हुनर. 1 टिप्पणी:. 6 अगस्त 2009 को 12:31 am. Zakir Ali ‘Rajnish’. उत्तर दें. टिप्पणी जोड़ें. अधिक लोड करें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. बक़लम ख़ुद. रजनीश 'साहिल. अपनी क़लम से. आशियाना.

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तस्वीरें भी बोलती हैं...: जीवन संगीत: यात्रा

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तस्वीरें भी बोलती हैं. यहाँ-वहाँ, मतलब-बेमतलब भटकते हुए जो दृश्य कैमरे में कैद किये. गुरुवार, 3 अक्तूबर 2013. जीवन संगीत: यात्रा. प्रस्तुतकर्ता. रजनीश 'साहिल. प्रतिक्रियाएँ:. लेबल: जीवन संगीत. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). बक़लम ख़ुद. रजनीश 'साहिल. तलाश ज़ारी है कि कोई तहरीर बन सके, वरना तो सिवा नाम के और कुछ नहीं. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. जिन्होंने सराहा. अपनी क़लम से. जीवन संगीत: यात्रा. जीवन संगीत: बचपन.

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तस्वीरें भी बोलती हैं...: आशियाना

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तस्वीरें भी बोलती हैं. यहाँ-वहाँ, मतलब-बेमतलब भटकते हुए जो दृश्य कैमरे में कैद किये. गुरुवार, 9 जुलाई 2009. आशियाना. प्रदेश-बिहार, जिला-जमुई, प्रखंड-चौरा, एक हरिजन बस्ती). प्रस्तुतकर्ता. रजनीश 'साहिल. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). बक़लम ख़ुद. रजनीश 'साहिल. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. जिन्होंने सराहा. अपनी क़लम से. रेख्ता के तुम ही उस्ताद नहीं हो. कच्ची मिट्टी. आशियाना. द्वारा संचालित.

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Http:/ rekhta.org/ Urdu Poetry. Shers quoted in the name of Mirza Ghalib but actually they are not by Ghalib. May 27, 2014. 8220;Khuda ke waste parda na kabe se utha waaiz. Kahin aisa na ho yaan bhi wahi kaafir sanam nikle”. The above sher is sung by Jagjit Singh as a part of Ghalib’s ghazal but actually this sher is not anywhere found in Ghalib’s diwan. Some other such shers are:. 8220;Chand taswir-e-butaan chand haseenon ke KHutoot. Baad marne ke mere ghar se ye saamaaN nikla”. And tagged Mirza Ghalib.

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