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Doppelganger....: December 2009
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Tuesday, December 8, 2009. Climate Mathematics for CAT 2010. The tough climate change mathematics is expected to form part of CAT 2010 syllabus as parametric being a American firm will surely ask tough questions so that less people appear for CAT and less time computers will be ON and generate less CO2.Thus earn more carbon credits.Another tough calculation indeed. Thursday, December 3, 2009. Welcome to the world of mathematics! Wednesday, December 2, 2009. But Doctor it's a girl? Thus without waiting fo...
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चलो यूँ ही सही...: 2010-05-09
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चलो यूँ ही सही. Friday, May 14, 2010. याद करने के लिए उम्र पड़ी हो जैसे- अहमद फराज. ऐसे चुप हैं, कि यह मंजिल की कड़ी हो जैसे. तेरा मिलना भी जुदाई की घड़ी हो जैसे. अपने ही साए से हर गाम लरज जाता हूँ. रास्ते में कोई दीवार खड़ी हो जैसे. कितने नादां हैं तेरे भूलने वाले कि तुझे. याद करने के लिए उम्र पड़ी हो जैसे. तेरे माथे की शिकन पहले भी देखी थी मगर. यह गिरह अब के मेरे दिल में पड़ी हो जैसे. मंजिलेँ दूर भी है, मंजिलेँ नजदीक भी है. Sunday, May 9, 2010. उम्र भर हम सोचते ही रह गए हर मोड़ पर. Subscribe to: Posts (Atom).
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चलो यूँ ही सही...: 2010-04-18
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चलो यूँ ही सही. Saturday, April 24, 2010. सौदेबाज़ों से दोस्ती न की , वो दोस्ती में खूब सौदा करना. मंज़र-ए-इश्क का फूलना फलना. ये दरिया-ए-मय है या फिर कोई दवाखाना. देर शब् तेरी जुम्बिश की आखिरी वो खलिश. हमने खोया था तुझे अब तेरा पाना. रूह को भी गम है तेरे फिराक का. कैडे हयात में इक आस्तां है सागर-ओ-मीना. तुम थे तो एक शहर थी हयात में. अब एक दलील हूँ उस्सक बूटों का बना. इश्क एक दरिया-ए-ज़ख्म है या बाज़ीचा-ए-अत्फाल. Labels: अनुपम कर्ण. Monday, April 19, 2010. आये बनकर उल्लास अभी. आबाद रहे रì...हम सî...
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अर्ज़ है...: 07/01/2010 - 08/01/2010
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अर्ज़ है. कुछ अर्ज़ करने की आरज़ू में अर्ज़ है. यहां बहुत कुछ मिलेगा. हिन्दी की पाठशाला. खबरों की दुनिया. यहां बहुत कुछ मिलेगा. हिन्दी की पाठशाला. खबरों की दुनिया. दिल्ली में छपाक. छई. अबयज़ ख़ान. जहां बारिश के पानी में किसी के ऊपर छींटे उड़ाने की फिर से छूटे मिले. जहां बारिश के पानी में निकर प...दुनिया मेरी मुट्ठी में. मैं यहां भी. दुनिया भर से. अर्ज़ है" का जिक्र. जियो और जीने दो. कुछ खो गया है? दिल्ली में छपाक. छई. मैं यहां भी मिलूंगा. मेरे अपने. मेरे गीत! उड़न तश्तरी . कभी कभी! समान नागर&#...एक पî...
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Doppelganger....: February 2010
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Monday, February 22, 2010. Rendezvous with history at Sirpur. Sripur was very prosperous kingdom at the time of Mahashivgupta ,the sripur dynasty used to call themselves Kesari(lion) but after him or his old age.Sharabhpuria rules captured Sripur and Mahashivgupta's son Mahabhavagupta.Unfortunate Mahabhavagupta had to run with his family and walk along the mahanadi and conquer Kalinga from trikalinga dynasty and settle at katak(cuttak). Subscribe to: Posts (Atom). There was an error in this gadget.
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चलो यूँ ही सही...: 2010-05-02
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चलो यूँ ही सही. Saturday, May 8, 2010. फिर हरे होने लगे जख्म पुराने कितने- पूनम कौसर. उनको देखा तो पलट आए जमाने कितने . फिर हरे होने लगे जख्म पुराने कितने. मशवरा मेरी वसीयत का मुझे देते हैं. हो गए हैं, मेरे मासूम सियाने कितने. मेरे बचपन की वो बस्ती भी अजब बस्ती थी. दोश्त बन जाते थे इक पल में बेगाने कितने. उनकी तस्वीर तो रख दी है हटाकर लेकिन. फिर भी कहती है यह दीवार फसाने कितने. कितनी सुनसान है कौसर अब इन आँखो की गली. मेरा नया घर. मेरे नये घर में. पत्नी बच्चे और मैं. Wife, children and I. उसकी आख...
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JHAROKHA: January 2013
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बुधवार, 23 जनवरी 2013. कुछ परिन्दों का दीदार कर लूं तो चलूं. सपनों को थोड़ा उड़ान दे दूं तो चलूं।. उड़ने से पहले ही पर कट न जाय कहीं. उनको कटने से बचा लूं तो चलूं।. झुग्गी झोपड़ियों में बहती है नीर की धारा. उनके आंसुओं को जरा पोंछ लूं चलूं।. उम्मीदों के दीप जो जलाए हैं हमने. उन्हें औरों तक पहुंचा दूं जरा तो चलूं।. कुछ पुण्य किये हैं तो पाप भी बहुत हमने. खुदा की इबादत कर लूं जरा तो चलूं।. पूनम श्रीवास्तव. 11 टिप्पणियां:. Links to this post. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Labels: उड़ान. Links to this post.
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JHAROKHA: May 2013
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बुधवार, 1 मई 2013. कैक्टस के जंगल. फोटो- गूगल से साभार). ज्यों ज्यों उम्र उसकी. चढ़ रही थी परवान पे. त्यों त्यों पल रहे थे. सपने उसकी आंखों में।. घर आंगन की लाडली. नन्हीं सी कली खिली खिली. नहीं मालूम था एक दिन. मुरझायेगी वो किस गली।. पूरे घर की आंखों की पुतली. जान निसार थी जिस पर सबकी. अपने ख्वाबों के संग संग. जिसने देखे थे सपने बापू व मां के।. कदम बढ़ा रही थी धीरे धीरे. खोल रही थी पर अपने. धर दबोचा उसको पीछे से. कुछ नापाक हाथों ने।. छटपटाई रोई चिल्लायी. पर जिसको दया न आनी थी. Links to this post. पर उसक&...
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Reflections
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Oct 1, 2012. काश कि ये कलम भी बादलों सी होती,. जो बह जाती खुद-ब-खुद,. जब दिल भारी हो पड़ता. पर इसकी तकदीर में. शब्दों की मजबूरियां और. दुनिया के grammar की शर्म लिखी है,. इसीलिए शायद,. इसके हिस्से की स्याही. आँखों को बहानी पड़ती है अक्सर. Subscribe to: Post Comments (Atom). दादी की कहानियाँ. काश कि ये कलम भी बादलों सी होती, जो बह जाती खुद-ब-. कभी कभी! Kashish - My Poetry. समस्याएं अनेक, व्यक्ति केवल एक. New face of Indian Cricket - 4. विकास की दुनिया. The Mango Man And The Question Mark.
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Reflections: More random lines
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Mar 5, 2014. सावन को गिला है आसमां से कि. भूल जाओगे तुम मुझे मौसम बदलने के बाद". अब ये बेचारा कैसे बताये उसे कि. महीनों इसकी आँखों पर किसकी यादों का कुहरा छाया रहता है. Subscribe to: Post Comments (Atom). दादी की कहानियाँ. मुलाक़ात. दीवाना. वो आँखें. इश्क नहीं तो बस उनकी आरज़ू किये जा, वो जो दूर हैं ब. लफ़्ज़ों का शोर. कभी कभी दिल फ़कत इस फिराक से तेरी आवाज़ सुनना चाहता . मुसाफिर. कभी कभी! Kashish - My Poetry. समस्याएं अनेक, व्यक्ति केवल एक. New face of Indian Cricket - 4. The Mango Man And The Question Mark.