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शेष है अवशेष: शैलप्रिया की निगाह में स्त्री संघर्ष
http://shailpriya.blogspot.com/2009/05/blog-post_12.html
शेष है अवशेष. शेष है अवशेष' आपकी लिपि में (SHESH HAI AVSHESH in your script). शेष है अवशेष' पर कमेंट करने के लिए यहां रोमन में लिखें अपनी बात। स्पेसबार दबाते ही वह देवनागरी लिपि में तब्दील होती दिखेगी।. Tuesday, May 12, 2009. शैलप्रिया की निगाह में स्त्री संघर्ष. य वर्मा. अनुराग अन्वेषी. उसे पुरुषों जैसा अधिकार क्यों नहीं मिल पाया है? वह बार-बार अपनी लड़ाई हार क्यों जाती है? मॉडरेटर : अनुराग अन्वेषी. लेबल यादें. लेखिका. शैलप्रिया. स्मृति. May 13, 2009 at 9:48 PM. May 13, 2009 at 9:50 PM. ऊब और दूब. ग...
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शेष है अवशेष: सार्थक एक लम्हा
http://shailpriya.blogspot.com/2009/03/blog-post_29.html
शेष है अवशेष. शेष है अवशेष' आपकी लिपि में (SHESH HAI AVSHESH in your script). शेष है अवशेष' पर कमेंट करने के लिए यहां रोमन में लिखें अपनी बात। स्पेसबार दबाते ही वह देवनागरी लिपि में तब्दील होती दिखेगी।. Sunday, March 29, 2009. सार्थक एक लम्हा. जीना बहुत कठिन है।. लड़ना भी मुश्किल अपने-आप से।. इच्छाएं छलनी हो जाती हैं. और तनाव के ताबूत में बंद।. वैसे,. इस पसरते शहर में. कैक्टस के ढेर सारे पौधे. उग आए हैं. जंगल-झाड़ की तरह।. इन वक्रताओं से घिरी मैं. उग जाता है. शैलप्रिया. लेबल कविता. ऊब और दूब. जो अन...
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शेष है अवशेष: मेरे आस-पास बहती है एक सुलगती नदी
http://shailpriya.blogspot.com/2009/09/blog-post.html
शेष है अवशेष. शेष है अवशेष' आपकी लिपि में (SHESH HAI AVSHESH in your script). शेष है अवशेष' पर कमेंट करने के लिए यहां रोमन में लिखें अपनी बात। स्पेसबार दबाते ही वह देवनागरी लिपि में तब्दील होती दिखेगी।. Tuesday, September 01, 2009. मेरे आस-पास बहती है एक सुलगती नदी. लेखक परिचय. सुलगती हुई नदी पर अभी इतना ही। शेष फिर . मॉडरेटर : अनुराग अन्वेषी. लेबल यादें. लेखिका. शैलप्रिया. स्मृति. September 2, 2009 at 7:37 AM. बेहतरीन आलेख! December 2, 2009 at 6:26 AM. March 19, 2011 at 11:29 AM. ऊब और दूब. चोख...
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शेष है अवशेष: एक सुलगती नदी
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शेष है अवशेष. शेष है अवशेष' आपकी लिपि में (SHESH HAI AVSHESH in your script). शेष है अवशेष' पर कमेंट करने के लिए यहां रोमन में लिखें अपनी बात। स्पेसबार दबाते ही वह देवनागरी लिपि में तब्दील होती दिखेगी।. Sunday, April 19, 2009. एक सुलगती नदी. मैं नहीं जानती,. बह गई एक नदी. सुलगती नदी. गर्म रेत अब भी. आंखों के सामने है. इनमें इंद्रधनुष का. कोई रंग नहीं. मेरे अंदर एक नदी. इंद्रधनुष. ताड़ के झाड़ में. उलझ कर रह गया. मेरा मैं उद्विग्न हो कर. दिनचर्या में खो गया. एक सुलगती नदी बह गई. 11 फरवरी'95,. एक और अनम...
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शेष है अवशेष: April 2009
http://shailpriya.blogspot.com/2009_04_01_archive.html
शेष है अवशेष. शेष है अवशेष' आपकी लिपि में (SHESH HAI AVSHESH in your script). शेष है अवशेष' पर कमेंट करने के लिए यहां रोमन में लिखें अपनी बात। स्पेसबार दबाते ही वह देवनागरी लिपि में तब्दील होती दिखेगी।. Sunday, April 19, 2009. एक सुलगती नदी. मैं नहीं जानती,. बह गई एक नदी. सुलगती नदी. गर्म रेत अब भी. आंखों के सामने है. इनमें इंद्रधनुष का. कोई रंग नहीं. मेरे अंदर एक नदी. इंद्रधनुष. ताड़ के झाड़ में. उलझ कर रह गया. मेरा मैं उद्विग्न हो कर. दिनचर्या में खो गया. एक सुलगती नदी बह गई. 11 फरवरी'95,. बाब...
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शेष है अवशेष: जिंदगी
http://shailpriya.blogspot.com/2009/07/blog-post.html
शेष है अवशेष. शेष है अवशेष' आपकी लिपि में (SHESH HAI AVSHESH in your script). शेष है अवशेष' पर कमेंट करने के लिए यहां रोमन में लिखें अपनी बात। स्पेसबार दबाते ही वह देवनागरी लिपि में तब्दील होती दिखेगी।. Tuesday, July 07, 2009. जिंदगी. अनुराग अन्वेषी. अखबारों. की दुनिया में. महंगी साड़ियों के सस्ते इश्तहार हैं।. शो-केसों में मिठाइयों और चूड़ियों की भरमार है।. प्रभू, तुम्हारी महिमा अपरम्पार है. कि घरेलू बजट को बुखार है।. तीज और करमा. अग्रिम और कर्ज. एक फर्ज।. इनका समीकरण. शैलप्रिया. July 7, 2009 at 9:52 PM.
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शेष है अवशेष: May 2009
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शेष है अवशेष. शेष है अवशेष' आपकी लिपि में (SHESH HAI AVSHESH in your script). शेष है अवशेष' पर कमेंट करने के लिए यहां रोमन में लिखें अपनी बात। स्पेसबार दबाते ही वह देवनागरी लिपि में तब्दील होती दिखेगी।. Tuesday, May 12, 2009. शैलप्रिया की निगाह में स्त्री संघर्ष. य वर्मा. अनुराग अन्वेषी. उसे पुरुषों जैसा अधिकार क्यों नहीं मिल पाया है? वह बार-बार अपनी लड़ाई हार क्यों जाती है? मॉडरेटर : अनुराग अन्वेषी. 3 प्रतिक्रियाएं. लेबल यादें. लेखिका. शैलप्रिया. स्मृति. Monday, May 11, 2009. य वर्मा. इतना भी...
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शेष है अवशेष: January 2009
http://shailpriya.blogspot.com/2009_01_01_archive.html
शेष है अवशेष. शेष है अवशेष' आपकी लिपि में (SHESH HAI AVSHESH in your script). शेष है अवशेष' पर कमेंट करने के लिए यहां रोमन में लिखें अपनी बात। स्पेसबार दबाते ही वह देवनागरी लिपि में तब्दील होती दिखेगी।. Saturday, January 31, 2009. भइया की परेशानियों को बांटने वाला आया. अनुराग अन्वेषी. मॉडरेटर : अनुराग अन्वेषी. 1 प्रतिक्रियाएं. लेबल यादें. लेखिका. शैलप्रिया. स्मृति. Wednesday, January 28, 2009. अनुराग अन्वेषी. मॉडरेटर : अनुराग अन्वेषी. 1 प्रतिक्रियाएं. लेबल यादें. लेखिका. शैलप्रिया. और इतना बता...
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मुख़्तसर : बीते लम्हों की खनक
http://shuklaabhishek147.blogspot.com/2015/08/blog-post_28.html
मुख़्तसर. कलम की तिरछी झाड़ू से बुहारें हैं मैंने कुछ कण कविताओं के.तुम सहेज लेना इन्हें मन की चंचल तश्तरी पर. शुक्रवार, 28 अगस्त 2015. बीते लम्हों की खनक. प्रस्तुतकर्ता. अभिषेक शुक्ल. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. बीते लम्हों की खनक. पतझड़ में बनकर हरियाली, फूलो. एक फरेबी इंतजार की जद में . सुनो, तुम कहतीं थी न कि मै तुम्हारे लिए कव...कलम की तिरछी झाड़ू से. पौं फटी जब दूर उस क&#...मैजिक बुक. कवितì...
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मुख़्तसर : वह गोताखोर बनना चाहती थी
http://shuklaabhishek147.blogspot.com/2015/07/blog-post_31.html
मुख़्तसर. कलम की तिरछी झाड़ू से बुहारें हैं मैंने कुछ कण कविताओं के.तुम सहेज लेना इन्हें मन की चंचल तश्तरी पर. शुक्रवार, 31 जुलाई 2015. वह गोताखोर बनना चाहती थी. मुझे बताया था किसी ने. कि बचपन से ही वह गोताखोर बनना चाहती थी. बिल्कुल जलपरी सी दीखती थी वह. गहरे उतर जाने का हुनर तो उसे बखूबी आता था. समन्दर में उतरने से पहले. वह सोख लेती थी अपने हिस्से का समूचा आसमान. और निकल पड़ती थी एक अंतहीन यात्रा पर. वह जमा किया करती सुनहरी मछलियाँ,. और कुछ चमकते हुए सफ़ेद मोती. आज उदास है समन्दर. नई पोस्ट. आयु क...