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साखी: July 2010
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अभियान के साथी. शुक्रवार, 30 जुलाई 2010. अरुणा राय की कविताएं. अरुणा राय. सम्प्रति शासकीय सेवा में कार्यरत हैं ।. अरुणा राय की कुछ रचनायें प्रस्तुत हैं. हाँ जी, इन दिनों हम. में हैं. अब यह मत पूछिएगा कि. हवाओं के, चांदनी के या. रेत के. बस प्यार है और हम. लिखते चल. रहे हैं कोई नाम. जहाँ-तहाँ और उसके आजू. लिख दे रहे हैं पवित्र. मासूम निर्दोष. और यह सोचते हैं कि ये. उसे ज़ाहिर कर देंगे या. ढंक लेंगे. आजकल कभी भी खटखटा देते. एक दूसरे का हृदय. और हड़बड़ाए से कह. बैठते हैं. जाते हैं. था नंबर. मुक्त...फिर...
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Pratilipi » गिरिराज किराडू / Giriraj Kiradoo
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आज द व श ष क / Freedom Special. अ क 13 / Issue 13. म ख प ष ठ / Home. पर चय / About. प र ट म / In Print. सम पर क / Contact. सह यत / Help. उद हरण / Udaharan. ग र र ज क र ड / Giriraj Kiradoo. Giriraj Kiradoo (b.1975) has published poems, criticism, translations and few short stories in. India Today Sahitya Varshiki. Etc and some of them have been translated into Urdu, Marathi, Catalan and English. He was conferred upon the prestigious. Bharat Bhaushan Agrawal Smruti. Into Hindi and Gitanjali Shree’s. Single...
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ): June 2012
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ). Monday, June 4, 2012. कभी भीड़ से. कभी अकेले से. कभी धुंधले से. कभी दूर से. कभी करीब से. कभी अजनबी से. कभी अपने से. मिलते,बिछड़ते चेहरे. आँखों से ओझल हुए. बहुत चेहरे. कुछ अपने से ! शोभा ). Labels: कविता. तुम प्राणवायु हो. शीतल छाया हो. लाल फूलों से सजे. तुम बहुत लुभावने हो. और 'मैं'. मर्यादा से बंधी. वो पवित्र धागा हूँ. जो किस्तों में कई बार बाँधी जाती हूँ. कभी बरगद,कभी पीपल के तने से. मैं बंधी हूँ. परम्पराओं की मजबूत डोर से. मैं एक अनजाने. पर छा जाती. तुम संग. अस्ति...
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ): September 2012
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ). Sunday, September 30, 2012. कृतिम' 'चाँद'. तुम्हारा दावा है. सात फेरों वाली. तुम्हारी कविता. तुम्हारी सात बेड़ियों में. सुरक्षित है. सात परतों में उसे छिपा. तुम सराहते हो उन्हें. जो तुम्हारी नज़रों में. निरंकुश' कविता है. सराही जाती है तुम्हारी. दोहरे मानसिकता वाली कविता. कृतिम' 'चाँद' के रूप में ! Labels: कविता. Friday, September 28, 2012. बात कुछ भी नहीं थी. बात कुछ भी नहीं थी. आस-पास का माहौल. कुछ ठीक नहीं था. कुछ बिखरा हुआ था. झलक सी दिखाई दी. चुप ही रहे. फिर भी. बिन&...
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मुक्ताभ
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मुक्ताभ. सोमवार, 26 दिसंबर 2011. भीगी छत पर ओस की. जो नमी दिख रही थी,. उन्हें अब कबूतर चुग रहे हैं।. कुछ देर पहले. जो धूप कोहरे ने ढकी थी,. अचानक वो. धीरे-धीरे खिल उठी है. फिर भी ओस कणों की. सफेदी झर रही है।. आकाश की नीली दरी भी. नहीं दिख रही है।. वनस्पतियों पर चमकते. ओसकण के मोती. बता रहे हैं कि. हम रात में. कितना बरसे हैं।. ठंड से हो रही हैं. जाने कितनी मौतें रोज. खबर मिलती है तब. जब मर जाते हैं ठंड से लोग।.क्रमशः. गौरव मिश्र, मो. 09719515925. प्रस्तुतकर्ता. मुक्ताभ. लेबल: dard hi dard. 65279; ...
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मुक्ताभ: हाइकू
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मुक्ताभ. शुक्रवार, 23 सितंबर 2011. 65279; . सुमन पांखुरी. 65279;काँटे ही काँटे. उगे हैं जमी पर,. सम्हल कर ही चलना. चुभें ना कहीं पर।. अजब लीला तेरी. ऐ कुदरत है देखी. कि काँटे चुभे हैं. सुमन-पाँखुरी पर।. साँसों का कोई. ठिकाना नही है,. बातों के चर्चे. चले हैं सदी भर।. 65279;जिधर देखिये. बस तुमुल ही तुमुल है. कि बजती नहीं. रागिनी बाँसुरी पर।. गौरव मिश्र. जनसंदेश टाइम्स में प्रकाशित. प्रस्तुतकर्ता. मुक्ताभ. प्रतिक्रियाएँ:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! लेबल: dard hi dard. 65279; ...
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समालोचन: सहजि सहजि गुन रमैं : राकेश श्रीमाल
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2404;। समालोचन के पांच साल ।।. अरुण देव. ई-पता : devarun72@gmail.com. समालोचन साहित्य की पत्रिका है. प्रकाशन के लिए. स्तरीय, अप्रकाशित. रचनाएँ ही विचारयोग्य हैं. ( पूर्वप्रकाशित रचना भेजते हुए प्रकाशन का सन्दर्भ या लिंक अवश्य दें). प्रकाशन के लिए रचनाएँ वर्ड फाइल तथा यूनिकोड हिंदी फॉट में ई -मेल से भेजी जा सकती हैं. सम्पर्क :. 5/ himalayan colony (nehar colony). Ll इस सप्ताह ll. सहजि सहजि गुन रमैं : गीत चतुर्वेदी. हिंदी की प्रतिष्ठा प्राप्...कविता भाषा की मिट्ट&#...कविताएँ. समीक्षा. सुमन केशर...हरि...
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समालोचन: सहजि सहजि गुन रमैं : निर्मला पुतुल
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2404;। समालोचन के पांच साल ।।. अरुण देव. ई-पता : devarun72@gmail.com. समालोचन साहित्य की पत्रिका है. प्रकाशन के लिए. स्तरीय, अप्रकाशित. रचनाएँ ही विचारयोग्य हैं. ( पूर्वप्रकाशित रचना भेजते हुए प्रकाशन का सन्दर्भ या लिंक अवश्य दें). प्रकाशन के लिए रचनाएँ वर्ड फाइल तथा यूनिकोड हिंदी फॉट में ई -मेल से भेजी जा सकती हैं. सम्पर्क :. 5/ himalayan colony (nehar colony). Ll इस सप्ताह ll. सहजि सहजि गुन रमैं : गीत चतुर्वेदी. हिंदी की प्रतिष्ठा प्राप्...कविता भाषा की मिट्ट&#...कविताएँ. समीक्षा. सुमन केशर...हरि...
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