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सेवक या शासक? | प्रेमरस
http://www.premras.com/2014/08/servant-or-ruler.html
मीडिया में. तिरछी नज़र (Photo Blog). व्यंग्य. ब्लॉग-राग. मीडिया. लघु कथा. सेवक या शासक? राजनीति. पता नहीं वोह राजनेता जनता के सेवक कैसे बन सकते हैं जिनपर देश के लाला उद्योगपति चुनावों में खर्च के नाम पर सट्टा लगाते हों? Keywords: prime minister, pm of india, sevak, servant, rural, loktantra, democracy, narendra modi. Posted by Shah Nawaz. राजनीति. August 27, 2014 at 2:54 PM. सम्पूर्ण मंच प्रदान करता है. ब्लॉगप्रहरी नेटवर्क. Subscribe to: Post Comments (Atom). मुसलमानों के ल&...ग़ालिब की ...विचा...
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प्रेमरस: January 2015
http://www.premras.com/2015_01_01_archive.html
मीडिया में. तिरछी नज़र (Photo Blog). व्यंग्य. ब्लॉग-राग. मीडिया. लघु कथा. अबकी बार, कैसी सरकार? लोकसभा इलेक्शन ख़त्म हुए 7 महीने से ज़्यादा समय हो चुका है। भाजपा का नारा था कि "बहुत हुआ भ्रष्टाचार, अबकी बार मोदी सरकार". तो अब तो सरकारी दफ्तरों में बिना रिश्वतों के काम होने लगा है ना? पुलिस बिना रिश्वत के ही काम करने लगी हैं और नगर निगम वाले भी सुधर गए हैं? अब उन्हें बलात्कार का दंश नहीं झेलना पड़ता है? हैं ना? क्या कहते हैं? बहुत हुआ किसानों पर अत्याचार,...कालेधन से जन-जन को धनवì...नए साल का. तोहफ...
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प्रेमरस: December 2014
http://www.premras.com/2014_12_01_archive.html
मीडिया में. तिरछी नज़र (Photo Blog). व्यंग्य. ब्लॉग-राग. मीडिया. लघु कथा. सवाल केवल बाबरी मस्जिद का नहीं बल्कि नफ़रत की खेती का. सवाल सिर्फ यह है कि आखिर ऐसी क्या वजह रहीं कि हमारे रिश्ते इतने खराब हुए कि हम इस अविश्वसनीय कृत्य को अपने देश में होते हुए देखने पर मजबूर हुए? और सवाल है हिंदुस्तान को 'पाकिस्तान' बना देने की कोशिशों का. और हम कैसे एक के मुक़ाबले में दूसरे को जायज़ ठहरा देते हैं? Subscribe to: Posts (Atom). दोहरा रवैया या तानाशाही? दया और न्याय का स्थान. मुसलमानों के...ग़ालिब की ...विचा...
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नए साल का है तोहफा, ख्वाबों का खुमारों का | प्रेमरस
http://www.premras.com/2015/01/gazal-new-year.html
मीडिया में. तिरछी नज़र (Photo Blog). व्यंग्य. ब्लॉग-राग. मीडिया. लघु कथा. नए साल का है तोहफा, ख्वाबों का खुमारों का. नया मौक़ा, रौशन से सितारों का. नए साल का. तोहफा, ख्वाबों का खुमारों का. गुलज़ार चमन सारा. चहकी हैं सभी कलियाँ, मौसम है बहारों का. नई ऐसी फ़िज़ा झूमे, रौशन हो हर इक चेहरा. ए काश चलन निकले, ढहने का दीवारों का. शाहनवाज़ 'साहिल'. Posted by Shah Nawaz. January 5, 2015 at 12:47 PM. नई ऐसी फ़िज़ा झूमे, रौशन हो हर इक चेहरा. नव वर्ष मुबारक हो! January 5, 2015 at 5:14 PM. January 6, 2015 at 11:42 AM. Ameeq...
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अबकी बार, कैसी सरकार? | प्रेमरस
http://www.premras.com/2015/01/abki-bar-kaisi-sarkar.html
मीडिया में. तिरछी नज़र (Photo Blog). व्यंग्य. ब्लॉग-राग. मीडिया. लघु कथा. अबकी बार, कैसी सरकार? राजनीति. व्यंग्य. लोकसभा इलेक्शन ख़त्म हुए 7 महीने से ज़्यादा समय हो चुका है। भाजपा का नारा था कि "बहुत हुआ भ्रष्टाचार, अबकी बार मोदी सरकार". तो अब तो सरकारी दफ्तरों में बिना रिश्वतों के काम होने लगा है ना? पुलिस बिना रिश्वत के ही काम करने लगी हैं और नगर निगम वाले भी सुधर गए हैं? अब उन्हें बलात्कार का दंश नहीं झेलना पड़ता है? हैं ना? क्या कहते हैं? बहुत हुआ किसानों पर अत्...कालेधन से जन-जन क...Ameeque Jamei क...
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प्रेमरस: September 2014
http://www.premras.com/2014_09_01_archive.html
मीडिया में. तिरछी नज़र (Photo Blog). व्यंग्य. ब्लॉग-राग. मीडिया. लघु कथा. चाइना का दुःसाहस और हमारा ढुलमुल रवैया. साभार: Times Now. कुछ दिन पहले आपने. इलेक्ट्रॉनिक्स. उनके द्वारा सीमा विवाद पर कड़ा रुख अपनाया जा रहा है, लद्दाख में अतिक्रमण को उनके राष्ट्रीय हित से जोड़ा जा रहा है. जब तक चाईना अपना रवैया नहीं बदलता है, कम से कम तब तक तो हमें सख्त रवैया अपनाना ही चाहिए. देश की संप्रभुता कहीं पीछे छूट गई लगती है।. इसके अलावा धुम्रपान तथा कम उम्र में...खेम करन" सेक्टर के "असल उत&...जय हिन्द! Keywords: C...
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प्रेमरस: May 2014
http://www.premras.com/2014_05_01_archive.html
मीडिया में. तिरछी नज़र (Photo Blog). व्यंग्य. ब्लॉग-राग. मीडिया. लघु कथा. पेशेवर मंत्रालय और ग़ैर-पेशेवर मंत्री. आम से काम तो सभी कर सकते हैं, केवल योग्यता की आवश्यकता होती है। मगर पेशेवर कार्यों के लिए पेशेवर लोगो को ही आगे करना चाहिए. अब तक चलता रहा तो कब तक चलता रहेगा? अगर कोई यह तर्क देता है कि पढ़े-लिखों ने सिवाए घोठालों के क्या किया? Keywords: professional, un-professional, unprofessional, ministry, minister, india, bjp government, smriti irani, education, affidavit. इस पर पठान परवेज़. इस बीच हर...
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सख्त कानून और पुलिस की मुस्तैदी भर से रुक जाएगी महिलाओं के प्रति दरिंदगी? | प्रेमरस
http://www.premras.com/2013/04/strict-laws-and-police-reform-will-stop-sexual-harassment-against-women.html
मीडिया में. तिरछी नज़र (Photo Blog). व्यंग्य. ब्लॉग-राग. मीडिया. लघु कथा. सख्त कानून और पुलिस की मुस्तैदी भर से रुक जाएगी महिलाओं के प्रति दरिंदगी? क्या समाज के ह्रास में और कोई कसर बाकी है? कम से कम शुरुआत अपने से और अपनों से तो की ही जा सकती है।. Keywords: strict law, police reform, rape victims, delhi, crime against women, sexually harassment. Posted by Shah Nawaz. April 21, 2013 at 5:19 PM. April 25, 2013 at 10:55 AM. शुक्रिया वंदना जी. April 21, 2013 at 9:08 PM. April 25, 2013 at 10:55 AM. मुस...
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