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जिंदगी 16mm: May 2013
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हमन हैं इश्क मस्ताना.हमन को होशियारी क्या. छत्तीसगढ़ हमले पर माओवादियों की ओर से जारी की गई प्रेस रिलीज. जिस काण्ड को खुद कांग्रेस के स्थानीय नेताओं को भी मजबूरन ‘नरसंहार’ बताना पड़ा था, उस पर इन नेताओं के मुंह पर ताले क्यों लग गए थे? बस्तर के गरीब आदिवासियों, बूढ़ों, बच्चों और महिलाओं पर लागू नहीं होता? प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. लेबल: नक्सलवाद. जी, ये भी एक ‘गांधी’ हैं. इस कहानी की. मेहरबान सपा सरकार. पार्टी विरोधी गांधी. रिजवान मलिक :. यार, हमसे पूछो मत . मैं...मोहम्मद सदर :. मैं ...मीट...
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जिंदगी 16mm: July 2013
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हमन हैं इश्क मस्ताना.हमन को होशियारी क्या. आमिर खान का सेंस ऑफ बिजनेस- आमिर से गजेंद्र सिंह भाटी की बातचीत. उस वक्त उन्होंने ‘. लोगों. ने ‘. देखी। ‘. डेल्ही. में उनका पैसा लगा था। उन्हें पता था कि ‘. मैंने. डुबोने. हैं।. क्योंकि. बच्चों. फैमिली. कुछ घंटे पहले ही) बनाकर अपलोड कर दिये गए।. प्रोमो. मीडिया।. हैं।. आंखों. देखो।. आखिर में अंगुलियां चाटते हुए गुनगुनाते हैं, दिल. प्रोमो. जिसमें. जॉकोमॉन. डायरेक्टर. उन्होंने. प्रोग्रैम. डेल्ही. उन्हें. संहिता. टिप्पणी. मैंने. फैमिली. फैमिलीज. भी घर मे...2404; ह&#...
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जिंदगी 16mm: April 2014
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हमन हैं इश्क मस्ताना.हमन को होशियारी क्या. फिल्म विचार को आगे नहीं ले जाती तो बेकार है : आनंद गांधी. आनंद गांधी कौन हैं? इन फ़िल्मकार का एक रोचक रूप देखना हो तो आगे बढ़ने से पहले Doppelgänger. देखें, हैरत होगी।. बनाई। तीन साल बाद आनंद ने पांच अध्याय वाली फ़िल्म ‘कंटिन्युअम’ ( हंगर. ट्रेड एंड लव. एनलाइटनमेंट. कंटिन्युअम. पिछले साल वह अपनी पहली फीचर फ़िल्म ‘ शिप ऑफ थिसीयस. अभी क्या करने में व्यस्त हैं? 8216;तुम्बाड’ कब तक रिलीज होगी? शायद सितंबर तक।. थीसियस का पौराणिक स&...या ये बीच म...मुझे...
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जिंदगी 16mm: June 2013
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हमन हैं इश्क मस्ताना.हमन को होशियारी क्या. हिमालय बचेगा तो हम बचेंगे. के जुलाई, 2012 के अंक में छपे चारु तिवारी. के लेख को फिर से पोस्ट किया जा रहा है। इस उम्मीद के साथ कि हम कुछ सबक हासिल कर सकें-. उत्तराखंड. इन लोगों. अगर कहीं कुछ है ही नहीं तो धारी देवी में मारपीट की नौबत क्यों आ रही है? गंगा को. इन वैज्ञानिक. अब आते हैं नौकरी के सवाल पर. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. अंबेदकर जयंती. जेब अख्तर. मुर्गे. तब ठीक है. और टेबुल? इ प्रजातंत्र है, उ मंत्राी...मालिक-वालिक कुछ...चनेसर, जब अभी स...ये ...
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विकल्प: June 2013
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सामाजिक सांस्कृतिक चेतना और संवाद का मंच. Thursday, June 27, 2013. व्लादिमीर मायकोवस्की की कविता- तुम. तुम, जो व्याभिचार के कीचड़ में लगातार लोट रहे हो,. गरम गुसलखाने और आरामदायक शौचालय के मालिक! तुम्हारी मजाल कि अपनी चुन्धियायी आँखों से पढ़ो. अखबार में छपी सेंट जोर्ज पदक दिये जाने जैसी खबर! तुमको परवाह भी है, उन बेशुमार मामूली लोगों की. कि शायद अभी-अभी लेफ्टिनेंट पेत्रोव की दोनों टांगें. उड़ गयीं हैं बम के धमाके से? अनुवाद- दिगम्बर). Links to this post. Labels: कविता. मायकोवस्की. Friday, June 21, 2013.
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विकल्प: November 2012
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सामाजिक सांस्कृतिक चेतना और संवाद का मंच. Tuesday, November 27, 2012. दुनिया का ‘सबसे गरीब’ राष्ट्रपति : जोसे मुजिका. जोसे मुजिका का खेत में बना मकान, उनकी पत्नी और कुत्ता (फोटो- बीबीसी). व्लादिमीर हर्नान्डेज. राष्ट्रपति और उनकी पत्नी जमीन पर खुद खेती करते हुए, फूल उगाते हैं. 8220;मेरे पास जो कुछ है, उससे मैं अच्छी तरह जी सकता हूँ.”. 8220;लेकिन हम क्या सोच रहे हैं? तब हमारे पास कितनी आक्सीजन शेष बचेगी? 8220;क्या इस ग्रह के पास इतने पर्याप्त संस&...वह भांग के उपभोग को क़...8220;भांग क...183; प...
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जिंदगी 16mm: January 2013
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हमन हैं इश्क मस्ताना.हमन को होशियारी क्या. गुलजार की एक कविता. रोज़गार के सौदों में जब भाव-ताव करता हूँ. गानों की कीमत मांगता हूँ -. सब नज्में आँख चुराती हैं. और करवट लेकर शेर मेरे. मूंह ढांप लिया करते हैं सब. वो शर्मिंदा होते हैं मुझसे. मैं उनसे लजाता हूँ. बिकनेवाली चीज़ नहीं पर. सोना भी तुलता है तोले-माशों में. और हीरे भी 'कैरट' से तोले जाते हैं . मैं तो उन लम्हों की कीमत मांग रहा था. उम्र उधेड़ के,. साँसें. तोड़ के. देता हूँ. Ps:गुलज़ार साहब की किताब. छैंया-. प्रस्तुतकर्ता. लेबल: कविता. उन रंगो...
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विकल्प: September 2012
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सामाजिक सांस्कृतिक चेतना और संवाद का मंच. Thursday, September 27, 2012. नौजवान भारत सभा का गठन. उसी घोषणा-पत्र में भगत सिंह और भगवती चरण वोहरा मानव द्वारा मानव के तथा राष्ट्र द्वारा राष्ट्र के शोषण को घोर अन्याय घोषित करते हुए लिखते हैं-. नौजवान भारत सभा, लाहौर के घोषणा-पत्र में ही वे फिर लिखते हैं-. शहीद भगत सिंह : लक्ष्य और विचारधारा,'. Links to this post. Labels: नौजवान भारत सभा. भगत सिंह. Subscribe to: Posts (Atom). यहाँ आये. ब्लॉग-सम्पादक. View my complete profile. सोजे वतन, यान...अमन की ख&...
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विकल्प: August 2012
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सामाजिक सांस्कृतिक चेतना और संवाद का मंच. Tuesday, August 28, 2012. दुनिया की अर्थव्यवस्था ढाँचागत संकट की गिरफ्त में (पांच भागों में). पाँचवाँ भाग. ढाँचागत संकट पूँजीवाद का व्यवस्थागत संकट है। इसमें वित्तीय महा. दुनिया के अलग. अलग देशों और एक ही देश के भीतर अलग. अलग वर्गों के बीच बेतहाशा बढ़ती असमानता. राजनीतिक पतनशीलता और चरम भ्रष्टाचार. लोकतन्त्र का खोंखला होते जाना और राजसत्ता की निरंकुशता. सांस्कृतिक पतनशीलता. पाशविक प्रवृति. खुदगर्जी. अपनी विशिष्टता और एक. मुनाफा. मुनाफा. इतिहास के...निज...
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विकल्प: May 2013
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सामाजिक सांस्कृतिक चेतना और संवाद का मंच. Tuesday, May 14, 2013. रसूल हमजातोव की कविता. मेरी मातृभाषा. हमारी नींदों में आते हैं. अजीबोगरीब ख़यालात-. कल रात मैंने ख्वाब में देखा. कि मरा पड़ा हूँ. एक गहरे खड्ड के किनारे. सीने में धंसी है एक गोली. हहराती-शोर मचाती. बह रही है कोई नदी पास में. मदद के लिये कर रहा हूँ. वेवजह इंतजार. पड़ा हुआ हूँ धुल भरी धरती पर. धूल में मिलनेवाला हूँ शायद. किसी को क्या पता. कि मैं मर रहा हूँ यहाँ पड़े-पड़े. कोई हमदर्द नहीं आसपास. बेखबर और गुमनाम. सिर्फ तर्ज...क्या...
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