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भिनगढ़ी: स्वागत है
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भिनगढ़ी - मेरा गाँव, जो इस महानगर में रहते हुवे भी मेरे मन में समाया हुवा है. Saturday, January 29, 2011. स्वागत है. ब्लॉग जगत के. विद्वतजनों. स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग ‘भिनगढ़ी’. दुःख -. व्याधि. दिन में ही तो घटते हैं. जिंदगी. मुश्किल।. घायलों. रिश्ते. कम्भाक्तों. कहाँ।. गोलियां. मेरे कविता संग्रह 'उलझन' से. हरीश जोशी. दीपक बाबा. January 29, 2011 at 7:19 AM. हरकीरत ' हीर'. January 29, 2011 at 7:48 AM. हरीश जी स्वागत है आपका . अच्छी रचनायें हैं . इन्हें सुधार लें . अरुण चन्द्र रॉय. हरकीरत हीर. डैशब&...
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भिनगढ़ी
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भिनगढ़ी - मेरा गाँव, जो इस महानगर में रहते हुवे भी मेरे मन में समाया हुवा है. Wednesday, February 23, 2011. अंत हुआ शीत का. लो आ गया बसंत. बिगड़ैल संत सा. छा गया बसंत. आर्किड के फूलों पर. तितलियों की हलचल. नाच रहे वृक्ष ओढ़. फूलों का ऑंचल. धूल से अबीर ले. पंखुडि़यों से गुलाल. धरा व आकाश में. उड़ा रहा बसंत. चल पड़ी बयार. छोड़ अपना घरबार,द्वार. खिड़की,किवाड़. हर किसी के. खटखटाने लगी. रंग बिरंगे में जेन्सम में. खासी किशोरियां. चर्च को तैयार. मधुर स्वर में. कोरस गाने लगीं. पवन ताल ठोक रहा,. जोशी ज...वसं...
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मसि-कागद: September 2012
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प्यार के अविस्मरणीय पलों की चाशनी में पगे साहित्य की मिठास, एक नवीन आरंभ के साथ. शनिवार, 1 सितंबर 2012. लघुकथाएं. १- अपराध का ग्राफ. हाय मर जेँ मालिक, खाली पेट हें, पेट में लातें ना मारो. हाय दद्दा मर जेहें' वो गरीब रोये जा रहा था. बेचारी पुलिस भी क्या करती, राज्य सरकार का दबाव था कि राज्य में अपराध का ग्राफ नीचे जाना चाहिए. 2- इंतज़ार. दीपक मशाल. दीपक 'मशाल'. 48 टिप्पणियां:. Links to this post. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). Anubhootiyaan by Dipak Mashal. अर्चनì...
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मसि-कागद: March 2014
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प्यार के अविस्मरणीय पलों की चाशनी में पगे साहित्य की मिठास, एक नवीन आरंभ के साथ. सोमवार, 31 मार्च 2014. तीन नई कवितायें. 1- सार्वभौमिक खालीपन/ दीपक मशाल. कोई असल में वो नहीं होता. जो वो अक्सर दिख जाया करता है राह चलते. मुस्कुराते, खिलखिलाते. हाथ मिलाते गले लगाते. नहीं होता कोई वो. जो आसानी से. सामान्य अवस्था में रहता है. बल्कि कोई वो होता है. जिसकी झलक. वो दिखला जाता है कभी-कभार भावावेश में. अतिअनुकूल. धनात्मक और ऋणात्मक भावों के अधीन. खुद का प्रस्तुतीकरण ही. तय करता है. उसका नाम. आमों मí...परा...
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मसि-कागद: April 2014
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प्यार के अविस्मरणीय पलों की चाशनी में पगे साहित्य की मिठास, एक नवीन आरंभ के साथ. शनिवार, 26 अप्रैल 2014. लोकमत में 'लेबल'. दीपक 'मशाल'. कोई टिप्पणी नहीं:. Links to this post. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). Anubhootiyaan by Dipak Mashal. Promote your Page too. Anubhootiyaan by Dipak Mashal. ये देते हैं प्रेम और प्रेरणा. कहते हैं तो अपने बारे में भी बता ही देता हों. दीपक 'मशाल'. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. लोकप्रिय पोस्ट. शीर्षकहीन). मेरे प्रश्न. शब्दों स...श्मशì...
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मसि-कागद: December 2014
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प्यार के अविस्मरणीय पलों की चाशनी में पगे साहित्य की मिठास, एक नवीन आरंभ के साथ. रविवार, 28 दिसंबर 2014. फिर जूलिया/ दीपक मशाल. अब एक हाथ में कहानी थी और दूसरे में बिल. चेखव ने लिखा. हाँ, तो तुम्हारी तनख्वाह तीस रुबल महीना तय हुई थी ना? जी नहीं, चालीस रुबल महीना।. जूलिया ने दबे स्वर में कहा।. अब मैंने एक निगाह दूसरे हाथ में पकड़े बिल पर डाली। बिल ने कहा. पर फ्री मिनट्स ख़त्म होने पर मुझे कोई सूचना नहीं दी गई. मैंने प्रतिरोध किया. लेकिन…. चेखव की कहानी में. आप महीने में छह बार ...जूलिया क&...बारह और स...
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मसि-कागद: May 2012
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प्यार के अविस्मरणीय पलों की चाशनी में पगे साहित्य की मिठास, एक नवीन आरंभ के साथ. सोमवार, 28 मई 2012. जिजीविषा (लघुकथा)- दीपक मशाल. एक-दो रोज की बात होती तो इतना क्लेश न होता लेकिन जब ये रोज की ही बात हो गई तो एक दिन बहूरानी भड़क गई. गज़ब ही करते हैं आप. घर से निकाल दिया तो हमने ठेका ले रखा है क्या उनका? जहाँ जी चाहे जाएँ. हम क्यों उनपर अपनी रोटियाँ बर्बाद करें? मामला बढ़ता जा रहा था. हार कर गृहस्वामी ने कहा-. दीपक मशाल. दीपक 'मशाल'. 9 टिप्पणियां:. Links to this post. रविवार, 6 मई 2012. Links to this post.
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मसि-कागद: January 2014
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प्यार के अविस्मरणीय पलों की चाशनी में पगे साहित्य की मिठास, एक नवीन आरंभ के साथ. मंगलवार, 28 जनवरी 2014. समय और नीरो की बंसी/ दीपक मशाल. समय बिगबैंग का एक उत्पाद. शेष सभी उत्पत्तियों को. जकड़ लिया जिसने अपने बाहुपाश में. जिसकी देखरेख में पनपीं कितनी उत्पत्तियाँ. आकाशगंगायें. सूर्य तारे सितारे. ग्रह उपग्रह. सबने समय की अंगुली पकड़. सीखा चलना दौड़ना. धुरी पर घूमना. फेरे लगाना. भभक कर मिट जाना. विखंडित होकर अपने अंश से करना नवसृजन. जन्मे जीवन. संघ उपसंघ. समुदाय उपसमुदाय. पादप-जंतु. दीपक 'मशाल'. फ़िल्...
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मसि-कागद: October 2012
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प्यार के अविस्मरणीय पलों की चाशनी में पगे साहित्य की मिठास, एक नवीन आरंभ के साथ. बुधवार, 17 अक्तूबर 2012. क्षणिका. जाने किस जद्दोजेहद में मर गया. परिंदा था सियासी ज़द में मर गया. हुआ जो भी ऊँचा इस आसमाँ से. अपने आप ही वो मद में मर गया. दीपक 'मशाल'. 5 टिप्पणियां:. Links to this post. मंगलवार, 9 अक्तूबर 2012. दो लघुकथाएं. 1- चोर-सिपाही-वजीर-बादशाह. चार पर्चियां बनाई गईं. उन पर नाम लिखे गए. चोर, सिपाही, वजीर और बादशाह. बोल-बोल, मेरा वजीर कौन? मैं जहाँपनाह. दीपक मशाल. कौन है भाई? जवाब आया. Links to this post.
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.... PRRITIY प्रीति: kuchh fir bikhre pal कुछ फिर बिखरे पल
http://prritiy.blogspot.com/2015/08/kuchh-fir-bikhre-pal.html
PRRITIY प्रीति. Songs i am humming. ब्लॉग में आपका स्वागत है. हृदय के उदगारों को शब्द रूप प्रदान करना शायद हृदय की ही आवश्यकता है. आप मेरी शक्ति स्रोत, प्रेरणा हैं . You are my strength, inspiration :). Monday, August 10, 2015. Kuchh fir bikhre pal कुछ फिर बिखरे पल. फिर बदरी छायी फिर बूँदें बरसी. फिर पपीहे ने टेर लगाई पीहू पीहू. Prritiy, 4.05 pm, 10 August, 2015. हमारे इन नैनों में सपने उन्होंने ही जगाये थे. Prritiy, 2.58 pm, 10 August, 2015. Prritiy, 2.14pm, 10 August, 2015. दोनों कह र...जान ज...