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इंकलाब: October 2009
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Friday, October 16, 2009. शुभदीपावली. प्रस्तुतकर्ता. परमजीत सिहँ बाली. लेबल: परमजीत बाली. Subscribe to: Posts (Atom). परमजीत सिहँ बाली. View my complete profile. सर्वदा माँ होती हो तुम. कई बार ये भी होता है'. Abhivyakti - अभिव्यक्ति. काव्य-कल्पना*. तुम्हारी धुन पर नाचे आज मेरे गीत. फेसबुक पर चिपको आंदोलन. नेट बन जाएगा जेट: नवभारत टाइम्स में ‘ज़िंदगी के मेले’. दिशाएं* * *. ऐ मेरे मन. जीवन की आपाधापी ". सुबह नौ आज मुस्कुराई है. Aaj Jaane ki Zid Na Karo. हिन्दी भारत". मेरी आवाज. महिला जगत.
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इंकलाब: May 2010
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Saturday, May 29, 2010. तुम हमारी पोल मत खोलो.हम तुम्हारी नही खोलेगें. क्या देश का हित इस मे नही है कि सभी लटकते मामलों पर बिना किसी पक्ष पात के उचित कार्यवाही की जाए? जिस सरकार ने देश द्रोहीयों को फाँसी की सजा होने पर भी .क्यों अपने फायदों के लिए ऐसे मामले लटकाये जाते हैं? यही सोच कर डर लगता है।. तुम हमारी पोल मत खोलो.हम तुम्हारी नही खोलेगें. प्रस्तुतकर्ता. परमजीत सिहँ बाली. राजनिति. Subscribe to: Posts (Atom). परमजीत सिहँ बाली. View my complete profile. Abhivyakti - अभिव्यक्ति. ऐ मेरे मन.
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इंकलाब: February 2009
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Monday, February 9, 2009. ऐसा होता. हैं।लेकिन. सामनें. माँगनें. पुरानें. हैं।जिन्हें. है।जिन. है।हमारे. लोकतंत्र. हैं।सब. लोकतंत्रिक. देश।कहनें. है।लेकिन. अधिकारी. मंत्री. प्रोफेसर. विश्वविधलय. प्राध्यापक. शिक्षा. मंत्री. हो। किसी खिलाड़ी को ही खेल मंत्र बननें का अधिकार हो। अर्थात कहने. अभिप्राय. 2306; जो. योग्यता. जाएगी।इस. योग्यता. होनें. अनिवार्य. ऐसा होता. प्रस्तुतकर्ता. परमजीत सिहँ बाली. लेबल: परमजीत बाली. राजनिति. Subscribe to: Posts (Atom). परमजीत सिहँ बाली. View my complete profile.
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इंकलाब: February 2010
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Sunday, February 14, 2010. बुझी चिंगारीयों को फिर से हवा मिल रही है. यहाँ देखें. इन्ही बातों को पढ़्ते पढ़ते कुछ पंक्तियां मन मे मडरानें लगी ।अत: यहाँ लिख दी।. बुझी चिंगारीयों को. फिर से हवा मिल रही है. जंगलो मे फिर से. जहरीली घास खिल रही है।. मगर यह हो रहा है क्यों. सोचना ही नही चाहते,. न्याय जिसको मिला ना हो. चोट वही उभर रही है।. मिलता है दुश्मनो को बहाना. अपना बन उकसाने का।. किये अन्याय को अपने. दुनिया से छुपाने का।. ना कोई दोष दो दूजों को. सब को सताने का।. समझदारी इसी मे है. राजनिति. केग के...बुझ...
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इंकलाब: July 2008
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Tuesday, July 29, 2008. हाय ओ रबा! कैसा कहर कमाया।. हाय ओ रबा! कैसा कहर कमाया।. माँ जाई दा इको पुत सी,. दुनिया दा सी प्यारा।. अपणें सुर नाल जग नूँ मोहदा,. सब तो सी ओ न्यारा।. पता नहीं लगया किस वैरी दी,. नजर ने उसनूँ खाया।. हाय ओ रबा! कैसा कहर कमाया. ढाईंयां मार के माँ-प्यो रोंवण,. विछोड़ा सदा दा पाया।. छोटी उमरे कितना वढा,. नां सी उसनें कमाया।. पा के प्यार नूँ तू इश्मिते ,. किथे टुर गया मेरे यारा।. हाय ओ रबा! कैसा कहर कमाया।. प्रस्तुतकर्ता. परमजीत सिहँ बाली. लेबल: इश्मित सिँह. Wednesday, July 23, 2008.
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इंकलाब: April 2009
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Thursday, April 9, 2009. आखिर ये जूता क्यों चला. राजनीति. है।पता. दिनों. रहेगा।ब्लोग. ज्यादा. ब्लोगों. हों।. जतानें. तुम्हारे. लोगों. अत्याचार. ज्यादती. क्यूँ. दिखाया. क्युं. पूछनें. विचारनें. प्रश्नों. आरोपों. प्रत्यारोपों. घिनौंना. देनें. प्रश्नों. लोगों. पूछनें. नेताओं. ईमानदारी. निष्पक्ष. कार्यवाही. क्यों. क्यों. लोगों. वोटों. इन्हीं. ईमानदारी. रास्ता. है।जिस. द्वारा. सकेगा।लेकिन. पाएगा।. राजनिति. राजनिति. निषपक्षता. उठानें. सकेगा।यदि. पार्टी. ईमानदारी. निष्पक्ष. दिलानें. कायाकल्प. नेता त...केग...
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इंकलाब: मेरे देश को एक और मोहनदास करमचंद गाँधी चाहिए...
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Tuesday, December 28, 2010. मेरे देश को एक और मोहनदास करमचंद गाँधी चाहिए. प्रस्तुतकर्ता. परमजीत सिहँ बाली. लेबल: परमजीत बाली. संजय कुमार चौरसिया. December 30, 2010 at 7:36 PM. आप को नवबर्ष की हार्दिक शुभ-कामनाएं! आने बाला बर्ष आप के जीवन में नयी उमंग और ढेर सारी खुशियाँ लेकर आये! आप परिवार सहित स्वस्थ्य रहें एवं सफलता के सबसे ऊंचे पायदान पर पहुंचे! नवबर्ष की शुभ-कामनाओं सहित. संजय कुमार चौरसिया. December 30, 2010 at 9:18 PM. अच्छी प्रस्तुति।. खबरों की दुनियाँ. December 31, 2010 at 7:14 PM. राषî...
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इंकलाब: March 2008
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Sunday, March 16, 2008. हमारी संवेदनाएं क्यों मर रही हैं? क्या इंसान इस तरक्की के रास्ते पर चलते हुए,अपने शोक के लिए,अपनें ह्र्दय की संवेदनाओं को भी मारता जाएगा? बाहरी तरक्की तो बहुत जोरों-सोरों से चल रही है,लेकिन इंसान के भीतर का पतन हमें क्यों दिखाई नही दे रहा? जरा सोचिए? प्रस्तुतकर्ता. परमजीत सिहँ बाली. लेबल: विचार. समाचा्र. संवेदनाएं. Wednesday, March 12, 2008. यह सिल सिला कहाँ जा कर थमेगा. हम सब कुछ देख कर भी क्यों चुप रह जाते हैं? प्रस्तुतकर्ता. परमजीत सिहँ बाली. संवेदना. Subscribe to: Posts (Atom).
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इंकलाब: October 2008
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Sunday, October 19, 2008. कुतर्को से समस्याएं और उलझती हैं. गुरू -चेला संवाद " मैं हिन्दू हूं". गुरू भारत मे रहने वाले मुसलमान क्या भारतीय है? चेला: हां भारतीय हैं।. गुरू तो फिर ये पाकिस्तान की क्रिकेट टीम के जीतने पर क्युँ खुश हो जाते है? भारत के जीतने पर क्यूँ इन के मुँह लटक जाते हैं? चेला:( मौन है). चेला (मौन है). चेला भला ऐसी बात का क्या जवाब देगा।भैया जी! प्रस्तुतकर्ता. परमजीत सिहँ बाली. लेबल: अलोचना. व्यंग्य. समीक्षा. Saturday, October 11, 2008. प्रस्तुतकर्ता. समीक्षा. हिन्दु. ऐ मेरे मन. केग ...