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ब्लॉग आर्काइव. रविवार, 12 जून 2011. सुबह सुबह फेसबुक पर अपडेट कि हैं सोचा यहाँ भी डाल देता हू ।. पल पल मुश्किल होती जिंदगी. आसान लगती हैं प्रभु तेरी बंदगी. जी जी कर भी क्या हासिल करना हैं. बनू राजा या रंक आखिर तो मरना हैं. ना समृधि ना वैराग्य बस हर साँस में प्रेम हैं. रब इंसानों को नचाता ऐसी ये जिंदगी गेम हैं. प्रस्तुतकर्ता वीरेंद्र रावल. 1 टिप्पणी:. इस संदेश के लिए लिंक. प्रतिक्रियाएँ:. रविवार, 13 फ़रवरी 2011. प्रेम और मधुशाला -नशा जीवन का. ताकत मदिरा के नशे की भì...फिर क्यों...नैनो म...क्य...

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ब्लॉग आर्काइव. रविवार, 12 जून 2011. सुबह सुबह फेसबुक पर अपडेट कि हैं सोचा यहाँ भी डाल देता हू ।. पल पल मुश्किल होती जिंदगी. आसान लगती हैं प्रभु तेरी बंदगी. जी जी कर भी क्या हासिल करना हैं. बनू राजा या रंक आखिर तो मरना हैं. ना समृधि ना वैराग्य बस हर साँस में प्रेम हैं. रब इंसानों को नचाता ऐसी ये जिंदगी गेम हैं. प्रस्तुतकर्ता वीरेंद्र रावल. 1 टिप्पणी:. इस संदेश के लिए लिंक. प्रतिक्रियाएँ:. रविवार, 13 फ़रवरी 2011. प्रेम और मधुशाला -नशा जीवन का. ताकत मदिरा के नशे की भ&#236...फिर क्यों...नैनो म&#2...क्य...
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ब्लॉग आर्काइव. रविवार, 12 जून 2011. सुबह सुबह फेसबुक पर अपडेट कि हैं सोचा यहाँ भी डाल देता हू ।. पल पल मुश्किल होती जिंदगी. आसान लगती हैं प्रभु तेरी बंदगी. जी जी कर भी क्या हासिल करना हैं. बनू राजा या रंक आखिर तो मरना हैं. ना समृधि ना वैराग्य बस हर साँस में प्रेम हैं. रब इंसानों को नचाता ऐसी ये जिंदगी गेम हैं. प्रस्तुतकर्ता वीरेंद्र रावल. 1 टिप्पणी:. इस संदेश के लिए लिंक. प्रतिक्रियाएँ:. रविवार, 13 फ़रवरी 2011. प्रेम और मधुशाला -नशा जीवन का. ताकत मदिरा के नशे की भ&#236...फिर क्यों...नैनो म&#2...क्य...

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shrikrishna: 07/01/2010 - 08/01/2010

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ब्लॉग आर्काइव. कुछ खबरों ने थोडा दिमाग ख़राब किया हुआ हैं. लड़की तो हमेशा मुक्त ही जन्मती हैं- मेरी कविता एक अ. परमेश्वर को पति रूप में पाने की इच्छा को व्यक्त कर. अपनी आत्मा बेच चुकी सरकार और मीडिया से दिल कि भड़ास. प्यार भाग अठारह - कुछ कुछ पुनर्जन्म की बाते. आज एक ब्लॉग पर एक साधक बहन को इश्वर कि बड़ाई करते स. मंगलवार, 20 जुलाई 2010. कुछ खबरों ने थोडा दिमाग ख़राब किया हुआ हैं. 2404; रेल. मंत्रालय. गाड़िया. जवाबदेही. बयानबाजिया. संवेदनशीलता. हिन्दू. यात्राओ. लगेंगे. 2404; हरियाणा. मीडिया. मुझे...नाम...

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shrikrishna: 11/01/2009 - 12/01/2009

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ब्लॉग आर्काइव. वंशावली -भाग चार ( भगवन कृष्ण और अर्जुन वंश ). वंशावली भाग तीन ( भगवन राम का वंश ). वंशावली - भाग दो . मनु जी के बारे में. वंशावली ( सृष्टि क्रम )-भाग एक -. है वही भाग्यवान जो भगवान् को चाहे-स्वर श्री सुरेशा. मीरा जी का अविस्मर्णीय एवं प्रेमाभक्ति पूर्ण गीत. महाभारत के युद्ध के बाद भीष्म जी का स्वर्गारोहण. बापूजी के दो भजन - श्री सुरेशानंदजी के स्वर में. सरल कुमार की सफल या असफल शादी : आप निर्णय ले. वो नटखट विद्यार्थी जीवन और बहाने. अच्छे लोग. एक कविता. अर्जुन वंश. और शकुन्तल&#...भरद&#2381...

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shrikrishna: 06/01/2011 - 07/01/2011

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ब्लॉग आर्काइव. सुबह सुबह फेसबुक पर अपडेट कि हैं सोचा यहाँ भी डा. रविवार, 12 जून 2011. सुबह सुबह फेसबुक पर अपडेट कि हैं सोचा यहाँ भी डाल देता हू ।. पल पल मुश्किल होती जिंदगी. आसान लगती हैं प्रभु तेरी बंदगी. जी जी कर भी क्या हासिल करना हैं. बनू राजा या रंक आखिर तो मरना हैं. ना समृधि ना वैराग्य बस हर साँस में प्रेम हैं. रब इंसानों को नचाता ऐसी ये जिंदगी गेम हैं. प्रस्तुतकर्ता वीरेंद्र रावल. प्रतिक्रियाएँ:. 1 टिप्पणी:. इस संदेश के लिए लिंक. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ.

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shrikrishna: 01/01/2010 - 02/01/2010

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ब्लॉग आर्काइव. बयानबाजी cum गुंडागर्दी (व्यंग्य ). आज मैं बेचैन हूँ ( फिल्म संतोष , गायक मोहिंदर कपूर. आज गा लो मुस्करा लो महफिलें सजा लो ( ललकार फिल्म ). तू हिन्दू बनेगा ना मुसलमान बनेगा , इंसान की औलाद ह. या दिल की सुनो दुनियावालो -( अनुपमा फिल्म 1966). जिन्हें नाज़ हैं हिंद पर वो कहाँ हैं -प्यासा फिल्म. प्रेमाभक्ति की अनूठी बातें. भक्ति से सम्बंधित कुछ अनुपम दोहे- भाग एक. भजन- नाथ थारे शरण पड़ी दासी ( स्वामी रामसुखदास जी ). पंथी हूँ मैं उस पथ का. हम ना समझे थे ( गर्दिश ). ब्रेकिंग. धमाधम मची...प्र...

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ब्लॉग आर्काइव. रविवार, 12 जून 2011. सुबह सुबह फेसबुक पर अपडेट कि हैं सोचा यहाँ भी डाल देता हू ।. पल पल मुश्किल होती जिंदगी. आसान लगती हैं प्रभु तेरी बंदगी. जी जी कर भी क्या हासिल करना हैं. बनू राजा या रंक आखिर तो मरना हैं. ना समृधि ना वैराग्य बस हर साँस में प्रेम हैं. रब इंसानों को नचाता ऐसी ये जिंदगी गेम हैं. प्रस्तुतकर्ता वीरेंद्र रावल. प्रतिक्रियाएँ:. 1 टिप्पणी:. ने कहा…. लिखना क्यूँ बंद है भाई.नियमित लिखो! गुरुवार, मार्च 29, 2012 8:01:00 pm. एक टिप्पणी भेजें. पुरानी पोस्ट.

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पागलखाना PAAGAL-KHAANAA: May 2014

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पागलखाना PAAGAL-KHAANAA. बुधवार, 14 मई 2014. भगवान और हत्यारे के बीच संदेशों के आदान-प्रदान पर कुछ अटकलें. व्यंग्य. अगर भगवान स्वयं आता है तो वह हत्या भी स्वयं क्यों नहीं कर देता? क्या भगवान हत्या को छोटा काम समझता है? अगर हत्या छोटा काम है तो क्या भगवान ने इंसान को छोटे काम करने के लिए बनाया है? या भगवान ख़ुद सामने आने से डरता है? क्यों? क्या इससे भगवान की इमेज ख़राब होती है? भगवान की हैंडराइटिंग कैसी है? कब तक चलेगी यह नेट-प्रैक्टिस? संजय ग्रोवर. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. संदेश&#237...चित...

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पागलखाना PAAGAL-KHAANAA: July 2015

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पागलखाना PAAGAL-KHAANAA. गुरुवार, 30 जुलाई 2015. इतना ही कर दो. लघुव्यंग्य. ईमानदार आदमी रास्ते से निकल रहा था।. चौक पर बेईमान बैठे थे, आदतन छेड़ने लगे-. ईमानदार आदमी कहते हुए अपने रास्ते निकल गया।. संजय ग्रोवर. 2 टिप्‍पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. Labels: ईमानदारी. वास्तविक. व्यंग्य. गुरुवार, 23 जुलाई 2015. छोटी कहानी. तभी वह वहां आन पहुंचा।. 8216;यह तो नख़रे दिखा रहा है, बड़ा घम&...संजय ग्रोवर. Labels: कठपुतली. देख&#2367...

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पागलखाना PAAGAL-KHAANAA: September 2014

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पागलखाना PAAGAL-KHAANAA. मंगलवार, 30 सितंबर 2014. ठेस का मरीज़. व्यंग्य. डॉक्टर: हां आप बताईए, आपको क्या हुआ है? मरीज़: जी मुझे ठेस लगी है।. डॉक्टर: कहां लगी है? मरीज़: सर मेरी भावनाओं को चोट पहुंची है।. डॉक्टर: भावनाओं को! अच्छा अच्छा, आप तो पिछले सप्ताह भी दो-तीन बार आए थे न? मैंने आपको ताक़त के कैप्स्यूल दिए थे. मरीज़: सर कोई फ़र्क़ ही नहीं पड़ा. मरीज़: सर वो तो हो नहीं पा रहा. मरीज़: तो सर कोई एंटी-लोकतंत्र दवा नहीं है क्या? मरीज़: तो अब मैं क्या करुं सर? संजय ग्रोवर. इसे ईमेल करें. व्यंग्य. पगली ख़...हृष...

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पागलखाना PAAGAL-KHAANAA: October 2013

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पागलखाना PAAGAL-KHAANAA. सोमवार, 21 अक्तूबर 2013. हाय रे हाय! भंवरा बेईमान. आवारा कहीं का! वे जानतीं थीं कि अंदर से वे सब भंवरे भी दरअसल तितलीवादी हैं।. इस तरह मक्खियों, चींटियों और तितलियों की मुक्ति की लड़ाई पर भंवरों ने कुशलतापूर्वक होल्ड रखा हुआ था।. संजय ग्रोवर. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. पीढ़ी-दर-पीढ़ी. व्यंग्यकथा. गुरुवार, 17 अक्तूबर 2013. न्यू कबीर एण्ड संस्. व्यंग्य. संजय ग्रोवर. Labels: अनुयाई. उनकी त...

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पागलखाना PAAGAL-KHAANAA: September 2013

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पागलखाना PAAGAL-KHAANAA. सोमवार, 30 सितंबर 2013. कर लिया तय. लघु व्यंग्य. 8216;तो बेटा पहले तय करो कि किस तरफ़ हो तुम. 8216;ठीक है सर, मैं तो हिंदू हूं।’. 8216;और सर, मैं मुसलमान हूं।’. 8216;अरे नहीं, मेरा वो मतलब नहीं है.’. 8216;तो क्या मतलब है सर? 8216;मतलब तुम ग़रीब की तरफ़ हो या अमीर की तरफ़, कमज़ोर की तरफ़ या ताक़तवर की तरफ़.’. 8216;सर, ग़रीब, मतलब कितना ग़रीब, मतलब मंथली इनकम कितनी हो? संजय ग्रोवर. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. निष्पक्षता. व्यंग्य. 8216;उसकी इम...

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पागलखाना PAAGAL-KHAANAA: March 2015

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पागलखाना PAAGAL-KHAANAA. गुरुवार, 26 मार्च 2015. जानवरों के पूर्वज. व्यंग्य. कुत्ता मुझे मिल गया, मैं रोटी डालने ही वाला था कि एक आदमी बीच में टपका, ‘‘आप कुत्ते को रोटी नहीं डाल सकते’’. 8216;‘क्यों! 8217;’ हैरानी में मैंने पूछा।. 8216;‘कुत्ते हमारे हैं, हमसे पूछे बिना आप किसी तरह का संबंध आप इनसे नहीं रख सकते.’’. 8216;‘कुत्ते तुम्हारे हैं! वह कैसे? वह थोड़ा सकपकाया, ‘‘तुम्हें नहीं मालूम? 8216;‘अजीब बात है! 8216;‘ मैंने पूछा।. 8216;‘कुत्ता कैसे लिखेगा? तुम बेवक़ूफ़ हो क्या? 8216;‘मैं क&#238...तुम&#2381...

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पागलखाना PAAGAL-KHAANAA: July 2014

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पागलखाना PAAGAL-KHAANAA. मंगलवार, 29 जुलाई 2014. अभिव्यक्ति की बारात. Freedom of expression in their sense. इन दिनों. फ़ेसबुक पर निकल रही है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के. तथाकथित हिमायतियों की बारात. अफ़वाहों का बैण्ड. बजा रहा है. सत्य का बाजा. आंऊं आऊं अहूं आंऊं आऊं अहूं. सफ़लता के बाप ने अपनी. बुज़ुर्ग हो चली बिटिया के लिए. एक बार फिर से. इनके घराने को चुन लिया है. सफ़लता का बाप को भी आए दिन. अपनी बेटी की शादी कहीं न कहीं करनी है. परंपरावादी बाप ठहरा. हर हफ़ते कोई बारात. मज़ा तो आता है. एक बारात&#...जो ...

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पागलखाना PAAGAL-KHAANAA. गुरुवार, 5 जून 2014. मुरदों का आत्मविश्वास. मुरदों ने एक और ज़िंदा आदमी को मार डाला।. फ़िर उन्होने बहुत तहज़ीब, बहुत विनम्रता के साथ ज़िंदा लोगों को आमंत्रित किया, ‘आईए न, अब आपकी बारी है।’. 8216;मगर कैसे? खेल के सारे नियम मुरदों के बनाए हुए हैं! वे क्या मानेंगे कि वे मुरदे हैं! ज़िंदा लोगों मे सोच-विचार जारी है. संजय ग्रोवर. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. Labels: आत्मविश्वास. नई पोस्ट. MY EXPERIME...

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पागलखाना PAAGAL-KHAANAA. शुक्रवार, 31 जनवरी 2014. चाहें तो इसे समीक्षा समझें-. Http:/ youtu.be/NykVp7qG Ss. पता नहीं ये वही हैं या कोई और हैं। शक़्ल बिलकुल वैसी ही है।. फ़िल्म का एक प्लस प्वाइंट यह है कि जय के भांजे का नाम कबीर है।. मुझे जब किसी फ़िल्म में प्लस प्वाइंट निकालने हों तो मैं कैसे भी करके निकाल लेता हूं।. फ़िल्म में मंत्री, पुलिस वगैरह के मुद्दे शुरु हो जाते हैं।. फ़िल्म शायद गंभीर हो रही है।. मैं आपको ठीक से बताता हूं।. कबीर का रोल करनेवाला लड़का, स&#2368...आजकल फ़िल्में अप...इस समीक्ष...3 ट&#2367...

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पागलखाना PAAGAL-KHAANAA. गुरुवार, 25 जून 2015. पुरस्कार. लघुव्यंग्य. ख़ुशबू ज़बरदस्त थी।. चूहा ख़ुद ही पिंजरे में घुस गया।. संजय ग्रोवर. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. Labels: ख़ब्त. पिंजरा. प्रतिष्ठा. गुरुवार, 11 जून 2015. जाली बनाम अदृश्य सर्टीफ़िकेट. ऐसा सुनकर यूनिवर्सिटी और परेशान हो गई, परेशान होकर अपने संस्थापक क&...वैसे न ही आए तो अच्छा है।. संजय ग्रोवर. 2 टिप्‍पणियां:. इसे ईमेल करें. व्यंग्य. वह शर्म&#2368...

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