smsmsti4u.blogspot.com
SMS MSTI 4 U: चाणक्य नीति,WATCH ONLINE CHANAKYA & RAMAYANA
http://smsmsti4u.blogspot.com/p/blog-page.html
SMS MSTI 4 U. जब मैं छोटा था. जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी. मुझे याद है मेरे घर से “स्कूल” तक का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था. वहां, चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ,. अब वहां “मोबाइल शॉप”, “विडियो पार्लर” हैं, फिर भी सब सूना है. शायद अब दुनिया सिमट रही है…. जब मैं छोटा था, शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी. वो बचपन के खेल, वो हर शाम थक के चूर हो जाना,. शायद वक्त सिमट रहा है. शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं. अब बच गए इस पल मैं. तमन्नाओ से भरे इस ज&...कुछ जीत ल...कुछ...
smsmsti4u.blogspot.com
SMS MSTI 4 U: प्रेम
http://smsmsti4u.blogspot.com/2011/03/blog-post_12.html
SMS MSTI 4 U. जब मैं छोटा था. जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी. मुझे याद है मेरे घर से “स्कूल” तक का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था. वहां, चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ,. अब वहां “मोबाइल शॉप”, “विडियो पार्लर” हैं, फिर भी सब सूना है. शायद अब दुनिया सिमट रही है…. जब मैं छोटा था, शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी. वो बचपन के खेल, वो हर शाम थक के चूर हो जाना,. शायद वक्त सिमट रहा है. शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं. अब बच गए इस पल मैं. तमन्नाओ से भरे इस ज&...कुछ जीत ल...कुछ...
smsmsti4u.blogspot.com
SMS MSTI 4 U
http://smsmsti4u.blogspot.com/2013/08/blog-post.html
SMS MSTI 4 U. जब मैं छोटा था. जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी. मुझे याद है मेरे घर से “स्कूल” तक का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था. वहां, चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ,. अब वहां “मोबाइल शॉप”, “विडियो पार्लर” हैं, फिर भी सब सूना है. शायद अब दुनिया सिमट रही है…. जब मैं छोटा था, शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी. वो बचपन के खेल, वो हर शाम थक के चूर हो जाना,. शायद वक्त सिमट रहा है. शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं. अब बच गए इस पल मैं. तमन्नाओ से भरे इस ज&...कुछ जीत ल...कुछ...
smsmsti4u.blogspot.com
SMS MSTI 4 U: June 2011
http://smsmsti4u.blogspot.com/2011_06_01_archive.html
SMS MSTI 4 U. जब मैं छोटा था. जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी. मुझे याद है मेरे घर से “स्कूल” तक का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था. वहां, चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ,. अब वहां “मोबाइल शॉप”, “विडियो पार्लर” हैं, फिर भी सब सूना है. शायद अब दुनिया सिमट रही है…. जब मैं छोटा था, शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी. वो बचपन के खेल, वो हर शाम थक के चूर हो जाना,. शायद वक्त सिमट रहा है. शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं. अब बच गए इस पल मैं. तमन्नाओ से भरे इस ज&...कुछ जीत ल...कुछ...
smsmsti4u.blogspot.com
SMS MSTI 4 U
http://smsmsti4u.blogspot.com/2011/06/blog-post_07.html
SMS MSTI 4 U. जब मैं छोटा था. जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी. मुझे याद है मेरे घर से “स्कूल” तक का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था. वहां, चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ,. अब वहां “मोबाइल शॉप”, “विडियो पार्लर” हैं, फिर भी सब सूना है. शायद अब दुनिया सिमट रही है…. जब मैं छोटा था, शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी. वो बचपन के खेल, वो हर शाम थक के चूर हो जाना,. शायद वक्त सिमट रहा है. शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं. अब बच गए इस पल मैं. तमन्नाओ से भरे इस ज&...कुछ जीत ल...कुछ...
smsmsti4u.blogspot.com
SMS MSTI 4 U: October 2011
http://smsmsti4u.blogspot.com/2011_10_01_archive.html
SMS MSTI 4 U. जब मैं छोटा था. जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी. मुझे याद है मेरे घर से “स्कूल” तक का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था. वहां, चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ,. अब वहां “मोबाइल शॉप”, “विडियो पार्लर” हैं, फिर भी सब सूना है. शायद अब दुनिया सिमट रही है…. जब मैं छोटा था, शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी. वो बचपन के खेल, वो हर शाम थक के चूर हो जाना,. शायद वक्त सिमट रहा है. शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं. अब बच गए इस पल मैं. तमन्नाओ से भरे इस ज&...कुछ जीत ल...कुछ...
smsmsti4u.blogspot.com
SMS MSTI 4 U: तुझे मांग कर खुदा से क्या ज्यादा मांग लिया मैंने..
http://smsmsti4u.blogspot.com/2011/01/blog-post_3484.html
SMS MSTI 4 U. जब मैं छोटा था. जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी. मुझे याद है मेरे घर से “स्कूल” तक का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था. वहां, चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ,. अब वहां “मोबाइल शॉप”, “विडियो पार्लर” हैं, फिर भी सब सूना है. शायद अब दुनिया सिमट रही है…. जब मैं छोटा था, शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी. वो बचपन के खेल, वो हर शाम थक के चूर हो जाना,. शायद वक्त सिमट रहा है. शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं. अब बच गए इस पल मैं. तमन्नाओ से भरे इस ज&...कुछ जीत ल...कुछ...
smsmsti4u.blogspot.com
SMS MSTI 4 U: वक़्त का ये परिंदा रूका हैं कहा.
http://smsmsti4u.blogspot.com/2011/10/blog-post.html
SMS MSTI 4 U. जब मैं छोटा था. जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी. मुझे याद है मेरे घर से “स्कूल” तक का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था. वहां, चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ,. अब वहां “मोबाइल शॉप”, “विडियो पार्लर” हैं, फिर भी सब सूना है. शायद अब दुनिया सिमट रही है…. जब मैं छोटा था, शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी. वो बचपन के खेल, वो हर शाम थक के चूर हो जाना,. शायद वक्त सिमट रहा है. शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं. अब बच गए इस पल मैं. तमन्नाओ से भरे इस ज&...कुछ जीत ल...कुछ...
smsmsti4u.blogspot.com
SMS MSTI 4 U: Watch Live T.V
http://smsmsti4u.blogspot.com/p/watch-live-tv.html
SMS MSTI 4 U. जब मैं छोटा था. जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी. मुझे याद है मेरे घर से “स्कूल” तक का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था. वहां, चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ,. अब वहां “मोबाइल शॉप”, “विडियो पार्लर” हैं, फिर भी सब सूना है. शायद अब दुनिया सिमट रही है…. जब मैं छोटा था, शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी. वो बचपन के खेल, वो हर शाम थक के चूर हो जाना,. शायद वक्त सिमट रहा है. शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं. अब बच गए इस पल मैं. तमन्नाओ से भरे इस ज&...कुछ जीत ल...कुछ...