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एक शहर है: January 2014
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एक शहर है. Wednesday, January 29, 2014. नूरी का कूण्डा. साथ वाली शकीला बाजी ने आकर पूछा "अरी नूरी तू ये क्या कर रही है? उसने कहा, "बाजी सभी कुछ है।". आटे के कूण्डा है? हां है।". कितने कपड़ो मे देगा? सात जोडी से कम नही दूगां।". अरे ओ भईया पाचं जोडी मे देना. हो तो बता।". अरे बाजी आप भी चलिये अच्छा. दिखाईये।". इधर आजा भईया गली मे". अरे कैसा है बहन जी ये तो घिसा हुआ है।". ये सोचकर वो बाहर की तरफ में भागी उन्होनें कई गलियì...मस्जिद की तरफ, असलम की तरफ, सुखी सब्ज&#...Labels: माहौल. Labels: कहानी. अचा...
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पूरबिया: February 2011
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पूरबिया. भदेस संवेदना का अक्षर स्पंदन. Sunday, February 20, 2011. कोई लांछन नहीं. बजाप्ता अब नाम है उसका. लाड़ के साथ पुकारा. शख्सियत के साथ. काढ़ा जानेवाला नाम. बहनों में दो उससे पहले. एक उसके बाद. और आखिर में. भाइयों की युगलबंदी. सबसे पहले मां ने कहा. अपनी सबसे अलग. इस बेटी को. फिर बहनों ने. बाद में चलकर. रक्षा बंधन के लिए. कलाई आगे करने वाले. उम्र में आधे भाइयों ने. किया विकास. इस पुकारू परंपरा का. दूध पीने से ज्यादा. दूध काटने की आदत. प्यार पाने से ज्यादा. जिद्दी फितरत. फूंका शंख. मचलने के. कोई म...
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एक शहर है: July 2014
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एक शहर है. Monday, July 28, 2014. बैठने की कोई रोक नहीं. ये देखते हुए घुमते कि कौन सी. ऐसी जगह है जहाँ कुछ पलों का. आराम किया जाये मगर एक रोज का. नहीं हर रोज आया जाये. पर कोई रौनकदार सभा बैठी हैं. पर शौर है. पर लोग बुलायेगे और कहाँ पर. बैठने में मज़ा आयेगा. यहाँ सारी जगहें एक ही आकार. और रूप लिए ही थो थी। कभी. तो आँखें कहीं रूक भी जाती. लेकिन ये जबरदस्ती खुद को कहीं. जमाने का समान होता। मन तो. जैसे कुछ और ही तलाश रहा होता. माहौल से दूसरे माहौल से लोग. अगर अपने पाँच. पाँच मिनट भी. कोई रोक. वो अपन...
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kathan: वो था असली वीर
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जब हुजूर हुजूर कहने से काम न चले तो खुद को तलाशने की ख्वाहिश लिए चिट्ठों की दुनियां में आई हूँ ,. Monday, January 25, 2010. वो था असली वीर. जिनके बारे में कोई जानता भी नहीं है। उनकी वीरता भी पिट गई है शायद ।. बिहार के मुंगेर जिले में स्थित रामपुर गां. 2404; लगभग 50.60 साल पहले की घटना है । गां. काम कर रहे मजदूरों. आज भी पूरे रामपुर गां. उनकी वीरता भी पिट गई शायद।. अमृत पाल सिंह. January 25, 2010 at 8:48 AM. शोभना चौरे. January 25, 2010 at 9:43 AM. Kuch logo ke dil me aaj bhi jinda hai log ye kya kam hai?
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एक शहर है: September 2014
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एक शहर है. Wednesday, September 3, 2014. आवाज़ों का चक्रव्यू. अबे रुक जा. ऐसा क्या हो गया. 8221; फिर से अपने जोरों पर कूदा। “धड़. 8220; अबे जा – जा बहुत देखे तेरे जैसे।“. 8220; मार डाल. Labels: सुनना. Subscribe to: Posts (Atom). आवाज़ों का चक्रव्यू. बहुरूपिया शहर. नए संदर्भ से जुड़े ब्लॉग. जानकीपुल: हर शहर इसी तरह बहुरुपियों का शहर हुआ करता है. मातृभाषाओं में शिक्षा को लेकर गहरी उदासीनता है. नींबू पानी पैसा : शंकर हल्दर. तनहाई मेरी मित्र हैं. दक्षिणपुरी डायरी. कौन है।. कस्बा qasba. हुंकार. I Am Kalam - film.
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kathan: हाँ कुछ कहना चाहती हूँ
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जब हुजूर हुजूर कहने से काम न चले तो खुद को तलाशने की ख्वाहिश लिए चिट्ठों की दुनियां में आई हूँ ,. Thursday, February 4, 2010. हाँ कुछ कहना चाहती हूँ. हाँ कुछ कहना चाहती हूँ मैं. खुद के अंदर सिमटे सूखे पत्ते. को हटाना चाहती हूँ. थोड़ी खडखड़ा हट. है , कुछ गले. कुछ कच्चे पत्ते भी हैं. पोंछ निकलना है सबकुछ. कुछ गले पत्ते का गीलापन. अंदर रह गया है. कुछ सूखे पत्ते के बुड़ादे भी हैं ,. उसमे चिपके हुए. शायद हरे पत्ते सारे निकल गए हों. कुछ और खाली करना है अभी. टहनिओं से टकराती हुई. शोभना चौरे. May 5, 2010 at 8:00 AM.
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kathan: पार्लियामेंट में सांस छोड़ती नैतिकता
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जब हुजूर हुजूर कहने से काम न चले तो खुद को तलाशने की ख्वाहिश लिए चिट्ठों की दुनियां में आई हूँ ,. Saturday, May 8, 2010. पार्लियामेंट में सांस छोड़ती नैतिकता. May 8, 2010 at 1:26 AM. Sab kuch nirankhush hai. Subscribe to: Post Comments (Atom). There was an error in this gadget. There was an error in this gadget. View my complete profile. लैला’ तूफान कैसे पड़ा नाम. पार्लियामेंट में सांस छोड़ती नैतिकता. शशिकांत. Your IP and Google Map location. There was an error in this gadget.
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एक शहर है: October 2013
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एक शहर है. Saturday, October 19, 2013. Friday, October 18, 2013. थकान प्रभावों में नहीं आभाषों में है। जो ज़िन्दगी को बैचेनियां और रहस्यम बनाता है॥. जहां एकांत मिथक बैचेनियों की दुनिया है। हर दम एक नई आवाज़ में ध्वनित जो सीधा रास्ता नहीं अपनाना चाहती।". सवाल के आजूबाजू. सोच और आंकने की समाजिक पद्धति के साथ में रहना और उसके भीतर अनुसाधनों को सोचना क्या है? Labels: किताब. Wednesday, October 9, 2013. मैं" अनेकता या विशालता का रूप है. Friday, October 4, 2013. कोई ऐसी छवि जिसका व...ऐसी पोशाक...ऊर्जì...
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एक शहर है: May 2014
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एक शहर है. Wednesday, May 21, 2014. बेकारी. न्यौता. धोखा है. चुभन भी है।. ना पसंद के बाहर से खुद को रखने. को पैदा करता. है। जो सामने दिख. है वो. से आगे ले जाने को. ज़ोर देता. बेकारी कई. पर्दों मे घिरा हुआ. रास्ता. है जो थकान से उड़ान की और ले जाता है।. Labels: उड़ान. Monday, May 12, 2014. पर्दा और फिल्म के टुकड़े पार्ट 4. कब तक दरारियों से फ़िल्मों. के मज़े लुटे. कब तक गूंगी फ़िल्मों की. कहानियों का अनुमान लगाये और. आखिर कब तक किसी के आ जाने के. का उन्हे इंतजार था वे. फ़िल्म थी. गाना था. भर के लि...
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A Man Escaped « Awaraviews
https://awaraviews.wordpress.com/2009/10/12/a-man-escaped
Lights and Shadows behind the Films. We dont reckon time the same way. His blood-stained face pokes out from behind his jacket, thrown over him. He appears dead or at least unconscious, but then his narration begins: “I could feel I was being watched. I didn’t dare move.”. यह ज फ र स थ व कह स आई? I reminded of Fontaine’s inner strength and craftiness:-. October 12, 2009. Leave a Reply Cancel reply. Enter your comment here. Fill in your details below or click an icon to log in:. Address never made public).
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