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हिंदी कविता: August 2011
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हिंदी कविता. कवि की रचना तथ्यपरक हो फूंके वो जन जन में प्राण. Wednesday, August 31, 2011. ईद के दिन सभी मुस्कुराते रहें,. ईद के दिन सभी मुस्कुराते रहें. गीत खुशियों के यूं ही गाते रहें. आओ कर लें दुआ दूसरों के लिए-. फूल गुलशन में यूं ही खिलाते रहें. अम्बरीष श्रीवास्तव. Monday, August 15, 2011. आजादी कैसी यहाँ? आजादी कैसी यहाँ, आजादी बस नाम,. भ्रष्टाचारी राज में, सही हुए बदनाम. सही हुए बदनाम, वही ठहराए दागी. ख़त्म करें यह खेल, अंत जिसका बरबादी,. अम्बरीष श्रीवास्तव. Thursday, August 11, 2011. बहना क&...
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हिंदी कविता: November 2013
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हिंदी कविता. कवि की रचना तथ्यपरक हो फूंके वो जन जन में प्राण. Thursday, November 28, 2013. माँ सरस्वती हरिगीतिका. शुचिशुभ्रवसनाशारदा वीणाकरेवागीश्वरी . कमलासिनीहंसाधिरूढ़ा बुद्धिदाज्ञानेश्वरी . अमृतकलशकरअक्षसूत्रं पुस्तकंप्रतिशोभितं . शरणागतंशुभसत्त्वरूपं वेदमातावंदितं . रचनाकार : इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव. दूरभाष: 09415047020, 05862244440. श्री गणेश स्तुति हरिगीतिका. शिवशैलजासुतपूज्यप्रथमं मोक्षज्ञानप्रदायकं . गुरुगजबदनगणपतिगजानन विध्ननाशविनायकं. दूरभाष: 09415047020, 05862244440. View my complete profile.
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हिंदी कविता: October 2012
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हिंदी कविता. कवि की रचना तथ्यपरक हो फूंके वो जन जन में प्राण. Sunday, October 7, 2012. हर शख्स नारियों पे अभी मेहरबान है. पानी में कितना कौन है नारी को ज्ञान है. नवजात बाँधे पीठ करे हाड़तोड़ श्रम,. तकदीर से गिला न ये गीता-कुरान है. बच्चे को जो कसे था सो अजगर से जा भिड़ी,. हिम्मत को कर सलाम ये नारी महान है. झाड़ू व चूल्हे में जुटे कपड़े धुले सभी,. सेवा भी सबकी साथ में क्या शक्तिमान है. बोझिल है आँख नींद से भी फिक्र पर सभी,. सहयोग चाहती है मगर बेजुबान है. Thursday, October 4, 2012. Tuesday, October 2, 2012.
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हिंदी कविता: ईद के दिन सभी मुस्कुराते रहें,
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हिंदी कविता. कवि की रचना तथ्यपरक हो फूंके वो जन जन में प्राण. Wednesday, August 31, 2011. ईद के दिन सभी मुस्कुराते रहें,. ईद के दिन सभी मुस्कुराते रहें. गीत खुशियों के यूं ही गाते रहें. आओ कर लें दुआ दूसरों के लिए-. फूल गुलशन में यूं ही खिलाते रहें. अम्बरीष श्रीवास्तव. Navin C. Chaturvedi. September 1, 2011 at 8:30 PM. बिलेटेड ईद मुबारक़. September 12, 2011 at 8:23 AM. स्वागत है मित्र नवीन जी! Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार. September 23, 2011 at 1:48 PM. एक और अच्छी पोस्ट! यह कैसे?
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हिंदी कविता: April 2009
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हिंदी कविता. कवि की रचना तथ्यपरक हो फूंके वो जन जन में प्राण. Thursday, April 2, 2009. राम नाम जपते रहें, मूल मंत्र ये नाम. अंतर में जब राम हों, बन जाएँ सब काम. मनवा मेरा कब से प्यासा, दर्शन दे दो राम,. तेरे चरणों में हैं बसते जग के सारे धाम. जय-जय राम सीताराम, जय-जय राम सीताराम.२. अयोध्या नगरी में तुम जन्मे , दशरथ पुत्र कहाये,. विश्वामित्र थे गुरु तुम्हारे, कौशल्या के जाये,. जय-जय राम सीताराम, जय-जय राम सीताराम.२. जटायु सा भक्त आपका आया रण में काम . जो भी चलता राह तुम्...लव-कुश जैसí...उसके...
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हिंदी कविता: February 2009
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हिंदी कविता. कवि की रचना तथ्यपरक हो फूंके वो जन जन में प्राण. Sunday, February 22, 2009. दिल की चाहत". बिछड़ना. गवारां. बांधा. संवारा. दुनिया. प्यारा. पुकारा. ज़माने. दुबारा. श्रीवास्तव. Friday, February 20, 2009. निर्माण श्रमिक". भूमिहीन है वो बेचारा. या मजदूरी तेरा सहारा. हाड़तोड़ मेहनत. वो करता. फिर भी उसका पेट न भरता. रोटी संग नमक और प्याज. उसकी यही नियति है आज. ये ही है. की सोंच. क्षमता से ज्यादा. सिर पर बोझ. प्रायः नहीं काम पर. तसले ढोकर होते घाव. राम भरोसे उसकी. पेस्टीसाइड. View my complete profile.
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हिंदी कविता: February 2014
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हिंदी कविता. कवि की रचना तथ्यपरक हो फूंके वो जन जन में प्राण. Friday, February 28, 2014. मेरी बेटियों तुम सदा मुस्कुराना". सतत कर्म करना मुकद्दर बनाना. मेरी बेटियों तुम सदा मुस्कुराना. चली पेट में वो थी धड़कन सुनाती. लुढ़ककर पलटकर वो हमको लुभाती. मशीनों ने जाँचा जो थे जान पाये. बने उसके दुश्मन सभी खार खाये. मिटाने की खातिर छुरी मत उठाना. मेरी बेटियों तुम सदा मुस्कुराना. बढ़ी चाँद जैसी वो प्यारी सी बेटी. जमाने की खुशियाँ थीं हमने समेटी. लिपटकर वो रोई उठी जब थी डोली. इसी पर तो ससुरा ज़म...सावन के अ...मेर...
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हिंदी कविता: December 2010
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हिंदी कविता. कवि की रचना तथ्यपरक हो फूंके वो जन जन में प्राण. Friday, December 10, 2010. कुछ फूल चढाने आये हम". इस अंतर में प्रभु रहते हैं अब उन्हें रिझाने आये हम,. पट खोलो तुम मन मंदिर के कुछ फूल चढाने आये हम . पथ में कंटक बन लोभ-मोह हमको घायल कर जाता है,. अपनेपन की लड़ियाँ लेकर अब राह सजाने आये हम. पावनता बचपन की दिल में सत्संगति संग लिए अपने,. फैले अब जग में भक्ति भाव कुछ दीप जलाने आये हम. अम्बरीष श्रीवास्तव. उस माँ को हमने क्या जाना ". अम्बरीष श्रीवास्तव. Subscribe to: Posts (Atom).
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हिंदी कविता: April 2010
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हिंदी कविता. कवि की रचना तथ्यपरक हो फूंके वो जन जन में प्राण. Sunday, April 4, 2010. ज्ञान स्रोत हिन्दी बने. चतुर्भुजी माँ ब्राह्मी, वीणा पुस्तक सार. ज्ञान स्रोत हिन्दी बने, इसका हो व्यवहार. ज्ञानदायिनी शारदे, सब हों हिन्दी मीत. हिन्दी के व्यवहार से, छाये सबमें प्रीति. दुर्गम है हिन्दी नहीं, जन जन की आवाज़. उर अंतर में ये बसी, अनुशासित अंदाज. यति गति लय भी गद्य में, रक्खें इसका ध्यान. अपनी शैली में लिखें , होगा कार्य महान. अम्बरीष श्रीवास्तव. Subscribe to: Posts (Atom). Ambarish Srivastava at Anubhuti.
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हिंदी कविता: September 2012
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हिंदी कविता. कवि की रचना तथ्यपरक हो फूंके वो जन जन में प्राण. Thursday, September 13, 2012. इन्साफ जो मिल जाय तो दावत की बात कर. मुंसिफ के सामने न रियायत की बात कर. तूने किया है जो भी हमें कुछ गिला नहीं. ऐ यार अब तो दिल से मुहब्बत की बात कर. गर खैर चाहता है तो बच्चों को भी पढ़ा. आलिम के सामने न जहालत की बात कर. अपने ही छोड़ देते तो गैरों से क्या गिला. सब हैं यहाँ ज़हीन सलामत की बात कर. अम्बर' भी आज प्यार की धरती पे आ बसा. अम्बरीष श्रीवास्तव. ये क्या किया! Subscribe to: Posts (Atom). View my complete profile.
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