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मैं कहता आँखन देखी.: April 2013
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मैं कहता आँखन देखी. Monday, April 29, 2013. मेरे हबीब. समन्दर, बाहर का, खबर देता हैं,. अन्दर भी एक सागर है।. वर्ना क्यों किसी झंझावत में,. बहता आँखों का नीर,. खारा लगता है।. कुछ इन्सा समंदर होते हैं,. बाहर नही जीतने अंदर होते हैं. इनकी गहराइयो की ठोर मुश्किल हैं. खुद को जीतते हैं, सिकंदर होते हैं. तेरी आँखों- से, अब वो समंदर नहीं मिलते।. पीने वालो को, अब वो मंजर नहीं मिलते।. इस भागती - दोड़ती जिन्दंगी में, इश्क? Subscribe to: Posts (Atom). आज दशहरा है. वक्त के पन्ने उड़त...दीये के प...प्री...
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मैं कहता आँखन देखी.: October 2012
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मैं कहता आँखन देखी. Monday, October 15, 2012. वक्त के पन्ने उड़ते जाते हैं. जो लिखे नहीं, खाली रह जाते हैं. वक्त के पन्ने उड़ते जाते हैं. आंधीया तो गुजरी हैं, मेरे भी घर से. कुछ चिराग हैं, फिर भी जले रह जाते हैं. वक्त के पन्ने उड़ते. मैने तो कुछ पन्ने सिर्फ काले किये. वो खुदा ही हैं, जो कुछ कह जाते हैं. वक्त के पन्ने उड़ते. बड़ी मुद्दत के बाद ये यकीं हुआ हैं. पराये शहर में, अपने भी मिल जाते हैं. वक्त के पन्ने उड़ते. छोड़े जाते हैं. वक्त के पन्ने उड़ते. आज इतना ही. Subscribe to: Posts (Atom). वक्त क...
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मैं कहता आँखन देखी.: December 2013
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मैं कहता आँखन देखी. Tuesday, December 31, 2013. फ़ारूक शेख: ठहराव और संजीदगी. फिर छिड़ी रात बात फूलों की" । रेडियो पर सायमा RJ Sayema ने जब ये गाना बजाया, मेरे तो सारे तार बज से गए.।. बोन्साई, उथलापन, भीड़ and एक अंधी दौड़. सब दौड़ रहे, पहुच कोई नहीं रहा. ख़ुदा उन्हें जन्नत नसीब करे.उस "ठहराव" को सुनते हैं. फिर छिड़ी रात बात फूलों की. रात हैं या बरात फूलों की. फुल के हार, फुल के गजरे. शाम फूलों की, रात फूलों की. आप का साथ, साथ फूलों का. आप की बात, बात फूलों की. Subscribe to: Posts (Atom). वक्त के ...दीय...
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मैं कहता आँखन देखी.: June 2015
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मैं कहता आँखन देखी. Tuesday, June 2, 2015. जन्मदिन मुबारक : कुछ जीवन अनुभव . छोटे भाई का जन्मदिन हैं , कुछ लिख कर भेजा हैं।. कभी झूठ नहीं बोलना , जब तक वो किसी बड़े भले की लिए न हो।. ना कहना सीखना उन कामो के लिए, जो करना नहीं चाहते या कर नहीं सकते।. साल में २१ दिन ध्यान को दूंगा , हो सके तो आश्रम जाकर।. साल में एक बार दूरस्थ यात्रा।. जिन्होंने मदद की, उनका धन्यवाद करना।. परिवर्तन अच्छा हैं। खुद करे तो सबसे अच्छा।. आज इतना ही।. Subscribe to: Posts (Atom). आज दशहरा है. आज मेरी बस्ती ...वक्त के प...दीय...
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मैं कहता आँखन देखी.: January 2013
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मैं कहता आँखन देखी. Sunday, January 27, 2013. तू या मैं? रोज सबेरे मैं ही तो आता हूँ,. तभी तो होती हैं रौशनी. तुम्हारा अँधेरा हरता हैं।. ये तो तुम्हारी ही समस्या हैं,. तुम चले जाते हो. मंदिर मस्जिद में मुझे खोजने।. और मैं आता हूँ कई भेष लिए. तुम्हारे दरवाजे पर. खटखटाता भी हूँ।. पर तुम विचरते हो. किसी और माया -संसार में।. और फिर तुम नास्तिक बन जाते हो।. कहते हो कि "मैं" मर गया।. हाँ, मैं मरता हूँ हर गुजरे पल में।. भूतो न भविष्यति।. मैं वर्तमान हूँ।. मैं प्रेम में।. आज इतना ही।. Subscribe to: Posts (Atom).
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मैं कहता आँखन देखी.: May 2014
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मैं कहता आँखन देखी. Saturday, May 24, 2014. सब बच्चे लगे! उन्हों पलो वो होता हैं, जो एक हाड़ मांस का पुतला नहीं कर सकता। कुछ अनोखा, कुछ बिलकुल अनदेखा-अनसुना। बाकि सब नक़ल हैं, कूड़ा हैं. कुछ नई पंक्तिया प्रस्तुत हैं. मुझ माझी को कब किनारे मिले. तुझ को भी क्या, मुझसे बेचारे मिले? जिन आँखों से थी, मुझे मय दरकार,. रेगिस्ता वहा हज़ारो मिले।. मुझ माझी को कब किनारे मिले! मैं प्यासा ही रहा, मुझे समन्दर नसीब हुए. वो पास रह कर भी, कब करीब हुए. बड़े बड़े, सब बच्चे लगे. आज इतना ही. Saturday, May 10, 2014. आज मेर...
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मैं कहता आँखन देखी.: February 2014
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मैं कहता आँखन देखी. Friday, February 7, 2014. नए ज़माने. नए ज़माने के नए दस्तूर होते हैं. सही-गलत छोड़, उन्हें मंजूर होते हैं. वो तरक्कीपसंद कहलाते हैं, जो बेच देते हैं ज़मीर अपना।. सुना हैं आजकल वही हुजूर होते हैं. नए ज़माने के नए दस्तूर होते हैं. हम जैसो को कब मंजूर होते हैं. ज़मीर जो बेचा, तो फिर क्या बचा. हम अपनी सनक के लिए मशहूर होते हैं. नए ज़माने के नए दस्तूर होते हैं. हम जैसो को कब मंजूर होते हैं. Subscribe to: Posts (Atom). आज दशहरा है. ख़ुदा नहीं मिलता. दीये के प्रकाश क&#...प्रीतिश न...आजादì...
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मैं कहता आँखन देखी.: March 2013
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मैं कहता आँखन देखी. Friday, March 29, 2013. मेरे आंसू - तेरे दोहे. खैर। फिर से शुक्रिया, उन बादलो का जो सावन लेके आये।. थोडा नमकीन पानी और फिर बची राख।. साहूकार ने लगाया, जब आदम का हिसाब।. हिसाब किताब में कब समाया तेरे मेरा प्यार।. साहूकार चूक गया, यादे - सांसे - वक्त- गर्मी - ख्वाब।. खुदा तेरी इक दुनिया हैं, एक मेरी भी दुनिया हैं।. तेरी दुनिया भय की, मेरा, प्यार रुआब।. किसने बनाये परिंदे, ये जंगल, जानवर, पानी।. थोडा नमकीन पानी और फिर बची राख।. आज इतना ही।. Monday, March 11, 2013. आज दशहरा है. आज मे...
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मैं कहता आँखन देखी.: February 2013
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मैं कहता आँखन देखी. Wednesday, February 27, 2013. समय के दामन से कुछ कुछ मेरा सा। भाग - 1. पर नियति को कुछ और ही मंजूर था।. ओशो ने दूसरी बार भी नहीं आने दिया, तैयार जो नहीं था। या पता नहीं, मेरा ही दुर्भाग्य।. आज इतना ही।. Subscribe to: Posts (Atom). आज दशहरा है. मौन ही बेहतर प्यार की भाषा. ख़ुदा नहीं मिलता. शुभ दीपावली.* * * * * * * *. तमसो माँ ज्योतिर्गमय:. दीये के प्रकाश की किरण और मंत्रो की गूंज हमारे ...आजादी के मायने और असली आजादी. जनता आती हैं. आजादी और लाल बहादु...नव वर्ष क...समय के ...
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मैं कहता आँखन देखी.: June 2013
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मैं कहता आँखन देखी. Monday, June 24, 2013. मेरे ख्वाब. तुझे देखता रहू ,. या सांसो की डोर थामे रहु. न देखा, तो क्या जी पाउँगा।. देखता रहा, सांसे न ले पाउँगा।. कौन है तु. तू शायद, अलसुबह देखा ख्वाब हैं,. जो इतना सच्चा लगता हैं. कि साँसे रोक देता हैं।. लगता है वही जीना, जीने लायक हैं।. लेकिन जब टूटता है,. तो फिर साँसे रोक देता हैं।. फिर भी मैं, अपने अन्दर के बच्चे को समझाता हूँ. ख्वाब एक ख्वाब ही तो है. ख्वाब ही रहा होगा।. और जीते चला जाता हूँ।. Subscribe to: Posts (Atom). आज दशहरा है. दीये क...प्र...